पंद्रह मिनट की लगातार चली चुदाई में चम्पा का पानी छूट गया, मगर मेरा लंड अभी भी नहीं झड़ा था I
चम्पा ढीली हो गयी, और उसने अपनी आखें बंद कर ली। मेरा लंड अभी भी खड़ा ही था।
कुछ देर में चम्पा ने आखें खोली, और वहीं शब्द बोले जो शीला ने बोले थे, जो ज्योति ने बोले थे, “साहब क्या हुआ, आपको मजा नहीं आया अभी? आपके लंड ने पानी नहीं छोड़ा? आपका लंड तो वैसा ही खड़ा है।”
मैंने भी कहा, “चम्पा, एक बार और चोदना है।”
चम्पा ने बस इतना ही कहा, “साहब, क्या कह रहे हो? अभी चोदना है क्या?”
मैंने भी बस इतना ही कहा, “हां अभी चोदना है।”
मैं बाथरूम गया, कंडोम उतार लिया, और पेशाब करके वापस कमरे में आ गया।
चम्पा वहां नहीं थी। शायद दूसरे बाथरूम में पेशाब करने गयी थी। दो मिनट बाद चम्पा आ गयी, और आकर खड़ी हो गयी, और मेरे लंड की तरफ देखने लगी और बोली, “साहब सब को इतना ही चोदते हो?”
मैंने भी बता दिया “हां चम्पा दो बार तो चुदाई करता ही हूं। तुम्हारी तीन बार हो रही है।”
चम्पा बोली, “साहब शीला की भी तीन बार हुई थी?”
मैंने बस इतना ही कहा, “हां शायद तीन बार हुई थी।” और क्या कहता। ऐसे तो ज्योति की चुदाई चार बार हुई थी।
चम्पा खड़ी ही थी। मेरे कहने का इंतजार कर रही होगी, कि अब मैं उसे कैसे चोदना चाहता था।
मैंने कहा “चम्पा आजा बिस्तर पर लेट जा।”
चम्पा बिस्तर पर लेट गयी। चूतड़ों के नीचे तकिये की तो जरूरत ही नहीं थी। चम्पा के तरबूज जैसे चिकने चूतड़ ही तकिया थे। एक बात तो थी, चम्पा को कुछ कहने की जरूरत नहीं थी। चम्पा ने टांगें उठा कर फैला ली, और पीछे की तरफ से हाथ आगे करके चूत की फांकें खोल दी।
चूत का छोटा सा छेद मेरी आंखों के आगे था। मैंने घुटनों के बल लेट कर अपना लंड चम्पा की चूत के छेद पर रख दिया और कुहनियां बिस्तर पर टिका कर पीछे हाथ करके चम्पा को जकड़ लिया। सारी तयारी पूरी थी, बस अब चुदाई होनी बाकी थी। ऐसा लग रहा था किसी नरम गद्दे को पकड़ा हुआ था, और उसे चोदने जा रहे हों। ये एक अलग किस्म की चुदाई थी और मजा भी अलग किस्म का ही आ रहा था I
धीरे-धीरे नीचे से चम्पा ने भी मुझे पीछे से पकड़ लिया। अब हम दोनों गुत्थम-गुत्था हुए पड़े थे। बस फिर चुदाई चालू हो गयी।
ये चुदाई आठ दस मिनट ही चली होगी। जोरदार चुदाई के बाद दोनों का पानी निकलने को हो गया। मेरा मजा भी अटका ही हुआ था। जैसे ही चम्पा झड़ी मेरी भी एक आवाज निकली, “आआह चम्पा, निकल गया मेरा। ले डाल दिया तेरी चूत में”, और मेरा लंड भी पानी छोड़ गया।
चम्पा के मुंह से भी एक सिसकारी निकली आआआह साहब…. आ गया मजा।”
चम्पा और मैं दोनों थक चुके थे। मैं पांच मिनट ऐसे ही चम्पा के ऊपर लेटा रहा, और फिर जब लंड ढीला होना शुरू हुआ, तो मैंने लंड चम्पा की चूत में से निकाल लिया।
चम्पा ने एक सिसकारी फिर ली, “आआह….. साहब आज तो कमाल की चुदाई हुई।”
मैंने लंड निकाला और बिस्तर पर लेट गया। चम्पा उठी, अपनी चूत पर हाथ रखा और बोली, “साहब भरी पड़ी है मेरी चूत आपके पानी से।”
फिर चम्पा उठी, अपने कपड़े उठाए, और बाथरूम की तरफ चली गयी।
दस मिनट बाद कपड़े पहन कर आयी और पूछा, “कितना टाइम हुआ है साहब।?”
