मेरा नाम रिया है और मैं लुक्कणोव की रहने वाली हूँ, मैं बहोट ही खूबसुअरत हूँ. मेरा रंग गोरा है, और मेरा सेक्सी फिगर साइज़ 34-28-34 है. ये छूट सेक्स कॉम स्टोरी मेरी खुद की दास्तान है.
मेरे बड़े बड़े बूब्स और हिप्स पतली सी कमर उस पर एक टट्टो कयामत ढा देती है. अगर मुझे कोई एक नज़र देख लेता है, तो उसकी नज़र मुझसे हटती न्ही है.
जेसे की मैने आप सब को ब्टाया है, की मैं बहोट सिंपल और शर्मीली सी लड़की हूँ. पर मेरा चुदाई का बहोट मान करता है, मेरा एक बॉय फ्रेंड था.
पर मैने आज तक उसके साथ कुछ न्ही किया था, उसने काफ़ी बार सेक्स करने की इक्चा ज़ाहिर करी. लेकिन मैने उसे हर बार माना कर दिया, मुझे अंदर ही अंदर चुदाई करने का बहोट मान होता था.
वो शहेर के बाहर रहता था, इस लिए हुमारा मिलना भी बहोट कम होता था. इधेर अब मेरा चुदाई का बहोट ज़्यादा मान कर रा था. कभी मैं अपनी उंगलिया अपनी गरम छूट मे डाल कर आयेज पीछे करती थी.
तो कभी अपने बूब्स पर हाथ र्खती थी, पर इससे मेरी सेक्स की प्यास न्ही बुझ पति थी. मैने और सुजल ने घर वालो को शादी के लिए माना लिया था.
मेरी और सूजाक की माँगनी की तारीख भी पक्की भी हो गयइ थी, और वो लोग हुमारे घर आए हुए थे. सब ने बहोट एंजाय किया, माँगी का फंक्षन ख़तम होने के बाद वो सब अपने अपने घर जाने लगे.
तो बाहर बहोट ज़ोर से बारिश और तूफान आ रा था, वो बारिश इतनी तेज़ थी की मेरे घर वालो ने उन्हे जाने से हां पर रोक लिया. वो लोग रुकने के लिए मान भी गये, रात काफ़ी हो गये थी और सब के बिस्तर भी लग चुके थे.
सुजल और बाकी मर्द भाईया का रूम मे थे, और सारी औरतें आमा के रूम मे थी. मेरे रूम मे मेरी टीन सहेलिया थी और भाईया की गर्ल फ्रेंड अंकिता थी.
अंकिता मेरी सहेली जेसी ही थी, जो की मेरे घर पर ही रुकी हुई थी. वो लो मुझे मज़ाक मज़ाक मे छिड़ र्ही थी, की सुजल को यहाँ रूम मे ही बुला लो.
वेसए मैं भी चाहती थी, की सुजल यहाँ मेरे रूम मे ही आ जाए. मैने पहले तो उनकी बात मज़ाक मे ताल दी, और बातें करते करते सब सो गये.
कुछ देर के बाद मेरी आँख खुली तो मैं किचन मे पानी पीने के लिए गयइ. तो मैने देखा की मेरे भाईया अपनी गर्ल फ्रेंड को किस कर र्हे थे, और उसके बूब्स को दबाए जा र्हे थे.
अब उन्हे देख कर मेरा मान भी होने लग गया, तो मैने सुजल को चत्ट पर आने के लिए मेसेज किया. वो भी जाग रा था, तो उसने भी रिप्लाइ किया और खा की वो बस 5 मिनिट मे आ रा है.
मैं चत्ट पर गयइ और मुझसे अब इंतेज़ार न्ही हो रा था, की कब सुजल चत्ट पर आए. फिर थोड़ी ही देर मे सुजल चत्ट पर आ गया, पहले हम दोनो ने बहोट सारी बातें करी.
बातें करते करते उसने मेरी कमर मे हाथ डाला और मुझे उसने अपनी तरफ खींच लिया.
मैं – यार कोई आ जाएगा प्लीज़ छ्चोड़ दो.
