हेलो दोस्तो, मई योगिता वापस आ गयी हू, अपनी कहानी “बंटी की गहरी साज़िश” का अगला पार्ट लेके. पिछले पार्ट मे आपने पढ़ा था, की बंटी और दीदी ने मम्मी-पापा जाने के बाद, पहली रात मे ही चुदाई की.
वो दोनो सेक्स करने के लिए तड़प रहे थे. बंटी ने पहली रात मे ही मेरी दीदी की छूट और गांद फाड़ डाली. मेरी दीदी भी उसके प्यार मे इतना डूब चुकी थी, की उसने दर्द होने के बावजूद बंटी की हर बात मानी. अब आयेज-
अगले दिन सुबा जब मई उठी, तो बंटी और अमृता दीदी पहले से ही उठ चुके थे. वो दोनो किचन मे थे, और किस कर रहे थे. फिर जब उनको मेरे रूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई, तो वो काम करने लग गये.
फिर थोड़ी देर बाद हम सब ने नाश्ता किया, और दीदी ऑफीस जाने के लिए रेडी हो गयी. जब दीदी ऑफीस जाने के लिए रेडी हुई, तो मुझे लगा, की जो प्रेज़ेंटेशन देने का रीज़न दीदी ने मम्मी-पापा को दिया था, वो झूठ नही था. लेकिन मई ग़लत थी.
दीदी रेडी होके घर से निकल तो गयी, लेकिन घर के पीछे से घूम कर, वो आउटहाउस मे बंटी के पास चली गयी. मैने वाहा जाके देखा, तो वो दोनो फिरसे नंगे थे, और दीदी बंटी के उपर थी. वो बंटी के लंड पर उछाल रही थी, और मज़े से आहें भर रही थी.
मेरे एग्ज़ॅम था, तो वापस जाके अपनी तैयारी करने लग गयी. आज दूसरा दिन था, और दीदी सुबा से आउटहाउस मे बंटी के साथ ही थी. मई जब भी जाके आउटहाउस मे देख रही थी, तो उन दोनो की चुदाई चल रही होती थी. वो कभी किसी पोज़िशन मे चुदाई कर रहे थे, और कभी किसी पोज़िशन मे.
इसी तरह 4 दिन बीट गये. इन 4 दीनो मे उन्होने जितनी चुदाई की, उसका कोई हिसाब नही था. अब पाँचवे दिन की सुबा हो चुकी थी. आज मेरा भी आखरी पेपर था, तो सुबा-सुबा उन दोनो ने पार्टी करने का प्लान बनाया. ये पार्टी मेरे एग्ज़ॅम्स ख़तम होने की खुशी मे थी, और मैने भी पार्टी के लिए हामी भर दी.
दीदी इन दीनो मे बहुत खुश लग रही थी. और मई भी दीदी को खुश देख कर खुश थी. मई खुश थी, की मेरी प्यारी दीदी को अपना प्यार मिल गया था. लेकिन असलीयत कुछ और ही थी.
फिर मेरा उस दिन का लास्ट एग्ज़ॅम ख़तम हो गया, और मई कॉलेज से घर आ गयी. जैसे ही शाम हुई, तो हम सब पार्टी करने के लिए रेडी हो गये. दीदी ने रेड कलर की स्कर्ट-टॉप पहनी थी, जिसमे दीदी बहुत सेक्सी लग रही थी. बंटी ने जीन्स और त-शर्ट पहनी हुई थी, और आज उसने अपना हेर-स्टाइल भी बदला था. बंटी भी काफ़ी स्मार्ट लग रहा था.
मैने भी जीन्स ही पहनी थी, और साथ मे ब्लू त-शर्ट पहनी थी. दीदी ने खाने का काफ़ी सारा समान मँगवाया था. उस समान के साथ दीदी के वोड्का की एक बॉटल भी मँगवाई थी. वोड्का की बॉटल देख कर मई हैरान हो गयी, और मैने दीदी से पूछा-
मई: दीदी आप वोड्का भी पीटी हो?
तो अमृता दीदी बोली: हा ऑफीस पार्टीस मे कभी-कभी ले लेती हू. तू भी ट्राइ कर. कल को तेरे को भी पीनी पड़ेगी.
