मैं मोहित सिंह फिर से हाजिर हूँ आपके समक्ष अपनी नई कहानी लेकर
सबसे पहले मैं अन्तरवासना के सभी पाठकों को धन्यवाद करना चाहता हूँ जो कि मेरे कहानी
जूनियर लड़के की गांड चुदाई
को इतना पसंद किया और मुझे प्यार भरा रिस्पांस दिया।
यह कहानी तब की है जब मैं बारहवीं कक्षा में था, मैं पढ़ने में बहुत स्मार्ट था और दिखने में भी, तो जाहिर है कि साथ कि लड़कियाँ मुझमें इंट्रेस्ट लेगी… और हुआ भी कुछ ऐसा ही।
कई लड़कियों ने ट्राई भी किया लेकिन मेरे ऊपर तो पढ़ाई का भुत सवार था तो मैं किसी को भाव नहीं देता था। लेकिन मेरी बचपन से ही एक बुरी आदत है कि मैं बहुत जल्दी किसी पर भी विश्वास कर लेता हूँ और अपनी तरफ से हर सम्भव उसकी मदद के लिए तैयार रहता हूँ।
बस क्या था, इसी मजबूरी का फायदा उठा लिया मेरे पड़ोस में रहने वाली एक युवा लड़की ने। हुआ यूं कि मेरी पड़ोसन जिसका नाम किरण है, मेरे ही क्लास में पढ़ती थी और हम लोगों में अच्छी खासी अन्डरस्टेन्डिग भी थी। साथ में स्कूल जाना, साथ में लन्च और साथ में ही वापस आना और तो और घर पर एक ही साथ पढ़ते थे क्योंकि उसके घर पर अकेले कमरे की कोई व्यवस्था नहीं थी तो वो भी मेरे ही घर आकर पढ़ती थी। उस समय तक हम लोगों के बीच कोई गलत भावना नहीं थी।
किरण उस समय गणित में कमजोर थी जैसा कि सभी लड़कियों के साथ होता है वो गणित के नाम से डर जाती थी तो मैंने बोला कि परेशान होने कि कोई जरूरत नहीं है मैं हूँ ना!
और मैं उसकी हर सम्भव मदद करता था और वो भी बहुत मेहनत करती थी।
उसकी एक सहेली थी जिसका नाम ऊषा था वो बहुत बडी चुदक्कड़ थी, उसने कई बार मेरे ऊपर डोरे डालने की कोशिश की लेकिन मैं कोई रिस्पांस नहीं देता था.
तो मेरे दोस्त, जिसका नाम अशोक है, बोला- यार, ये तुम पर इतनी मरती है और तुम हो कि कोई रिस्पांस ही नहीं देते?
मैं बोला- यार ये सब मुझे नहीं करना, मुझे पढ़ाई करनी है.
तो वो बोला- ठीक है, तो फिर मेरी सेटिंग करा दो!
