सुबह मैंने अशोक के सामने अपनी पत्नी को चोदा। मेरी बेटी और किरण ने भी हमारी चुदाई देखी। जैसे ही अशोक ने कहा कि उसने रात में नम्रता को दो बार चोदा मेरी बेटी वहां से हट गई। लेकिन किरण मेरे बग़ल में बैठ गई। एक घंटा चोदने के बाद मैं अणिमा के मुंह में चोदते हुए गंदी-गंदी बातें करने लगा। अणिमा समझ गई कि मैं उसे अशोक के सामने शर्मिंदा करने की कोशिश कर रहा था। तो उसने मुंह से मेरा लंड निकाला। यह बोल कर कि
“मैं दिखाती हूं कि मैं कितनी बेशर्म हूं।”
वो अशोक के लंड को चूसने लगी। मैंने उसे 5-7 मिनट लंड चूसने दिया। उसके बाद मैं खड़ा हुआ और उसे फिर कुतिया के पोज में किया। लंड को अणिमा की गांड के छेद से सटाया और ज़ोर से धक्का मारा। हर सप्ताह एक बार उसकी गांड मारता ही था। पहले ही धक्का में डेढ़ इंच लंड अंदर घुस गया। अगले चार पॉंच घक्कों में पूरा लंड अंदर चला गया।
गांड में लंड पेलते हुए बोला, “अशोक, अणिमा की बुर तो बहुत मज़ा देती ही है, बहुत कम औरत होगी जो अणिमा जैसा गांड मरवाती होगी।”
इधर मैं दनादन गांड में लंड पेल रहा था और उधर अशोक झड़ गया। अणिमा ग़ुस्सा से बोली, “कैसे नामर्द हो, लंड टाईट भी नहीं हुआ और तुम झड़ भी गये। अब तुम घर जाओ, नम्रता को चोदना हो तो डेढ़-दो बजे आ जाना। अभी मुझे आराम से गांड मरवाने दो।”
अशोक बेडरुम चला गया। 10-12 मिनट बाद वो तैयार होकर आया। मैं तब भी पत्नी की गांड में लंड को अंदर-बाहर कर रहा था। कुछ देर बाद अशोक घर के बाहर चला गया। किरण बैठ कर देखती रही। क़रीब 35-40 मिनट गांड मारने के बाद मैंने लंड बाहर खींचा और बुर में पेल दिया। क़रीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया। मैंने लंड बाहर निकाला, और अणिमा खड़ी होकर ग़ुस्सा से बोली, “अब तुम देखते रहो कि मैं क्या करती हूं।”
वो कमरे की ओर जाने लगी। मैं ज़ोर से बोला, “तेरा जो मन है सो कर, लेकिन भूल मत, आज की पूरी रात तुम्हें मेरे दोस्त प्रेम को खुश करना है।”
किरण को पति और पत्नी के झगड़े से कोई मतलब नहीं था। उसने मुझसे रिक्वेस्ट किया कि मैं 3-4 घंटा उसके साथ गुजारुं। मैंने उसे 2 बजे संगम होटल में आने के लिए कहा। वो खुश होकर अपने घर चली गई।
किरण के जाने के बाद मैं वैसे ही नंगा बेटी के रुम में गया। वो बेड पर बैठी थी। मुझे देखते ही बोली, “पापा, मां को सब मालूम है। मेरा विश्वास कीजिए, मैं बिल्कुल नहीं चाहती थी। लेकिन मुझे अशोक से चुदवाना ही पड़ा।”
मैंने उसे गले लगाया, चूचियों को मसलते हुए होंठों को चूमा। मैंने प्यार से कहा, “मेरी प्यारी कुतिया, मैं तुमसे बिल्कुल नाराज़ नहीं हूं। मैं दिल से चाहता हूं कि तु नये-नये मर्द, नये-नये लंड का मज़ा ले, और उसके बाद फ़ैसला कर कि कौन आदमी, किसका लंड तुम्हें पसंद है। तेरी मां 24 साल से अलग-अलग आदमियों से चुदवा रही है, लेकिन अब तक फ़ैसला नहीं कर पाई कि उसे कौन पसंद है।”
“मुझे बढ़िया से मालूम है कि मेरा सबसे पसंदीदा आदमी कौन है। आज तुम्हें भी बता ही देती हूं। दुनिया के लिए तुम मेरे पति हो लेकिन मेरा असल घरवाला राघव और तुम्हारे बाबू जी थे। अभी राघव। तुमने इस लड़की को चोदा है लेकिन चिंता मत करो, तुम बेटी चोद नहीं हो। क्योंकि ना नम्रता तुम्हारी बेटी है और ना ही तुम विनोद के बाप हो।
