ही दोस्तों मेरा नाम अरुण है, और मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आया हू. उमीद है की आपको पिछला पार्ट पढ़ कर मज़ा आया होगा, और आपका पानी भी निकल गया होगा.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की मेरे घर पर 12त के रिज़ल्ट की पार्टी चल रही थी, और मेरे 2 दोस्त पारस और जाई आए हुए थे. फिर पारस ने हमारी कांवली उषा को पैसे देके चुदाई के लिए पूछा.
वो भी मान गयी, और हमने उसकी चुदाई चालू की. उसने 2 लड़कों को एक बार चढ़ने से माना किया था. लेकिन फिर भी मैं और जाई उस पर एक साथ सवार हो गये. अब मैं उसकी गांद छोड़ रहा था, और जाई उसकी छूट. अब आयेज बढ़ते है.
मैं और जाई पुर जोश में उषा को छोड़ रहे थे. वो भी मज़े ले रही थी, और आहह आ की आवाज़ो के साथ अपने दोनो च्छेद छुड़वा रही थी. पारस पास ही में सोफा पर बैठा था, और अपना लंड हिला कर फिरसे खड़ा कर रहा था.
तभी घर का दरवाज़ा खुला, और एक चीख की आवाज़ आई. आवाज़ सुन कर हम सब घबरा गये. सब ने दरवाज़े की तरफ देखा. दरवाज़े पर और कोई नही मेरी मा थी (मा के पास एक एक्सट्रा चाबी थी, जिससे उसने दरवाज़ा खोला था).
अब पहले आपको मेरी मा के बाए में बता देता हू. मेरी मा का नाम रूपाली है, और वो 45 साल की है. वो अपनी फिटनेस का पूरा ध्यान रखती है, इसलिए अपनी उमर से 10 साल कम ही लगती है. उनका रंग गोरा है, और फिगर साइज़ 36-30-38 है.
मा ब्लॅक जीन्स और ब्लू त-शर्ट में थी. जीन्स में मा की मोटी जांघें मस्त लग रही थी, और त-शर्ट में मा के गोरे-गोरे मोटे बूब्स बाहर आने को तैयार थे. अब सीन पर वापस चलते है.
मैं और जाई उषा को छोड़ रहे थे, और मा हमारे सामने थी. मा को देखते ही मैं जल्दी से खड़ा हुआ, और अपनी बॉडी ढकने लग गया. उधर पारस, उषा, और जाई ने भी खुद को ढकना शुरू किया.
फिर मा हमारी तरफ बढ़ने लगी. उनके चेहरे पर गुस्सा था. उषा जल्दी से अंदर किचन में भाग गयी, और अब हम तीनो दोस्त मा के सामने नंगे थे. हमने अपने लंड किसी ना किसी चीज़ से च्छूपाते हुए थे.
फिर मा बोली: ये क्या कर रहे थे तुम लोग? और तुम लोगों ने ड्रिंक कर रखी है?
मेरी तो बोलती ही बंद हो गयी थी. फिर पारस बोला-
पारस: आंटी हम तो बस तोड़ा मज़ा कर रहे थे.
मा: इसको मज़ा कहते हो तुम लोग!
जाई: आंटी यही तो असली मज़ा है.
उन दोनो के जवाब सुन कर मा ने मेरी तरफ देख कर कहा-
मा: ये दोस्त है तुम्हारे, इनको तो तमीज़ नही है. देखो कैसे हर बात का जवाब है इनके पास.
मा की ये बात सुन कर पारस आयेज बढ़ा, और उसने मा को पकड़ कर किस करना शुरू कर दिया. एक-दूं हुई पारस की इस हरकत को मा समझ नही पाई, और उससे अलग होने की कोशिश करने लगी. लेकिन पारस की पकड़ मज़बूत थी.
मैं पारस को रोकने के लिए आयेज जाने लगा, लेकिन तभी जाई ने मेरा हाथ पकड़ लिया. वो मुझे बोला-
जाई: करने दे उसको. आज उषा के साथ तेरी मा का भी मज़ा लेंगे.
पारस मा को ज़ोर-ज़ोर से किस कर रहा था, और उनकी गांद दबा रहा था. मा झटपटा रही थी, लेकिन उससे अलग नही हो पा रही थी. उनको देख कर मेरा लंड भी फिरसे खड़ा होने लगा था, जो मा के दर्र से बैठ गया था.
मा ने तकरीबन 4-5 मिनिट रेज़िस्ट करने की कोशिश की, लेकिन फिर वो भी गरम हो गयी. वो पारस का साथ नही दे रही थी, लेकिन उसको माना भी नही कर रही थी. फिर जाई आयेज बढ़ा, और मा को पीछे से पकड़ कर उसके बूब्स दबाने लगा. पारस वैसे ही मा के होंठ चूज़ जेया रहा था, और अब मा भी उसका साथ देने लगी थी.