मैंने उससे अपना पीछा छुड़ाने के लिये उससे बात करा दी लेकिन वो उससे चुदने को तैयार नहीं थी।
मैं बाद में उसकी चुदाई की कहानी बताऊंगा।
अब हम लोगों का फाइनल एक्जाम हो गया था और रिजल्ट का इन्तजार था, अभी एक्जाम के बाद छुट्टियाँ चल रही थी और हम लोग छुट्टियों का मजा ले रहे थे।
एक दिन हम लोग लुकाछिपी खेल रहे थे और ढूँढने की बारी किरण की थी तो वो एक जगह खड़ी होकर सोच रही थी कि कौन कहाँ छिपा है तब मुझे उसको पीछे से छूना था। छूने के बाद फिर से ढूँढने की बारी उसकी हो जाती तो मैं छूने के लिए बाहर निकला और धीरे धीरे उसके पास गया. तब तक अचानक से वो सामने घूम गयी और मेरा हाथ उसके दोनों गोल-गोल, मुलायम मम्मों पर चला गया जिससे मुझे थोड़ी शर्म आई लेकिन पता नहीं मुझे कुछ अजीब सा होने लगा और मेरा लंड खड़ा होने लगा और मैं झेंप गया और सर नीचे करके उससे कहा- यार सॉरी, मैंने ये जानबूझ कर नहीं किया. अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो उसके लिए सॉरी।
जाने अन्जाने में ही सही लेकिन अच्छा शायद उसको भी लगा था तो उसने कहा- सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए मेरे वजह से ही ऐसा हुआ, मैं अचानक जो घूम गयी और इस तरह की छोटी छोटी बातें तो होती रहती हैं।
तब जाकर मैं नार्मल हुआ।
उसके दो दिन बाद ही हम लोगों का रिजल्ट आने वाला था और हम लोग रिजल्ट को लेकर बहुत उत्साहित थे लेकिन किरण गणित को लेकर बहुत दुखी थी तो मैंने कहा- यार, परेशान मत हो, रिजल्ट अच्छा आयेगा।
और वो दिन आ ही गया और मैं हमेशा की तरह अच्छे नम्बरों से पास हुआ और पापा ने बधाई दी और उधर किरण भी गणित में अच्छे नम्बर लाकर बहुत खुश थी और इतना खुश थी कि मुझसे बताने आई और आकर मेरे गले लग गई और मेरा धन्यवाद करने लगी.
तो मैंने कहा- ये सब तुम्हारी मेहनत का फल है.
लेकिन वो मुझसे बिलकुल चिपकी हुई थी जिसके कारण मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा और अब मैं भी उसको चाहने लगा था और मन ही मन चोदने का भी सोच लिया था।
उस दिन किरण मुझसे बात कर रही थी तो उसकी आँखों में अलग तरह की चमक दिख रही थी। कुछ देर बात करने के बाद जब वो जाने लगी तो मुझसे दूर होते होते मेरे गाल पर किस कर लिया और बोली- ये रही तुम्हारी फीस।
तो मैंने कहा- कि इससे काम चलने वाला नहीं है!
वो बोली- फिर क्या चाहिए?
मैंने कहा- तुम्हें तो बहुत अच्छे से पता है.
तो वो झेंप गयी लेकिन मन ही मन वो भी यही चाहती थी तो एक तरह से वो खुश भी बहुत थी.
हम लोगों ने शाम को गाँव के पीछे वाले बगीचे में मिलने का प्लान किया जो कि मेरे दोस्त अशोक का ही था। वहां रखवाली करने के लिए उन्होंने एक रूम बना रखा था तो मैंने अशोक को सारी बात बताई तो हंसकर बोला- यार, वो दोस्त ही क्या जो दोस्त के काम ना आये!
और वो बोला- ठीक है, शाम को मिलते हैं।
मैं चला आया लेकिन मेरे मन में बहुत बेचैनी हो रही थी कि कैसे मिलूंगा और पहले मैं कहाँ से शुरू करूँगा क्योंकि ये मेरा पहली बार था।
मैं बातों बातों में अपने और किरण के बारे में तो बताना ही भूल गया, खैर कोई बात नहीं, अब बता देता हूँ. जिन्होंने मेरी कहानी जूनियर लड़के की गांड चुदाई पढ़ी होगी उनको तो मेरे बारे में पता ही होगा और जिन्होंने नहीं पढ़ी उनको बताना चाहूँगा कि मैं मोहित सिंह बिहार के गोपालगंज का रहने वाला हूँ और मैं 24 साल का जवान, दिखने में स्मार्ट, हाइट 5’8″ और लन्ड का साइज 6.5″ है। और अभी मैं गुजरात के एक मल्टीनेशनल कम्पनी में मैकेनिकल इंजीनियर हूँ और किरण उस समय भी माल लगती थी, अभी अभी जवानी में दस्तक जो दी थी। उस समय मुझे साइज का तो कुछ पता नहीं था लेकिन सच कहूँ तो वो इतनी खूबसूरत थी कि उसको देख कर किसी का भी लन्ड खड़ा हो जाये और हुआ भी कुछ ऐसा ही था, स्कूल के कई लड़कों ने उसको प्रपोज किया था लेकिन उसने किसी को घास नहीं डाली थी। वो दिखने में गोरी, चिकनी और माल लगती थी।
मैं शाम को थोड़ा जल्दी ही बगीचे में चला गया, जहाँ अशोक पहले से ही मौजूद था। हम लोग मिलकर प्लानिंग करने लगे कि कैसे शुरू करना है और आगे क्या क्या करना है।
तब तक किरण अपनी सहेली ऊषा के साथ आती दिखाई दी तो मैंने अशोक से बोला- बेटा, तुम भी आज मजे ले ही लेना, छोड़ना मत!
