ही दोस्तो, मेरा नाम अरबाब है. मेरी आगे 21 साल है और ये स्टोरी आज से 3 साल पुरानी है. मई आपको बता डू, की मई एक दुबला पतला सा लड़का हू. मेरी गांद काफ़ी बड़ी है और मेरे बूब्स भी है थोड़े से.
मेरा जिस्म बिल्कुल एक लड़की जैसा है और मेरे जिस्म पे बाल भी बिल्कुल नही है. मई शुरू से ही अपनी दीदी जैसा लगता था. हर कोई मुझे ये बोलता था, की मेरा जिस्म वग़ैरा सब कुछ दीदी जैसा है.
लोंदे-बाज़ लड़के अक्सर मुझे घूरते थे और बहाने-बहाने से टच करते थे. अब मई स्टोरी की तरफ आता हू. मई उस वक़्त एक शरीफ सा लड़का था और मुझे सेक्स वग़ैरा का कुछ नही पता था. क्यूकी हमेशा से मई ऑल बाय्स मे पढ़ा था और मेरा डोर-डोर तक लड़कियो से कोई लेना-देना नही था.
मेरे दोस्त अक्सर लड़कियो से दोस्ती और रिलेशन्षिप की बाते करते थे. लेकिन मुझे इन सब चीज़ो मे इंटेरेस्ट नही था. मुझे हमारे एक प्रोफेसर बहुत आचे लगते थे. वो काफ़ी ओल्ड आगे के थे. उस दौरान मुझे रियलाइज़ हुआ, की मुझे लड़किया पसंद नही है और बड़ी उमर के मर्द पसंद है.
मई काफ़ी सोचता था, की मुझे लड़किया तो पसंद नही थी और मर्दो के साथ तो रीलेशन हो नही सकता. जैसे की मैने आपको बताया है, की मुझे सेक्स के बारे मे कुछ नही पता था. तो गे सेक्स तो डोर तक नही पता था. मैने बस ये सोच लिया था, की शायद मई हमेशा अकेला रहूँगा.
जवानी सिर पे थी मेरे. लड़कियो मे इंटेरेस्ट नही था और मर्दो के साथ रीलेशन हो नही सकता था. तभी मेरी ज़िंदगी बदल गयी, जब मैने एक लड़के से दोस्ती की. वो हमारे पड़ोस मे शिफ्ट हुआ था. उनकी फॅमिली मे सिर्फ़ बाप और बेटा था.
बेटा मेरी उमर का था और उसका नाम राजू था. और अंकल की उमर 50+ थी. अंकल रिटाइर्ड आर्मी ऑफीसर थे. वो काफ़ी लंबे थे और उनका तोड़ा पेट निकला हुआ था. उनके जिस्म पे घने बाल थे. दिखने मे वो गुस्से वाले लगते थे, लेकिन काफ़ी फ्रेंड्ली थे. अब अंकल मुझे बहुत आचे लगते थे.
मेरी और राजू की भी काफ़ी अची दोस्ती हो गयी थी और मेरा उसके घर आना-जाना रहता था. राजू बहुत हरामी भी था. फिर एक दिन घर पे हम दोनो अकेले थे और अंकल किसी काम से बाहर गये थे. तब उसने मुझे बोला-
राजू: आजा तुझे कुछ दिखता हू.
फिर उसने अपना लॅपटॉप खोला और पॉर्न चला दिया. मुझे पहली बार पॉर्न वीडियो देखने मे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरा लंड वीडियो देख कर टाइट हो रहा था. मैने जब राजू को बोला, की मई पहली बार पॉर्न देख रहा था, तो उसने बोला-
राजू: मूठ मारते हो.
अब मैने आज तक मूठ भी नही मारी थी. इसलिए राजू को मैने बोला-
मई: मुझे मूठ मारनी नही आती.
ये सुन कर उसने अपनी पंत उतार दी और अपना लंड निकाल कर मूठ मारने लगा. मैने भी थोड़ी हिम्मत करके पंत उतारी और अपना लंड पकड़ के मसालने लगा. वीडियो देखते-देखते हम मूठ मार रहे थे और 5 मिनिट बाद वो भी झाड़ गया और मई भी. फिर राजू ने पूछा-
राजू: मज़ा आया?
और मैने बताया: हा बहुत मज़ा आया.
उस दिन के बाद से मई और राजू अक्सर मौका ढूँढ कर पॉर्न देखते थे और मूठ मारते थे. मई और राजू बहुत क्लोज़ हो गये थे. एक दिन राजू ने गे पॉर्न लगा दिया. यकीन मानो, की गे पॉर्न देख कर मई 2 मिनिट के अंदर फारिघ् हो गया और राजू भी.
उस दिन राजू ने मुझे खुल कर बताया, की उसको लड़के पसंद है और उसको गे पॉर्न ज़्यादा अछा लगता है. ये सुन कर मुझे शॉक नही बल्कि खुशी हुई और मैने भी राजू को बताया, की मुझे भी हमेशा से लड़के पसंद थे.
उसके बाद तो मई और राजू बहुत ही ज़्यादा क्लोज़ हो गये थे. हम दोनो अक्सर जब उसके घर पे अकेले होते थे, तो नंगे होकर पॉर्न देखते थे. आहिस्ता-आहिस्ता हम दोनो ने एक्सपेरिमेंट करना शुरू कर दिया.
