मेरे काफी ज़ोर देने पर उसने कहा,”यहाँ पास में लोकल दवाई की एक दुकान है, जो पुरे गोवा में फेमस है। वहाँ एक दवाई मिलती है जिसे वाइन के साथ खाना होता है। वो खाते ही सेक्स टाइम तीन गुना हो जाता है।”
मैं उसे चूमने लगी, नीचे मेरा हाँथ गया तो पाया उसका लंड अभी भी खड़ा था और उतना ही टाइट था।
मैं चिंता में पड़ गयी कि एक घंटे की ताबड़तोड़ चुदाई करके भी मेरे बेटे का लंड अभी भी खड़ा था। उसने मुझे आँखों से इशारा किया कि मैं उसका लंड चूस दूँ।
मैं उसके नीचे जा कर बैठ गयी और उसके लंड को लेकर बिलकुल धीरे-धीरे जीभ घुमाते हुए चूसने लगी। बेटु अपनी आँखें बंद करके एन्जॉय करने लगा, “आह माँ, ओह ओह या, हाँ बिलकुल ऐसे ही, ऐसे ही, चुसो माँ। चूसो मेरे लंड को।”
हर तरीके की चुदाई और चुसाई का अपना एक अलग मज़ा है। तेज़ का भी अपना एक मज़ा है और धीरे का भी। तेज़ उत्तेजित करता है पर धीरे-धीरे चुसाई और चुदाई आपको मदहोश कर देती है। मैं अपने बेटे का लंड चूसते हुए उसे देख रही थी। वो आँखे बंद करके मदहोश था, और उसे ऐसी संतुष्टि देकर मुझे बहुत ख़ुशी हो रही थी।
पांच-सात मिनट में वो झड़ गया और उसका सारा रस सीधे मेरे गले के अंदर चला गया। थोड़ी देर बाद एक दूसरे से लिपटे रहने के बाद अभिषेक अपने कमरे में चला गया। मैं बहुत खुश और संतुष्ट थी। मेरी इतनी तगड़ी चुदाई काफी दिनों बाद हुयी थी। मैं यही सोचते हुए सो गयी।
अगले दिन सुबह उठी। आज हमारा बीच (Beach) वगैरह घूमने जाने का प्लान था। गोवा में स्कूटी वगैरह मिलती है। हमने कुछ स्कूटी भाड़े पे ली, कुछ लोगों ने साइकिल ली और हम सब बीच की और चल पड़े। वहाँ पहुँच कर देखा तो काफी सुन्दर सा बीच था, कुछ विदेशी लोग भी थे, लड़कियां बड़े खुले तरीके से डोरियों वाली बिकिनी पहन कर घूम रही थी।
मुझे भी याद आया मेरे बेटे से किया हुआ वादा। कर्मचारियों ने वॉलीबॉल खेला, बच्चे इधर उधर मस्ती कर रहे थे। बीच के किनारे ही कई प्रकार का बाजार लगता है जहाँ कपड़े, हस्तशिल्प, टोपी, शंख और सीप से बने हार, कान की बाली, और बीच में पहनने के लिए बिकिनी भी। वहाँ 100-200 रुपये में बहुत सुन्दर-सुन्दर बिकिनी मिलती है।
सारे बच्चे और मर्द खेल रहे थे, तो महिलाओं ने ज़रा बाजार घूमने की सोची। तो अभिषेक भी हमारे साथ आ गया, क्यूंकि वो नहीं खेल रहा था। हम बाजार घूम रहे थे तो मेरी नज़र बिकिनी के स्टाल पर पड़ी। बाकियों से नज़र बचाते हुए मैं वहाँ जा खड़ी हुयी और अपने लिए बिकिनी पसंद करने लगी।
मैंने देखा दूर से अभिषेक मुझे देख रहा था, और इशारों ही इशारों में बता रहा था कौन सा वाला अच्छा था, कौन सा वाला नहीं। मैंने 4 बिकिनी ली, सारी इतनी छोटी छोटी, मुझे तो समझ नहीं आ रहा था की इतने छोटे से कपड़े से दूदू पूरे ढकते कैसे हैं?
