ही गाइस, मेरा नाम रोशनी है. मैं राजस्थान की रहने वाली हू. मेरी उमर 28 साल है, और मैं एक विधवा हू. मेरा फिगर 36-34-38 है. रंग मेरा गोरा है, और मेरी गाड़ देख कर तो मर्द पागल हो जाते है.
मेरी शादी 23 साल की उमर में हो गयी थी. मेरे पति एक ऑटो ड्राइवर थे, और उनका एक बड़ा सा परिवार था. देखने में मेरे पति हटते-काटते थे, लेकिन उनकी लुल्ली सिर्फ़ 3 इंच की थी.
मैं एक लोवर मिड्ल क्लास फॅमिली से थी, और मुझे ज़्यादा आज़ादी नही मिली थी अपने घर से. पहली बार मैने अपने पति का ही लंड देखा था.
सुहग्रात पर मुझे कुछ ख़ास मज़ा नही आया, और आयेज भी जब भी सेक्स किया, मुझे कुछ ख़ास मज़ा नही आया.
फिर एक दिन मेरी अपनी पुरानी दोस्त से बात हुई. उसने मुझे कहा की सेक्स में बहुत मज़ा आता है. उसकी बात सुन कर मैं सोच में पद गयी, की अगर इतना मज़ा आता है, तो मुझे क्यूँ नही आता.
इसी तरह बिना मज़े की चुदाई करते-करते 3 साल बीट गये, और 2 बच्चे भी हो गये. और इससे पहले की मुझे कभी सेक्स का मज़ा आता, मेरे पति एक आक्सिडेंट में चल बसे.
अब तो मैं जो मिल रहा था, उससे भी गयी. कम से कम मेरे पति मेरे होंठ और बूब्स तो चूस लेते थे, जिसमे मज़ा आता था. लेकिन अब मैं क्या करती. मेरी तो छूट ही सूखने लगी थी.
फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जिससे मेरी ज़िंदगी बदल गयी. मेरी पूरी फॅमिली कोई फंक्षन अटेंड करने गयी थी, और मैं घर पर अकेली थी.
रात के 10 बाज रहे थे, और तभी घर का दरवाज़ा किसी ने नॉक किया. मैने दरवाज़ा खोला, तो बाहर जेठ जी खड़े थे. उन्होने दारू पी रखी थी, और वो सीधे खड़े भी नही हो पा रहे थे.
जेठ जी को बहुत ज़्यादा दारू पीने की आदत थी. और वो रोज़ पी कर घर आते थे. मैने तो उनको फॅमिली के साथ फंक्षन पर जाते देखा था. पता नही कैसे वो वापस आ गये थे.
फिर मैने उनको संभाला, और उनके कमरे तक लेके गयी. उनके कमरे में जाके मैने उनको बेड पर लिटाया, और उनके जूते उतार कर उनके पावं भी बेड पर कर दिए.
फिर जैसे ही मैं रूम से बाहर जाने के लिए मूडी, तो उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने उपर खींच लिया. मैं सीधा उनके उपर लेट गयी, और मेरे बूब्स उनकी चेस्ट पर डब गये.
मैं जल्दी से उठी, और रूम के बाहद जाने लगी. लेकिन जेठ जी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया, और मेरी गर्दन पर किस करने लग गये. मैने उनको बोला-
मैं: जेठ जी, ये आप क्या कर रहे है?
जेठ जी: ई लोवे योउ रानी.
रानी मेरी जेठानी का नाम है. मैं समझ गयी थी की वो मुझे अपनी बीवी समझ रहे थे. फिर मैने अपने आप को दोबारा च्चूदवया, और उनको बेड पर लिटा कर जाने लगी.
इस बार उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड पर खींच लिया, और मेरे उपर आ गये.
इससे पहले की मैं चिल्लती, उन्होने अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिए, और मेरे होंठ चूसने लगे. वो भारी थे, तो मैं हाथ पावं नही हिला पा रही थी. और मेरा मूह उन्होने अपने होंठो से बंद कर लिया था.
मैने ज़ोर लगा कर उनको पीछे हटाने की कोशिश की, लेकिन मैं कामयाब नही हो पाई. वो लगातार मेरे होंठो को चूज़ जेया रहे थे. बहुत देर से किसी मर्द ने मुझे च्छुआ नही था, और मुझे मज़ा भी आने लग गया था.
