हेलो दोस्तो, मेरा नाम अक्षय सिंग है, मई मॅढिया प्रदेश मे एक छ्होटे से गाओं का रहने वाला हू. मेरी उमर 24 साल है. मई आजकल पुणे मे जॉब करता हू.
मेरे लंड का साइज़ 7.5 इंच है. मई रोज़ जिम करता हू इसलिए मेरा फिज़ीक काफ़ी अछा है. लड़कियो अगर ये स्टोरी पढ़ रही हो ओर मेरे लंड देखने की चाहत जाग गयइ हो तो मुझे मैल करदेना मई दिखा दूँगा.
मई पुणे मे जिस घर मे रहता हू उसकी मकान मालकिन मेरा लंड लेकर बोहोट खुश रहती है ओर वो अपनी बेटियो को भी मुझसे चुड़वति है. खैर ये कहानी तो आयेज की है.
असली कहानी पेर आते है. ये कहानी तब की है जब मई **त क्लास मे पढ़ता था (मई 18 साल का था) ओर जवानी जोश मारने लगी थी. मैने तब मूठ मारना स्टार्ट कार्डिया था.
मई स्कूल शहेर मे पढ़ने जाता था स्कूल बस से. शहेर हमारे गाओं से ज़्यादा डोर नही था. मेरे गाओं से ही बल्कि मेरे स्टॉप से ही एक लड़की चढ़ती थी जिसका नाम रश्मि था.
रश्मि भी मेरे साथ पढ़ती थी. वो बोहोट सिन्सियर टाइप की लड़की थी. वो हमेशा क्लास मे फर्स्ट आती थी. मुझे अगर किसी नोटबुक या किसी चीज़ की ज़रूरत होती थी तो मई उससे ही माँग लेता था.
उसके घरवाले ओर मेरे घरवाले सब हम दोनो को भाई बहें की नज़रो से देखते थे इसलिए मुझे उससे मिलने से या उसको मुझे मिलने से नि रोकते थे.
रश्मि भी **त क्लास मे आकेर काफ़ी खूबसूरत हो गयइ थी उसके लंबे लंबे बाल थे ओर उसकी कॅंजी आँखों मे डूब जाने का मॅन करता था. दूध सा सफेद रंग ओर भरे हुए चुचे ओर गांद.
रश्मि किसी अप्सरा से कम नही लगती थी. लेकिन मेरे घरवाले हर रख़्शा बंधन को उससे मेरे हाथो पेर रखी बँधवा देते थे. मई कभी भी नि चाहता था के ऐसा हो.
क्यू की मेरी ऑलरेडी एक बहें है जो की मुझसे 3 साल बड़ी है. जिसका नाम अक्षिता है. रश्मि के घरवाले भी मुझे अपने बेटी के भाई की नज़रो से ही देखते थे.
हम जब बस मे जाते थे तो ज़्यादातर ऐसा होता था के मुझे ओर रश्मि को खड़े होकर ही जाना पड़ता था. एक दिन ऐसा ही हुआ ओर हम ऐसे ही बस मे चढ़े तो देखा के भीड़ ज़्यादा है.
तो हम दोनो वही आयेज पीछे होकर खड़े हो गये. आयेज ओर स्टॉप आए जिसकी वजह से बस पूरी तरह से भर गयइ. बस इतनी भर चुकी थी के हमे सही से खड़े रहने की भी जगह नि मिल पारही थी.
रश्मि मेरे एकद्ूम आयेज खड़ी थी. हमारे स्कूल की ड्रेस लड़कियो के लिए फ्राइडे ओर सॅटर्डे को छ्चोड़कर सभी दिन तो सलवार सूट होता था ओर फ्राइडे ओर सॅटर्डे को वाइट स्कर्ट ओर टशहिर्त पहनती थी.
लड़को के लिए तो पंत शर्ट ही थी. लेकिन फ्राइडे ओर सॅटर्डे मे त-शर्ट होती थी. क्यूकी फ्राइडे ओर सॅटर्डे को हमारे स्कूल मे ट ओर गेम्स खेलाए जाते थे.
खैर रश्मि एकद्ूम मेरे आयेज खड़ी थी. मई उससे लगभग चिपक ही रहा था. उस समय मे लड़कियो से बोहोट शरमाता था ओर बात करने मे भी फट ती थी.
