शाम पांच बजे ज्योति आयी। सीधी नीचे ही आ गयी और मेरे सामने सोफे पर बैठ गयी और बोली, “जीते, ये संधू साहब आज फिर शीला की चुदाई की बात लेकर बैठ गए। शीला ऐसे चुदवाती है शीला वैसे चुदवाती है, क्या मस्त चुदवाती है। एक बात बता जीते, तूने भी तो चोदा है शीला को, क्या ख़ास बात है उसकी चुदाई में?”
मेरे ज़हन में ऐसे ही ख्याल सा आया, क्या ज्योति को शीला से जलन हो रही थी? क्योंकि संधू उसके सामने शीला की चूत और उसकी चुदाई की तारीफ़ कर रहा था?
मैंने कहा, “भरजाई अगर ऐसा है तो फिर बात एक ही है, और वो है शीला की उम्र और चढ़ती हुई जवानी। संधू 42-44 या 45 का होगा। अब संधू को अगर इस उम्र में 20 साल की शीला जैसी लम्बी ऊंची, निहायत खूबसूरत, बेफिक्र लड़की की चूत चुदाई के लिए मिल जाए, वो भी ऐसी लड़की, जो चुदाई करवाते वक़्त चुदाई का पूरा मजा लेती भी हो और पूरा मजा देती भी हो, तो संधू को और क्या चाहिए? घंटा? आपने भी तो देखा है चुदाई के वक़्त शीला कैसे मस्ती में अपने चूतड़ों को झटके लगाती है।
मैंने फिर कहा, “भरजाई चुदाई का जितना मजा नई-नई जवानी में आता है उसका कोइ जवाब नहीं I चूत टाइट होती है, चुदाई का शौक सर पर चढ़ा हुआ होता है। लंड रगड़ खाता हुआ चूत में जाता है। अब ऐसे में तो चोदने वाले को मजा आता ही है।”
मैंने बात जारी रखते हुए कहा, “भरजाई शीला में ये सारी खासियतें हैं I वो जवान है, फुद्दी उसकी अभी टाइट है और वो चुदवाती भी मस्त है। मजे लेती भी है और मजे देती भी है।”
फिर मैंने मुस्कुराते हुए ज्योति की चूत पर हाथ फेरते हुए और उंगली भरजाई की चूत में घुसाते हुए कहा, “वैसे भरजाई आपने भी तो चुदवाई होगी अट्ठारह बीस साल की उम्र में, बीस बाईस साल के लड़के से?”
“उस उम्र में चूत और लंड इतना पानी छोड़ते हैं कि चूत में से पानी बाहर निकलने लगता है। चूत तो इतना पानी छोड़ती है कि चूत के अंदर लंड को फर्रर फर्रर फर्रर से साफ़ महसूस होता है कि चूत में कुछ हो रहा है, लगता है पेशाब ही निकल रहा है I और लंड में से झड़ते हुई आधा-आधा मिनट गरम सफ़ेद पानी ही निकलता रहता है।”
ज्योति भरजाई चुदाई की ये बातें सुन कर शर्मा सी गयी। जब मैंने कहा कि “आपने भी तो चुदाई करवाई होगी अट्ठारह बीस साल की उम्र में” तो ज्योति का चेहरा गुलाबी हो गया। शायद अपनी वो चुदाई याद आ गयी होगी।
मेरी बात सुन कर ज्योति बस इतना ही बोली, “हां ये तो है जीते I शीला चुदवाती तो खुले मन से है।” ये कहने के साथ ही ज्योति अपने हाथ से मेरा हाथ अपनी चूत पर हल्का सा दबा दिया।
फिर ज्योति पूछने लगी, “अच्छा जीते ये बता आज क्या बनाऊं डिनर के लिए?”
मैंने कहा, “भरजाई कुछ मत बनाना। खाया तो जाता नहीं इन चुदाईयों की बीच में। अगर कुछ बनाना होगा तो ऑमलेट बना लेंगे। अंडे हैं या मैं लेता आऊं। यहां नीचे पडी है अण्डों की पूरी ट्रे।”
ज्योति बोली, “अंडे तो हैं। तू छः बजे तक आ जाना। शीला भी आने ही वाली होगी।”
मैं ऊपर चला गया। साथ कंडोम और जैल ले जाना नहीं भूला। क्या पता आज गांड ही चोदनी पड़े।
साढ़े छः बजे शीला भी आ गयी I आते ही बोली, “नमस्ते भाभी, नमस्ते जीत भैया, पप्पू कैसा है?”
“भैया, पप्पू।” मेरी फिर हंसी छूट गयी। मैंने ज्योति से कहा, “देखो भरजाई। अभी अपनी सलवार का नाड़ा खोल कर लंड पर बैठने वाली है और बोल क्या रही है? भैया!”
