मैं करिश्मा. मेरा बेटा विनोद मुझे इंग्लीश सिनिमा दिखाने एक हॉल में लेकर आया. बेटे की बातों ने और कुंदन की याद ने मुझे इतनी चुदसी बना दिया था, की मैं किसी के साथ भी छुड़वाने को तैयार थी.
हम दोनो अंदर गये. कोई सीट नंबर नही था. हम हॉल के बीच में, एक लाइन के बीच में बैठे. विनोद के बगल वाली सीट पर एक जवान लड़की थी. वो हम दोनो को देख मुस्कुराइ. मैने भी स्माइल की.
मेरे बगल की सीट खाली थी. लेकिन जल्दी ही 2 आदमी आए, और मेरी बगल वाली सीट्स पर बैठ गये. मेरे बगल में जो बैठा था, वो मुझे पहली ही झलक में पसंद नही आया. वो एक अधेड़ उमर का दुबला पतला आदमी था.
अचानक हॉल की लाइट बंद हो गयी, और एक अनाउन्स्मेंट हुई, “आप सभी का मॉडर्न सिनिमा में स्वागत है, अब इस हॉल का मैं गाते सिनिमा ख़तम होने के बाद ही खुलेगा. स्त्री पुरुष दोनो के लिए एक ही कामन बातरूम है. इस हॉल में किसी औरत के साथ किसी तरह की ज़बरदस्ती बर्दाश्त नही की जाएगी.
जो भी किसी भी औरत के साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश भी करेगा, उसके हाथ-पावं तोड़ दिए जाएँगे. आप सब आराम से अपने साथ आई औरतों के साथ मज़ा लेते हुए सिनिमा का आनंद लीजिए”.
मैं बहुत सिनिमा देखती थी, लेकिन कभी ऐसी अनाउन्स्मेंट नही सुनी थी. और ये सुन कर शॉक्ड हो गयी, की माले-फीमेल दोनो के लिए कामन बातरूम थे. मैने बेटे की थाइस को दबाया.
मैं: लगता है की तुम इस हॉल में पहले भी आ चुके हो. कितना गंदा माहौल है.
एक दूसरे को किस करने की आवाज़ और औरतों की मोन्स हॉल में गूँज रही थी.
विनोद: नही मा, मैने ड्राइवर से कहा की हमे ऐसे हॉल में ले जाए जहा सेक्सी मोविए चल रही हो, और वो हमे यहा ले आया.
मैने फुसफुसा कर कहा: ग़लती से भी मा मत कहो, नाम से बुलाओ.
हॉल में अंधेरा था ही. फिर विनोद मेरी एक चूची को दबाने लगा. बिना कुछ बोले मैने उसका हाथ झटक दिया. बेटे ने अपनी इंटेन्षन सॉफ कर दी थी. अब मैं कुछ नही कर सकती थी.
हॉल का डोर सिनिमा ख़तम होने के बाद ही खुलता. मैं विनोद को रोकती, माना करती, हल्ला करती, तो लोगों को मालूम हो जाता की मैं बेटे के साथ ऐसी गंदी जगह पर आई थी. इसलिए मैं चुप रही.
तभी सिनिमा चालू हुआ. इंग्लीश फिल्म थी. एक घर में मा और बेटे बातें कर रहे थे. तभी नॉक हुआ. बेटे ने डोर खोला तो 7 नीग्रोस घर के अंदर घुसे. सभी 6 फुट से लंबे, और बहुत मज़बूत दिख रहे थे. एक ने औरत से कहा, की उसके बेटे ने 6 महीना पहले उनसे लोन लिया था. लेकिन अभी तक वापस नही किया.
एक नीग्रो: हम आज ही पूरा लोन लेकर जाएँगे. नही तो अभी तुम्हारे बेटे को मार देंगे.
औरत बहुत घबराई हुई थी.
औरत: हमे तोड़ा और टाइम दो. सारा लोन जल्दी वापस कर देंगे.