मैं अपने जिस्म के हाथो मजबूर हो गयी, और मैने उनके सामने घुटने टेक दिए. अब मैं भी उनका चुंबन में साथ देने लग गयी.
वो अपना एक हाथ उपर लेके आए, और चोली पर से मेरा बूब दबाने लगे. दूसरा हाथ वो मेरे घाग्रे में ले गये, और मेरी कक़ची के उपर से मेरी छूट को मसालने लग गये.
इतना मज़ा आ रहा था की मैं क्या बतौ. मैने सोचा की जो हो रहा है उसको हो जाने देती हू. फिर जेठ जी मेरे होंठो को छ्चोढ़ कर मेरी गर्दन को चूमने लगे. उन्होने मेरी चोली उतार दी, और अब मेरे सुंदर बूब्स खुले पड़े थे उनके सामने.
फिर उन्होने मेरे दोनो बूब्स को दोनो हाथो से पकड़ा, और निपल्स चूसने शुरू कर दिए. मेरी सूखी चुकी छूट गीली हो रही थी.
कुछ देर बूब्स चूसने के बाद वो नीचे गये और मेरी कमर चूमने लगे. फिर उन्होने मेरा घाग्रा नीचे किया, और साथ में कक़ची भी उतार दी.
उसके बाद उन्होने मेरी छूट को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया. मेरी छूट कभी मेरे पति ने नही छाती थी, तो ये मेरा पहला अनुभव था. जैसे-जैसे वो मेरी छूट चाट रहे थे, मेरा मज़ा बढ़ता जेया रहा था.
और उस दिन ज़िंदगी में पहली बार मैं झाड़ गयी. वो मेरी छूट का सारा पानी पी गये. उस दिन मुझे पता चला की सेक्स का मज़ा क्या होता है. लेकिन पिक्चर अभी बाकी थी.
फिर उन्होने अपने कपड़े उतार दिए, और उनका बड़ा सा लंड मेरे सामने था. उनका लंड मेरे पति के लंड से 2 गुना से भी बड़ा था. मुझे तो वो 7 इंच का लग रहा था.
उनके लंड को देख कर मेरे दिमाग़ में आया, की ऐसा भी लंड होता है. वो अपने लंड को हाथ से हिलाते हुए मेरी जांघों के बीच आए. फिर उन्होने मेरी छूट पर अपना लंड रगड़ना शुरू किया.
मैं आहह आ कर रही थी, और मेरी छूट फिरसे झाड़ गयी. 5 मिनिट वो लगातार मेरी छूट अपने लंड से रगड़ते रहे. फिर उन्होने मेरी दोनो टांगे मोदी, और अपना लंड एक ही झटके में मेरे मूह में पेल दिया.
मेरी ज़ोर की चीख निकली, लेकिन उन्होने अपने हाथ से मेरा मूह बंद कर दिया. मेरी छूट से तोड़ा खून निकला, और उन्होने लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया. फिर वो नीचे हुए, और छोड़ने के साथ मेरे होंठ चूसने लगे.
वैसे तो मुझे शराब की स्मेल अची नही लगती थी, लेकिन उनके मूह से आ रही शराब की स्मेल मुझे बड़ी हसीन लग रही थी. जेठ जी ऐसे ही मुझे 30 मिनिट तक छोड़ते रहे. इस बीच उन्होने मेरे बूब्स नोच खाए.
मैं इन 30 मिंटो में 2 बार और झाड़ चुकी थी. फिर 30 मिनिट बाद उन्होने अपना लंड बाहर निकाला, और मेरे पेट पर अपना माल छ्चोढ़ दिया. मैने उस माल को अपने हाथ में लिया, और उससे अपनी माँग भर ली.
सही माइने में मैं आज सुहागन हुई थी. वैसे सही तो है, सुहागन वही होती है, जिसकी आचे से चुदाई हुई हो.
उस दिन मुझे चुदाई के मज़े के बारे में पता चला. उसके बाद नही रुकी, और मैने बहुत मर्दों से अपनी चुदाई करवाई. मुझे इतना मज़ा मिला, की मैं सोचती हू की अछा हुआ जो मैं विधवा हो गयी.