मैंने घड़ी देखी और बोला, “सवा बारह बजे हैं।”
चम्पा बोली, “हे भगवान, दो घंटे हो गए, दस बजे आयी थी मैं। दो घंटे चुदाई हुई मेरी? शीला क्या कर रही होगी ऊपर, क्या सोच रही होगी?” ये कह कर चम्पा पीछे की सीढ़ियों से ऊपर चली गयी।
मैं भी उठा, लंड धोकर पेशाब किया, और कपड़े पहन के दरवाजा खोल कर बैठ गया। फिर फोन चेक किया। कोई फोन नहीं आया था। एक दो जगह काम पूछने के लिए फोन किये, और जाने के लिए तैयार हो गया।
इन सब में पौना एक हो गया था। मैं जाने वाला ही था कि शीला आ गयी।
आते ही हंसते हुए बोली, “जीत भैया कितना चोदते हो आप। एक घंटा जब चम्पा नहीं आयी तो मैं नीचे आयी देखने के लिया। चम्पा बेड के किनारे पर लेटी चुदाई करवा रही थी।”
“जीत भैया मेरी तो अपनी चूत गर्म हो गयी। मैं तो वापस चली गयी। फिर जब आधे घंटे से ज्यादा हो गया और चम्पा नहीं आयी, तो मैं दुबारा नीचे देखने आयी। तब आप चम्पा को नीचे लिटा कर ऊपर से चोद रहे थे।
मेरी तो अपनी चूत गीली होने लगी। फिर ऊपर जा कर चूत में उंगली करके पानी छुड़ाया।”
मैंने भी कह दिया, “तू भी आ जाती, तेरा भी काम कर देता।”
शीला बोली, “नहीं जीत भैया, आप पहली बार चम्पा को चोद रहे थे, और मैं चम्पा की चुदाई में रुकावट नहीं डालना चाहती थी।”
फिर कुछ रुक कर शीला ने पूछा, “जीत भैया सच बताना, कितना चोदा है चम्पा को? मुझे तो कुछ बता ही नहीं रही। बस चूत ऊपर हाथ रख कर बैठी हुई है, और बोलती जा रही है जैसी चुदाई आपने आज उसकी की है, ऐसी चुदाई उसकी कभी भी नहीं हुई।”
मैंने भी बता दिया “तीन बार।”
शीला बोली, “तीन बार? तब तो चम्पा को अभी भी मजा आ रहा होगा जो चूत पर हाथ रख कर बैठी है।”
“अच्छा ये बताओ जीत भैया, ये चक्कर क्या है। मैं ज्योति भाभी से बोलती हूं कि जैसी चुदाई अपने मेरी की, ऐसे चुदाई मेरी कभी भी नहीं हुई। ज्योति भाभी मुझे बताती है कि जैसी चुदाई आपने उनकी की, ऐसी चुदाई उनकी अब तक नहीं हुई। और अब ये चम्पा? ये भी मुझे यही कह रही है, कि जैसा साहब ने आज मुझे चोदा है, ऐसा किसी नहीं चोदा।”
फिर शीला हंसती हुई बोली, “बताओ तो सही जीत भैया क्या करते हो आप, कैसे चुदाई करते हो?”
मैंने भी हंसते हुए कहा, “ये तो तू बता शीला, तूने भी तो करवाई है चुदाई मेरे से।”
शीला पूरी मस्ती में थी। हंसते हुए बोली, “ठीक है जीत भैया, ज्योति भाभी से पूछ कर बताऊंगी।” फिर बोली, “जीत भैया, आज भी जाओगे ऊपर रात को?”
मैंने कहा, “पता नहीं।”
शाम को सात बजे मैं काम से वापस आया, नहा धो कर, फ्रेश हो कर, दारू की बोतल निकालने ही लगा था, कि ज्योति का फोन आ गया। मेरा लंड उछलने लगा। ज्योति खुल कर हंसी और बोली, “जीते थका हुआ तो नहीं?”
मैंने कहा, “नहीं भरजाई, क्यों?”
ज्योति फिर हंसी और बोली, “अरे नहीं ऐसे ही पूछ रही हूं।” फिर रुक कर बोली, “जीते रात को आएगा? मेरे बॉस संधू साहब ने बढ़िया इम्पोटेड वोदका की बोतल दी है।कोइ छः बोतलें दे गया था उनको। दो संधू साहब ने मुझे दे दी। संधू साहब बहुत बढ़िया बंदे है। एक-दम खुश तबीयत तेरे जैसे। कभी तुझसे भी मिलवाऊंगी।”
फिर ज्योति बोली, “और सुन, मीट बना रही हूं। खाना भी ऊपर ही खा लेना।”
मुझे ऐसा लगा जैसे ज्योति कुछ ज्यादा ही तारीफ़ कर रही थी अपने बॉस संधू साहब की, या फिर ये मेरा वहम था।
बाकी तो सब ठीक था, मगर ज्योति की हंसी का मतलब समझ नहीं आ रहा था। क्या मेरी और चम्पा की चुदाई की खबर ज्योति तक पहुंच गयी थी?
