हेलो दोस्तो, मेरा नाम योगिता है. ये मेरी लाइफ की सच्ची कहानी है. इस कहानी को सुन कर शायद आपका दुनिया से भरोसा उठ जाएगा. ये कहानी 2 साल पहले शुरू हुई. तो चलिए चलते है 2 साल पीछे.
उस वक़्त मई 19 साल की थी. मेरे घर मे मेरे अलावा मेरी बड़ी बेहन, मेरे पापा, मेरी मा रहते थे. मेरे पापा एक बिज़्नेसमॅन थे. उनका अछा ख़ासा बिज़्नेस था, और हमारी फॅमिली फाइनॅन्षियली वेल थी. मेरे पापा का नाम अशोक कुमार था.
मेरी मम्मी का नाम सुषमा था, और वो एक हाउसवाइफ थी. मेरी बड़ी बेहन का नाम अमृता था. अमृता एक बहुत ही खूसूरत लड़की थी. एक दूं भरे और गोल बूब्स थे उसके, और गोरा रंग था. उसकी गांद एक-दूं मस्त थी, और पेट बिल्कुल टाइट था. ओवरॉल उसका फिगर 36″28″36 था.
वो ऐसी थी, की उसको देख कर किसी भी मर्द की नीयत खराब हो जाए. अमृता उस वक़्त 25 साल की थी, और वो एक कंपनी मे जॉब करती थी. हालाकी उसको जॉब करने की कोई ज़रूरत नही थी. लेकिन इतनी पढ़ाई करने के बाद, वो घर पे फ्री बैठना नही चाहती थी.
मई अपनी बात करू, तो मई अमृता दीदी से थोड़ी ज़्यादा ही खूबसूरत थी. लेकिन मेरे पास उनके जैसा फिगर नही थी. मई भी उनके जितनी ही गोरी थी, और मेरे नैन-नक्श उनसे बेटर थे. मेरा फिगर उस वक़्त 30″ 26″ 32″ था. मैने उस वक़्त नया-नया कॉलेज जाय्न किया था.
अब आते है इस कहानी के सबसे शातिर कॅरक्टर पर. हमारे घर मे काई सालो से एक लड़का काम करता था. उस लड़के का नाम बंटी था. जब बंटी हमारे घर मे आया था, तब वो सिर्फ़ 15 साल का था. और अब तक वो 21 साल का हो गया था.
क्यूकी वो छ्होटी उमर से हमारे साथ था, तो हम लोग काफ़ी आचे दोस्त थे. हम बचपन मे साथ खेलते-कूदते थे. मेरी मम्मी-पापा भी उसको अपने बेटे जैसा ही ट्रीट करते थे. मेरा कोई भाई नही था, तो बंटी मुझे अपने भाई जैसा ही लगता था. इतने साल हमारे घर मे काम करने की वजह से उसको हम सब के बारे मे आचे से पता था. और इसी चीज़ का उसने फ़ायदा उठाया.
अब बंटी के बारे मे बताती हू. बंटी एक चॉक्लेट बॉय की तरह था. उसका रंग गोरा था, और उसकी हाइट 5’11” के आस-पास थी. वो किसी भी आंगल से हमारा नौकर नही लगता था. जब कोई भी उसको हम सब के साथ देखता था, तो वो बंटी को हमारा फॅमिली मेंबर ही समझता था. पापा का एक बेटे का सपना अधूरा था, तो वो बंटी को अपने बेटे जैसा ही समझते थे.
ये बात 2019 के अक्टोबर मंत की है. हम लोग रात को 10 बजे से पहले सो जाते थे. मम्मी-पापा अपने कमरे मे सोते थे, और मई और दीदी अपने-अपने कमरो मे सोते थे. एक रात अचानक से मेरी नींद खुल गयी. जब मई उठी, तो मुझे बाहर से कुछ आवाज़े आ रही थी.
मई सोच मे पद गयी, की इतनी रात को कों जाग रहा था. फिर मई बेड से उतरी, और अपने कमरे के बाहर चली गयी. मैने बाहर जाके देखा, तो वो आवाज़े किचन से आ रही थी. फिर मई कित्चे की तरफ गयी, तो 2 जाने आपस मे बात कर रहे थे. पहले मुझे लगा, वो मम्मी-पापा होंगे.