सुजल – कोई बात न्ही आ जाने दो, अब मैं तुम्हारा मंगेतर हूँ. तुम मेरी हो अब मैं तुम्हे झन मर्ज़ी छू स्कता हूँ.
अब मैने उसे भी माना न्ही किया, क्योकि अब हुमारी माज्नी हो चुकी थी. तो मुझे भी अब किसी बात का दर न्ही था, और अंदर अंदर ही मेरा मान भी चुदाई के लिए मचल रा था. वो भी बस मुझे छोड़ने का एक मोका च्चता था, जो आज उसे मिल गया था.
धीरे धीरे उसने मेरे होंठो को चूमना शुरू किया, उसकी साँसे और मेरी साँसे एक चुकी थी. उसका एक हाथ मेरी कमर पर था, और दूसरा हाथ मेरे बूब्स पर था.
वो धीरे धीरे मेरे बूब्स दबाए जा रा था, मैं पहले से ही अपनी ब्रा उतार कर आई थी. इसलिए उसके हाथ अब मैं अपने बूब्स पर महसूस कर पा र्ही थी.
मेरा भी अब मूड बन गया था और मेरी छूट भी एक दम गीली हो चुकी थी, और अब उसका लंड के लिए पागल हो र्ही थी. उसने मेरे कान मे खा – यही सही टाइम है चुदाई करने का.
मैं – हन.
क्योकि अब मैं भी अब ये ही चाहती थी, व्हन पर तो मैं और कुछ कर न्ही स्काती थी. इसलिए मैं उसे स्टोर रूम मे ले कर गयइ, उसने व्हन मेरे कपड़े उतार दिए और अब वो अपने भी उतरने लग गया.
हम दोनो ही अब प्यासे थे, और एक दूसरे मे खो चुके थे. स्टोर रूम मे एक टूटी हुई बेड पड़ी हुई थी, हम किस करते हुए उसी पर ल्ट गये अब वो मेरे उपेर था.
कभी वो मेरे बूब्स को चूस्ता तो कभी मेरे बदन को चट्टा, उसका हाथ मेरी छूट पर था और वो उसे मसले जा रा था. मैं भी गहरी गहरी साँसे भरने लग गयइ थी.
उसका लंड काफ़ी लंबा और मोटा था, मैने उसके लंड को पकड़ा और वो इतना गरम था की पूछो मत. मेरा तो मान बस उसे अंदर लेने को मचल रा था.
सुजल ने अपना लंड मेरे मूह मे दे दिया, और मैं उसे चूसने लग गयइ और थोड़ी देर तक मैं उसका लंड चुस्ती रही. मैने पहली बार किसी का लंड अपने मूह मे लिया था.
फिर वो मेरी छूट को चाटने लग गया, और अपनी उंगलियो से वो जगहा बनाने लग गया. काफ़ी देर तक तो वो बस मेरी छूट को ही चट्टा ही रा.
मेरी आँखें बंद हो र्ही थी, मुझे मज़ा भी आ रा था. अब वो मेरे उपेर आ गया, और अपने लंड को वो मेरी छूट पर र्ख कर धीरे धीरे अंदर डालने लग गया.
पहले तो मुझे बहोट दर्द हुआ, तो मैने उसे रोक दिया. वो मेरी छूट मे उंगली डाल कर जगह बनाने लग गया. थोड़ी देर उंगली करने के बाद, फिर उसने अपना लंड मेरी छूट मे डालना श्रुऊ कर दिया.
इस बार मुझे ज़्यादा दर्द न्ही हुआ, और उसका लंड धीरे धीरे मेरे अंदर जाने लग गया. अब मेरे मूह से आहह अहः की आवाज़ें निकालने लग गयइ, और मेरी आँखें अपने आप बंद हो गयइ.
ये मेरा पहली बार था, इसलिए मुझे दर्द भी हो रा था. एक दो चीख भी निकली तो सुजल ने मेरे मूह पर हाथ र्ख दिया, और अपनी उंगलियो को उसने मेरे मूह मे डाल दिया.
