ही फ्रेंड्स, मई 40 साल की, बिल्कुल गोरी और भरे बदन की सुंद्री हू. सुंदर रूप रंग के कारण ही मेरा नाम सुंद्री रख दिया गया था. जवानी के साथ-साथ मेरे रूप मे भी ग़ज़ब का निखार आ गया.
मेरी मस्त चूचिया आकर्षण का केन्द्रा बिंदु है. मेरी गोल-आकार गांद देख कर तो बड़े-बड़े ब्रम्हचारी भी चुपके से मूठ मार लेते है. 18 साल की उमर मे ही मेरी शादी बेहद आकर्षक हॅंडसम स्मार्ट लड़के अजय से हो गयी त्ति
शादी से पहले चुपके-चुपके मई चुड़वाती थी, पर शादी के बाद अजय मेरी मस्त चुदाई करने लगा. फिर तो मैने किसी की तरफ झाँका भी नही. आफ्टर मॅरेज कोई रात ऐसी नही बीती थी, जब अजय ने मुझे ना छोड़ा हो.
छुट्टी के दिन तो हम लोग दिन मे भी चुदाई करते थे. सीधा-सीधा काहु, तो दिन मस्ती से कट्ट रहे थे. फिर जब मई प्रेग्नेंट हुई, तो मुझ पर मुसीबतो के पहाड़ टूट पड़े. अजय की रोड आक्सिडेंट मे डेत हो गयी.
मुझे कोशिश करने पर उसकी जगह नौकरी तो मिल गयी. लेकिन मई छुड़वाने के लिए तड़पने लगी. नौकरी की वजह से मई घर से बाहर रह रही थी. अब छूट छुड़वाने के लिए मई कभी होटेल, तो कभी पिक्निक स्पॉट, तो कभी क्लब अटेंड करने लगी. जैसे-तैसे उमर के 22 साल कट्ट गये, और मुझे पता भी नही चला.
मेरी उमर ढाल गयी थी, पर मेरे छुड़वाने की चाहत नही ढली. अब मई आज की कहानी पर आती हू.
मेरे बेटे को जॉब मिल गयी थी. वो मुझसे अलग दूसरे शहर मे रह रहा था, और मई घर मे अकेली रहती थी. एक दिन मेरा नंदोई दीपक मेरे घर आया हुआ था. दीपक स्मार्ट, हॅंडसम, लंबा, तगड़ा और लगभग 25 साल का गबरू जवान था.
एक तो नंदोई, और दूसरा गबरू जवान. उसको देख कर 40 की उमर मे भी मेरी छूट पानी गिराने लगी. अब मई दीपक से छुड़वाने की तरकीब ढूँढ रही थी. बड़े प्यार से मैने दीपक को खाना खिलाया, नहाने के लिए बातरूम मे अरेंज्मेंट किया.
कहने का मतलब ये है, की मई कैसे भी करके दीपक के टच मे रह रही थी. मेरे रूप ने मेरी उमर को पीछे धकेल दिया था. मई देख रही थी, दीपक भी मेरी रूप जाल मे उलझता जेया रहा था. हम दोनो बैठ कर टीवी देख रहे थे. तभी मैने नींद का बहाना किया, और धीरे -धीरे दीपक की गोद मे लूड़क गयी.
ये मेरी तरकीब थी दीपक को उकसाने की. और मेरी तरकीब बिल्कुल कामयाब रही. जब मैने आँखें खोली, तो दीपक मेरी चूचियो को सहला रहा था और मसल रहा था. उसके सहलाने से मेरी मस्त, बड़ी-बड़ी और गोरी चूचिया तनन्ति जेया रही थी.
फिर मुझे जागा हुआ देख कर दीपक ने मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए, और गुलाबी रस्स-भरे होंठो का रस्स-पॅयन करने लगा. मई निढाल हो कर दीपक की आगोश मे समा गयी. दीपक अब मेरी चूचियो को हाथो से कभी होंठो से चूस कर मसल रहा था .
चूचियो का असर मेरी कामुक छूट तक पहुच चुका था. और मेरी छूट पानी-पानी हो रही थी. फिर मैने दीपक की पंत उतार दी. उसके बाद मई उसके जांघीए के उपर से उसके लंड का मुआईयना करने लगी. एक-दूं रोड सी तनने लंड का एहसास करके मई खुशी से पागल हो गयी. तभी मेरे मूह से अनायास ही निकल गया-
मई: क्या मस्त लंड है तेरा. मेरी ननद तो छुड़वा कर मस्त हो जाती होगी.
ये सुन कर दीपक बोला: वो तो मस्त हो ही जाती है छुड़वा कर. लेकिन आज मई तुझको छोड़-छोड़ कर पस्त कर दूँगा.
इस्पे मई बोली: कोई बात नही. बरसो से छुड़वाने को तड़प रही हू. अब तुम मस्त कर दो या पस्त कर दो, मुझे सब क़ुबूल है. पर छोड़ दो कस्स कर.
ये कहते हुए मई दीपक के हाथ को अपनी छूट पर ले गयी. छूट से बहती मादक धार को देख कर दीपक मदिरा-पॅयन के लिए तड़प उठा. उसने झपट कर मेरे पेटिकोट के नाडे को खींचा, और मेरे बदन से सारी-साया सब उतार दिया.
