ही फ्रेंड्स, मेरा नाम आदित्या है. मैं 24 साल का हू, और आवरेज बॉडी वाला लड़का हू. मेरी हाइट 5’9″ है, और रंग ठीक-ताक है. मैने स्टडीस पिछले साल कंप्लीट कर ली है, और अब मैं जॉब कर रहा हू. मेरी फॅमिली में मैं और मेरी मा ही है बस, और हम मुंबई की एक चाव्ल में रहते है.
ये कहानी मेरे और मेरी पड़ोसन आंटी के बीच में हुए सेक्स की है. ये सब पिछले साल हुआ. तो चलिए मैं अपना आंटी सेक्स एक्सपीरियेन्स आप सब को बताता हू.
हमारे पड़ोस के घर में अरुणा आंटी रहती है. मैने शुरू से ही उनको अकेला देखा है. मम्मी ने बताया था, की उनके हज़्बेंड उनको छ्चोढ़ कर गये, और कभी वापस नही आए.
जब मैं बड़ा हो गया, और सेक्स के बारे में मुझे नालेज हुई, तो अरुणा आंटी को मैं उस नज़र से देखने लग गया. अरुणा आंटी और मम्मी दोनो अची फ्रेंड्स थी. क्यूंकी दोनो के हज़्बेंड नही है (मेरे पापा मॅर चुके है, और आंटी के हज़्बेंड कही चले गये थे), तो दोनो एक दूसरे का दुख समझती है.
अरुणा आंटी को देखो तो वो आंटी जैसे लगती ही नही. उनका फिगर 34-28-35 है, और रंग गोरा है. फेस बड़ा क्यूट है उनका, की किसी भी लड़के को उनसे प्यार हो जाए. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.
एक दिन आंटी को मम्मी दोनो बैठी बातें कर रही थी. मैं उनसे थोड़ी डोर सामने ही बैठा था. मेरी नज़र आंटी पर थी, और मैं उनको उपर से नीचे देख रहा था.
आंटी ने पॅरोट कलर की सारी पहनी हुई थी, और उनकी कमर बड़ी सेक्सी लग रही थी. उनकी गांद गोल और मस्त लग रही थी. उनकी आवाज़ बड़ी प्यारी थी, जिसको सुन कर शांति मिलती थी.
फिर अचानक से आंटी ने बातें करते हुए मेरी तरफ देखा. लेकिन मैने अपनी नज़रे हटाई नही, और एक टक्क लगाए उनको देखता रहा. फिर ऐसा बार-बार होने लगा. मुझे आंटी का नशा चढ़ने लगा था.
मैं जब भी आंटी के आस-पास होता, तो उनको घूरता रहता. अब आंटी भी मेरे इरादे शायद समझने लगी थी. मुझे आंटी से प्यार हो गया था, और मुझे उनको जी भर के प्यार करना था. मैं उनके हर अंग को चूमना चाहता था, और उनको छोड़ना चाहता था.
फिर एक दिन मुझे मौका मिला. मेरी मम्मी की सकारी नौकरी है, तो उनको काम के लिए 3 दिन के लिए शहर से बाहर जाना था. मैं उनके साथ जेया नही सकता था, क्यूंकी के अफीशियल ट्रिप था. तो मम्मी अरुणा आंटी को मेरा ख़याल रखने के लिए बोल गयी. अरुणा आंटी ने मुझे खाने के टाइम पर उनके घर आने के लिए कहा.
मम्मी के जाने के बाद दोपहर में मैं उनके घर लंड करने लगा. आंटी अभी किचन में खाना तैयार कर रही थी. उन्होने येल्लो सारी पहनी थी, जिसमे से उनका रंग और निखार कर आ रहा था. जब उन्होने मुझे देखा, तो मुझे टेबल पर बैठने को कहा, जो किचन के बिकुल सामने थी.
मैं कुर्सी पर बैठ गया, और आंटी को देखने लगा. सारी में से आंटी की बॅक, कमर, और गोरे-गोरे पैर ही दिख रहे थे. लेकिन मेरे लंड को खड़ा करने के लिए इतना ही काफ़ी था. मुझसे अब कंट्रोल नही हो रहा था.
मैने सोचा मम्मी तो है नही, तो आंटी कंप्लेंट करेंगी भी किसको. फिर ये सोच कर मैं खड़ा हुआ, और आंटी के पीछे चला गया. आंटी काम में बिज़ी थी, तो उनका ध्यान नही गया. फिर मैने सीधे उनकी कमर पर अपने दोनो हाथ डाल दिए.