मैं ये सब अभी सोच ही रहा था, कि ज्योति का फोन दुबारा आ गया। मैंने फोन उठाया और पूछा, “हां भरजाई?”
ज्योति उधर से बोली, “जीते कंडोम लाना मत भूलना।” और मेरे जवाब का इंतजार किये बिना ही भरजाई ने फोन बंद कर दिया।
ज्योति को भी रगड़वा कर चूत चुदवाने का चस्का लग गया लगता था। मैं टीवी लगा कर बैठ गया। बियर की एक बोतल खोल ली, और धीरे-धीरे बियर की सिप लेने लगा। टाइम पास करना सब से मुश्किल काम है। और जब चुदाई करने जाना हो तो टाइम काटना और भी मुश्किल हो जाता है।
पूरे साढ़े आठ बजे फोन बजा। मैंने फोन उठाया और बोला, “हैलो।”
दबी आवाज में ज्योति बोली, “आजा जीते, सो गयी श्रेया।”
मैंने कंडोम का पैकेट जेब में डाला और पीछे की सीढ़ियों से ऊपर चला गया। ज्योति डाइनिंग टेबल पर बैठी थी। श्रेया के कमरे का दरवाजा बंद था। “बेलुगा गोल्ड लाइन” रूसी वोदका की बोतल डाइनिंग टेबल पर पड़ी थी। सात हजार की बोतल थी एक लीटर वाली। मैंने ज्योति के होठों पर एक किस किया, चूचियां दबाई, चूत पर हाथ फेरा, और बैठ गया।
ज्योति ने दो पेग बनाये। अपना हल्का और मेरा पटियाला।
सिप लेते-लेते ज्योति उठी, और मेरी गोद में आ कर बैठ गयी। मैंने ज्योति के मम्मे दबाये। ज्योति ने पूछा, “जीते कैसी रही चम्पा की चुदाई?”
मुझे ज्योति के ये पूछने से ना कोइ हैरानी हुई ना परेशानी। चम्पा की चुदाई शीला ने करवाई थी, इसलिए ये तो मैं समझ गया था कि ज्योति को पता लग ही जाना था। लेकिन इतनी जल्दी? आज दोपहर को ही तो चम्पा चुदी थी, और अब ज्योति को इसकी पूरी खबर थी।
मैंने भी कह दिया, “बढ़िया चुदाई हुई भरजाई, मस्त चुदवाती है चम्पा। शोर बड़ा मचाती है चुदाई करवाते करवाते।”
ज्योति बोली, “ये मुंबई पुणे साइड की लड़कियां चुदाई के वक़्त बहुत शोर मचाती हैं।” फिर हंसते हुए बोली, “चल बढ़िया है, तेरी चुदाई की एक लाइन और चालू हो गई।”
मैंने पूछ ही लिया, “वो तो ठीक है भरजाई, पर आपको कैसे पता चल गया इतनी जल्दी? आज दोपहर को ही तो चोदा मैंने उसे।”
“जीते बात ये है मैं ऑफिस से चम्पा को एक बार फोन जरूर करती हूं। ये भी पता चल जाता है वो आयी हुई है और अगर कोई चीज लाने वाली होती है, तो वो बता भी देती है।”
“आज जब मैंने फोन किया तो फोन शीला ने उठाया। मैंने शीला को पूछा, शीला तू वहां क्या कर रही है, चम्पा कहां है। शीला ने मुझे पूरी राम कहानी सुना दी। बस, ऐसे मुझे पता चला कि आज चम्पा की भी चूत की अच्छी रगड़ाई हो रही होगी।”
फिर ज्योति ने पूछा, “अच्छा जीते ये बता कंडोम चढ़ा कर चोदा के बिना कंडोम के?” साथ ही ज्योति ने अपनी चूत अच्छी तरह खुजलाई।
मैंने बताया, “कंडोम चढ़ा कर चोदा भरजाई।”
ज्योति बोली, “बस तो जीते गई वो भी। अब नहीं छोड़ेगी तेरे को। बार-बार चूत चुदवायेगी तेरे से। तैयार हो जा।” यह कह कर ज्योति हंसी और खड़ी हो गयी और बोली, “चल जीते लंड निकाल अपना, चुसवा ज़रा।”
मैंने पायजामें का इलास्टिक खींचा और खम्बे की तरह खड़ा लंड निकाल लिया। ज्योति घुटनों के बल बैठ गयी, और लंड चूसने लगी।
दस मिनट चूसने के बाद ज्योति फिर मेरी गोद में बैठ गयी।
मैंने कहा, “भरजाई लंड को चूत के अंदर लेकर बैठो आराम से। वोदका भी पियो, और लंड के मजे भी लो।