ज्योति भी हंस पड़ी, मगर बोली कुछ नहीं।
“ये शीला है I शीला ने जो करना है वो वही करेगी, जो बोलना है वही बोलेगी।”
अक्टूबर का महीना खत्म होने वाला था। सात बजे अन्धेरा छाने लगा था। ज्योति ने बड़ी लाइट बंद करके हल्की लाइट वाला बल्ब जला दिया। ज्योति ने शीला को कहा, “शीला एक काम कर, वो दोनों बोतलें निकाल ला और काजू भी ले आ। माहौल को थोड़ा गरम करें।”
शीला ट्रे में बोतलें, तीन गिलास, सोडा, पेप्सी और काजू ले कर आ गयी। ज्योति ने पेग बनाये। शीला के गिलास में बहुत थोड़ी वोदका डाली, ना के बराबर। ज्योति सोफे पर मेरे साथ बैठी थी। शीला साथ वाले सोफे पर बैठी थी।
सब धीरे-धीरे अपने-अपने गिलासों में से घूंट भर रहे थे। ज्योति ने एक हाथ से पायजामे के ऊपर से मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी। जल्दी ही लंड ने पायजामें में तम्बू खड़ा कर दिया।
शीला ने जब खड़ा लंड देखा तो आ कर सामने बैठ गई। पायजामें का इलास्टिक खींच कर लंड बाहर निकाल लिया और नीचे बैठ कर चूसने लगी। शीला की चुसाई मैं तो मानो जादू था। लंड फुंकारे मारने लगा। शीला ने लंड छोड़ा और ज्योति से बोली, “लो भाभी, कर दिया तैयार पप्पू को आपके लिए I बैठो इसके ऊपर, लो चूत में और मजे लो।”
ज्योति ने मुझ से कहा, “जीत कंडोम कहां है, लाया है या भूल गया?”
मैंने जेब से कंडोम निकाल कर ज्योति के हाथ में दे दिया। ज्योति ने कंडोम लंड पर रख कर पीछे की तरफ खोल कर लंड पर चढ़ा दिया।
शीला ने कंडोम के बारे में कोइ बात ही नहीं की। लगता है ज्योति शीला को कंडोम और इसके फायदों के बारे में बता चुकी थी।
फिर जैसे ही ज्योति लंड पर बैठने लगी, मैने कहा, “भरजाई अगर गांड में लेना है तो जैल लाया हूं मैं।
एक बार ट्राई करके देख लो। पहली बार गांड में लेने में थोड़ी तकलीफ होगी। मगर धीरे-धीरे करेंगे तो अंदर चला जाएगा। मैं बताता रहूंगा। और फिर भरजाई कभी तो गांड चुदवाने की शुरूआत करनी ही पड़ेगी I ये संधू गांड चोदे बिना मानेगा नहीं, पक्का गांडू है।
ज्योति अभी भी कुछ हिचकिचा रही थी। ज्योति शीला से बोली, “शीला तू लेगी गांड में?”
दिलेर शीला बोली, “ले लेती हूं भाभी, लेना तो है ही I और जीत भैया बात भी तो सही बोल रहे हैं। संधू अंकल गांड चोदे बिना मानेंगे थोड़े ही। अगर उनसे आगे भी ऐसे ही चुदाई करवानी है तो फिर एक ना एक दिन गांड भी चुदेगी ही। जितनी जल्दी गांड चुदाई की प्रैक्टिस हो जाए उतना ही अच्छा है। ये कह कर उसने कपड़े उतार दिए और मेरे सामने आ गयी। ज्योति वहीं सोफे पर एक तरफ बैठ गयी।
मैंने शीला से पूछा, “शीला ये बता, तूने आज तक गांड में डलवाया है?”
शीला बोली, “नहीं जीत भैया अब तक तो चूत में ही लिया है। गांड में तो आज पहली बार है।”
मैंने कहा, “तो फिर ध्यान से मेरी पूरी बात सुन I गांड और चूत के छेदों में फरक होता है, ये तो तुझे पता ही होगा। चुदाई से पहले चूत चिकना पानी छोड़ती है जिससे लंड आराम से अंदर चला जाता है। मगर गांड में से ऐसा कोइ पानी नहीं निकलता। इस लिए क्रीम लगा कर गांड के छेद को चिकना करना पड़ता है।”
इससे पहले कि गांड चुदाई कि बारे में और ज्ञान बांटता, शीला बोली, “जीत भैया, मैंने गांड नहीं चुदवाई मगर मुझे पता है भैया गांड चुदवाने में क्या करते हैं।”
मैंने भी पूछा, “अच्छा? तुझे पता है? चल बता फिर क्या करते हैं।”
शीला बोली, “पहले तो गांड के ऊपर और अंदर, और लंड पर खूब सारी वो वाली ख़ास क्रीम लगाते हैं। ज्योति भाभी ने भी नैंसी भाभी की गांड के ऊपर और अंदर लगाई थी, साथ ही अंकल के लंड पर भी लगाई थी।”
मैंने पूछा “अच्छा, फिर इसके आगे क्या करना होता है?”