फिर जाई अपने हाथ मा की कमर पर ले गया, और उसने मा की जीन्स का बटन खोल कर जीन्स उतार दी. अब मा सिर्फ़ पनटी और त-शर्ट में थी. मा की जांघें कमाल की सेक्सी लग रही थी.
जाई फिर नीचे बैठा, और उसने मा की पनटी उतार कर अपना मूह मा की गांद में डाल लिया. मा ने भी अपनी गांद पीछे कर ली, ताकि वो आराम से गांद चाट सके. वो मा की टाँगों के बीचे में हाथ डाल कर उनकी छूट भी सहला रहा था.
उधर पारस ने मा की त-शर्ट और ब्रा उतार दी, और अब मा हमारे सामने नंगी थी. वो मा के बूब्स चूसने लग गया, और मा आ आ करते हुए मुझे देखने लग गयी. वो जाई के सर पर हाथ रख कर उसका मूह अपनी गांद में दबा रही थी.
फिर पारस भी घुटनो पर बैठ गया, और मा की छूट चूसने लगा. मा उन दोनो के सर अपनी छूट और गांद में दबा रही थी. उनको ऐसे देख कर मैं भी अपना लंड हिलने लग गया. फिर पारस नीचे लेट गया, और मा उसके लंड पर बैठने लगी.
जैसे ही मा ने उसका लंड छूट पर सेट किया, पारस ने ज़ोर का धक्का लगा कर पूरा लंड एक ही बार में अंदर डाल दिया. इससे मा की ज़ोर की चीख निकली. फिर पारस मा के चूतड़ पकड़ कर ताबाद-तोड़ धक्के मारने लगा.
फिर जाई मा के पीछे आया, और उसने लंड मा की गांद पर सेट किया. उसने लंड पर थूक गिराई, और गांद में डालने लगा. मा को बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन पारस ने उनको जकड़ा हुआ था. 1-2 मिनिट में जाई ने पूरा लंड मा की गांद में डाल दिया.
मा दर्द भारी आहें ले रही थी, और वो दोनो मा को छोड़ रहे थे. कुछ देर में मा के दोनो च्छेद अड्जस्ट हो गये, और मा मज़े से चूड़ने लगी. चूड़ते हुए मा ने मेरी तरफ देखा, और उषा को आवाज़ लगाई. उषा बाहर आई, तो मा उसको बोली-
मा: देख नही रही मेरा बेटा फ्री खड़ा है. जेया जाके उसका लंड ठंडा कर.
फिर उषा मेरे पास आ गयी. मैने फिरसे उसको नंगा किया, और मिशनरी पोज़िशन में उसको छोड़ने लग गया. मैं छोड़ ज़रूर उषा को रहा था, लेकिन मेरी नज़र मेरी मा की तरफ थी. मा भी मुझे ही देख रही थी, और आ आ कर रही थी.
मेरे धक्के इतनी ज़ोर के थे, की उषा चीखने लग गयी थी. अब तक जाई का पानी निकल चुका था, और अब सिर्फ़ पारस बचा था. मा ज़ोर-ज़ोर से उस पर कूद रही थी, और उसको अपने बूब्स चुस्वा रही थी. फिर पारस भी झाड़ गया.
उसके झड़ने के बाद मा खड़ी हुई, और मेरे पास आई. मैं अभी भी उषा को छोड़ रहा था. मा ने मुझे और उषा को खड़ा किया, और उषा को साइड करके अपने घुटनो के बाल बैठ गयी.
फिर वो घूम कर घोड़ी बन गयी और बोली: अपने पास होने का गिफ्ट तू नही लेगा?
मैं जल्दी से घुटनो के बाल हुआ, और अपना लंड मा की छूट में डाल दिया. मैने मा के चूतड़ पकड़े, और ज़ोर के धक्के मारने शुरू कर दिया. मा आहह आ करती गयी, और मैं धक्के मारता गया. मा झाड़ गयी तो उसका सफेद पानी मेरे लंड से टपकने लगा था.
आधा घंटा मैं मा को छोड़ता रहा. फिर मैने अपना पानी मा के अंदर ही निकाल दिया, और उनके उपर ही लेट गया. कुछ देर बाद मा बोली-
मा: आज मैं बहुत वक़्त बाद चूड़ी हू, और मुझे बहुत मज़ा आया. तुम लोग इस तरह की पार्टी चाहे रोज़ किया करो.
उस दिन से मैं रोज़ अपनी मा को छोड़ने लगा. हफ्ते में 1-2 बात पारस और जाई भी आते और हम मिल कर मा और उषा की ठुकाई करते.
थे एंड.