और वो भी खुश हो गया, बोला- ठीक है ट्राई करता हूँ।
तब तक वो दोनों लड़कियां हमारे पास आ गई और आते ही ऊषा ने मुझे धमकाते हुए बोली- मेरी सहेली को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिये, नहीं तो मैं तुम्हें छोडूँगी नहीं…
तो मैंने भी बोल दिया- ठीक है!
और हम लोग उस रूम में चले गए।
जब वो मेरे साथ कमरे में आई तो बहुत ही कमाल लग रही थी।
मैंने उससे कहा- आज तो तुम मस्त माल लग रही हो।
वो हंसने लगी.
कुछ देर मेरे से बात करने के बाद उसने मेरे से कहा- यार, जो करना है जल्दी करो, बात तो बाद में भी कर सकते हैं।
उसकी बातों से लग रहा था जैसे वो भी चुदने के लिए बेताब हो रही है।
जब उसने मेरे से ये बात कही तो मैं उसको पकड़ कर दीवार के किनारे ले गया और किरण को दीवार से चिपका दिया और फिर अपने दोनों हाथ को उसकी कमर पर रख कर उसके चिकने और गोरे गाल को चूमते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और उसके होंठों को चूमने लगा।
वो भी मेरे होंठ को चूमते हुए मुझसे लिपटने लगी और उसकी दोनों चूचियां मेरे सीने से दबने लगी जिससे मेरे अंदर जिस्म की आग जल उठी और मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा।
मैं किरण के होंठों को चूमते हुए बहुत ज्यादा ही उतावला होने लगा और मैं उसके पतले और रसीले होंठ अपने मुँह में में लेकर चूमते हुए मैं उसकी चूची भी मसलने लगा और कुछ देर बाद तो मैंने अपने हाथ को उसकी कुर्ती में डाल दिया और उसकी चिकनी और मुलायम चूची को दबाते हुए मैं उसके होंठों को चूम रहा था। उसके होंठ चूमने में बहुत मज़ा आ था।
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छ देर बाद मैंने उसको गोदी में उठा लिया और उसको बेड पर ले गया। मैंने पहले उसकी कुर्ती को निकाल दिया और उसके सफ़ेद रंग के ब्रा को छूते हुए मैंने उसकी चूची को ब्रा के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया और किरण की चूचियों को दबाते हुए चूमने लगा।
कुछ देर उसकी चूची को चूमने से उसका बदन गर्म हो गया और वो चुदने के लिए और भी बेताब होने लगी और मेरे से चिपकती जा रही थी। कुछ देर बाद मैंने उसकी ब्रा को भी निकाल दिया.
जैसे ही मैंने उसके बूब्स देखे तो मेरी आँखें उन्हें देखती ही रह गई। क्या बूब्स थे उसके… एकदम गोरे और एकदम टाइट और उन पर ब्राउन कलर के निप्पल क्या लग रहे थे।
मैंने उसके एक निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगा और पागलों की तरह काटने लगा. वो जोर जोर से आआह्ह्ह अहह की आवाजें निकलने लगी और मुझे धीरे धीरे निप्पल चूसने को कहा. लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, वो भी गर्म हो गई थी और मेरी जींस के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।
मेरा लंड भी पूरी तरह खड़ा हो गया था फिर मैं उठा और अपने कपड़े भी उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर पे आ गया और फिर उसके निप्पल चूसने लगा और काटने लगा.