एक गुलाबी रंग की बेहद खूबसूरत थी, जो मुझे भी काफी क्यूट सी लगी। मैंने एक मोनोकिनी और एक सरोंग भी लिया जो कल अखिल के जन्मदिन के पूल पार्टी में पहनने वाली थी। ये तो मैंने इस वजह से लिया ताकि बाकी लोगों के सामने खुद को सही रूप से ढक सकूं।
हाँ, अखिल के जन्मदिन के लिए हमने अपने विला पे ही इंतज़ाम किया था। इतना बड़ा पूल था, तो हमने सोचा क्यों न एक दिन उसमे ही मस्ती की जाए। पार्टी की जानकारी अखिल, आरती और अभिनव के अलावा सबको थी। आरती और अभिनव छोटे थे और उनके पेट में कोई बात नहीं टिकती, इसीलिए हमने इन दोनों को भी नहीं बताया था।
बीच से घूम कर, बाहर ही खा-पी कर हम अपने विला आ गए और सब अपने अपने कमरे में चले गए। हमने देखा की अखिल बड़ा ही मायूस सा लग रहा है। उसे शायद लग रहा था की हम उसका जन्मदिन भूल गए थे, कोई तैयारी नहीं की थी हमने। पर ये पूरा ट्रिप उसी के लिए था। हम सब ने मिल कर पूरी तैयारी कर ली थी।
ठीक रात के 12 बजे हम सब ने उसके कमरे में दस्तक दी, और उसे सरप्राइज दिया। वो बहुत खुश हुआ। फिर नीचे हॉल में आकर उसने केक काटा, और बड़ों का आशीर्वाद लिया। इतने में अभिषेक ने अपने भाई अखिल को एक छोटा सा गिफ्ट का डब्बा दिया।
“क्या भैया, मेरे अठारवे जन्मदिन पर इतना छोटा सा गिफ्ट?”, उसने हँसते हुए ये कहा और जब डब्बे को खोल कर देखा तो उसमे एक चाबी पड़ी थी और एक कार्ड था जिसमे लिखा था ‘हैप्पी बर्थडे अखिल, दिस इस फॉर योर एईटीनथ बर्थडे’ और जब उसने उस कार्ड को पलट कर देखा तो उसमे हमारे घर पे खड़ी उसकी पसंदीदा मोटरसाइकिल की तस्वीर थी।
वो देखते ही चिल्ला उठा, “थैंक यू, भैया। थैंक यू, माँ।” और हम दोनों को गले लगा लिया। ये सरप्राइज तो मुझे भी पता नहीं था।
“भाई, तू अब बड़ा हो गया है। क्लब, ऑफिस और घर के बीच आने-जाने में तेरा समय बचेगा। और हम चाहते हैं तू अपना फुटबॉल और बिज़नेस दोनों में मेहनत करे।”, अभिषेक ने कहा।
इसी बीच मेरा छोटू बेटु अभिनव बोल पड़ा, “मम्मा, मेरा बाइक?” और हम सब हंस पड़े।
पर मुझे बहुत ख़ुशी हुयी जान कर की मेरा बेटा अभिषेक सिर्फ खुद के या मेरे लिए नहीं, सबके लिए सोचता, सबका ध्यान रखता। कुछ ख़ास बातें थी जिसकी वजह से वो मुझे बिल्कुल मेरे आलोक जी का रूप लगता था। ऐसे ही नहीं मुझे अपने बड़े बेटे से मोहब्बत हो गयी थी।
फिर थोड़ी देर नाच गाना हुआ और मैंने सबको बता दिया कि सुबह पूल पार्टी होगी, पूल के पास ही कबाब और बिरयानी बनाएंगे सब मिल कर और अभिषेक ने बताया कि कल ड्रिंक्स हमारी तरफ से होंगी। सब खुश हो गए।
अभिषेक ने इशारो में कह दिया कि आज वो भाई-बहन के साथ कोई मूवी देखेगा, तो मैं भी चारो भाई-बहन को एक साथ वक़्त देना ठीक समझी, और अपने कमरे में आकर सो गयी। मेरी चूत को अब हर रोज़ ठुकाई की आदत हो गयी थी, पर मैं ऊँगली करके सो गयी।
बीच रात मुझे प्यास लगी, उठ कर देखा तो पानी नहीं था।फ्रिज खोल कर देखा तो कोई बॉटल भी नहीं थी। रात का वक़्त था, तो मैंने सोचा नौकरानी को तंग करना ठीक नहीं और खुद नीचे किचन में जाकर ले लेती हूँ।
कमरे से निकल कर मैं नीचे गयी, बॉटल लेकर जब ऊपर आ रही थी, तो बहुत ही धीमी-धीमी आवाज़ आ रही थी। मैंने ध्यान दिया तो बालकनी के तरफ से आवाज़ आ रही थी। मुझे लगा कहीं कोई चोर तो नहीं घुस गया? मैंने धीरे से परदे को हटा कर देखा तो हमारी नयी वाली नौकरानी हमारे ऑफिस के चपरासी से चुद रही थी।
वो बिलकुल नंगी थी और झुक कर खड़ी थी और पीछे से चपरासी आँखें बंद कर के धक्के मार रहा था। नौकरानी ज़रा सी उठने की जैसे ही कोशिश की, वो मुझे देख कर डर गयी। पर चुदाई ऐसी चीज़ है, जब आप मदहोश होते हैं, तब चाहे सैलाब ही क्यों ना आ जाए, अचानक रुक पाना काफी मुश्किल है।