मई भी आचे मूड मे थी, तो मैने भी वोड्का ट्राइ कर ली. लेकिन वोड्का का एक ग्लास पीते ही मेरी बंद बजने लगी. मुझे एक ग्लास मे ही काफ़ी नशा हो गया था. दीदी और बंटी तो काफ़ी पी चुके थे, और अब भी पी रहे थे.
फिर दीदी ने म्यूज़िक लगा दिया, और हम तीनो डॅन्स करने लगे. दीदी और बंटी एक साथ डॅन्स करने लग गये, और मई अकेली ही डॅन्स कर रही थी. फिर दीदी बातरूम मे सस्यू करने गयी, तो बंटी मेरे साथ डॅन्स करने लगा. तभी अचानक डॅन्स करते-करते बंटी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे बूब्स पर हाथ रख लिया.
मई उसकी इस हरकत से बड़ी अनकंफर्टबल हो गयी, और मैने उसको पीछे की तरफ धक्का दिया. धक्का पड़ते ही बंटी ने कहा-
बंटी: सॉरी योगिता! वो ग़लती से हाथ लग गया. लगता है आज ज़्यादा ही चढ़ गयी.
मई उसको अपना भाई मानती थी, और मैने उसकी बात पर यकीन कर लिया. मुझे लगा, वो सच बोल रहा था. फिर हम दोबारा से डॅन्स करने लग गये. लेकिन बंटी ने फिरसे वैसी ही हरकत की. इस बार वो सामने से मेरे पास आया, और उसने मुझे हग कर लिया. फिर वो अपने हाथ मेरी गांद पर ले गया, और मेरी गांद को दबाने लग गया.
मैने इस बार भी उसको धक्का मारने की कोशिश की, लेकिन इस बार उसने मुझे कस्स के पकड़ रखा था. तभी दीदी बातरूम से बाहर निकल आई. बंटी ने दीदी को देखते ही मुझे छोढ़ दिया. उसके बाद हम जितनी भी देर वाहा रहे, बंटी मुझे घूर-घूर कर देख रहा था.
उसने पहले कभी भी मुझे ऐसी नज़रो से नही देखा था. आज तक मुझे उसमे एक भाई नज़र आता था. लेकिन आज मुझे वो कोई और ही लग रहा था. फिर थोड़ी देर और वाहा बैठने के बाद दीदी बोली-
दीदी: चलो अब सो जाते है, बहुत रात हो गयी है.
ये बोल कर दीदी अपने कमरे मे चली गयी. मई भी अपने कमरे मे आ गयी, और बंटी सारा समान समेटने लग गया. मई बड़ी अपसेट थी बंटी की इस हरकत से. अब मुझे उन दोनो की चुदाई को देखने मे भी कोई इंटेरेस्ट नही था. फिर मैने अपना नाइट सूट पहना, और सोने की कोशिश करने लग गयी.
फिर थोड़ी ही देर मे मेरी आँख लग गयी. तकरीबन 2 घंटो बाद मुझे अपने पैरो पर कुछ महसूस होने लगा. जब मैने नीचे देखा, तो बंटी मेरे पैरो को चूम रहा था. उसको देख कर मई दर्र गयी, और उठ कर बैठ गयी. मैने उसको गुस्से मे पूछा-
मई: तुम यहा क्या कर रहे हो?
बंटी: मई तो बस देख रहा था, की तुम जवान हो गयी हो. कोई बाय्फ्रेंड बनाया के नही?
मई: तुम्हे इससे क्या, तुम जाके अपना काम करो. अब जाओ यहा से.
बंटी उसी वक़्त मेरे उपर कूद पड़ा. उसके मेरे उपर कूदने से मई पीछे लेट गयी, और बंटी अब मेरे उपर लेता था. मई अपने आप को बंटी से चुधवाने की कोशिश कर रही थी. लेकिन मेरे मे इतनी ताक़त नही थी, की मई उसको पीछे हटा पौ. फिर मई बोली-
मई: बंटी ये तुम क्या कर रहे हो?