पहले हमने एक-दूसरे का लंड पकड़ कर, एक-दूसरे की मूठ मारी. फिर आहिस्ता-आहिस्ता हमने किस्सिंग शुरू कर दी. एक दिन मैने राजू को बोला-
मई: चलो आज सकिंग करते है.
फिर हम दोनो 69 पोज़िशन मे लेट गये और एक-दूसरे का लंड चूसने लग गये. राजू का लंड मुझसे काफ़ी छ्होटा था, जो मैने आसानी से चूस लिया. लेकिन उससे मेरा लंड पूरा चूसा नही जेया रहा था. खैर हम दोनो ने लंड चूस-चूस एक दूसरे को फारिघ् ही नही किया, बल्कि एक दूसरे का पानी भी पी गये.
अब राजू और मई ऐसे ही एक्सपेरिमेंट करते रहते थे. हम कभी सकिंग, कभी किस्सिंग और कभी एक-दूसरे की गांद मे फिंगरिंग करते थे . कभी-कभी हम लॅडीस ड्रेस पहन कर क्रॉस ड्रेसिंग भी करते थे. बस हमने अभी तक चुदाई नही की थी.
फिर एक दिन राजू और मई किस्सिंग और गांद मे फिंगरिंग कर रहे थे, तो राजू ने बोला-
राजू: आज चुदाई करते है.
फिर राजू घोड़ी बन गया और मई उसके पीछे आ गया. मैने राजू के होल पे लंड सेट किया और लंड घुसाने लगा. आहिस्ता-आहिस्ता मैने पूरा 6 इंच का लंड उसकी गांद के अंदर डाल दिया और जैसे पॉर्न मे चुदाई करते है, वैसे ही उसको छोड़ने लग गया.
मैने 5 मिनिट तक राजू को छोड़ा और फिर उसके अंदर ही फारिघ् हो गया. राजू को भी इसमे बहुत मज़ा आया. अब मेरी बारी थी और मई बहुत एग्ज़ाइटेड था. मई घोड़ी बन गया और राजू मेरे पीछे आ गया. मेरी गांद बहुत मोटी थी और राजू का लंड बहुत छ्होटा था.
राजू बार-बार पूच रहा था, की लंड अंदर गया के नही. लेकिन उसका लंड तो सिर्फ़ मेरे होल से टच हो रहा था. हमने चुदाई के लिए काफ़ी डिफरेंट-डिफरेंट पोज़िशन्स ट्राइ की. एक पोज़िशन मे हमे लगा, की अब सही से चुदाई होगी. लेकिन अफ़सोस, अभी राजू का टोपा ही मेरे अंदर गया था, की वो फारिघ् हो गया.
मई काफ़ी अपसेट हुआ, की मई गांद सही से नही मरवा पाया. उसके बाद हमने बहुत ट्राइ किया, लेकिन राजू की टाइमिंग बहुत गंदी थी. वो टोपा घुसाते ही फारिघ् हो जाता था, जब की मई राजू को आचे से छोड़ देता था.
मैने सोच लिया था, की राजू के साथ तो मेरी चुदाई नही हो सकेगी, तो मुझे कोई दूसरा लंड ढूँढना पड़ेगा. लेकिन मई डरता बहुत था, की किसी को पता ना चले, की मई गे हू. वरना बहुत बदनामी होगी. लेकिन पिक्चर अभी बाकी थी.
उस वक़्त तक मई डरता था, की किसी को पता नही चले, की मई गे हू. लेकिन मुझे क्या पता था, की कुछ ही दीनो बाद मई एक चुड़क्कड़ रंडी बन जौंगा और काफ़ी लोग मेरी गांद मारेंगे.
राजू और मेरे एग्ज़ॅम्स आ गये थे और हम पढ़ाई की वजह से मिले ही नही थे. एग्ज़ॅम्स ख़तम होने के बाद भी कुछ दिन तक मिलने का प्रोग्राम नही हुआ, क्यूकी राजू गाओं गया हुआ था. अब गर्मी तो बहुत चढ़ि हुई थी, लेकिन मैने वेट की, की जब राजू आएगा तो मस्ती करेंगे.
फिर मैने देखा, की राजू के घर के बाहर उसके पापा की गाड़ी खड़ी थी. गाड़ी देख कर मैने सोचा, की शायद राजू गाओं से वापस आ गया था. मैने राजू को सर्प्राइज़ करने के लिए पिंक कलर की पनटी पहनी, जो मैने दीदी की चुराई थी.
फिर मई उपर से अपने कपड़े पहन कर राजू के घर चला गया. वाहा जाके मई बगैर बेल बजाए अंदर चला गया, क्यूकी मई हमेशा ऐसा ही करता था. जब मई राजू के रूम गया, तो वाहा कोई नही था. पूरा घर खाली लग रहा था.
मैने सोचा, की देखु अंकल अपने कमरे मे थे या नही. फिर मई उनके रूम गया, तो वाहा भी कोई नही था. बातरूम का दरवाज़ा खुला हुआ था और अंदर से शवर की आवाज़ आ रही थी. मेरे अंदर का कीड़ा जागा, की अंदर झाँक कर देखा जाए.
फिर मई चुपके से बातरूम के पास गया और जैसे ही मैने अंदर झाँका, तो अंकल मेरे सामने नहा रहे थे.