ज्योति बोली, “जीते कंडोम चढ़ा ले। कंडोम जब चूत में रगड़ कर जाता है तब बड़ा मजा आता है।”
मैंने कुर्ते की जेब से कंडोम निकाल कर ज्योति को दे दिया और कहा, “लो भरजाई चढ़ा दो। ”
ज्योति फिर घुटनों के बल बैठी और कंडोम लंड के सिरे पर रख कर पीछे की तरफ खोल दिया। और फिर ज्योति खड़ी हुई, टांगें चौड़ी करके लंड चूत के छेद पर रखा, और एक “आआआह जीते… ” एक सिसकारी कि साथ लंड अंदर लेकर बैठ गयी।
मैं एक हाथ से कभी ज्योति का मम्मे का निप्पल मसलता था, कभी चूत का दाना रगड़ता था। जल्दी ही ज्योति ने अपना गिलास खाली किया और बोली, “चल जीते लगा एक रगड़ा। गरम हो गयी मेरी फुद्दी।” ये कहते हुए ज्योति ने लंड अपनी चूत में से निकाला और खड़ी हो गयी।
मैंने भी कहा, “चलो भरजाई।” मैंने भी गिलास खाली किया और कुर्ता भी उतार दिया, साथ ही बोला, “भरजाई जब आप फुद्दी बोलती हो, तो लंड को एक-दम करंट लगता है।”
ज्योति हंसी और बोली, “अच्छा इतना फरक है चूत और फुद्दी बोलने में? चल आजा फिर चोद मेरी फुद्दी, डाल अपना मोटा लंड इस फुद्दी में। निकाल दे अकड़ आज इस फुद्दी की I”
मैं हंसा और ज्योति को बिस्तर पर लिटा दिया। तकिया चूतड़ों के नीचे रख के चूत उठाई, थोड़ा थूक लंड पर मला, और एक ही बार में लंड चूत में डाल दिया।
मुझे लगा लंड कुछ ज्यादा ही रगड़ खा कर गया था।
ज्योति ने भी ऊंची सिसकारी ली, “आआआह… जीते आज क्या हुआ बड़ा रगड़ कर गया है?”
लगता है ज्योति की चूत ने पानी नहीं छोड़ा था, या कम छोड़ा था। मैंने ज्योति को बांहों में भींच कर बिना टाइम गंवाए चुदाई चालू कर दी, जो बीस मिनट चली, और ज्योति का पानी दो बार निकल गया।
जब ज्योति दूसरी बार झड़ी, तो उसने कहा, “जीते अब जरा रुक जा, चूत को भी थोड़ा आराम चाहिए।”
मैं खड़ा लंड ज्योति की चूत में डाले-डाले ही ज्योति के ऊपर लेटा रहा। बीच-बीच में ज्योति के होंठ चूस लेता था।
ज्योति बोली “जीते अगर तेरा मोटा खड़ा लंड ऐसे ही मेरी चूत में डला रहा, तो मेरी चूत फिर गरम हो जाएगी। इसको चूत में से निकाल ले। पंद्रह मिनट बाद अगली चुदाई करेंगे कंडोम उतार कर।”
मैंने लंड बाहर निकाला, और ज्योति ने फिर सिसकारी ली, “आअह जीते, आज तो अंदर जाते हुए भी रगड़ कर गया तेरा लंड, और बाहर निकलते वक़्त भी रगड़ कर निकला है।”
उठ कर हम दोनों डाइनिंग टेबल पर आ गए। एक-एक वोदका का पेग और बना कर ज्योति मीट और चावल गर्म करने किचन में चली गयी। अपना पेग भी साथ ही ले गयी, पिछली बार की ही तरह।
मैं भी ज्योति के मदद करने मैं भी ज्योति के पीछे-पीछे किचन में चला गया। नंगी ज्योति के सेक्सी चूतड़ मेरी तरफ थे। मैंने ज्योति के पीछे से पकड़ लिया, और लंड ज्योति के मुलायम चूतड़ों पर फेरने लगा।
ज्योति बोली, “क्या हुआ जीते? आज फिर”?
मैंने भी कहा, “क्या करूं भरजाई जब भी आपके सेक्सी चूतड़ देखता हूं तो गांड में डालने का मन करने लगता है। पिछली बार भी आप टाल गयी थीं। एक बार गांड चुदवा कर देखो तो सही। लडकियां चुदवाती ही हैं गांड भी।”
ज्योति बोली, “जीते मैंने कभी चुदवाई नहीं गांड। हां अगर तेरा बहुत मन है तो शीला से बात करके देख ले या चम्पा से बात करके देख ले। अगर वो चुदवा लें तो ठीक है, नहीं तो फिर देखेंगे क्या करना है।”