इसलिए मैने उससे कुछ बिना बोले ही अपने हाथो को उसके ओर मेरे बीच मे अदा दिए लेकिन वो हाथ सीधे रश्मि के गोल गोल चुतताड़ो पेर जाकेर लग गये.
रश्मि थोड़ी सी सकपकाई ओर आयेज को हो गयइ. मुझे भी एहसास हो गया था मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा ओर मैने तभी के तभी अपने हाथ उपर पोले से पकड़ लिए.
लेकिन जब ब्रेक्स लगते तो मेरे हाथ से पोले च्छुत जाता ओर मई रश्मि के उपर आजाता पूरा ओर मेरा लंड को की इन च्छेदखनिओ से खड़ा होगया था वो बार बार उसकी गांद पेर लग जाता.
सलवार का कपड़ा इतना हल्का होता है ओर दूसरे मई उस समय कक्चा भी नि पहनता था तो मुझे लग रहा था जैसे की मई अपना लंड उसकी गांद पेर रखे हुए हू.
मुझे सच मे इतना दर्र लग रहा था लेकिन उसमे मज़ा भी बोहोट आरहा था. फिर मैने सोकका क्यू ना थोड़े मज़े ही ले लू अगर कुछ बोलेगी तो बोल दूँगा के भीड़ की वजह से ग़लती से हो गया.
लेकिन मेरा दिल इतने ज़ोर से धड़क रहा था के पास बैठे आदमी को भी सुनाई दे जाए. लेकिन फिर भी मैने हिम्मत दिखाई ओर अपने दोनो हाथ नीचे ही करलिय.
ओर फिर मैने उसकी गांद पेर अपने हाथ चलाने स्टार्ट कारडीए. मई उपर से नीचे तक उसकी गांद पेर अपना हाथ फेरता जेया रहा था. उसका उसपेर कोई रेस्पॉन्स नि आया.
तो मैने ओर हिम्मत दिखाई ओर अपना हाथ रिघ्त से लेफ्ट वेल चुतताड तक ओर लेफ्ट से रिघ्त वेल चुतताड तक हाथ फेरने लगा. बीच मे गांद की लकीर मे भी कभी कभी उंगली चला देता.
उसको वो शायद अछा नि लगा या शायद वो घबराने लगी ओर वो आयेज बढ़ने लगी. मुझे लगा कही ये कुछ बोल ना दे किसी को इसलिए मई रुक गया. लेकिन मई भी फिर डेस्परेट होकर दोबारा उसके करीब आगया.
मैने अपने दिमघ से सोचना बंद कर दिया था बस यूयेसेस समय मेरे दिमघ मे बस ये हाथो की च्छेदखानिया चल रही थी. मैने अब उसकी कुरती पीछे से उठकर ओर अपना हाथ अंदर डाल दिया.
वो फिर आयेज बढ़ने लगी के तभी ब्रेक लगा ओर मेरा हाथ उसकी गांद की लकीर मे आड़ गया मैने उस सिचुयेशन का पूरा फयडा उठाया ओर उपर नीचे उसकी गांद की लकीर मे हाथ चला दिया.
उसकी सलवार उसकी गांद की लकीर मे घुस्स गयइ. वो वाहा से आयेज की तरफ जाने लगी लेकिन आयेज काफ़ी भीड़ थी इसलिए उसको मजबूरी मे वही पेर खड़ा रहना पड़ा.
मुझे फिरसे दर्र लग रहा था इसलिए मैने फिर उसको नही च्छुआ शायद उसको भी रहट मिल गयइ थी. फिर रश्मि ने एक बार मेरी तरफ देखा मई उससे आँखें चुराने लगा.
शायद उसको टा चल गया था के ये मई सब कुछ जान बूझकर कर रहा हू. इसलिए उसने मुझे कोई रेस्पॉन्स नि दिया. फिर हम स्कूल पोुंच गये ओर मई पूरे दिन ये ही सोचता रहा जो आज मेरे साथ बस मे हुआ था.
मेरा पढ़ाई मे भी मॅन नि लग रहा था. पूरे गाओं मे उस समय सिर्फ़ मेरे पास ही कंप्यूटर था. ओर मई ब्लू फिल्म्स की डVड्स ख़रीदकर लाता था ओर उसमे देखता था.
