उस दिन जब मैंने शीला को चुदाई के लिए होटल चलने के लिए बोला, तो शीला ने बिना किसी हिचकिचाहट के जवाब दिया, “जीत भैया एक बात बोलूं, मुझे आपके साथ होटल जाने में कोइ दिक्क्त नहीं। जब चाहो ले चलो। मगर जैसा मजा चुदाई का उस दिन यहां घर में आया था, वैसा मजा होटल में नहीं आता। जब भी मैं किसी के साथ होटल जाती हूं, वहां जिस तरीके से होटल वाले मुझे घूरते हैं, ऐसा लगता है सालों को मेरी चूत दिखाई दे रही हो।”
फिर कुछ रुक कर शीला बोली, “पर जीत भैया होटल में जाना ही क्यों हैं। भाभी तो बता रही थी इस बार अमित भैया का प्रोग्राम शायद दो हफ्ते से ज्यादा का बनेगा। किसी दूसरे देश में जायेंगे, कोइ ट्रेनिंग देगें फैक्ट्री वाले। आज कल में पक्का होने वाला है।”
और मेरे लंड को हाथ लगा कर शीला बोली, “फिर इस पप्पू के मजे ही मजे होंगे, जितना मर्जी चुदाईयां करे ये। दिन भी इस पप्पू का होगा, रात भी इस पप्पू की होगी।”
यह कह कर शीला फिस्स्स करके हंस दी। फिर बोली, “जीत भैया आप एक बात तो बताओ, आप चम्पा को क्यों नहीं चोदते? बढ़िया चुदाई करवाएगी ये I गोल-मटोल सी चम्पा को चोदने का बड़ा मजा आएगा आपको।”
मैंने बाकी बातें तो छोड़ दी और हंसते हुए शीला से पूछा, “शीला तू तो पहले ये बता, तुझे कैसे पता चम्पा बढ़िया चुदाई करवाएगी? तूने चोदी है क्या कभी? या तेरे सामने चुदी है क्या कभी?”
शीला फिर वैसे ही हंस दी फिस्स्स फिस्स, “अरे जीत भैया आप भी क्या बात करते हो। आपको नहीं पता, जब दो लड़कियां या औरतें अकेले में बैठती हैं, तो कैसी-कैसी बातें करती हैं? आप मर्द लोग तो सोच भी नहीं सकते। ये चम्पा ने ही मुझे बताया था कि वो ऐसी मस्त चुदाई करवाती है कि मर्द उसके पीछे हाथ जोड़ कर चुदाई करवाने कि लिए पड़ जाते हैं।”
शीला बोली, “मैंने जब चम्पा को अपनी और आपकी चुदाई आपके बारे में भी बताया, और उसे आप से चुदाई करवाने के बारे में पूछा, तो पता है जीत भैया चम्पा क्या बोली ?”
मैंने भी पूछ लिया, “क्या शीला? तूने चम्पा को हमारी चुदाई के बारे में बता भी दिया?” फिर मैंने कुछ रुक कर पूछा, “चल अब बता क्या बोली चम्पा।”
शीला ने जवाब दिया, “चम्पा बोली, आप तो उसकी तरफ देखते ही नहीं हो, चुदाई क्या करोगे। अब आप ही बताओ जीत भैया इसका क्या मतलब है? इसका तो यही मतलब है, कि अगर आप उसकी तरफ देखो और चुदाई कि लिए कहो, तो वो तैयार हो जाएगी।”
बात को जारी रखते हुए शीला बोली, “और जीत भैया जहां तक चुदाई के बारे में बताने का सवाल है, चम्पा तो मुझे कई बार अपनी गांड के छेद पर क्रीम लगाने को बोलती है। पता है जीत भैया, कई बार तो तो ऐसी गांड चुदाई होती है चम्पा की, के गांड का छेद हल्का फूल जाता है।” ये बोलते-बोलते शीला फिर हिस्स्स हिस्स्स फिस्सस फिस्सस करके हंस पड़ी।
फिर मेरे और पास आ कर बोली, “जीत भैया, मैं तो कहती हूं आज ही चोद दो। मैं ऊपर उसका बर्तन सफाई का काम कर दूंगी और उसको पीछे की सीढ़ियों से नीचे भेज दूंगी। एक घंटा ही तो लगेगा। बोलो जीत भैया भेजूं?”