दोनों राघव के बच्चे हैं। कल हमारी डील हुई थी इसलिए आज तो तुम्हारे प्रेम को बहुत प्यार से चोदूंगी। लेकिन कल से राघव मेरे साथ रहेगा। तुम अपनी इस कुतिया, किरण, या हरामजादी संध्या को जितना चाहे चोदो, हम दोनों के बीच आने की कभी कोशिश भी मत करना। और एक खास बात, आज तुम्हें पूरी छूट है। मुझे जितना चोदना चाहते हो, गांड मारना चाहते हो मार लो। कल से तुम मुझे हाथ भी नहीं लगा सकते।”
इतना बोल कर अणिमा बेड पर आई और मेरे लंड को मसलते हुए बेटी को समझाने लगी, “कॉलेज के फ़ाइनल ईयर में थी। एक सुनसान जगह पर 5 मज़दूर लड़के मुझे बहुत परेशान कर रहे थे। इस आदमी ने मुझे उनसे बचाया। तेरे और किरण जैसा मैं भी इसकी मर्दानगी के चक्कर में फंस गई। दिन में इसने मुझे उन हरामियों से बचाया और रात में इस मादरचोद ने मुझे मेरे ही घर में चोद लिया। उस समय मैं कुंवारी थी। पता नहीं साला क्या खाक र आया था, मेरी पहली चुदाई इसने एक घंटा से ज़्यादा की। मैंने अपनी मां से शिकायत की तो उसने कहा कि वो इसे समझा देगी।
मैं बाहर बैठी थी और मेरी कुतिया मां अपने सारे कपड़े उतार कर इस आदमी को समझाने आई। वो साली तो रंडी थी, इसने भी नहीं सोचा कि जिस लड़की की सील तोड़ी थी, उसकी मां को नहीं चोदना चाहिए। इन दोनों ने पूरी रात चुदाई की और मैं अकेली बाहर सोई। अगली सुबह मैंने समझाया कि मैं बहुत क़िस्मत बाली लड़की थी, जिसे इतना बढ़िया चोदने बाला मिला था।
मेरी पत्नी अपनी बेटी को हमारी कहानी सुना रही थी। नम्रता ने एक जायज़ सवाल पूछा, “जब तुमने देखा कि इस मर्द ने तुम्हारी मां को चोदा फिर तुमने इससे शादी क्यों की?”
अणिमा ने जवाब दिया, “क्योंकि मैं बुद्धू थी। अपनी मां और इसकी बातों में आ गई। इस आदमी की मां ने भी समझाया कि धीरे-धीरे मुझे भी इसके साथ की चुदाई पसंद आने लगेगी। वो तो मुझे बाद में पता चला कि मेरी मां की तरह यह आदमी अपनी मां ही नहीं दोनों बहनों को भी चोदता था।”
बेटी ने मां से कहा कि जब मां और बहन किसी से चुदवाती है तो मतलब है कि वो आदमी बहुत ही बढ़िया चोदता है। इस बात पर मैंने नम्रता को बेड पर लिटाया और पिछले दिन जैसा उसकी चूत को चूसने चाटने लगा। अणिमा ने मना नहीं किया। अपनी कहानी चालू रखी।
“मुझे चुदाई का असल मज़ा तब मिला जब इस आदमी के बाबू जी ने मुझे चोदा। हमारी शादी के एक महीना बाद ही ये किसी ट्रेनिंग पर एक महीना बाहर गया। इसने शाम को ट्रेन पकड़ी और उसी रात ससुर जी मेरे रुम में नंगे आ गये। उन्होंने मुझे एक बार उनसे चुदवाने कहा और यह भी कहा कि अगर मुझे उनके साथ की चुदाई पसंद नहीं आयेगी तो फिर वो कभी मेरे सामने नहीं आयेंगे।
मै नहीं तैयार हो रही थी। लेकिन जब उन्होंने कहा कि क़रीब 4 साल पहले से, जब से नरेन अपनी मां को चोदने लगा था उन्होंने किसी को नहीं चोदा था। मुझे उन पर दया आ गई और मैंने ससुर से चुदवा लिया। और बेटी एक बार क्या चुदवाया, उस रात मैंने ससुर से चार बार चुदवाया। ससुर जी के चुदाई से मैं बहुत खुश थी। एक महीना में हमने एक सौ बार से ज़्यादा चुदाई की।”
