नमस्कार, मेरा नाम सुनीता है. मैं एक हाउसवाइफ हूँ लेकिन दिखने में बहुत सेक्सी हूँ. मैं अपने घर का सारा काम करती हूँ. और जो गुण एक संस्कारी बहू में होनी चाहिए वो सारे गुण मेरे अन्दर हैं.
मेरे अन्दर शुरू से ही सेक्स बहुत ज्यादा रहा है. मैं अपनी शादी से पहले भी चुदवाती थी और शादी के बाद भी चुदवाती हूँ. मेरे पति भी मेरे सेक्स के सामने ज्यादा देर तक नहीं टिक पाते और उनका जल्दी निकल जाता है, मैं प्यासी रह जाती हूँ.
उस वक्त मुझे मेरे कॉलेज वाले दिन याद आने लगते हैं कि कैसे मैं अपने बॉयफ्रेंड से होटल में जाकर चुदवाती थी. मेरी शादी के शुरू के दिनों में मेरे पति मुझे बहुत चोदते थे तो मेरी चूत शांत रहती थी लेकिन वो धीरे धीरे मेरी तरफ कम ध्यान देने लगे और हमारी चुदाई अच्छे से नहीं होती थी तो मेरी चूत प्यासी रह जाती थी.
मैं अपने मनोरंजन के लिए ब्लू फिल्म देखती थी या कभी कभी सेक्स कहानी पढ़ती थी जिससे एक दो बार अपनी चूत में उंगली करके अपने आपको थोड़ा बहुत शांत कर लेती थी. जो मजा चूत में लंड लेने में आता है वो मजा चूत में उंगली लेने में नहीं आता था. लेकिन फिर भी मेरी चूत को थोड़ा बहुत शांत तो कर देती थी मेरी उंगलियाँ!
और अब यह मेरा रोज का काम हो गया था. मैं घर का सारा काम करके अपनी चूत में उंगली करती थी और अपने मोबाइल में ब्लू फिल्म देखती थी. मैं अब परेशान हो गयी थी अपनी चूत की प्यास से … और अब मुझे नए लंड से चुदवाने का मन कर रहा था.
मैं भी अब थोड़ा अपने घर से बाहर निकलने लगी. वैसे मैं कभी घर से बाहर नहीं निकलती थी लेकिन अब चूत को लंड चाहिए था इसलिए मैं अब अपनी जवानी को दिखाना चाहती थी. मैं अपनी जवानी दिखाने के लिए अपने पड़ोस की औरतों के साथ शाम को घूमने निकलने लगी. मुझे बहुत लोग लाइन देने लगे. मुझे भी अब अच्छा लगने लगा.
घर में मेरे पति को मुझसे कोई लेना देना नहीं था. वो बस अपने काम में बिजी रहते थे और कभी कभी मूड बनता था तो एक या दो बार मुझे चोद लेते थे.
एक दिन मुझे एक लड़का पसंद आ गया जो मेरे पड़ोस में रहता था. मैं जब भी अपने घर से शाम को पड़ोस की औरतों के साथ घूमने के लिए निकलती थी तो वो भी मेरे पीछे पीछे आ जाता था. मैं जब पीछे मुड़कर उसको देखती थी तो वो मुझे देख कर मुस्कुरा देता था. मैं यह देख कर समझ गयी थी कि वो मुझसे बातें करना चाहता है.
मैं पड़ोस की औरतों के सामने कुछ कर भी नहीं सकती थी क्योंकि अगर उन लोगों को कुछ पता चलता तो वे हल्ला कर देती और मेरी कितनी बदनामी होती … ये मैं ही जानती हूँ.
मेरे पड़ोस की औरतों को तो ये सब बातें करने में बहुत मजा आता है. वे हमेशा एक दूसरे की चुगली शिकायत करती रहती हैं. मैं नहीं चाहती थी कि मेरे और उस लड़के के बारे में किसी को पता चले.
एक दिन मैं अपने घर में झाड़ू लगा रही थी और वो लड़का मेरे घर के सामने अकेला था. मैं झाड़ू मारते मारते अपने घर से थोड़ा बाहर आ गयी ताकि मैं भी उस लड़के से थोड़ा बात कर सकूँ. मैं चाहती थी कि वो ही मुझसे पहल करे और ऐसा ही हुआ.
उस लड़के ने ही मुझसे पहले बात की और हमारी बातें शुरू हो गयी. जब मैं झाड़ू लेकर अपने घर के थोड़ा सा बाहर आ गयी तो वो लड़का मुझसे बोला- भाभी, कैसी हो आप?
मैं भी उसको बोली- ठीक हूँ, क्या बात है?
तो वो लड़का अपने बारे में बताने लगा, वो मेरी कॉलोनी में ही रहता था.
मैं उसकी मम्मी को जानती थी, वो कभी कभी मेरे घर आती थी.
हम दोनों की दोस्ती धीरे धीरे बढ़ने लगी और उस लड़के ने मेरा नंबर मांग लिया और मैंने भी खुशी खुशी उसको अपना नंबर दे दिया. मैं भी दिन में बोर हो जाती थी इसलिए दोपहर में हम दोनों लोग फ़ोन पर बातें करते थे. जिससे मेरे दिन आराम से निकल जाता था.