आंटी एक-दूं से काँप गयी, और मेरी तरफ घूम गयी. मैने आंटी को अपनी बाहों के घेरे में भर लिया. तभी वो बोली-
आंटी: क्या कर रहे हो आदित्या?
मैं: आप नही जानती, की मैं आपसे प्यार करता हू?
आंटी: नही आदित्या, ये ग़लत है. मैं तुमसे बहुत बड़ी हू.
मैने आंटी की गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया. आंटी मुझे माना करे जेया रही थी, लेकिन मैं अब रुक नही सकता था. फिर धीरे-धीरे आंटी कमज़ोर पड़ने लगी, और हल्के-हल्के मोन करने लग गयी.
जैसे ही उन्होने ना बोलना बंद किया, मैने अपने होंठ उनके होंठो के साथ मिला दिए. वाह! क्या मस्त स्वाद था आंटी के होंठो का. मैं अब उनके होंठ चूस रहा था, और उनकी कमर और गांद मसल रहा था.
कुछ देर में आंटी भी मेरा साथ देने लग गयी. अब हम दोनो बड़े प्यार से एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे. 10 मिनिट होंठ चुसाई के बाद हम अलग हुए. हम दोनो की साँसे चढ़ि हुई थी, और हम एक-दूसरे की आँखों में आँखें डाल के देख रहे थे.
फिर मैने आंटी का पॉली गिराया, और उनकी क्लीवेज चूमने लगा. मैने उनका ब्लाउस खोला, और साथ ही ब्रा भी निकाल दी. अब उनके काससे हुए गोरे चूचे मेरे सामने थे. मैं उनके चूचों पर टूट पड़ा, और मूह में डाल कर चूसने लगा.
आंटी कामुक आहें भर रही थी. चूचे चूस्टे हुए मैने उनकी सारी खोल दी. फिर मैं घुटनो पर बैठा, और उनके पेटिकोट का नाडा खोल कर नीचे गिरा दिया. अब वो हुस्न पारी सिर्फ़ ब्लू पनटी में मेरे सामने थी.
मैने उनकी पनटी में अपना मूह डाल लिया, और छूट पर मूह रगड़ने लगा. आंटी आ आ कर रही थी. मेरा दिल तो कर रहा था की उनकी खुश्बुदार छूट में घुस जौ. फिर मैने उनकी पनटी नीचे की, और उनकी छूट पर किस किया. आंटी ने मुझे रूम में चलने को बोला.
वाहा जाके आंटी बेड पर लेट गयी. मैने अपने कपड़े उतारे, और अब मेरा 6 इंच का लंड आंटी देख सकती थी. मैने आंटी की छूट पर अपना मूह लगाया, और उस प्यारी सी बालों से भारी छूट को चूसने लग गया. उनकी छूट किसी कुवारि लड़की की तरह थी.
आंटी अब चूड़ने के लिए पागल हो रही थी. उन्होने मेरे बाल पकड़ कर मुझे अपने उपर खींच लिया, और मेरा लंड पकड़ कर अपनी छूट पर सेट किया. मैने ज़ोर का धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी गीली छूट में चला गया.
आंटी की चीख निकल गयी, और उन्होने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून चूबो दिए. मैने लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया, और आंटी सिसकियाँ भरने लगी. बहुत टाइट छूट थी उनकी. कुछ देर बाद आंटी अपनी गांद हिला कर चूड़ने लगी, और मुझे स्पीड बढ़ने को बोली.
मैने भी अब उन्हे फुल स्पीड पर छोड़ना शुरू कर दिया. बहुत मज़ा आ रहा था हम दोनो को. छाप छाप की मधुर आवाज़े आ रही थी. ऐसे ही 20 मिनिट हमारी चुदाई चली. फिर जब मैं झड़ने वाला हुआ, तो आंटी ने मुझे अपने उपर से हटाया, और मेरे लंड को मूह में ले लिया.
अब मैं उनके मूह में धक्के देने लगा. वो बड़े आचे से मेरा लंड चूस रही थी. अगले 2 मिनिट में मैने उनके मूह को अपने माल से भर दिया. वो मेरा सारा माल पी गयी, और मेरे लंड को चाट कर सॉफ कर दिया. फिर हम दोनो साथ में लेट गये.
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