अब बंटी के बारे मे बताती हू. बंटी एक चॉक्लेट बॉय की तरह था. उसका रंग गोरा था, और उसकी हाइट 5’11” के आस-पास थी. वो किसी भी आंगल से हमारा नौकर नही लगता था. जब कोई भी उसको हम सब के साथ देखता था, तो वो बंटी को हमारा फॅमिली मेंबर ही समझता था. पापा का एक बेटे का सपना अधूरा था, तो वो बंटी को अपने बेटे जैसा ही समझते थे.
ये बात 2019 के अक्टोबर मंत की है. हम लोग रात को 10 बजे से पहले सो जाते थे. मम्मी-पापा अपने कमरे मे सोते थे, और मई और दीदी अपने-अपने कमरो मे सोते थे. एक रात अचानक से मेरी नींद खुल गयी. जब मई उठी, तो मुझे बाहर से कुछ आवाज़े आ रही थी.
मई सोच मे पद गयी, की इतनी रात को कों जाग रहा था. फिर मई बेड से उतरी, और अपने कमरे के बाहर चली गयी. मैने बाहर जाके देखा, तो वो आवाज़े किचन से आ रही थी. फिर मई कित्चे की तरफ गयी, तो 2 जाने आपस मे बात कर रहे थे. पहले मुझे लगा, वो मम्मी-पापा होंगे.लेकिन जब मई किचन के और पास गयी, तो वो मम्मी-पापा नही थे. वो बंटी और अमृता दीदी थे. उन दोनो को इस वक़्त किचन मे देख कर मई तोड़ा हैरान हो गयी. फिर जब मैने ध्यान से उनकी बाते सुनी, तो मैने सुना-
अमृता दीदी: बंटी तुम ना किसी भी वक़्त कुछ भी माँग लेते हो.
बंटी: जिससे प्यार करते है, उसकी माँगे तो पूरी करनी ही पड़ती है जान.
अमृता दीदी: अर्रे कोई देख लेगा.
बंटी: कोई नही देखेगा, सब सो रहे है. वैसे भी जब दिन मे कोई नही देख पाता, तो इस वक़्त कों देखेगा.
और ये बोलते ही बंटी ने अमृता दीदी को अपनी बाहो मे भर लिया. उन्होने दीदी के सिर के पीछे हाथ रखा, और अपने होंठो को दीदी के होंठो से चिपका दिया. अमृता दीदी उस वक़्त मरून कलर की निघट्य मे थी.
अब बंटी ज़ोर-ज़ोर से अमृता दीदी के होंठो को चूज़ जेया रहा था, और अमृता दीदी भी किस मे बंटी का पूरा साथ दे रही थी. ये सब देख कर मेरी धड़कने बढ़ गयी, और मेरी आँखें फाटती की फाटती रह गयी. मई इस चीज़ को हाज़ाम नही कर पा रही थी, लेकिन फिर मई उनको देखती रही.
वो दोनो एक-दूसरे को छोढ़ ही नही रहे थे, और उनकी साँसे भी तेज़ हो रही थी. फिर बंटी अपना एक हाथ दीदी की कमर से उनकी गांद पे ले गयी, और उनकी गांद दबाने लगा. अमृता दीदी भी उसकी इस हरकत से मदहोश हो रही थी.
फिर बंटी ने अमृता दीदी को गांद से पकड़ कर उपर उठाया, और स्लॅब पर बिता दिया. स्लॅब पर बिता कर बंटी नीचे बैठ गया, और उसने अमृता दीदी की टांगे खोल ली. अमृता दीदी ने निघट्य के नीचे कुछ नही पहना था, तो टांगे खुलते ही उनकी छूट बंटी के सामने आ गयी.
दीदी की छूट एक-दूं पिंक थी, और जांघे गोरी-गोरी थी. अमृता दीदी की छूट पर एक भी बाल नही था, क्यूकी दीदी क्लेअनलिनएस्स मे बहुत पर्टिक्युलर थी. फिर दीदी की छूट देख कर बंटी बोला-
बंटी: क्या कमाल की छूट है तेरी यार.