मैं कभी कभी उससे मिलने के लिए शाम को अकेली ही घूमने निकल जाती थी और जब देखती थी कि मेरे पड़ोस की औरतें भी आ गयी तो उस लड़के को बोल देती थी जाने के लिए … और उसके बाद मैं अपने पड़ोस के औरतों के साथ घूमती थी.
मैं उस लड़के के साथ बाजार भी घूमने जाने लगी. हम दोनों पहले से भी ज्यादा घुलमिल गए. मुझे कोई भी काम होता था तो मैं उस लड़के के साथ उसकी बाइक से बाजार जाती थी और बाजार से सामान लाती थी.
एक दिन मेरे पति टूर पर गए हुए थे, कंपनी ने उनको टूर पर भेजती थी. और वो कुछ 5 या 6 दिन के लिए बाहर गए थे. मैं अपने घर में अकेली हो गयी थी मेरे पति के जाने के बाद!
मेरे सास ससुर को तो बस टाइम से खाना खिला देती थी और उसके बाद मैं फ्री हो जाती थी.
वो लड़का भी अपने पापा का बिज़नस देखता था और वो हफ्ते में दो दिन फ्री रहता था.
एक दिन वो फ्री था और अपने पापा के साथ ऑफिस नहीं गया था. मैं उसको बोली- तुम अपने ऑफिस क्यों नहीं गए?
तो वो बोला- मुझे काम करने का मन नहीं करता है. वो तो मैं पापा के कहने पर चला जाता हूँ.
मैं उसको बोली- मैं भी आज अपने घर में अकेली हूँ और मैं बोर हो रही हूँ.
वो लड़का बोला- मैं आपके घर आ जाऊं?
तो मैं बोली- आ जाओ!
तो वो लड़का कुछ देर के बाद अपनी बाइक से मेरे घर आ गया.
मैंने उसकी बाइक अपने घर के अन्दर रखवा दी क्योंकि अगर कोई पड़ोस में उसकी बाइक देखता तो शायद कोई पहचान लेता या गलत सोचता. इसलिए मैंने उसे बाइक घर के अन्दर रखने को कहा. हम दोनों के बारे में थोड़ा बहुत अफवाह भी हमारे कॉलोनी में उड़ रही थी कि हम दोनों लोग का चक्कर है.
वो मेरे बेडरूम में आया, मैंने उसको खाना खिलाया और उसके बाद हम दोनों लोग एक दूसरे की बांहों में आकर एक दूसरे से बातें करने लगे. मैं उससे बात करने के बाद रसोई में थोड़ा काम करने चली गयी और बर्तन धोने लगी.
तो वो लड़का भी आया और बोला- मैं भी आपकी मदद करता हूँ!
और वो भी मेरे साथ बर्तन धोने लगा.
मैं उसको बोलने लगी- तुम ये सब क्यों कर रहे हो? मैं सब कर लूंगी.
तो वो पड़ोसी लड़का मेरी मदद कर रहा था और बोल रहा था- मुझे आपके साथ रहने में बहुत अच्छा लगता है.
हम दोनों बर्तन धोने के बाद हम वहीं रसोई में एक दूसरे से बातें करने लगे और मैंने हमारे लिए कॉफ़ी बना ली और हम दोनों ने वहीं खड़े खड़े कॉफ़ी पी और थोड़ी देर बात करने के बाद मेरे बेडरूम में चले गए.
वो मेरी तारीफ करने लगा और उसके बाद उस लड़के ने मुझे किस करना शुरू कर दिया. मेरी गर्म साँसें उसको और मदहोश कर रही थी. वो मेरे होंठों को चूमने लगा और हम दोनों चुम्बन करने लगे. उसके बाद वो मेरी साड़ी निकालने लगा. मैं ब्लाउज और पेटीकोट में हो गयी. तब उसने मेरी ब्लाउज और पेटीकोट भी निकाल दिया और मैं उसके सामने ब्रा और पेंटी में हो गयी.
मुझे थोड़ी लाज लग रही थी उसके सामने ऐसे रहने में … लेकिन बाद में सब ठीक हो गया. उसने मेरी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी और मेरी चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. मैं भी सिसकारियाँ लेने लगी और अपने नाख़ून उसकी पीठ में गड़ाने लगी.
वो मेरी चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने के बाद मेरी नाभि को किस करने लगा. वो धीरे धीरे मेरी चूत को चाटने लगा और मेरे जांघों को मसलने लगा. मेरी सिसकारियां बढ़ती ही जा रही थी और मैं उसके बालों में अपने हाथ फिराने लगी और उसके बालों को नोचने लगी.
वो मेरी दोनों टांगों को खोल कर मेरी चूत के अन्दर तक अपनी जीभ डाल कर मेरी चूत चाट रहा था. मेरे पति ने तो मेरी चूत कभी चाटी ही नहीं है. मुझे बहुत मजा आ रहा था उससे चूत चटवाने में!