बंटी ने मुझे कोई जवाब नही दिया, और अपने होंठो को मेरे होंठो के पास ले आया. मेरा दिमाग़ चलना बंद हो गया था, और मई समझ नही पा रही थी, की मई क्या करू.
फिर बंटी ने अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिए, और मेरे होंठो को चूसने लग गया. जिस लड़के को मई अपना भाई मानती थी, आज वो मेरे होंठ चूस रहा था. तभी मैने अपना मूह साइड पर किया, जिससे हम दोनो के होंठ अलग हो गये. फिर मई उसको बोली-
मई: बंटी मई तुम्हे भाई मानती हू.
बंटी: लेकिन मई तो तुम्हे बेहन नही मानता.
मई: बंटी तुम मेरे साथ ऐसा नही कर सकते.
बंटी: जानेमन मई सब कुछ कर सकता हू. मई जानता हू, की तूने मुझे अमृता की चुदाई करते देख लिया है. तेरी बेहन मुझे बहुत प्यार करती है, और मेरे लिए कुछ भी कर सकती है. अब तू डिसाइड करले, की तुझे क्या करना है. या तो मई जो कर रहा हू, तू चुप-छाप मुझे वो करने दे. या चिल्ला कर अपनी बेहन को बुला ले, और उसका दिल तोड़ दे.
बंटी जानता था, की मई अपनी बेहन से बहुत प्यार करती थी, और किसी भी कीमत पर मई उसका दिल नही टूटने देने वाली थी. मैने बंटी की बात का कोई जवाब नही दिया था.
बंटी ने इसको मेरी रज़ामंदी समझा और मुझे फिरसे किस करना शुरू कर दिया. मुझे अब घिंन आ रही थी, क्यूकी मई जिसको मॅन से भाई मानती थी, वो मुझे किस कर रहा था. फिर बंटी ने मेरी त-शर्ट मे हाथ डाला, और मेरे बूब्स दबाने लग गया.
मेरे मूह से आहें निकलनी शुरू हो गयी, और मेरी आँखों से आँसू आ रहे थे. फिर बंटी ने मेरी त-शर्ट उतार दी, और मेरे बूब्स उसके सामने आ गये. बंटी ने मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिए, और मेरे निपल्स को अपने मूह मे डाल कर चूसने लगा.
मुझे तोड़ा-तोड़ा मज़ा भी आ रहा था. लेकिन जब भी मई उसके चेहरे को देख रही थी, तो मुझे एक भाई का चेहरा दिख रहा था. उसके बाद बंटी नीचे गया और मेरे पेट पर किस करने लगा. मेरी छूट अब गीली होने लगी थी.
फिर बंटी ने मेरा पाजामा नीचे किया, और मेरी पनटी के उपर से मेरी छूट पर किस करने लगा. मई अब बहुत गरम हो गयी थी, और मुझसे अब कंट्रोल नही हो रहा था. फिर बंटी ने मेरी पनटी नीचे की, और मेरी छूट चाटने लग गया. मुझसे बर्दाश्त नही हुआ, और मैने अपना हाथ बंटी के सिर पर रख लिया.
इससे बंटी का जोश बढ़ गया, और वो ज़ोर-ज़ोर से मेरी छूट मे अपनी जीभ घुसाने लगा. मई भी अपनी छूट के हाथो मजबूर होकर अपनी गांद उपर कर रही थी. फिर बंटी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया. मई बंटी की शकल नही देख रही थी. और उसका लंड तो मैने पहले से देखा हुआ था.
तभी बंटी बोला: तेरी बेहन की छूट तो बहुत गरम है. आज तेरी छूट की गर्मी चेक करता हू.
ये बोल कर बंटी मेरी जागो के बीच आ गया, और उसने अपना लंड मेरी छूट पे सेट किया. इससे पहले मई कुछ सोच पाती, उसने पुर ज़ोर का एक झटका मारा. उसका झटका इतनी बेरेहमी वाला था, की एक ही झटके मे उसका पूरा लंड मेरी छूट फाड़ता हुआ अंदर घुस गया.