और बोलते हुए औरत सोफे पर ऐसे बैठी, की उसकी पूरी जाँघ नंगी हो गयी. मुझे अपनी जाँघ बहुत पसंद थी, लेकिन उस सिनिमा वाली औरत का जाँघ बहुत ही सुडौल, कड़क और मांसल थी.
सभी नीग्रोस ने आपस में कुछ बात की.
दूसरा नीग्रो: मेडम, हम अपना रुपया वापस नही लेंगे. आज से, अभी से, आप दोनो हमारे दोस्त है. लेकिन दोस्त बनने के पहले आपको हम सभी को सॅटिस्फाइ करना होगा.
औरत या उसका बेटा कुछ रेस्पॉन्स देता, उससे पहले सभी नीग्रोस ने ट्राउज़र्स की ज़िप्स खोल कर अपना-अपना लोड्ा बाहर निकाला. मैं समझती थी की मेरे कुंदन का लोड्ा ही सबसे बढ़िया था. लेकिन नही, इन सभी नीग्रोस के लोड कम से कम 9 इंच लंबे तो थे ही. कुंदन के लोड से मोटे भी थे.
और फिर पाँच मिनिट के अंदर ही औरत सभी 7 लोड़ों के साथ खेलने लगी. कभी किसी लोड को चूस्टी, तो साथ ही दोनो हाथो से बाकी लोड़ों को सहलाती थी. थोड़ी देर तो बेटा अपनी मा की मस्ती को देखता रहा, लेकिन फिर वो भी नंगा हो गया. उसने अपनी मा के मौत में लोड्ा पेल दिया.
और इधर बेटा विनोद मेरी जांघों को सहला ही रहा था. फिर मेरी बगल में बैठे आदमी ने मेरी चूची दबाई. सिनिमा में चुदाई शुरू हो चुकी थी. सभी नीग्रोस और औरत का बेटा भी जब मौका मिलता था मा की बर से खेल रहा था.
मैने चूची पर से हाथ को झटक दिया और उससे सुनते हुए बोली-
मैं: कंप्लेंट कर दूँगी तो लोग तुम्हारे हाथ पावं तोड़ देंगे.
मेरी बगल वाले दुबले आदमी ने मुझे समझाया: मेडम, आप शायद यहा पहली बार आई है. यहा कोई किसी के साथ ज़बरदस्ती नही करता है, लेकिन अपने अगाल-बगल आयेज-पीच्चे देखिए, सभी औरते नंगी हो गयी है, और अपने मर्दों के साथ मस्ती मार रही है.
ऐसा चुदाई का सिनिमा देख कर आप भी ज़रूर गरम हो जाएँगी. मुझे तो मज़ा मिलेगा ही, आपको भी मज़ा मिलेगा. मुफ़्त की मस्ती क्यूँ छ्चोढ़ रही है?
मैं सिनिमा देखने में व्यस्त थी. अगाल-बगल, आगे-पीछे देखा, सभी की सभी टॉपलेस हो गयी थी. मेरे सामने बैठी औरत उठ कर अपने बगल में बैठे मर्द की गोदी में बैठ गयी. मैं इधर-उधर देख रही थी, और बेटे ने मेरा हाथ खींचा और अपने लोड पर रखा.
लवदे को छूटे ही दिल खुश हो गया. नीग्रो के लोड जैसा नही था, लेकिन बेटे का लोड्ा लंबा भी था और मोटा भी. साथ ही बहुत कड़क भी था. मैं हाथ-हटा नही पाई, और बेटे के लोड को सहलाने लगी.
मेरी दूसरी तरफ बैठे आदमी ने देख लिया होगा की मैं किसी का लोड्ा सहला रही थी. उसने मेरा दूसरा हाथ खींचा, और अपने लोड पर रख दिया. ना मैने हाथ हटाया, और ना ही उससे कुछ बोली. अब मैं एक साथ 2 लोड़ों को सहला रही थी.
फिर वो बोला: मेरा नाम सुदेश है, तुम्हारा नाम क्या है?
मैने उसके लोड को ज़ोर से दबाते हुए अपना नाम बताया: करिश्मा.