शीला मुझे तो बोलने का मौक़ा ही नहीं दे रही थी। अमित का विदेश का प्रोग्राम, शीला की चम्पा की चुदाई करने बातें और गांड पर क्रीम लगाने की बातें सुनने के बाद तो मेरी भी चम्पा को चोदने की इच्छा होने लगी। मेरा लंड कुलबुलाने लगा।
मैंने लंड को जैसे ही पैंट में हिला कर ठीक से बिठाया, तो शीला बोल उठी, “देखा भैया, पप्पू भी हां बोल रहा है I चम्पा को चोदने का इसका भी मन हो रहा है।”
मैं अभी कुछ बोलने ही वाला था कि शीला पहले ही बोल उठी, “चलो अजित भैया दरवाजा बंद कर लो, मैं चम्पा को भेज रही हूं पीछे से I ऐसी चुदाई करना कि याद रखे। फिर शीला धीरे से बोली, “जीत भैया एक बात बोलूं, ये चम्पा गांड भी चुदवाती है। मन करे तो गांड भी चोद लेना।।” फिर शीला मुड़ी और धड़-धड़ करे सीढ़ियां चढ़ गयी।
शीला के जाने के बाद मैंने सामने का दरवाजा बंद कर लिया, और पीछे वाले कमरे में चला गया। अलमारी में से कंडोम निकाल कर रख लिया, और चम्पा का इंतजार करने लगा।
मुझे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा। शीला ने जाते ही चम्पा को नीचे भेज दिया। मैं अभी यही सोच रहा था, कि चम्पा की चुदाई कैसे करूंगा, कि चम्पा आ भी गयी। सीढ़ियां उतर कर उसने आवाज लगाई, ” साहब, साहब।”
मैंने भी जवाब दिया, ” चम्पा मैं इधर हूं कमरे में।” चम्पा अंदर आ गयी और हीं-हीं करके हंसने लगी।
चम्पा कमरे में आई और बोली, “राम-राम साहब, साहब शीला ने आपके पास मुझे भेजा है I बोल रही थी आपको कुछ काम है I”
मैं बैड के किनारे पर बैठा हुआ था, मैंने चम्पा को कहा, “चम्पा इधर आ, मेरे पास।” चम्पा आगे आ कर बिल्कुल मेरे सामने खड़ी हो गयी।
मैंने चम्पा के चूतड़ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया, और अपना चेहरा उसके बड़े-बड़े मम्मों पर रख लिया और बोला, “चम्पा चुदाई करवाएगी?”
चम्पा बोली, “क्या हुआ साहब, आज मन आ गया क्या?”
मैंने भी कह दिया, “चम्पा मन तो कई दिनों से था, पर यहीं सोचता था आज कहूं कल कहूं। ये बता तेरा मन कर रहा है?”
अभी तक मैं और चम्पा चूत चुदाई लंड जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे।
तब चम्पा बोली, “साहब मेरा तो तभी से मन कर रहा है, जब से शीला ने आपकी और उसकी वो बात बताई।”
“वो बात, मतलब चुदाई की बात बताई।”
मैंने भी पूछा “क्या बताया शीला ने चम्पा?” साथ-साथ मैं चम्पा के चूतड़ दबाता जा रहा था, और अपना चेहरा उसके मम्मों पर भी फेरता जा रहा था।
चम्पा बोली, “शीला ने सब कुछ बताया साहब, सारी बात” I ये कहते हुए चम्पा हंस दी I
अब मैंने खुल कर पूछ ही लिया ” चम्पा चुदाई करवाने की बात भी बताई?” साथ ही मैंने अपनी उंगलियां चम्पा के चूतड़ों कि अंदर डाल दी, और ऊपर-नीचे करने लगा।
चम्पा ने मेरा सर अपने मम्मों पर दबा दिया और बोली, ” साहब चुदाई करवाने ही तो भेजा है नीचे। शीला कह रही थी बड़े ही मस्त चूत रगड़ते हो आप।”
चम्पा की बातें सुन कर मेरा लंड अकड़ गया I मैंने दोनों हाथों से चम्पा के चूतड़ पकडे और बोला, “चम्पा कपड़े उतार।” साथ ही मैं खड़ा हो गया।
चम्पा बोली “साहब ऐसे चोद लो सारे कपड़े उतारने क्या जरूरी हैं?” कह कर चम्पा साड़ी उठाने लगी।
मैंने कहा “नहीं चम्पा ऐसे मजा नहीं आएगा। कपड़े उतार दे।”
ये कह कर मैंने अपने कपड़े उतार दिए। मेरा खड़ा लंड देख कर चम्पा के मुंह से निकल गया, “शीला ठीक ही कह रही थी साहब। आपका ये तो सच में ही बहुत बड़ा है।”