शीला बोली, “फिर लंड को गांड में थोड़ा अंदर करके रुकते हैं। ऐसा तीन-चार बार करना होता है, बीच-बीच में गांड के बाहर अंदर और लंड पर फिर से वो क्रीम लगाते हैं।
ऐसा तब तक करना है जब तक गांड का छेद लंड के हिसाब से खुल ना जाए और लंड अपनी जगह ना बना ले। फिर लंड को धीरे-धीरे आराम से गांड के अंदर बिठाते हैं। जब लंड एक बार गांड के अंदर बैठ गया और पूरा अंदर चला गया, बस फिर चुदाई शुरू।”
मैं हंसा और मेरे मुंह से बस यही निकला, “कमाल है शीला तू तो, किसने बताया तुझे ये सब?”
ज्योति भी खुल कर हंसी और बोली, “जीते इसको किसने बताना है? ये शीला है, ये सब जानती है, सब मालूम है इसे।”
फिर ज्योति शीला से बोली, “चल शीला शुरू हो जा। जा बैठ जीते के लंड पर। जैल मैं लगती हूं जहां-जहां लगानी है।”
शीला ने टांगें चौड़ी के और मेरी तरफ मुंह करके लंड के ऊपर चूतड़ कर लिए I गांड का छेद लंड से थोड़ा दूरी पर। ज्योति ने खूब सारी जैल शीला की गांड के छेद के ऊपर और छेद के अंदर लगाई। जैसे ही ज्योति ने शीला की गांड में जैल से भरी हुई उंगली डाली, शीला ने सिसकारी ली “आआआह भाभी।” ज्योति ने पांच सात बार उंगली शीला की गांड के अंदर बाहर की। गांड और लंड पर खूब जैल लग चुकी थी I
शीला ने लंड अपनी गांड के छेद पर रक्खा और और दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख कर लंड अंदर लेने के लिए नीचे की तरफ हुई। लंड अंदर नहीं गया। शीला ने हिम्मत नहीं हारी। चूतड़ ऊपर उठाये और ज्योति से बोली, ‘भाभी वो क्रीम थोड़ी और लगाना।”
ज्योति ने फिर जैल शीला की गांड के छेद के आस पास, छेद के अंदर और मेरे लंड पर लगाई और लंड पकड़ कर छेद पर रक्खा और बोली, “चल शीला बैठ लंड पर लगा जोर और लेले अंदर।”
शीला ने गांड का छेद ढीला किया और जोर लगा कर नीचे की तरफ हुई। शीला की मेहनत रंग लाई और लंड का आगे का हिस्सा (टोपा/सुपाड़ा) गांड में बैठ गया।
शीला कुशल गांड चुदवाने वाली की तरह कुछ देर रुकी और फिर नीचे हुई। लंड आधा अंदर गांड के चला गया। शीला फिर रुकी और मेरे कंधों का सहारा ले कर ऊपर उठी और ज्योति को बोली, “भाभी थोड़ी क्रीम और लगाओ। इस बार जाएगा जीत भैया का मस्त लंड पूरा अंदर।”
ज्योति ने फिर से जैल लगाई और देखने लगी कि लंड कैसे अंदर जाता है। ज्योति ने लंड पकड़ कर शीला की गांड कि छेद पर रक्खा और शीला ने नीचे की तरफ जोर लगाया। लंड धीरे-धीरे जगह बनाता हुआ गांड में घुसता चला गया। शीला दर्द से “आआह आआह” कर रही थी, मगर शीला, लड़की हिम्मती थी, रुकी नहीं और नीचे होती रही। आखिर लंड जड़ तक बैठ गया।
ज्योति बोली, “शीला कमाल है, पूरा ले लिया तूने जीते का लंड अंदर। बिल्कुल भी नहीं दिखाई दे रहा।”
शीला पांच मिनट के लिए रुकी और हाथ कंधो से हटा कर मुझे बाहों में जकड लिया और ऊपर नीचे होने लगी। गांड चुदाई चालू हो गयी।
ज्योति उठी और सामने के सोफे पर बैठ कर शीला को लंड के ऊपर उठक-बैठक करते देखने लगी। लंड अपनी जगह बना चुका था। जैल की चिकनाई ने गांड का छेद मुलायम कर दिया था। शीला को अब गांड चुदवाने का मजा आ रहा था। “आआह आआह” वाली दर्द भरी सिसकारियों की जगह अब मजे की “आह आह” वाली सिसकारियों ने ले ली थी।