फिर मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी और उसे पूरी नंगी कर दिया और जैसे ही उसकी चूत देखी तो देखता ही रह गया… उसने आज ही शेव करी थी एक भी बाल नहीं था, एकदम गुलाबी मुलायम चूत थी उसकी!
वो हंसने लगी और उसने कहा कि वो भी मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी इसलिए आज ही चूत शेव करी है। इसके लिए ऊषा ने कहा था कि तुम्हारी पहली बार है तो इम्प्रेशन तो डालना पड़ेगा ना! तो मैंने शेव कर लिया।
जैसे जैसे मैं उसकी चुदाई के लिए बेताब हो रहा था वो भी पूरे जोश में मेरे से चुदने के लिए बेताब होकर जोर जोर से आहें भर रही थी। अब किरण भी बहुत गर्म हो चुकी थी, उसने मेरी अंडरवियर भी निकाल कर फेंक दी और मेरे लंड को बाहर निकाला.
मेरा मोटा लंड देख कर उसकी गांड फट गयी क्यूंकि इससे पहले उसने लंड के दर्शन नहीं किये थे। फिर मैंने अपना लंड उसे अपने मुँह में लेने को कहा. पहले तो उसने मना किया पर मेरे बहुत कहने पर वो मान गयी और उसने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और मजे से चूसने लगी।
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था, आज मेरा वो सपना पूरा हो रहा था जो मैं बहुत दिनों से देख रहा था। मैं उसके मुँह को बराबर अपना लंड डाल के चोद रहा था और वो भी मेरा लंड चूसते हुए मजे लिए जा रही थी।
मैंने थोड़ी देर तक उसको अपना लंड चूसाया फिर मेरा मन उसे चोदने का हुआ, मैंने अपना लंड उसके मुँह से बाहर निकाला, उसको बेड पर लिटा दिया और थोड़ी देर तक अपने होंठों को उसके होंठों में डाल कर चूसा, फिर अपने लंड को उसकी चूत पर रखा और अपने लंड को उसकी चूत पर सहलाने लगा तो वो तड़पने लगी और कहने लगी- जानू, प्लीज अब मत तड़पाओ, डाल दो अंदर, फाड़ दो मेरी चूत को!
देर ना करते हुए मैंने भी अपने लंड को उसकी चूत के अंदर घुसाने के लिए जोर लगाया लेकिन चूत टाइट होने के कारण लंड चूत में जा ही नहीं रहा था। मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने हाथ में पकड़ कर फैला दिया फिर मैंने अपने लंड पर थोडा सा थूक लगाया और फिर लंड उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार झटका मारा जिससे मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया और वो बहुत ज़ोर से चीखने लगी और लंड बाहर निकालने के लिए कहने लगी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।
मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था पर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने उसके लबों को अपने लबों से जकड़ लिया फिर एक और जोरदार झटका मारा जिससे मेरा लंड उसकी चूत फाड़ के उसके अन्दर समां गया.
वो तड़पने लगी और मेरे लंड पे भी उसकी चूत का खून लग चुका था।
खून देख कर वो और डर गयी और रोने लगी.
मैंने उसे समझाया- तुमने ये पहली बार किया है, तभी ऐसा हुआ है।
मैंने उसे समझाया कि उसकी सील टूट चुकी है।
उसकी चीख निकल रही थी पर मैंने उसे अपने लबों से लॉक कर रखा था तो वो कुछ कर भी नहीं सकती थी. मैं धीरे धीरे चूत में लंड को आगे पीछे कर रहा था तो थोड़ी देर बाद वो नॉर्मल होने लगी और आह्ह आःह्ह आआह्ह आआह्ह्ह की आवाज निकालने लगी तो मैं लन्ड को कुछ तेजी से अंदर-बाहर करना शुरू किया.