सिनिमा की चुदाई देखती हुई मैं दोनो हाथो से 2 लोड सहला रही थी. विनोद का लोड्ा सुदेश के लोड से मोटा भी था और लंबा भी. मेरे अगाल-बगल बैठे दोनो बीच-बीच में मेरी चूचियों को भी मसल देते थे.
सुदेश: बहुत ही मस्त और कड़क चूची है. ब्लाउस निकाल दो.
मैं: नही, उपर से ही मज़ा लो.
किसी ने मेरी ब्लाउस नही खोली. लेकिन दोनो ने मेरी जांघों को नंगा कर दिया.
विनोद और सुदेश दोनो ने एक साथ कहा: अफ इससे बढ़िया और मस्त जाँघ किसी और की नही होगी.
सिनिमा में एक औरत 8 लोड से एक साथ मस्ती ले रही थी. उससे ज़्यादा मज़ा मुझे एक साथ 2 मर्दों से मस्ती लेने में आ रहा था.
विनोद: करिश्मा, ब्लाउस खोलने दो.
मैं: नही, चूची देख कर क्या करोगे? बर से खेल ही रहे हो.
दोनो का एक-एक हाथ मेरी बर को सहला रहे थे, और देखते ही देखते बेटे की 2 उंगलियों के साथ सुदेश की भी 2 उंगलियाँ मेरी बर में घुस गयी.
सुदेश: कितनी टाइट और रसीली छूट है. रानी मेरे लोड पर बैठ जाओ, लोड्ा छूट में घुसाने दो.
लेकिन बोलते-बोलते सुदेश के लोड ने पानी छ्चोढ़ दिया. मैने लोड को ज़ोर से दबाया और हाथ हटा लिया.
मैं: मुझे ऐसे ढीले लोड से छुड़वाने की आदत नही है. जाओ मेरे बगल से हॅट जाओ.
सुदेश को ज़रूर बुरा लगा होगा की वो इतना जल्दी झाड़ गया. सुदेश ने लोड्ा ट्राउज़र्स के अंदर किया, और उठ गया. उसके बगल में बैठा आदमी भी उठ गया, और दोनो एक तरफ चले गये. दोनो शायद बातरूम गये होंगे.
मैं: विनोद अब बस, बहुत हो गया. छोड़ना है तो उंगली नही, मुझे छूट में ये मस्त लोड्ा चाहिए.
मैं बेटे से छुड़वाने को तैयार थी. मैने अपना सारी साया को नीचे कर दिया. बेटे के लोड को तेज़ी से मुठियाते हुए सिनिमा देखती रही. एक नीग्रो औरत को छोड़ रहा था, और बेटे ने मा की गांद में लोड्ा पेल दिया था.
औरत दोनो हाथो से 2 लोड़ों को सहलाते हुए बारी-बारी से दूसरे लोड को चूस रही थी. मेरा भी जी कर रहा था की बेटे का लोड्ा चूसू. लेकिन मैं चाहती थी की बेटा खुद मुझे लोड्ा चूसने के लिए कहे.
7-8 मिनिट बाद मेरी दूसरी तरफ वाले दोनो आ गये. लेकिन इस बार मेरी बगल में सुदेश नही उसका दोस्त बैठा था. बैठते ही उसने मुझे अपनी बाहों में लिया, और मुझे टाइट्ली पकड़ कर चूमने लगा. 2-3 बार मुझे चूम कर उसने मुझे छ्चोढा.
वो आदमी: मेडम, मेरा नाम लल्लन है. सुदेश ने कहा की आप बहुत कड़क है, लेकिन वो ग़लत है. आपके जैसी बढ़िया माल मैने कभी देखी नही. सिनिमा के बाद हमारे साथ होटेल में चलिए. जितनी मस्ती से वो औरत 8 मर्दों से मज़ा ले रही है, उससे ज़्यादा मज़ा आपको मैं अकेले ही दूँगा. आप जो बोलेंगी सब दूँगा.
इस आदमी को अपने उपर बहुत भरोसा था.