आज मेरा बोहोट मॅन कर रहा था कोई नयी वीडियो देखने का इसलिए मैने फ़ैसला किया के जब मई आज वापस घर जौंगा तो मई स्टॉप से उतारकर पहले द्वड कारीदकर तब घर जौंगा.
आते टाइम भी कुछ इत्तेफ़ाक़ ऐसा हुआ के हम दोनो को फिरसे बस मे सीट नि मिली. लेकिन रश्मि मुझसे दूर खड़ी थी. मई उसके पास जाने लगा. मई डब दबा कर किसी तरह उसके ही पास पोुंच गया.
लेकिन उसके पास तक आने के लिए एक बहाने के भी ज़रूरत थी कही उसको ये ना लगे के मई उसको फिरसे च्छेदने के लिए उसके पास आया हू. तो मैने उसको बोला के
“रश्मि आज तुम अपने घर तक अकेली चली जाना क्यूकी मुझे आज काम है”.
रश्मि बोली “क्या काम है “.
मई बोला “अरे कुछ नि है एक मोविए की द्वड लेनी है. आज कोई होमवर्क नि है इसलिए आज मोविए देखूँगा”.
रश्मि बोली “कोई नि मुझे भी लेकर चलना मई भी कोई अची सी मोविए की द्वड ले लूँगी “.
मेरी द्वड वेल से अची सेट्टिंग थी ओर मई उसको सिर्फ़ इशारा करता था वो मुझे नॉर्मल मोविए के द्वड के बॉक्स मे रखकर दे देता था.
तभी बस चलने लगी ओर मैने अपना हाथ फिरसे चलना शुरू कर दिया. वैसे तो रश्मि मेरी मूह बोली बहें थी लेकिन अब मई बहेनचोड़ बनने के लिए भी तय्यार था मुझमे इतनी वासना भरने लगी थी.
थोड़े बोहोट हाथ चलाने के बाद मैने छ्चोड़ दिया फिर हुमारा स्टॉप आगया. हम दोनो वाहा पेर उतरे ओर द्वड लेने के लिए जाने लगे. तभी रश्मि मेरी तरफ देखकर हासणे लगी.
मैने पूछा “क्यू हास रही है” तो उसने बोला “तेरी पंत गीली हो गयइ है” ..
मेरा प्रेकुं बाहर आगया था ओर क्यूकी मई कक्चा पहनता नही था इसलिए वो पंत पेर ही लग गया.
मैने ये बोलकर बात संभाली के श्यद पानी गिर गया था. जिससे वो चुप हो गयइ.
फिर हम दुकान पेर पोुनचे. मैने उसको इशारा कर दिया तो वो अपनी दुकान मे नीचे से एक पंनी निकली ओर उसमे से मेरे लिए एक द्वड बॉक्स मे कर दी.
फिर रश्मि ने एक हॉलीवुड मोविए की द्वड ली ओर हम चलने लगे घर के लिए. वो मुझसे पूछने लगी के “कोंसि मोविए ली है”.
मैने बोला “अरे यर्र बस ऐसी ही है”.
रश्मि बोली “बीटीये तो दे”.
मैने उसको दिखा दी ..वो कोई पुरानी गोविंदा की मोविए का पोस्टर लगा हुआ था. तो वो मुझसे पूछने लगी के “ये क्या कोई कॉमेडी मोविए है क्यूकी गोविंदा की मोविए कॉमेडी वाली ही होती है ना.”
तो मैने आयेज सवालो से बचने के लिए बोल दिया “हन सुना तो ये ही है इसलिए ही तो लेकर जेया रहा हू.”
तो उसने मुझे बोला “मुझे भी देखनी है ये मोविए प्लीज़ आज मई तेरे घर पेर आज़ौंगी तू प्लीज़ ये मोविए ही दिखना ओकक.”
मुझे उस समय कुछ सूझ नि रहा था ओर तभी मेरे मूह से निकल गया ओकक.
क्या रश्मि द्वड मे देख पाई क्या है क्या नही ??? इनकी बस मे च्छेदखानिया कम हुई या बढ़ गयइ??
इन सवालो का जवाब आपको मिलेगा अगली कहानी मे तब तक के लिए.. धन्यवाद..