ये कह कर चम्पा ने भी साड़ी पेटीकोट और ब्लाऊज़ उतार दिए। नीचे ब्रा तो थी ही नहीं। चम्पा का भारी जिस्म मस्त था। फिर मैंने चम्पा को घुमा दिया।
अब चम्पा की पीठ मेरी तरफ थी। मैंने पीछे से हाथ डाल कर चम्पा के बड़े-बड़े मम्मे पकड़ लिए और अपना लंड चम्पा के चूतड़ों पर फेरने लगा। चम्पा के मम्मों के निप्पल बड़े-बड़े थे। चम्पा के मम्मे, चम्पा के चूतड़, चम्पा का सब कुछ ही बड़ा था, उसके कद को छोड़ कर।
कुछ देर ऐसे ही चला। फिर मैंने चम्पा को घुमा कर उसके होठ अपने होठों में ले लिए। मैं तो चम्पा के होंठ चूस ही रहा था, चम्पा भी मेरे होंठ चूस रही थी। चम्पा ने एक हाथ नीचे करके मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया। चम्पा “हम्म्म्म हम्म्म्म” की आवाजें निकाल रही थी I
थोड़ी ही देर में चम्पा बोली, “बस साहब चलो करते हैं अब।” मैंने भी शरारत से पूछा, “क्या करते हैं चम्पा?”
चम्पा हंसते हुए बोली, “क्या साहब, आप भी मजे लेते हो। चुदाई करते हैं। चोदो साहब मुझे। लंड डालो मेरी चूत में।” फिर हंसते हुए बोली, “अब ठीक है साहब?”
मैं तो चम्पा के मुंह से खाली चुदाई ही सुनना चाहता था, और चम्पा ने चुदाई, चूत, लंड सब बोल दिया।
मैंने चम्पा के चूतड़ दबाते हुए पूछा, “चम्पा, गांड चुदवाती है क्या?”
चम्पा बोली, “सब कुछ चुदवाती हूं साहब। क्या बात है साहब, गांड चोदने का मन है?”
मैंने कहा, “मन तो है चम्पा तेरी गांड चोदने का भी। तेरे भरे-भरे चूतड़ बड़े मस्त हैं। मगर आज नहीं। आज चूत की ही चुदाई करेंगे। गांड फिर किसी दिन सही।”
चम्पा बोली, “ठीक है साहब, जैसी आपकी मर्जी।”
फिर मैंने कहा, “चल चम्पा लेट जा।” मैंने चम्पा को नहीं कहा कैसे लेटना है। मैं देखना चाहता था कैसे चुदाई करवाती है।
मगर चम्पा ने कहा, “साहब थोड़ा लंड चुसवाओ ना। चम्पा बेड पर बैठ गयी। मैं तो चम्पा के सामने ही था। मैं थोड़ा और आगे गया और चम्पा ने मेरा लंड पकड़ा और मुंह में डाल लिया। बढ़िया लंड चूसती थी चम्पा।
कुछ देर चूसने के बाद चम्पा बेड के किनारे पर ही लेट गयी, और टांगें उठा कर चौड़ी कर दी और बोली, “आओ साहब, डालो अंदर।”
ज्योति ने सच ही कहा था। भारी-भारी चूतड़ों से चूत अपने आप ही ऊपर हो गयी, और हल्की सी खुल भी गयी। गुलाबी-गुलाबी चूत सामने थी।
मैंने अब ध्यान से चम्पा की चूत देखी। चम्पा ने ताजा-ताजा ही चूत की झांटों के बाल साफ़ किये थे। चूत बिल्कुल चिकनी थी। अक्सर काम वालियां चूत के बाल साफ़ नहीं करतीं।
चम्पा की चूत की फांकें कुछ ज्यादा ही उभरी हुई थीं। कम से कम ज्योति और शीला की चूत की फांकों से ज्यादा उभरी हुए थी।
ऐसी चूतें बहुत कम लड़कियों की होती है। उभरी हुई फांकों वाली चूत चूसने का मजा बहुत आता है।
मैंने दोनों हाथों से चम्पा की चूत की फांकें खोली। क्या गुलाबी चूत थी। सांवली चूत अंदर से बिल्कुल गुलाब के फूल की तरह गुलाबी थी।
चम्पा की चूत का दाना भी कुछ ज्यादा ही उभरा हुआ था।
मैंने पचासों लड़कियां चोदी होंगी, मगर किसी की भी चूत का दाना इतना उभरा हुआ नहीं था। मैं सोच रहा था चम्पा के मम्मे, मम्मों के निप्पल, चूतड़ ही बड़े नहीं, उसकी चूत की फांकें और चूत का दाना भी बड़ा था।
फिर ऐसे ही ख्याल आया कहीं चम्पा की चूत का छेद भी ना बड़ा हो?