मैं: मैं रंडी नही हू. मेरे दोस्त को नही मालूम था की इस हाल में इतनी गंदी मोविए दिखाई जाती है. लेकिन अब आ ही गयी हू तो थोड़ी मस्ती भी ले लू. तुम्हारे दोस्त का लोड्ा बहुत ढीला था. देखे तुम्हारा लोड्ा कैसा है.
मेरे बेटे का लोड्ा तब भी मेरे हाथ में पूरा टाइट था. लल्लन ने मेरा एक हाथ अपनी तरफ खींचा और उसके लोड पर हाथ पड़ते ही मैं लाउड्ली बोली-
मैं: बाप रे, बहुत मोटा है. मेरी छूट फहत जाएगी.
लेकिन फिर मैं आराम से लल्लन के लोड को सहलाने लगी.
एक औरत की आवाज़ आई: कोई भी लोड्ा कितना भी लंबा और मोटा हो, हम रंडियों की बर उससे आराम से अंदर ले लेती है. मेडम तुम्हे मोटा लोड्ा पसंद नही तो मेरे पास भेज दो.
मैने कुछ जवाब नही दिया. सुदेश और बेटे ने ब्लाउस खोलने के लिए कहा था, और मैने माना कर दिया था. लल्लन ने बिना कुछ बोले मेरे ब्लाउस के सारे बटन्स खोल दिए, पीछे हाथ घुसा कर ब्रा का हुक खोला और एक चूची को चूसने लगा.
विनोद इसका ही वेट कर रहा था. मेरा बेटा मेरी दूसरी चूची को चूसने लगा. इतना ही नही, दोनो ने मेरी सारी और साए को कमर तक उठा दिया. मैने नज़र नीचे की, तो मुझे अपनी चिकनी छूट दिखाई दी. लल्लन और विनोद एक साथ चूची चूस्टे हुए मेरी छूट से खेलने लगे.
लेकिन विनोद इस डबल मस्ती को ज़्यादा देर नही संभाल पाया. वो भी झाड़ गया, लेकिन मैं बेटे से खुश थी. वो करीब 40-45 मिनिट्स मेरे हाथ में टाइट रहा. विनोद बातरूम की तरफ चला गया.
लल्लन: रानी, बर्दाश्त करना बहुत मुस्किल हो रहा है. 15-20 मिनिट में सिनिमा ख़तम होगा. उसके बाद मेरे साथ होटेल चलो. मेरे जैसा चुदाई का मज़ा तुम्हे और कोई नही दे सकता है.
सच, इस लल्लन का लोड्ा सिनिमा के नीग्रो के लोड जैसा ही लंबा था. लेकिन सभी लोड से ज़्यादा मोटा था. मैं खुद इस मूसल को अपनी छूट में लेना चाहती थी. मैने अपना भाव दिखाया.
मैं: झूठ नही कहती, बहुत ही मस्त लोड्ा है. कोई भी औरत बहुत प्यार से इसको अपने अंदर लेगी. लेकिन आज मेरे पास समय नही है. टाइम से घर नही पहुँचुँगी तो घर वाला बहुत नाराज़ होगा. फिर कभी सही.
लल्लन का लोड्ा ही सबसे बढ़िया नही था. वो जिस तरह से मेरी चूचियों को चूस रहा था वैसा मज़ा ना कुंदन से चूची चुसवाने में आया था, ना ही पति से और ना ही विनोद से.
लल्लन: तुम शायद दर्र रही हो. मेरे साथ दोस्ती करोगी, तो तुम्हारा फ़ायदा ही फ़ायदा है. कल अपने पति से बोल कर आ जाओ. तुम्हे मुझसे कभी कोई शिकायत नही होगी.
मैं खूब तेज़ी से लोड्ा सहला रही थी. लेकिन लोड्ा ढीला होने का नाम ही नही ले रहा था. मुझे भी ये मस्त लोड्ा अपनी छूट में चाहिए था.
