नमस्कार दोस्तों मेरा नाम आर्यन है। मैं कोलकाता में रहता हूं, और मेरी उमर 21 साल है। हाइट 6 फुट 4 इंच, रंग गोरा, और मेरे लंड का साइज दस इंच है और 3 इंच मोटा है। हां सही सुना आपने दस इंच।
असल में मेरा लंड भी पहले कुछ खास बड़ा नहीं था। मेरा लंड सिर्फ साढ़े पांच इंच का था। जब भी मैं किसी लड़की के साथ चुदाई करता तो उसे मज़ा नहीं आता था और मैं सिर्फ दो मिनट में ही झड़ जाता था।
मैंने इस परेशानी को मेरे दोस्तों के साथ डिसकस किया। उन्होंने मुझे कहा कि तू लिंग बढ़ाने की दवा क्यों नहीं लेता?
मैंने फिर शाम को ही ऑर्डर दे दिया। दो-तीन दिन बाद मुझे मेरा पार्सल मिल गया। मैं अकेला रहता हूं तो किसी के देखने का डर भी नहीं था।
मैंने एक महीना दवा को इस्तेमाल किया, और मैं क्या बताऊं मेरा लंड बहुत ज़्यादा बड़ा हो गया। मेरा साढ़े पांच इंच का लंड दस इंच का हो गया था। मैं अपनी आंखों पे भरोसा नहीं कर पा रहा था। तो चलिए अब कहानी की तरफ चलते है।
मेरे पड़ोस में पिछले दो साल से एक औरत रहती थी। मेरी उसके साथ हर दिन बात होती थी। उसका नाम नताशा है। एक दिन नताशा ने मुझे चाय पे बुलाया। मैं भी देर ना करते हुए उसके घर चला गया।
चाय पीते-पीते मेरी उसके साथ काफी सारी बातें होने लगी, और बातों-बातों में यही बात चुदाई तक पहुंच गई। उसने बताया कि पिछले साल से उसका पति ऑफिस के काम के लिए बाहर गया हुआ था। लेकिन अभी भी वो घर वापस नहीं आया था।
बातों-बातों में मुझे पता चल गया उसके पति का वही हाल था जो मेरा हुआ करता था। वह नताशा को सही से नहीं चोद पाता था, और सिर्फ दो से तीन मिनट में ही खेल खत्म हो जाता था।
मैंने पूछा, “तो किसी और के साथ चुदाई क्यों नहीं कर लेती?”, तो उसने कहा-
नताशा: अरे नहीं। मैंने इस बारे में कभी नहीं सोचा। लेकिन सोच रही हूं अब शुरू कर ही दूं।
फिर वह मेरा मुंह देखने लगी और हवस भरी नज़रों से मुझे देखने लगी। मैंने उसे अपनी तरफ खींच लिया। नताशा ने भी मुझे अपने बाहों मे भर लिया।
भाभी के बड़े-बड़े चूचे मुझे अच्छे से महसूस हो रहे था। मेरा हाथ उसकी ब्रा के तरफ चला गया। मैंने ब्रा को खोल दिया, और उसकी चूचियां एक-दम से आजाद हो गई।
अब हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। नताशा ने अपना हाथ मेरे लंड पे रख दिया। करीब पांच मिनट चुम्मा-चाटी के बाद मैंने उसकी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया। वो भी मजे से आह… आह… करने लगी।
नताशा ने अपना टॉप उतार दिया, और अपनी एक चूची को पकड़ कर मेरे मुंह में दे दिया, और मेरा मुंह अपनी चूची पर दबाने लगी। मैं भी मस्ती से चूचियों को चूस रहा था।
अब मैंने उसका लोअर उतार दिया। उसने ब्लैक कलर की पैंटी पहनी थी। मैं उसकी पैंटी के ऊपर से उसके चूत को सहलाने लगा। तो वो मुझे चूमने लगी।
फिर मैंने पैंटी भी उतार दी। नताशा गोरे रंग की थी और गुलाबी रंग की चूत उसके उपर काफी अच्छी लग रही थी।
फिर उसने मुझे एक छोटा सा किस दिया और कहा-
नताशा: अब तो ये तुम्हारी ही है जानेमन।
