ही रीडर्स, मैं युवक अपनी कहानी का अगला पार्ट आप सब के साथ शेर करने जेया रहा हू. अगर आप लोगों ने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो पहले वो ज़रूर पढ़िए. उसको पढ़ने के बाद इस पार्ट का मज़ा आएगा.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की मैं अपनी पहली सॅलरी मा को देने उनके काम की जगह पर गया था. वाहा सेठ मोतीलाल मेरी मा के साथ किचन में रोमॅन्स कर रहा था. मैं अपनी मा का ऐसा रूप देख कर हैरान था. अब आयेज बढ़ते है.
मोतीलाल ने किस करते हुए एक हाथ मा के ब्लाउस में डाल दिया, और मा के बूब को दबाने लगा. जैसे ही उसने बूब दबाया मा की सिसकी निकल गयी. लेकिन होंठ किस में व्यस्त होने के कारण वो ‘ह्म’ की आवाज़ ही कर पाई.
फिर वो मोतीलाल का हाथ निकालते हुए बोली: सब यही कर लोगे, के कुछ कमरे में जाके भी करना है?
मोतीलाल: चलो मेरी जान, कमरे में चलते है.
ये बोल कर मोतीलाल ने मेरी मा को अपनी बाहों में उठाया, और किचन से बाहर आने लगा. मैं जल्दी से वाहा पड़े सोफा के पीछे च्छूप गया. फिर वो मेरी मा को उपर के रूम में ले जाने लगा. जब वो उपर रूम के अंदर चला गया, तब मैं भी जल्दी से जाके उस रूम के बाहर खड़ा हो गया.
दरवाज़ा खुला था, तो सब कुछ सॉफ-सॉफ नज़र आ रहा था. दोनो खड़े हुए थे, और मोतीलाल मा के पीछे था. वो मा को पीछे से चिपका हुआ था. उसके हाथ आयेज मा के बूब्स को पकड़े हुए थे, और मसल रहे थे. वो मा की पीठ चूम रहा था.
फिर उसने पीछे से मा के ब्लाउस के हुक खोले, और लोवर बॅक पर किस करने लग गया. उसने मा की ब्रा का हुक भी खोल दिया, और ब्लाउस और ब्रा एक साथ निकाल दिए. अब मा के बदन पर सिर्फ़ एक पेटिकोट था. और मा इतनी सेक्सी लग रही थी, की मेरा लंड भी खड़ा हो गया.
फिर मोतीलाल ने मा को अपनी तरफ घुमाया. वाउ! क्या ज़बरदस्त सीन था. मा के बूब्स बड़े और गोल थे, लेकिन तनने हुए थे. ऐसा लग रहा था जैसे 2 खरबूज़े लटके हुए हो. मोतीलाल भी मा के बूब्स को देख कर खुश हो गया और बोला-
मोतीलाल: मैने बहुत बार देखा है, तेरे इन अमृत-रस्स के प्यालों को. लेकिन हर बार देखने पे रूह खुश हो जाती है.
ये बोल कर वो मा के बूब्स पर टूट पड़ा. उसने मा के दोनो बूब्स अपने दोनो हाथो में पकड़ लिए, और उनके निपल्स पर जीभ फेरने लगा. फिर उसने एक बूब को मूह में डाल कर चूसना शुरू किया, और दूसरे को मसलता रहा. मा कामुकता से भारी मुस्कान के साथ आहह आ कर रही थी.
कुछ देर बूब्स चूस-चूस कर मोतीलाल ने मा के बूब्स को लाल कर दिया. फिर वो चूमते-चूमते पेट पर, और फिर मा की नाभि पर आ गया. अब वो मम्मी के सामने घुटनो के बाल बैठा हुआ था. फिर वो बोला-
मोतीलाल: देख मेरी जान गौतमी, बंदे के पास जितनी मर्ज़ी धन-दौलत हो. लेकिन तेरे जैसी खूबसूरत औरत के सामने वो अपने घुटनो पर आ ही जाता है.
ये सुन कर मम्मी मुस्कुराने लग गयी. फिर मोतीलाल ने मा की नाभि में अपनी जीभ घुसेध दी, और उसको चाटने लगा. मा उसके सर को अपने पेट में दबाने लगी. मा का पेट गोरा, सॉफ्ट और सपाट था. दिल तो कर रहा था की मैं भी जाके चाट लू.