अब उसे भी मज़ा आ रहा था, वो बड़बड़ा रही थी- जानू और तेज़… और तेज़… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आःह और तेज़ चोदो!
और वो भी मेरा साथ देने लगी और अपनी गांड उठा के चुदवाने लगी।
कुछ देर धीमी गति से चुदाई से किरण को तो मज़ा आ रहा था लेकिन मुझे मेरे को ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था। फिर मैंने उसकी चिकनी कमर को पकड़ा और अपनी चुदाई करने की रफ्तार बढ़ाने लगा और जोर जोर से अपने लंड को उसके चूत के अंदर तक डाल डाल कर निकाल रहा था। जिससे कुछ ही देर में मेरे को तो मज़ा आने लगा, लेकिन जैसे जैसे मैं जोर जोर से चुदाई करने लगा था उसकी चूत में ज्यादा रगड़ की वजह से वो चीखने लगी। लेकिन मेरा मोटा लंड जोर जोर से उसकी चूत में जा रहा था और उसकी चूत से ‘पट पट पट…’ की आवाज़ आने लगी थी जिससे वो भी तड़पते हुए ‘आ आह आह हूँ हु हूँ उफ़ उफ़ हाईई… अहह उहह्ह… ऊँ… ऊँ करके फिर से चीखने लगी थी।
काफी देर तक उसकी चुदाई करने के बाद मैंने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और उसको किस करते हुए मैं उसकी चूचियों को दबने लगा और फिर कुछ देर बाद मैंने फिर से अपने लंड को उसकी चूत में लगाया और फिर से उसकी चुदाई करने लगा। जैसे जैसे मेरा मोटा लंड उसकी चूत में जा रहा था उसकी चूत पूरी तरह से फ़ैल रही थी और वो जोर जोर से चीख रही थी।
बहुत देर तक लगातार चुदाई करने के बाद जब मेरा वीर्य निकलने वाला था तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और कुछ ही झटकों के बाद मैं झड़ गया और हम दोनों थोड़ी देर एक दूसरे के साथ लेटे रहे।
दोस्तो, मेरे में इतनी ताकत नहीं थी कि मैं उसके ऊपर से उठ पाऊँ तो सोचो उसकी क्या हालत होगी।
थोड़ी देर बाद ऊषा आई और मुझे उठाया तब जाकर कहीं मैं नार्मल हुआ।
और वो लगी बोलने- देखो मेरी सहेली का क्या हाल कर दिया है, मैं तुम्हें छोड़ूँगी नहीं!
तो मैंने कहा- देखो, जलन की बू आ रही है, मैं तुम्हें भी देख लूँगा।
और वो हंसकर बोली- ठीक है, वो तो समय बतायेगा।
और वो दोनों चली गयी।
और मैं वहीं अशोक के साथ लेट गया.
अशोक ने बोला- यार, तुम तो निपट लिए लेकिन मुझे तो कुछ मिला ही नहीं.
तो मैंने कहा- क्यों? इतना अच्छा मौका खो दिया?
अशोक बोला- यार, मैंने बहुत ट्राई किया, उसे बहुत मनाया लेकिन वो राजी नहीं हुई।
तो मैंने अशोक से बोला- यार तू टेन्शन मत ले, बहुत जल्दी मजा कराऊँगा.
और कुछ ही दिनों बाद हम दोनों ने ऊषा की जबर्दस्त चुदाई की. वो मैं अगली कहानी में बताऊंगा कि कैसे हम दोनों ने उसकी चुत चोदी।
दोस्तो, इस तरह से मैंने अपनी जिन्दगी की पहली चुदाई की।
आपको मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लगी मुझको अवश्य बताइयेगा।