अब मई बड़ी-बड़ी चूचियो, और चिकनी सपाट छूट के साथ दीपक के आयेज बिल्कुल नंगी खड़ी थी. मेरी सारी शर्मो-हया ख़तम हो गयी थी. और अब बस मॅन मे एक ही चीज़ दौड़ रही थी, की दीपक अपने मस्ताने लंड से मेरी बर छोड़ दे.
फिलहाल दीपक मेरी बर चाट रहा था, और मेरी बर से चलकती मदिरा का पॅयन कर रहा था. और इधर मई यू ही बर चटवा-चटवा कर मस्ती से भारती जेया रही थी. मेरे मूह से बरबस निकल रहा था-
मई: आ आ श श चाट मेरे राजा छत, बहुत मज़ा आ रहा है.
बर चाट-ते हुए कभी-कभी दीपक अपनी जीभ बर मे घुसा देता. उसकी जीभ मेरी छूट के ग-स्पॉट से टकराती, और मई उछाल पड़ती. दीपक की चटाई की कला देख कर, मुझे ये तो पता चल गया था, की दीपक नंबर 1 बुरछट्टा है.
पुर आधे घंटे तक दीपक मेरी बर चाट-ता रहा. मुझसे अब और बर्दाश्त नही हो रहा था. अब मेरी बर को लंड के साइवा कुछ और नही चाहिए था. फिर मई झिड़क कर दीपक से बोली –
मई: अर्रे बुरछट्टे! सेयेल मेरी बर तेरे लोड के लिए कसमसा रही है, और तू लगातार बर छाते जेया रहा है. अब थोक दे अपना लोड्ा मेरी बर मे, और छोड़ सेयेल ढाका-धक.
दीपक मेरी बात सुन कर तोड़ा शर्मिंदा हो गया. फिर उसने मेरे नंगे जिस्म को उठाया, और बेड के बिल्कुल किनारे मेरी गांद को रखा. वो खुद खड़ा रहा, और उसने मेरी टाँगो को अपने कंधे पर रख लिया. अब मेरी बर और दीपक का लोड्ा बिल्कुल आमने-सामने थे.
फिर अपने कड़क लंड को उछाल कर दीपक ने मेरी बर मे धकेल दिया. उसका लंबा, मोटा, और मस्त लोड्ा घाप से मेरी बर मे समा गया. मई इतने लोड से चूड़ी हुई थी, पर ये स्टाइल आज पहली बार देख रही थी.
उसका लोड्ा मेरी बर मे समाया हुआ था, और मई मस्ती मे डूबी हुई बर मे लोड का मज़ा ले रही थी. मुझे असीम आनंद मिल रहा था. ऐसा मज़ा मिल रहा था मुझे, जिसे मई शब्दो मे नही बाँध पौँगी.
मई तो कहनउगी, की आप छुड़वा के ही देख ले छूट वालीयो. दीपक घपा-घाप बर मे लोड से चोट मार रहा था. लोड की हर चोट के साथ मेरी छूट सिकुद्ती जेया रही थी, और लोड्ा मोटा होता जेया रहा था. यानी की लोड्ा बढ़ता ही जेया रहा था. दीपक मुझे छोड़ता जेया रहा था, और चिल्लाता जेया रहा था-
दीपक: कितनी अची छूट है तेरी. आ आ क्या मज़ा मिल रहा है.
फिर मई जोश मे आ गयी, और गांद उछाल-उछाल कर छुड़वाने लगी. तभी दीपक ने अपना लोड्ा मेरी बर से बाहर खींच लिया. मई धक सी रह गयी बर से बाहर आए लोड को देख कर.
ऐसा लगता था, की वो निश्चित ही गढ़े का लंड था. फिर दीपक ने मुझे कुटिया बनाया और जंप मार कर कुत्ते की तरह मेरी पीठ पर सवार हो गया. उसने पूरा लोड्ा मेरी बर मे थोक दिया, और लगा हाँफने और छोड़ने.
चुड़वाते-चुड़वाते मई अब बहुत गरम हो गयी थी. मई लगातार दीपक के लोड को अपनी बर मे कास्ती जेया रही थी. दीपक समझ गया था, की मई अपने चरम के बिल्कुल करीब थी. उसने मुझे चिट लिटाया, मेरी टांगे फैलाई, और अपना लोड्ा मेरी बर मे थोक दिया.
फिर वो मुझे ढाका-धक छोड़ने लगा. चुड़वाते-चुड़वाते मेरा बदन गरम हो गया, और अब मई आ आ आ कर रही थी. दीपक का भी यही हाल था. वो मेरे नंगे जिस्म को दबोचता जेया रहा था.
फिर मेरा जिस्म दबोचते-दबोचते उसने आ आ करके मेरी बर मे गरम फूचकारी छोढ़ दी. कुछ पल के लिए मेरी आँखें चरम सुख मे बंद हो गयी थी. अब दीपक मेरे सीने पर मेरी चूचियो को दबाए पड़ा हुआ था.
दोनो योढ़ा ठंडे पद गये थे. लेकिन माल-युध का फैंसला बाकी रह गया. फैंसले के लिए ठीक आधे घंटे बाद दीपक मुझे फिरसे छोड़ने लगा. मई भी पीछे नही रही, और मस्ती से अपनी बर दीपक से चुड़वाती गयी.
कों जीटा कों हारा के रिज़ल्ट के लिए मेरी दूसरी कहानी का इंतेज़ार करे. दोस्तो कहानी लिखते-लिखते मेरी भी छूट गीली हो गयी है. मई भी अब चड़वौनगी. और आप सब को गुड नाइट.