मैंने दाना मुंह में लिया, जो आराम से मुंह में आ गया। मैं दाना ऐसे चूसने लगा, जैसे लड़की की चूची का निप्पल चूसते हैं। चम्पा मस्त हो गयी, और चूतड़ ऊपर-नीचे करने लगी।
मैंने चूत का दाना कुछ ही देर चूसा होगा, कि चम्पा ने मेरे सर को पकड़ा और बोली, “बस साहब अंदर डालो निकल जाएगा मेरा।”
कंडोम में लिपटा हुआ लंड मैंने चम्पा की चूत के छेद पर रक्खा, और जैसे ही धकेला मुझे समझ आ गया कि मेरा अंदाजा गलत था।
चम्पा का बाकी सब तो बड़ा था, मगर चूत बड़ी ही टाइट थी, बिल्कुल शीला की चूत की तरह कुंवारी जैसी। लंड अच्छा खासा रगड़ खा कर अंदर गया।
मैंने एक झटका लगाया, और लंड अंदर बिठा दिया। जैसे ही रगड़ लगाता हुआ लंड चम्पा की चूत में गया, चम्पा ने एक ऊंची और लम्बी सिसकारी ली, “आआआआह आआआआह साहब क्या रगड़ कर गया है।”
मैंने चम्पा की टांगें पकड़ कर थोड़ी और चौड़ी की, और लम्बे-लम्बे धक्के लगाने लगा। बीच-बीच में मैं लंड पूरा भी बाहर निकाल लेता था, और एक-दम चूत के अंदर डाल देता था।
जल्दी ही चम्पा ने अपने मम्मे मसलने शुरू कर दिए। जब लड़की चुदाई के दौरान खुद अपने मम्मे मसलने लगे, तो समझ लो उसे मजा आने वाला है, और वो झड़ने वाली है।
अभी तो चुदाई करते सात-आठ मिनट भी नहीं हुए थे, और चम्पा झड़ने वाली हो गयी।
इसका एक ही मतलब था, कि शीला ने कुछ देर पहले जब चम्पा से चुदाई की बात छेड़ी होगी, तभी से चम्पा की चूत में खलबली मची हुई होगी।
खैर मुझे इससे क्या लेना था। मैं तो वैसे भी चम्पा की चूत का तीन बार पानी निकलने के चक्कर में था, जैसे मैंने शीला का का तीन बार पानी निकाला था, और जैसे मैंने ज्योति का तीन बार पानी निकाला था, और फिर मैं झड़ा था।
मैं धक्के लगा रहा था। नीचे चम्पा चूतड़ ऊपर नीचे कर रही थी। धीरे-धीरे हम दोनों मजे की तरफ बढ़ रहे थे। चम्पा सिसकारियां ले रही थी, और कुछ-कुछ बोल रही थी।
मैं चम्पा की चूत में लम्बे और तेज-तेज धक्के लगा रहा था। तभी चम्पा ने जोर से चूतड़ घुमाए, और “आआआह साहब ये क्या हो गया। आआआह साहब निकल गया मेरा साहब आआह ” की आवाजों के साथ चम्पा झड़ गयी।
मैंने धक्के लगाने बंद नहीं किये। कुछ देर चम्पा बिना हिले डुले पड़ी रही, और मैं धक्के लगाता रहा। जल्दी फिर चम्पा ने दुबारा चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए। उसकी सिसकारियां फिर शुरू हो गयी, “आअह साहब मजा आ गया I फिर तैयार हो गयी साहब मेरी चूत I आअह साहब चोदो, चोदो साहब रगड़ दो I बुझा दो साहब आज इस प्यासी फुद्दी की प्यास।”
ये चुदाई पंद्रह मिनट लगातार चली और चम्पा फिर एक लम्बी सिसकारी “अअअअअह साहब मर गयी मैं आआह साहब क्या चोदते हो साहब आह आआह ” के साथ ही चम्पा फिर साथ झड़ गयी।