उसकी चूत बिल्कुल साफ थी। मैंने देर ना करते हुए उसकी रसीली चूत पर मुंह दे दिया, और चाटने लगा। वो मचलने लगी, और उसे बड़ा मजा आने लगा।
वह अपने मुंह से “आह… आह… ओह… क्या बात है… और चाटो इस चूत को… और चाटो… एक साल से ये कामिनी चूत शांत होने का नाम ही नहीं ले रही है… चूसो…चूसो… आह…” बोल रही थी।
दो मिनट में ही उसका पानी निकल गया, और मैंने सारा पानी चाट लिया। मैंने चूत चाटना जारी रखा। कुछ देर बाद वह फिर से गरम हो गई, और आह… आह… करने लगी। कुछ देर चूत चुसाई-चटाई के बाद नताशा ने कहा-
नताशा: मुझे भी तो तुम्हारे लंड का स्वाद लेने दो मेरे राजा।
देखते ही देखते उसने मुझे नंगा कर दिया। जैसे ही नताशा मेरा लंड देखा, उसका मुंह खुला का खुला रह गया।
नताशा: अरे तुम्हारा लंड कितना बड़ा है। क्या इतना मोटा लंड मेरी चूत ले पाएगी?
फिर वह मेरे लंड पर भूखी शेरनी तरह टूट पड़ी। वो मेरा लंड मुंह में लेकर ऐसे चूसने लगी जैसे मेरा लंड कोई लॉलीपॉप है।
नताशा काफी चाव से मेरा लंड चूस रही थी। लगभग बीस मिनट तक उसने मेरा लंड चूसा लेकिन अब भी जैसे वो मेरे लंड खा जाना चाहती थी। लो लंड छोड़ ही नहीं रही थी।
मैंने कहा: लगता है कि तुम्हे मैं काफी पसंद आया?
नताशा: लगता है? अरे मुझे तुम्हारे लंड से प्यार हो गया है। मन तो कर रहा है कि खा जाऊं इस लंड को।
वो ऐसे लंड चूस रही थी कि मानो अभी मेरा पानी निकल जायेगा। लेकिन मैंने किसी तरह अपने आप को झड़ने से रोक रखा था। मैंने उसे दस मिनट और लंड चूसने दिया। मेरा पानी लगभग निकलने ही वाला था। मैंने तभी अपना लंड उसके मुंह से निकल लिया। लेकिन वो कहां मानने वाली थी। वो फिर से मेरा लंड चूसने लगी।
मैंने उसे नहीं रोका। उसके सिर को अपने लंड पर दबाने लगा। मेरा पूरा लंड उसके मुंह में जा रहा था। मुंह को ही चूत समझ कर मैं उसके मुंह को लंड से चोदने लगा।
नताशा के मुंह से गूं गूं गूं की आवाजें आने लगी थी। थोड़ी देर बाद मैंने लंड बाहर निकाल लिया।
नताशा: और बताओ, कैसी लगी मेरी लंड चुसाई?
मैंने कहा: एक दम मस्त, तुमने मेरा हाल खराब कर दिया था। तो वो हस दी।
मैंने और देर ना करते हुए उसे सोफे के सहारे झुका दिया और पीछे से उसकी चूत पे लंड को घिसने लगा। उसे ये बस अच्छा लग रहा था। वो भी अपनी चूत को मेरे लंड पर घिसने लगी। लंड को घिसते-घिसते मैंने उससे कहा-
में: बहुत आग लगी है ना चुदाई की। देख आज तेरी चुदाई की आग कैसे करता हूं।
मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रख कर एक धक्का लगाया, तो लंड का सुपारा अंदर चला गया। दूसरे धक्के पर पूरा लंड चूत के अंदर चला गया। वह काफी तेज चिल्लाई मगर लंड खेल गई।
इसके आगे क्या हुआ, ये आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। अगर आपको यहां तक की कहानी का मजा आया हो, तो इसको अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें। कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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