मुझे कभी भनक नहीं पड़ी कि मेरे बाबू जी ने अणिमा को चोदा था। बेटी की चूत चूसना छोड़ मैंने ज़ोर से कहा, “छी, कैसी औरत हो! मरे हुए आदमी को बदनाम कर रही हो! मेरे बाबू जी ने तुझे कभी नहीं चोदा।”
जैसा पिछली सुबह नम्रता ने किया था अणिमा ने भी दोनों हाथों की अंगुलियों से अपनी चिकनी बुर के फांक को पूरा फैलाया। बुर के अंदर का रसीला गुलाबी माल हम दोनों बाप बेटी को दिखा। एक अंगुली से गुलाबी माल को सहलाते हुए अणिमा बोली, “मेरी बुर की इस गुलाबी मैदान पर तुम्हारे बाबू जी ने लगातार 20 साल तक बैटिंग की है। आज अगर वो ज़िंदा होते तो मेरी बेटी नम्रता की चूत में पहला बैटिंग वहीं करते। मेरी बात पर तुम्हें विश्वास नहीं है तो अपनी दोनों प्यारी रंडी बहनों से पूछ लो। उनकी बात पर भी भरोसा नहीं है तो अपनी एक और रंडी भूमिका से पूछ लो।
सैकड़ों बार ऐसा हुआ है जब हम चारों औरतों, भूमिका और तुम्हारी दोनों बहनों के बुर की गुलाबी मैदान पर तुम्हारे बाबू जी और राघव एक साथ अपने अपने बल्ला से शाट मारते थे। जिस सेंचुरी को मारने में तुम एक घंटा लगाते हो वही सेंचुरी तुम्हारे बाबू जी और राघव 15-20 मिनट में ही मारते थे। तुम्हें लगता था कि मेरी मां तुम्हारे लिए पागल थी। लेकिन एक बार मैंने उस कुतिया को भी तुम्हारे बाबू जी से चुदवाया तो वो भी मेरे जैसा उनसे दिन में तीन चार बार चुदवाने लगी।
फिर जब भूमिका ने मुझे अपने भैया राघव से चुदवाया तो उसके बाद मेरी और मेरी मां की ज़िंदगी स्वर्ग हो गई। तुम्हारे बाबू जी हर महीना अपना काम-धाम छोड़ कर क्यों आते थे, अपनी घरवाली को तुमसे चुदवाने? तुम अपनी मां को चोदते थे और पूरी रात तुम्हारे बाबू जी हम दोनों मां-बेटी को चोदते थे। तुम दिन में आफिस जाते थे और तुम्हारे प्यारे बाबू जी अपनी पत्नी के सामने हम दोनो मां-बेटी को चोदते थे।”
अणिमा अपनी बात इतने विश्वास से कह रही थी कि नहीं मानना मुश्किल था। अणिमा बोलती रही,
“तुम ट्रेनिंग पर जाते थे और दोनों राघव और ससुर जी मेरी बुर के मैदान पर प्रैक्टिस करते रहते थे। बच्चे स्कूल जाते थे और मैं अपने दोनों यार के लिए पूरे समय नंगी रहती थी। आज मुझे बेइज्जत करने के लिए तुमने किरण और अशोक के सामने मेरी गांड मारी। मेरी गांड में घुसने वाला पहला लंड तुम्हारे बाबू जी का था। तुम तो मुझे हमेशा अकेले चोदते हो लेकिन तुम्हारे बाबू जी जगन्नाथ और राघव ने हज़ारों बार मेरे उपर डबल सवारी की है।
एक बल्ला मेरी बुर की मैदान में शॉट मारता था और दूसरा मेरी गांड में। तुम्हारे बाबू जी और राघव के अलावा अब तक मैंने 27 दूसरे आदमियों से चुदवाया है। अशोक को छोड़ बाक़ी सभी आदमियों से मैंने तुम्हारे बाबू जी या फिर राघव को खुश करने के लिए ही चुदवाया है। आज तुम्हारे दोस्त प्रेम से चुदवाऊंगी। आज जितना चाहे मुझे चोद लो कल से मर भी जाओगे तब भी तुमसे नहीं चुदवाऊंगी। बेटी, तू भी जिससे चाहे चुदवा, बस अभी प्रेगनेंट मत होना।
उसकी बात सुन कर बेटी को चोदने का जोश ख़त्म हो गया। लंड ढीला हो गया। अणिमा ने लंड को ज़ोर से दबा कर कहा, “बेटी, तेरा कुत्ता दुखी हो गया है। चूस कर, चुदवा कर कुत्ते को खुश कर दे। 2 बजे के अशोक के साथ मैच खेलना है।”