मैने जैसे ही चीखने के लिए मूह खोला, तो उसने अपना एक हाथ मेरे मूह पर रख लिया, और मेरा मूह ज़ोर से दबा लिया. उसने मुझे कहा-
बंटी: अगर चिल्लाई, तो अमृता को पता चल जाएगा.
ये सुन कर मैने अपनी चीख अपने अंदर ही निगल ली. फिर बंटी ने मेरी छूट मे धक्के मारने शुरू किए. मैने नीचे देखा, तो मेरी छूट से खून तपाक रहा था. मई भी सेक्स करना चाहती थी, लेकिन कभी नही सोचा था, की इस तरह से करना पड़ेगा.
बंटी मेरी छूट मे धक्के मारता गया, और मेरे होंठो और बूब्स को चूस्टा गया. मई भी अपने शरीर के हाथो मजबूर थी, और ना . हुए भी उसका साथ दे रही थी. मेरे मॅन मे ये दुख था, की मई अपने भाई से चुड रही थी, लेकिन छूट भाई कहा देखती है, वो तो बस लंड चाहती है.
मई ज़ोर-ज़ोर की आहें भर रही थी, और बंटी दे दाना दान मेरी ठुकाई कर रहा था. बंटी ने मेरी टाँगो को पुवर मोड़ लिया था और अपना पूरा भार मेरे उपर डाल रहा था. फिर वो मुझे बोला-
बंटी: तुम दोनो बहने ही कमाल की हो. सालों से मई तुम दोनो के जिस्म के लिए तरस रहा था.
बंटी की ये बात सुनते हुए मेरी छूट ने पानी छोढ़ दिया. लेकिन बंटी अभी झाड़ा नही था. जब उसको मेरी छूट का पानी महसूस हुआ, तो वो बोला-
बंटी: क्या बात है रंडी? भाई से चुड कर भी इतनी जल्दी झाड़ गयी.
मुझे उसकी बात सुन कर बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई. फिर उसने अपना लंड मेरी छूट से निकाला, और मई एक साइड मे मूह गयी. उसने उसी वक़्त मुझे सीधा किया, और मेरे मूह पे एक थप्पड़ मार कर बोला-
बंटी: ऐसे खुश करेगी अपने मर्द को? अभी मेरा झाड़ा नही है. मेरे लंड को तू ही ठंडा करेगी. चल अब इसको मूह मे डाल.
फिर उसने अपना लंड मेरे मूह मे घुसा लिया और मेरे बाल पकड़ लिए. उसके बाद उसने मेरे मूह मे धक्के देने शुरू किए. मुझे साँस लेने मे भी दिक्कत हो रही थी, लेकिन बंटी के मॅन मे मेरे लिए ज़रा भी तरस नही था. वो मेरे मूह मे लगातार धक्के मारता गया, और साथ मे थप्पड़ भी मारता गया.
मुझे ऐसा फील हो रहा था, जैसे वो मुझसे कोई दुश्मनी निकाल रहा हो. फिर 5 मिनिट मेरा मूह छोड़ने के बाद वो झाड़ गया. झड़ने के बाद वो मेरे साथ ही लेट गया.
मुझे सेक्स करने का मज़ा तो मिला था, लेकिन मई मॅन से खुश नही थी. फिर थोड़ी देर लेते रहने के बाद बंटी ने मुझे दोबारा सीधा कर लिया, और फिरसे मेरी छूट को छोड़ने लगा. उस पूरी रात वो मुझे थोड़ी-थोड़ी देर बाद छोड़ता रहा.
उसने पूरी रात मे मुझे 5 बार छोड़ा. मई अपनी दीदी को बता भी नही सकती थी, की बंटी उसके साथ प्यार का नाटक कर रहा था. इसलिए मैने अपनी बेहन की खुशी को बनाए रखने के लिए ये राज़ अपने मॅन मे ही दबाए रखा.
लेकिन बंटी की करनी यही नही ख़तम हुई. उसने इसके आयेज अपना और भी घटिया रूप दिखाया.
वो रूप क्या था, और इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट मे पता चलेगा. अगर आपको कहानी पसंद आई हो, तो कहानी को लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.