अब वो ज़ोर ज़ोर से ढके लगाने शुरू कर दिए, मुझे बहोट मज़ा आ रा था.
मैं – आहह अहहह और ज़ोर से ढके मरो.
उसका लंबा और मोटा लंड होने की वजह से मैं पूरी तरह से सॅटिस्फाइ भी हो र्ही थी. उसने मेरी टॅंगो को अपने कंधे पर र्ख लिया और वो ज़ोर ज़ोर से ढके लगाने लग गया.
मैने उसके हाथो को बहोट ज़ोर से पकड़ लिया, कुछ देर चुदाई करने के बाद मैं झाड़ गयइ. कुछ देर के बाद वो मुझसे बोला, की अब वो भी झड़ने वाला है.
मैं – प्लीज़ अपना पानी अंदर न्ही निकलना, वरना दिक्कत हो जाएगी.
ह्यूम दर था की कोई आ ना जाए, इसलिए हुँने बस 1 ही रौंद किया. फिर हुँने अपने अपने कपड़े पहने और हम नीचे आ गये. हम दोनो का ही मान और करने का था, पर क्या कर स्केट थे.
फिर वो और मैं अपने अपने रूम मे सोने चले गये, मैं वो सब भूल न्ही पा र्ही थी. मेरा मान जेसे उसका लंड फिर से लेने लिए तड़प रा था.
जेसे मानो मुझे पर सेक्स का नशा हम दोनो चाड गया था, और व्हन उसका भी ऐसा ही हाल था. हम दोनो ये ही सब सोचते सोचते सब गये.
सुबह सुजल और सभी घर वेल मंदिर चले गये थे. घर पर मैं भाईया और सिर्फ़ उनकी गर्ल फ्रेंड ही थे. भाईया ने मोका देखा और वो अपनी गर्ल फ्रेंड को रूम मे ले गये.
अब उनके रूम मे से अहः अहः अफ की अवजेएँ आ र्ही थी. मैने विंडो से देखा तो भाईया अंकिता की छूट छत र्हे थे. अब मेरा मान भी मचलने लग गया, और मैं अपनी छूट को उंगलियो से सहलने लग गयइ.
मेरी उंगलिया मेरी छूट मे खुद ही अंदर चली गयइ, फिर मैने सुजल को फोन किया. पहले तो वो माना कर रा था, पर फिर जब मैने सेक्स की बात करी तो वो झट से त्यायर हो गया.
किसी तरह से वो मंदिर से बहाना बना कर आ गया, मैं उसे अपने रूम मे ले गयइ. हम दोनो ने अपने कपड़े उतरे और अब ह्यूम किसी बात का दर न्ही था.
क्योकि अब पूरे घर मे कोई न्ही था, और भाईया अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ मस्त थे. उस दिन हम दोनो ने जाम कर चुदाई करी, कभी वो मेरे उपेर होता तो कभी मैं उसके उपेर होती.
कितनी देर तक वो मेरी छूट को चट्टा रा, जेसे जेसे मेरी आवाज़ें निकलती वो और ज़ोर से ढके लगाने लगता. उसने मुझे डॉगी स्टाइल मे भी छोड़ा.
मुझे इतना अछा लग रा था, की मैं आपको बीटीये न्ही स्काती. उस दिन के बाद अब हम जब भी मिलते है, तो हम दोनो ज़रूर सेक्स करते है. हुमारी सेक्स लाइफ बहोट अची चल र्ही है.
कभी कभी तो वो मेरे घर ही रुक जाता है, तो हम दोनो पूरी रात चुदाई करते है. उसने मुझे एक डिल्डो भी दिया है, जब मेरा मान सेक्स के लिए तड़पटा है.
तो मैं उससे अपना काम चला लेती हूँ, पर मेरी भूक उस डिल्डो से न्ही मिल पति थी. मुझे ज़रूरत थी 8 इंच के मोटे और लंबे लंड की, मैं चाहती थी की रोज कोई मोटे और लंबे लंड से चुदाई हो.
दोस्तो मैं उमीद करती हूँ, की आपको मेरी ये छूट सेक्स कॉम स्टोरी अची लगी होगी.
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