पता नही कब मई अपना लंड इसमे डाल पौँगा.
बंटी की इस बात को सुन कर पता चल रहा था, की अभी तक उन दोनो ने चुदाई नही की थी. फिर बंटी तोड़ा आयेज हुआ, और उसने अमृता दीदी की छूट मे अपना मूह डाल लिया. जैसे ही उसने अपना मूह अमृता दीदी की छूट मे डाला, तो अमृता दीदी की आहह निकल गयी.
दीदी ने अपना हाथ बंटी के सिर के पीछे रख लिया, और उसके मूह को अपनी छूट मे दबा लिया. बंटी फुल स्पीड पे अमृता दीदी की छूट चाट रहा था, और अमृता दीदी तेज़-तेज़ आहें भर रही थी. कम से कम 20 मिनिट छूट चटवाने के बाद, अमृता दीदी बोली-
अमृता दीदी: आ.. बंटी मेरा निकल रहा है आ..
बंटी फिर भी दीदी की छूट चाट-ता रहा. फिर दीदी ने अपना पानी छोढ़ दिया, और बंटी दीदी का पानी पी गया. जब बंटी दीदी की छूट से पीछे हटा, तो दीदी की छूट से पानी अभी भी निकल रहा था. अमृता दीदी हाँफ रही थी. फिर बंटी बोला-
बंटी: तुम तो शांत हो गयी. अब मुझे भी शांत कर दो.
बंटी उस वक़्त ट्रॅक सूट मे था. फिर ये बोल कर उसने अपना पाजामा नीचे कर लिया. उसके अंडरवेर मे उसका लंड उभरा हुआ था. फिर दीदी नीचे बैठ गयी. नीचे बैठ कर दीदी ने बंटी के अंडरवेर मे हाथ डाला, और बंटी का लंड बाहर निकाल लिया.
जैसे ही बंटी का लंड बाहर निकला, मेरी तो आँखें ही फटत गयी. बहुत लंबा और मोटा था उसका लंड. उसका लंड कम से कम 8 इंच लंबा, और 3 इंच मोटा था. बंटी का लंड देखते ही अमृता दीदी की आँखों मे चमक आ गयी.
पहले अमृता दीदी ने उसके लंड पर एक किस किया, और उसके लंड के टोपे पे अपनी जीभ फिराने लगी. फिर दीदी ने अपना मूह खोला, और बंटी का लंड मूह मे लेके चूसना शुरू कर दिया. मई ये देख कर हैरान थी, की मेरी दीदी भी ऐसा कर सकती थी. क्यूकी आज से पहले मैने अपनी दीदी को किसी लड़के के बारे मे बात करते भी नही देखा था.
अमृता दीदी अभी बंटी का लंड चूस ही रही थी, की मम्मी-पापा के रूम की लाइट ओन्न हो गयी, और वो दोनो खड़े हो गये. मई जल्दी से अपने रूम मे भाग गयी, और अपने रूम की लाइट बंद कर ली. मैने दरवाज़ा तोड़ा खुला रखा, और बाहर देखने लगी.
पापा अपने रूम से बाहर आए, और बातरूम की तरफ जाने लगे. फिर जैसे ही पापा बातरूम मे घुसे, अमृता दीदी और बंटी किचन से भार कर बाहर आ गये. अमृता दीदी अपने कमरे मे चली गयी, और बंटी बाहर अपने कमरे मे चला गया.
आज रात मैने जो देखा था, उसको देख कर मई हैरान भी थी, और परेशान भी थी. मैने कभी ऐसा सोचा भी नही था. अब मेरे सामने उन दोनो के ही सीन्स आए जेया रहे थे. फिर फाइनली मैने अपने मॅन मे बिता लिया, की वो दोनो एक-दूसरे से प्यार करते थे. ये सोच कर मैने अपने मॅन को शांत किया. मैने सोचा, बंटी एक अछा लड़का था. अब वो ग़रीब था, तो क्या हुआ.
ये सब सोच कर मेरा मॅन शांत हुआ. फिर मई जब सोने लगी, तो मुझे अपनी पनटी मे कुछ गीला-गीला महसूस हुआ. जब मैने अपना पाजामा नीचे करके देखा, तो मेरा भी पानी निकला हुआ था. मई बंटी को अपना भाई मानती थी, लेकिन उनके मज़े ने मेरा भी पानी निकाल दिया था. फिर मई पनटी बदल कर सो गयी.