मैं: कल नही परसो अवँगी. लेकिन मेरा फ्रेंड भी साथ रहेगा. दोनो मिल कर मुझे छोड़ना.
लल्लन: आज हम 5 बजे का शो देख रहे है, परसो टीन बजे के पहले आ जाना.
मैं: ठीक है अवँगी.
तभी विनोद भी वापस आ गया, और बैठते ही उसने फिर लोड्ा निकाला और छूट को सहलाते हुए मेरी एक चूची को चूसने लगा. मैं ये देख के खुश हुई की जो लोड्ा 8-10 मिनिट पहले झाड़ा था, फिर फ्लॅग पोस्ट की तरह टाइट था.
विनोद: रानी, बातरूम में 15-16 नंगी औरते थी, और कुछ लोग चुदाई भी कर रहे थे.
लालन: सिर्फ़ बातरूम में ही नही, ज़रा नज़र घूमाओ. बहुत से आदमी गोदी में बिता कर अपनी माल को छोड़ रहे है. लेकिन मुझे एसी चुदाई पसंद नही. मुझे अपनी माल को खुश करने के लिए कम से कम 2 घंटा समय चाहिए.
विनोद को लल्लन का मूसल जैसा लोड्ा दिख गया था.
विनोद: रानी, एसे लंबा और मोटा लोड्ा छूट में लॉगी, तो छूट फॅट जाएगी.
मैं दोनो लोड़ों को मसालते हुए बोली-
मैं: एक बार छूट फॅट जाती है, तो कैसा भी लोड्ा हो, छूट में आराम से घुस जाता है.
कुछ समय और गुज़रा. सिनिमा में 8 के 8 मर्दों ने औरतों को छोड़ लिया था. कुछ ने उसकी गांद भी मारी. लेकिन मैने तब तक कोई लोड्ा गांद में नही लिया था. लल्लन के साथ-साथ मेरा बेटा भी मेरे साथ पूरी मस्ती ले रहा था.
तभी एक हूटर बजा.
लल्लन: करिश्मा, 5 मिनिट में सिनिमा ख़तम हो जाएगा. कुछ करो, मेरे लोड को ठंडा कर दो, नही तो लोड्ा फॅट जाएगा.
मैने कोई समय वेस्ट नही किया. विनोद का लोड्ा छ्चोढा, और वही झुक कर लल्लन के लोड को धीरे-धीरे मौत के अंदर लेने लगी. सिर्फ़ 3-4 इंच लंबाई को मौत में लिया, और उसके दोनो थाइस को सहलाते हुए विगरस्ली चूसने लगी. लल्लन लाउड्ली मोन्स करने लगा.
फाइनल हूटर बजा, हॉल की सारी लाइट्स स्विच्ड ओं हो गयी. लेकिन मैं लोड्ा चूस्टी ही रही. कुछ लॅडीस और जेंट्स हमारे आस-पास आ गये. मैं लोड्ा चूस्टी ही रही. फाइनली, लल्लन झड़ने लगा. मैने लोड को मौत से बाहर नही निकाला. सारा रस्स मौत में कलेक्ट किया.
लोडा ढीला हो कर बाहर निकल गया, और मैं सब को दिखाते हुए सारा रस्स निगल गयी. फिर मैं खड़ी हुई. हॉल के सभी लोगों ने मेरी नंगी जवानी, मेरी चूत, चूतड़ और चूचियाँ देखी होंगी. मैने आराम से अपने कपड़ों को ठीक किया. लल्लन ने धीरे से कहा-
लल्लन: परसो टीन बजे के पहले.
मैने . किया. फिर बेटे के साथ मैं बाहर आई, टॅक्सी ली, और . बजे के पहले घर पहुँच गयी. पति को आने में . घंटा था. . रूम में ही मैं नंगी हुई और लाउड्ली कहा-
मैं: बेटा . अपनी मा को.
विनोद अपनी जगह पर खड़ा रहा. मैने उसको नंगा किया, लेकिन उसका ढीला लोड्ा देख कर दिल बैठ गया.
आयेज की कहानी अगले पार्ट में.