बोल कर अणिमा चली गई। रंडी की बात सुन कर मैं थोड़ा दुखी जरुर दुखी हो गया था। लेकिन सामने एक ताज़ा माल थी। मैं नम्रता के उपर 69 पोजिशन में आया। लड़की लंड चूसने लगी। मैं चूत को हर तरह से कुरेदते हुऐ खूब चूसा और चाटा। नम्रता चोदने के लिए बार-बार बोलने लगी। मैंने फिर पिछली बार जैसा उसे कुतिया बनाया। एक तरफ चूत में लंड पेला और ठीक उसी समय दाहिने हाथ की बीच वाली अंगुली को पूरी ताक़त से गांड में पेला।
“पापा, दर्द हो रहा है”, वो दर्द से बोली लेकिन मैं रुका नहीं। लंड और अंगुली एक साथ चूत और गांड में पेलता रहा। जितनी तेज़ी से लंड चूत के अंदर-बाहर हो रहा था, अंगुली भी आप से आप उतनी ही तेज़ी से बेटी की गांड के अंदर बाहर हो रही थी। 7-8 मिनट बाद गांड की दीवारें चिकनी लगने लगी। कुछ देर बाद बीच वाली अंगुली के साथ दूसरी अंगुली भी गांड में पेल दी। बेटी ने इस बार कोई शिकायत नहीं की। मस्ती की सिसकारी मारती हुई कमर हिलाती रही।
“बिल्कुल अपने बाप के बेटे हो। नरेन, जिस दिन तुम्हारे बाबू जी ने पहली बार चोदा उसके अगले ही दिन बेटीचोद ने मेरी गांड फाड़ दी वो भी बिल्कुल वैसे ही जैसे तुम कर रहे हो। अभी दो अंगुली पेल रहे हो, फिर तीन अंगुली से रगड़ोगे, और बाद में लंड से मारोगे। बेटी, डरो मत। गांड मरवाने में भी बहुत मज़ा आता है। जो औरत गांड मरवाती है सभी मर्द उसे बहुत प्यार करते हैं, उसकी क़ीमत बहुत बढ़ जाती है।”
उसकी बात का जवाब हम दोनों में से किसी ने नहीं दिया। अणिमा ने नम्रता के लैपटॉप में एक पेनड्राईव लगाया और एक विडियो चालू किया। मेरे गालों को मसलते हुऐ बोली, “तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो खुद अपनी आंखों देख लो कि तुम्हारी बाबू जी कैसे हमारी चूदाई करते थे, गांड मारते थे।”
पहले ही सीन में देखा कि मेरे बाबू जी जी अणिमा को चोद रहे थे, और राघव, मेरी सास, अणिमा की मां की बुर में लंड अंदर बाहर कर रहा है। नम्रता ने झटके से लैपटॉप के कवर को बंद किया और ज़ोर से बोली, “कुतिया, तेरे जैसी घटिया रंडी की चुदाई हमें नहीं देखनी है। अरे सारी औरतें मेरे पापा से चुदवाने के लिए मरती है और तुझे पापा बढ़िया नहीं लगे। अगर पापा बढ़िया बल्ला नहीं घुमाते हैं। बढ़िया शॉट नहीं मारते हैं तो फिर उन दोनों कुत्तों से चुदवाने के बाद भी तू मेरे पापा से क्यों चुदवाती है। रोड पर जो चार टांग वाली कुतिया जैसे किसी भी कुत्ते से चुदवाती है तू उस कुतिया से भी बदतर है।
मालूम नहीं कल तुम्हारी बातों से डर कर मैंने उस नामर्द से क्यों चुदवा लिया। अब अगर तुमने मुझे अपने किसी भी यार से चुदवाने की कोशिश की या फिर हम दोनों बाप-बेटी को परेशान करने की कोशिश की, तो याद रख हमारे पास तेरी 27 अलग अलग आदमियों से चुदवाने की लाईव विडियो है।”
बेटी की बातों ने मेरा जोश बहुत बढ़ा दिया। ज़ोरदार धक्का मारते हुए बेटी को चोदता रहा। बेटी ने मेरे दिल की बात कह दी, “जब तक पापा के बल्ला में दम रहेगा मेरी चूत और गांड के मैदान में सिर्फ पापा का बल्ला ही शॉट मारेगा।”
उस दिन के बाद से मेरी बेटी मेरी पत्नी की तरह मेरे साथ रह रही है। समाप्त