अगले दिन से मेरी नज़र उन दोनो पर रहने लगी. मैने नोटीस किया, की बंटी आते-जाते अमृता दीदी को तोच करता था. वो कभी उनके बूब्स पर टच करता था, तो कभी उनकी गांद पर टच करता था. फिर मेरे ध्यान मे आया, की ये शराराते तो वो पहले से करता था दीदी के साथ. लेकिन वो शरारत किस टाइप की थी, वो मुझे रात का सीन देख कर पता चला.
अगले कुछ दीनो मे यू ही चलता रहा. अब नवेंबर मंत आ गया था. नवेंबर मे मेरे मम्मी-पापा की आनिवर्सयरी थी. मम्मी-पापा एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे. पापा ने आनिवर्सयरी गिफ्ट के लिए एक फॅमिली तौर प्लान किया. वो तौर ऑस्ट्रेलिया का था.
मेरे कॉलेज मे एग्ज़ॅम थे, तो मई उनके साथ नही जेया सकती थी. दीदी ने भी जाने से माना कर दिया, क्यूकी उनको ऑफीस मे कोई प्रेज़ेंटेशन देनी थी. ये सुन कर मम्मी-पापा ने प्लान कॅन्सल करने का सोचा.
लेकिन हम दोनो ने उनको कन्विन्स कर लिया, की वो दोनो ज़रूर तौर पर जाए. हमारे काफ़ी मनाने के बाद वो दोनो मान गये, और एक हफ्ते के लिए ऑस्ट्रेलिया चले गये. उनके जाने पर बंटी और अमृता दीदी बहुत खुश थे. इसका रीज़न ये था, की वो इसी मौके की तलाश मे थे.
मई भी ये बात समझ चुकी थी, की वो दोनो इस एक हफ्ते का पूरा फ़ायदा उठाने वाले थे. पहली रात को वो दोनो बिल्कुल नॉर्मल बिहेव कर रहे थे. लेकिन मई जानती थी, की वो दोनो एक दिन भी वेस्ट नही करने वाले थे. रोज़ की तरह रात को 10 बजे सब सोने चले गये. लेकिन मुझे नींद कहा आने वाली थी.
मई जाग रही थी, और उन दोनो के आक्षन का वेट कर रही थी. फिर 12 बजे बंटी घर मे एंटर हुआ. बंटी का रूम बाहर आउटहाउस मे था. वो पहले मेरे रूम के बाहर आया, और उसने हल्का सा दरवाज़ा खोला. वो ये देखना चाहता था, की मई सोई हुई थी, या नही.
मई भी गहरी नींद मे सोने का नाटक कर रही थी. जब उसको यकीन हो गया, की मई सोई हुई थी, तो वो चला गया. फिर वो अमृता दीदी के रूम के पास गया. उन्होने दरवाज़ा खोला, और दोनो अंदर चले गये. फिर मई भी जल्दी से उनके रूम के बाहर जाके खड़ी हो गयी.
रूम का दरवाज़ा तोड़ा खुला था, तो मई आसानी से अंदर देख सकती थी. आज अमृता दीदी ने टाइट लेगैंग्स के साथ त-शर्ट पहनी हुई थी. उनकी लेगैंग्स ब्लू कलर की थी, और त-शर्ट पिंक कलर की थी. लेगैंग्स मे दीदी की जाँघो की शेप सॉफ नज़र आ रही थी. दीदी काफ़ी हॉट भी लग रही थी.
बंटी ने दीदी को खड़े हुए ही किस करना शुरू कर दिया. दीदी भी बंटी को फुल रेस्पॉन्स दे रही थी. बंटी अपने हाथ दीदी की गांद पर ले गया, और उसको ज़ोर-ज़ोर से दबाने लग गया. उन दोनो की साँसे अब तेज़ हो रही थी.
फिर वो दोनो किस करते हुए ही बेड पर चले गये.
इससे आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट मे पता चलेगा. अगर आपको कहानी अची लगी हो, तो इसको लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.
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