मैंने उसे जारी रखने का इशारा किया, और अपने कमरे में चली आयी। मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी, कि कुछ देर पहले सोच रही थी कि बीच रात इसे परेशान ना करूँ, पर ये मोहतरमा कहीं और ही व्यस्त थी।
अगले दिन वो सुबह-सुबह मेरे कमरे में आकर मुझसे लिपट कर कहने लगी, “थैंक यू, दीदी जी।”
मैंने भी उसे स्नेह दिखाते हुए कहा, “मस्ती करो, पर निरोध का इस्तेमाल करो।” और उसे कुछ पैसे दे दिए। अभी दोनों जवान है, चुदाई की इच्छा है पर दोनों कुंवारे हैं। कुछ ऊंच-नीच हो जाए तो शामत आ जायेगी। जब आग लगी हो, तो चूत और लंड एक दूसरे को तलाश ही लेते हैं।
वो तो गोवा से वापस आने के बाद नौकरानी ने बाकी और भी कहानिया बतायी। कुछ लोगों का चक्कर ट्रेन से ही शुरू हो गया था। चपरासी ने नौकरानी को ट्रेन में ही पटा कर चुदाई शुरू कर दी थी। हमारे ड्राइवर साहब की बीवी का हमारे मुनीम जी से चक्कर शुरू हो गया था, और वो उससे चुदने लगी थी।
ऑफिस के एक जवान लड़के ने वहाँ एक फिरंगी पटा ली थी, और उसे जंगल में जाकर चोदता और सबसे खतरनाक तो दो दांपत्य जोड़े तो पत्नियों की अदला-बदली कर चुदाई करते। ये सब सुन कर मैं तो हैरान हो गयी थी। कहीं कुछ गड़बड़ हो जाती, तो मुसीबत हो जाती। पर हर किसी को अपने मन के हिसाब से चोदने और चुदवाने का अधिकार है।
वापस कहानी पे आते हैं। पार्टी शुरू हुयी, सब पूल में मस्ती कर रहे थे, नाच रहे थे, खेल रहे थे। सब पूल के अंदर कुछ कुछ कम्पटीशन कर रहे थे। मैं अपनी मोनोकिनी पहन कर ऊपर से सारोंग ढँक कर आयी तो सब देखते रह गए। महिलाओं ने आकर कहा कि, “दीदीजी, आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं।”
मेरी बेटी आकर मुझसे लिपट गयी, और मुझे चूमते हुए कहा, “मम्मा, यू आर लुकिंग सो प्रीटी!” मैं मेरी छोटी को लिपट कर प्यार करने लगी।
खूब हंसी मज़ाक चल रहा था। सब खूब मस्ती, शैतानी कर रहे थे, काफी हाँस्यास्पद घटनाएं भी घटी। ड्रिंक्स हमारी तरफ से थी, तो सारे कर्मचारी खुश भी हो रहे थे। कुछ महिलाएं थी जो बहार शराब पी नहीं सकती, वो भी एक दो घूँट पीने की कोशिश कर रही थी। दिन अच्छा कट रहा था। किसी बहाने से अभिषेक मेरे पास आकर बोला, “बहुत खूबसूरत लग रही हो, माँ। पर मेरा गिफ्ट अभी भी बाकी है।”
तो मैंने भी दबी आवाज़ में कहा, “बहुत जल्दी मिलेगा तुझे गिफ्ट, बेटु।”
सब खुश थे, पर मैंने देखा अखिल थोड़ा असहज महसूस कर रहा था। वो खेल कूद रहा था, पार्टी एन्जॉय कर रहा था पर मुझे उसका स्वभाव थोड़ा अलग और अजीब लग रहा था। मुझे लगा कहीं गोवा में उसने ड्रग्स वगैरह तो नहीं ले ली? मैंने उसके पास जाके उससे पूछा भी कि सब कुछ ठीक तो था, तो उसने सब ठीक में जवाब दिया।
पर उसके ढीले से जवाब में कुछ तो छुपा था। पर फिर नाच गाना शुरू हो गया और मैं इस बात को भूल गयी। 8 बजे तक हम सब थक के निढाल हो गए, हम सबने खाना खाया और सब आराम करने चले गए।
अभिषेक ने आँखों ही आँखों में इशारा किया कि वो कुछ देर बाद मेरे कमरे में आएगा। अपने कमरे में जाने से पहले दोनों छोटे बच्चों को मैं उनके कमरे में गुड नाईट बोल कर आयी। अखिल को गले लगा कर उसके गालों को चूम कर फिरसे जन्मदिन की बधाई दी पर वो बड़ा रुखा सा लग रहा था। मुझे थोड़ी चिंता हुयी। पर अभी चूत की खुजली बढ़ गयी थी, तो मैंने सोचा मैं अब कल सुबह ही अखिल से बात करुँगी, और अपने कमरे में आ गयी।
कहानी अभी बाकी है दोस्तों।