फिर मोतीलाल ने मा के पेटिकोट का नाडा खोला, और मा को नीचे से नंगा कर दिया. अब मा सिर्फ़ नीले रंग की पनटी में थी. मा की जांघें गोरी और गद्देदार थी. और उसकी गांद तो पनटी में कमाल की लग रही थी.
मोतीलाल ने मा को जल्दी से घुमाया, और गांद को पनटी के उपर से चूमने लगा. फिर उसने मा की पनटी उतार कर उनके छूतदों को नंगा कर दिया. अब मा पूरी नंगी थी. उसकी छूट पर हल्के बाल थे, और गांद तो ऐसी थी, की बंदा चाट-ता हुआ कभी ना थके.
ऐसा ही कुछ मोतीलाल ने भी किया. उसने अपना मूह मा की गांद में डाल लिया, और गांद के चियर को उपर से नीचे चाटने लगा. उसको ऐसा करते देख मेरे मूह में भी पानी आने लगा.
वो मा के छूतदों को मसल रहा था, और गांद के च्छेद में जीभ डाल रहा था. जब भी उसकी जीभ मा की गांद के च्छेद को टच करती, तो मा के चेहरे पर एक अलग सी ही संतुष्टि दिखती. मा उसकी हरकतों से मदहोश हो रही थी, और उसकी छूट गीली होती जेया रही थी.
कुछ देर गांद चाटने के बाद मोतीलाल ने मा को दोबारा से अपनी तरफ घुमा लिया. अब मा की छूट मोतीलाल ने मूह के सामने थी. फिर उसने अपना मूह मा की छूट में डाल लिया, और उसको चाटने लग गया. मा तो जैसे हवस में पागल सी ही हो गयी थी. वो मोतीलाल के बाल सहला रही थी, और उसके सर को अपनी छूट में दबा रही थी.
मा गांद हिला-हिला कर अपनी छूट मोतीलाल से चटवा रही थी. मोतीलाल भी मा की गांद पर हाथ रख कर छूट को मूह की तरफ धकेल रहा था, जैसे खा जाना चाहता हो. मा की छूट का पानी मोतीलाल की थूक से मिल कर उसकी जांघों तक आ रहा था.
फाइनली मा ज़ोर-ज़ोर से आ आ करने लगी, और उसने अपने हाथ मोतीलाल के कंधो पर रख लिए. मा की टांगे काँपने लगी, और वो खड़ी-खड़ी ही मोतीलाल के मूह में झाड़ गयी. मोतीलाल उसकी छूट का सारा पानी पी गया.
मा अब तक गयी थी. ये देख कर मोतीलाल ने मा को बेड पर धक्का दे दिया. अब वो बेड पर सीधी लेती हुई थी. फिर मोतीलाल अपने कपड़े उतारने लगा. जैसे ही उसने अपना अंडरवेर उतरा उसका काला, मोटा लंड मा के सामने आ गया.
उसके लंड को देख कर मा खुश हो गयी, और जल्दी से अपने घुटनो पर आके बैठ गयी. फिर मोतीलाल उसके पास गया, और अपना लंड हाथ में लेके उसके मूह पर लंड से थप्पड़ मारने लगा. मा को बड़ा मज़ा आ रहा था उसके ऐसा करने से.
फिर मा ने मोतीलाल का लंड पकड़ा, और उसको चाटने लग गयी. उसकी आँखें मोतीलाल की आँखों से मिल रही थी. फिर मा ने लंड मूह में डाला, और उसको चूसना शुरू कर दिया. अब वो किसी बाज़ारु वैश्या की तरह लंड चूस रही थी.
फिर मोतीलाल ने मा के बाल पकड़े, और उसके मूह में धक्के देने लगा. उसके धक्के इतने ज़ोर के थे, की मा की साँस रुक रही थी. मा के मूह से बहुत सारी थूक बाहर आ रही थी. कुछ देर मूह छोड़ने के बाद मोतीलाल ने अपना लंड मा के मूह से निकाला.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी शेर करे. ताकि वो भी इसका मज़ा ले पाए.