और बाद में मैंने भी उसका लंड चूसा और इस ओरल सेक्स में हम दोनों एक एक बार झड़ गए थे.
कुछ देर बाद वो लड़का दुबारा मेरी चूत को चाटने लगा और मैं भी अपनी चूत उसके मुंह में दे रही थी और वो बोल रहा था- भाभी, आपकी चूत चाटने में मुझे बहुत मजा आ रहा है.
मैं अपनी चूत को बहुत साफ़ रखती हूँ इसलिए उसको मेरी चूत चाटने में बहुत मजा आ रहा था.
वासना से मेरी आवाजें थोड़ी तेज होने लगी और मैं बहुत ज्यादा गर्म हो गयी थी चुदवाने के लिए और मैं उसको बोलने लगी- अब मुझसे नहीं रहा जाता है बस, मेरी चूत नहीं चाटो … मेरी चूत में लंड भी डालो!
और उसने मुझे बिस्तर पर चित लिटा दिया और मेरी चूत में अपना लंड डालने लगा. उस लड़के ने अपना आधा लंड मेरी चूत में डाला ही था कि मेरी चूत में दर्द होने लगा, मैं करीब दो महीने से चुदी नहीं थी तो मेरी चूत काफी कस गयी थी. मैं उसको लंड बाहर निकलने के लिए बोली तो वो मान गया और उसने अपना लंड बाहर निकाल दिया और मेरी चूत को चाटने लगा.
वैसे तो मैंने बहुत बार बहुत लड़कों से अपनी चूत चुदवा चुकी हूँ तो मुझे थोड़ा अनुभव था इसलिए मैं थोड़ा दर्द बर्दाश्त कर लेती हूँ. लेकिन शादी के बाद मैं पहली बार अपने पति के अलावा किसी और से चुदवा रही थी.
कुछ देर बाद उसने दुबारा अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे चोदने लगा और हम दोनों चुदाई करने लगे. मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था लेकिन चुदाई के आगे दर्द थोड़े चुदाई दिखती है. मैं भी उसके साथ सेक्स करने लगी.
हम दोनों लोग एक दूसरे को किस करते हुए सेक्स कर रहे थे. वो मेरी चूत में अपना लंड डाल कर कभी कभी मेरे ऊपर ही लेट जा रहा था तो कभी कभी मेरी चूत में अपना लंड डाल कर अन्दर बाहर कर रहा था.
मेरी चूत में से पानी निकलने लगा और उसके लंड में से भी पानी निकल रहा था. हम दोनों की चुदाई से फच फच गच गच की आवाजें आ रहा थी. हम दोनों चुदाई करते करते बिस्तर की चादर को भी इधर उधर कर दिए थे. और हम दोनों लोग की चुदाई जारी थी. वो लड़का मुझे चोद रहा था और मैं अपनी गांड हिला हिला कर उसका साथ दे रही थी.
धीरे धीरे उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और हम दोनों का बदन चुदाई से पसीने से भीग गया था और हमारी साँसें बहुत तेज चल रही थी. वो मुझे चोद रहा था और मैं सिसकारियां ले रही थी- आह आह जानू चोदो मेरी चूत को … उम्म्ह… अहह… हय… याह… आज शांत कर दो मेरी चूत की प्यास बुझा दो … बहुत दिन से चुदी नहीं है आह आह आह…
मेरे मुख से ऎसी आवाजें निकल रही थी.
चुदाई करते करते हम दोनों का पानी निकल गया. मुझे बहुत दिन के बाद अच्छा लग रहा था चुदवाने के बाद और मेरी चूत की प्यास बुझ गयी थी.
कुछ देर के बाद हम दोनों ने एक बार और चुदाई की और इस बार उसने मुझे घोड़ी बना कर चोदा था.
मैंने उससे पूछा- तुमको इतना अनुभव कैसे है सेक्स का? तुम तो बहुत अच्छी चुदाई कर रहे हो?
तो वो बोला- मैं अपनी भाभी को भी चोदता हूँ. भाभी ने ही मुझे चुदाई करना सिखाया था.
मैं तब समझ गयी कि तभी तो वो मेरी चूत को इतने अच्छे से चाट रहा था.
हम दोनों ने दूसरी बार भी जमकर चुदाई की, वो पीछे से मेरी चूत में लंड डाल कर धक्के मार रहा था और मैं आगे से पीछे को अपने चूतड़ धकेल कर अपनी चुदाई करवा कर मजा ले रही थी. और उसके कुछ देर बाद हम दोनों का पानी निकल गया. उस लड़के ने मेरी बढ़िया तसल्ली करवा दी थी. एक लम्बे अरसे के बाद मुझे परम आनन्द प्राप्त हुआ था चूत चुदवा कर!
तब से लेकर मैं जब भी अपने घर में अकेली रहती हूँ या जब भी मुझे चुदवाने का मन करता है तो मैं उसको बोल देती हूँ और वो मुझे बहुत अच्छे से चोदता है और मेंरी चूत का प्यास बुझाता है.
आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी. मुझे मेल करके जरूर बताएं! आप सब मेरी कहानी पर फीडबैक जरूर दीजिए.