जल्दी ही शीला ने एक हाथ से अपनी चूत के आने को रगड़ना शुरू कर दिया। शीला पूरे जोर-शोर से ऊपर नीचे हो रही थी। मैंने शीला को पकड़ कर अपने साथ चिपका लिया। सात श-आठ मिनट की रगड़म-रगड़ाई ने शीला की चूत गरम कर दी।
वो अब कुछ भी बोल रही थी, “आह जीत भैया, गांड चुदवाने का भी क्या मजा है। निकलने वाला है मेरी चूत का पानी आआआह आआआह।” शीला पागलों की तरह ऊपर-नीचे हो रही थी और साथ ही अपनी चूत रगड़ रही थी। शीला ने एक जोर की सिसकारी लिए आह जीत भैया, भाभी, ये निकला मेरा।” और वो लंड के ऊपर ही धड़ाम से बैठ गयी।
पांच मिनट बाद लंड से उतरी और जा कर ज्योति के पास बैठ गयी और बोली, “भाभी कभी-कभी ये गांड चुदवाना भी बढ़िया है। मगर मजा तो फिर भी चूत में उंगली डालने से ही निकलेगा।”
ज्योति जो अपनी चूत में उंगली कर रही थी एक मिनट के लिए चुप रही। फिर कुछ सोच कर शीला से बोली, “दर्द तो नहीं हुआ?”
शीला बोली, “भाभी इस दर्द की फ़िक्र न करो। थोड़ा दर्द होगा भी तो तभी मजा आना भी शुरू हो जाएगा और बस दर्द छूमंतर।” ये कह कर शीला हंस दी।
ये सुन कर ज्योति बोली, “आजा फिर जीते चल अंदर, डाल ही दे लंड मेरी गांड में भी I देखूं मैं भी गांड में लंड डलवा के क्या मजा आता है।” फिर हंसते हुए ज्योति बोली, “कोइ कसर ना रह जाए चुदाई में।”
“कोइ कसर ना रह जाए चुदाई में।” ज्योति की इस बात पर मेरी भी हंसी छूट गयी।
हम दोनों ने, मैंने और ज्योति ने, अपने-अपने गिलास खाली किये और अंदर कमरे की तरफ चल पड़े। जैल की टयूब ज्योति के हाथ में थी। ज्योति ने टयूब शीला के हाथ में दी और बोली, ” आजा शीला, ले पकड़ , अब ये काम तेरा है।”
अंदर जा कर ज्योति बेड पर बैठ गयी और मेरे लंड की तरफ देखने लगी। लंड चूसना चाहती थी। मैं खड़ा लंड ले कर ज्योति के सामने खड़ा हो गया। ज्योति ने लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी। शीला ज्योति को मेरा लंड चूसते देख अपनी चूत खुजलाने लगी।
लंड चूसते-चूसते ज्योति ने शीला की तरफ देखा जो ज्योति को मेरा लंड चूसते हुए बड़ी हसरत के साथ देख रही थी और साथ ही अपनी चूत भी खुजला रही थी।
ज्योति ने लंड मुंह में से निकाला और शीला से पूछा, “शीला तुझे भी चूसना है?”
शीला बोली, “हां भाभी मन तो कर रहा है।”
ये सुन कर ज्योति बोली, “अरे तो फिर बोलती क्यों नहीं, खड़ी-खड़ी सोच क्या रही है। आजा तू भी चूस।”
दोनों बारी-बारी से कंडोम के ऊपर से ही मेरा लंड चूस रही थीं। जल्दी ही लंड पूरा सख्त हो गया और झटके लेने लगा जैसे छेद ढूंढ रहा हो।
ज्योति बोली, “जीते ये तो अंदर घुसने का रास्ता ढूंढ रहा लगता है। चल डाल इसको।” ये कह कर ज्योति कुहनियां बेड के किनारे पर रख कर फर्श पर खड़ी हो गयी।
पांच फुट नौं इंच लम्बी ज्योति, और उसकी लम्बी टांगें। ज्योति की गांड का छेद बिल्कुल मेरे लंड के सामने था।
मैंने शीला की तरफ देखा। शीला ने टयूब पकड़ी जैल निकाल मेरे लंड पर मल दी और फिर ज्योति के पीछे जा कर जैल गांड के छेद के ऊपर और अंदर लगा दी।
तभी पता नहीं शीला को क्या हुआ। उसने धीरे से ज्योति के चूतड़ों पर काट लिया। ज्योति बोली, “आआआह शीला क्या कर रही है पागल करेगी क्या? चल एक बार और काट अब।”