हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.
में जानती हू यह स्टोरी कुछ ज़्यादा लंबी चल रही है लेकिन आप सभी प्लीज़ आगे पढ़ते रहिए की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.
इश्स स्टोरी का 31स्ट्रीट पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े ले हे लिए हे होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का भी ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी को शुरू करते है.
अब आयेज…
में हाइ हील्स संडलेस मे ढेरे ढेरे चल कर उन्न लोगो के सामने पॉच गयी. मेने अपनी झुकी हुई नज़रो से देख रही थी की मेरे आज़ाद बूब्स मेरे जिस्म पर हर हल्के से हिलने पर भी काँप उठते और उनकी यह उछाल कूद सामने बैठे लोगो की भूखी आखो को रहट दे रहे थे.
अज़हर ने पहले उन्न दोनो को मेरा इंट्रोडक्षन करवाया और मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा
अज़हर:- शी इस मी वाइफ साहिबा (यह है मेरी पत्नी साहिबा)
और बाद मे उन्न दोनो की तरफ इशारा करते हुए कहा
अज़हर:- यह है मिस्टर रस्तोगी और यह है मिस्टर. …
मिस्टर स्वामी:- ई आम मिस्टर स्वामी मेडम.
स्वामी ने अज़हर की बात काटे हुए खुद हे खुद का इंट्रोडक्षन दे दिया था.
मेने सामने देखा तो वो दोनो हे लंबे और बड़े सरीर के मलिक थे. स्वामी 6″5 फीट का लंबा और मोटा आदमी था उसका रंग बिल्कुल कोल की तरह कला और फ्रेंच बियर्ड मे वो एकद्ूम साउत इंडियन फिल्म का कोई टिपिकल विल्लन लग रहा था. उसकी आगे कुछ 50 यियर्ज़ के आस पास थी और उसका वजन लगभग 100क्ग के आस पास होगा.
जब वो मूज़े देख कर हस्सा तो ऐसा लगा मानो काले बादलो के बीच मे चाँद निकल कर आया हो.
मिस्टर रस्तोगी भी भौत बुरा हे था दिखने मे. उसकी भी हाइट कुछ 5″11 की होगी और आगे भी 40 यियर्ज़ से ज़्यादा हे लग रही थी. उसकी फुल्ली हुई तोंद (स्टमक) भी निकली हुई थी और सिर बिल्कुल सॉफ था पूरा गंजा.
उन्न दोनो को देख कर मूज़े भौत हे बुरा लग रहा था. पर अब में उन्न दोनो के सामने लगभग नंगी हे खड़ी थी. कोई और वक़्त होता तो ऐसे गंदे आदमियो को तो में अपने पास भी नही आने देती लेकिन वो दोनो तो इश्स वक़्त मेरे नाज़ुक जिस्म को नोचने को बराबर हो रहे थे और यह वो दोनो की आखो मे मूज़े देख कर चमक उठी थी.
दोनो की आखो से लग रहा था की मेने वो सारी भी क्यूँ पहें रही थी. दोनो ने हे मूज़े सिर से पैरो तक भूखी नज़रो से घूर के देखा था.
जब में हाथ से ग्लास को टेबल पे रखने के लिए नीचे झुकी तो मेरे बूब्स के वेट से मेरी सारी का पल्लू नीचे झुक गया और रसिल्ले फ्रूट्स की तरह लटकते मेरे बूब्स को देख कर उनके सीने पर साँप लौटने लगे थे.
में ग्लास और आइस क्यूब कंटेनर टेबल पे रख कर वापस किचन मे जाना चाहती थी पर तभी हे मिस्टर स्वामी ने मेरा हाथ पकड़ कर मूज़े वाहा से जाने से रोक दिया और बोला
मिस्टर स्वामी:- तुम क्यूँ जाता है?? तुम बैठो यहा हुमारे पास मे.
इतना कहते हे उसने मूज़े खिच कर 3 सिट्टिंग सोफा पे बैठे हुए बीच मे खिच कर बैठा दिया. में स्वामी और रस्तोगी के बीच मे सॅंडविच बनी हुई थी.
मिस्टर रस्तोगी:- अज़हर भाई यह किचन का काम तुम जाकर करो क्यूकी अब हुमारी प्यारी भाभिजान यहा से कही नही जाएगी.
अज़हर ने उठ कर गये और ट्रे किचन मे रख कर आए. जब वो किचन से वापस आए तो मूज़े उन्न दोनो के बीच कसमकासते पाया उन्होने.
वो दोनो मेरे जिस्म से चिपके हुए थे और कभी एक तो कभी दूसरा मेरे होतो को या सारी के बाहर दिखती नंगी बाहो को और मेरी गर्दन को चूम रहे थे.
मिस्टर रस्तोगी के मूह से भौय अजीब तरह की बदबू (स्मेल) आ रही थी. में किसी तरह अपनी सासो को बंद करके उनकी हरकटो को चुप छाप झेल रही थी.
अज़हर ड्रॉयर से कोई बियर की 3-4 बॉटल्स और एक स्कॉच विस्की की बॉटल भी लेकर आए और वो बॉटल उहोने मिस्टर स्वामी की तरफ दे दी तो वो बोलने लगा
मिस्टर स्वामी:- नही नाक्को यह बॉटल भाभिजान खोलेंगी.
उसने एक बॉटल मेरी तरफ कर दी.
मिस्टर स्वामी:- हम 3 के लिए बियर डालो ग्लास मे और अपने लिए विस्की दल दो….. रस्तोगी अन्ना का गॅला भी सुख रहा होगा.
तभी मिस्टर रस्तोगी अज़हर से कहने लगा की
मिस्टर रस्तोगी:- अज़हर युवर वाइफ इस आ रियल गेम (तुम्हारा बीवी एक खरा हेरा है) योउ लकी बस्टर्ड क्या सेक्सी जिस्म है तुम्हारी वाइफ का.
अब वो दोनो के हाथ आपस मे मेरे एक एक बूब्स को बट्ट चुके थे. और साथ हे उन्होने सारी का पल्लू सीने से हटा कर मेरे दोनो बूब्स को चूमे जेया रहे थे.
अब ऐसी हालत मे मेरे लिए सब के लिए ग्लास मे बियर डालना मुश्किल का काम हो गया था.
दोनो तो मुजसे ऐसे चुपके हुए थे की भौत कोशिश के बाद भी उन्हे अलग नही कर सकी. तो मेने यूयेसेस हे हालत मे ग्लास मे बियर डाली और अपने लिए 1 ग्लास मे विस्की डाली. जब में अपनी विस्की मे सोडा दल रही थी तो मिस्टर रस्तोगी ने मेरा विस्की का ग्लास बियर से पूरा भर दिया था.
जब में उन्न को उनका ग्लास देने लगी तो वो बोले
मिस्टर रस्तोगी:- इश्स तरह से नही जो साकी होता है पहले वो ग्लास से एक सीप लेता है फिर हे वो दूसरो को देता है.
तब मेने ग्लास के रिम को अपने होतो से चूहा और फिर एक सीप लेकर उससे रस्तोगी की तरफ बढ़ा दिया. फिर दूसरी ग्लास भी यूयेसेस हे तरह छूह कर स्वामी को दिया और अज़हर को भी.
यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर आप सब आयेज ज़रूर पढ़ना. यह भौत लंबी कहानी है तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे.