माँ सेक्स की इस कहानी में पढ़ें कि मेरे एक दोस्त, जो थोड़ा मंदबुद्धि है, ने कैसे अपनी माँ को चोदा. जैसे उसने मुझे बताया, मैंने वैसे ही उसकी कहानी लिख दी है.
मेरा नाम लखन है और मैंने स्कूल पढ़ कर पढ़ना छोड़ दिया था क्योंकि हम लोग काफ़ी ग़रीब घर से हैं.
अभी मेरी उम्र 18 साल है. हालांकि आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मैं आज भी लंड चूत चुदाई जैसी बातों से अनजान हूँ. मैं एक भोला सा लड़का हूँ. पर इस घटना के बाद से मुझे इसका काफी ज्ञान हो गया.
मेरी माँ का नाम सुजाता है और वो 42 साल की हैं. वो देखने में बड़ी मांसल और खूबसूरत हैं.
आप लोगों को तो पता ही है कि गांव में लोग अक्सर जल्दी खाना खा पीकर सो जाते हैं.
एक दिन की बात है. जब मेरी माँ, पिताजी और मैं खाना खा कर बस सोने की तैयारी कर रहे थे. हम सभी साथ में ही सोते थे, क्योंकि हमारे यहां दो कमरे ही हैं. जिसमें से एक में रसोई घर है और दूसरा कमरा बाकी सभी रहने सोने खाने के काम में आता है. उसी कमरे में हम तीनों साथ ही सोते थे.
उस दिन भी माँ ने रोज की तरह बिस्तर नीचे ज़मीन पर ही लगाया था. सोते समय माँ ने टेबल फैन चालू कर दिया और हम सब सो गए.
मेरे पिताजी तो काम करके आते ही खाना खाकर सो जाते हैं क्योंकि वो काफ़ी मेहनत का काम करते हैं और उनकी उम्र भी हो चुकी है. शायद पापा की उम्र मम्मी से करीब दस साल बड़ी है. पिताजी ने सोते समय तौलिया लपेट लिया और वो टांगें पसार कर सो गए. मम्मी ने भी अपनी साड़ी उतार दी. वो भी ब्लाउज और पेटीकोट में ही सो गईं.
मुझे तो बचपन से ही माँ नंगा ही सुलाती आई थी. क्योंकि मैं रात में पेशाब नहीं रोक पाता था. इसलिए माँ मुझे एक साइड सुलाती थीं. वो खुद बीच में सोती थीं. माँ शुरू से ही चड्डी या चोली नहीं पहनती थीं. मैंने रात को पानी पीने के लिए आंख खोलीं, तो मैं देखता ही रह गया. मेरे पिताजी मेरी माँ के ऊपर चढ़ कर कुछ कर रहे थे. मैंने अपनी आंखों को फिर बंद कर लिया और चुपके से देखने लगा. मैंने आज तक ऐसा कभी नहीं देखा था. इसलिए मैं अब ऐसा देख कर हैरान था.
पापा ने मम्मी के ब्लाउज को निकाल दिया और उनके पेटीकोट को ऊपर कर दिया. उन्होंने खुद भी अपना तौलिया निकाल दिया और नंगे हो गए.
फिर पापा ने मम्मी की टांगों के बीच में उंगली डाल दी और आगे पीछे करने लगे. साथ ही वे माँ के चूचों को चूस चूस कर पीने लगे.
थोड़ी देर दूध पीने के बाद पिताजी ने नीचे सरक कर माँ की टांगों के बीच आकर कुछ चाटना शुरू कर दिया. मगर मैं कुछ समझ नहीं पाया कि पिताजी क्या कर रहे हैं. क्योंकि मैंने आज तक देखा नहीं था कि औरतों की टांगों के बीच में क्या होता है. मैं तो ये सोच-सोच कर हैरान हो रहा था कि मेरे पिताजी क्या कर रहे हैं.
तभी अचानक लाइट चली गयी और मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया, तो मैं सो गया.
सुबह जब माँ मुझे जगाने आईं, तो माँ मुझ पर चिल्लाने लगीं क्योंकि मैंने बिस्तर में ही पेशाब कर दी थी. मैं चूंकि बिल्कुल नंगा ही सोया था, तो माँ ने मुझे खड़ा किया और बाथरूम में ले जाकर मुझे नहलाने लगीं. इस समय वो भी केवल पेटीकोट पहने हुए थीं. ताकि मुझे नहलाने में उनके कपड़े गीले ना हो जाएं.
तभी अचानक मेरी नज़र मेरी माँ के पेटीकोट पर गयी, तो मैंने देखा कि माँ का पेटीकोट ऊंचा सा हो गया.
मैंने माँ से पूछा कि माँ ये आपकी टांगों के बीच में क्या है?
माँ ने मुझसे ‘कुछ नहीं है.’ कह कर बात को टाल दिया.
फिर मुझे तैयार करके वो अपना काम करने लगीं. मैं अपने दोस्तों के साथ खेलने चला गया. तभी मुझे कुछ सूझा, तो मैंने अपने एक दोस्त से पूछा कि औरतों की टांगों के बीच में क्या होता है.
तब मुझे मेरे दोस्त ने अपने मोबाइल में एक वीडियो दिखाया और उसने बताया कि औरतों की टांगों के बीच में चुत होती है. आदमियों की टांगों के बीच में लंड होता है, जिसे चुत में डाल कर चुदाई का मजा लिया जाता है.
उससे और भी जानकारी मिली, तब मुझे कुछ सेक्स के बारे में मालूम हुआ. फिर मुझे इन चीजों के बारे में जानने की बड़ी उत्सुकता हुई.
फिर शाम को जब मैं घर पहुंचा, तो माँ ने कहा कि बेटा तेरे पिताजी काम के सिलसिले में बाहर गए हैं, तो मैं तुम्हारे लिए खाना बना देती हूँ. हम जल्दी खाना खा कर सो जाएंगे.
तो मैंने कहा- ठीक है माँ, मुझे भूख भी तेज लग रही है.
माँ ने जल्दी से खाना बनाया और हम दोनों खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगे. अभी लेटने की तैयारी ही की थी कि लाइट आज फिर चली गयी.
माँ ने बिस्तर लगाया और मच्छरदानी लगा दी, ताकि हमें मच्छर ना काटें.
माँ बोली- बेटा पंखे को सामने रख दे और तार लगा कर स्विच ऑन कर देना ताकि लाइट जब आए, तो पंखा चालू हो जाए.
मैंने पंखे को पैरों की ओर रख कर उसे सैट कर दिया और सो गया.
तब तक माँ भी सो चुकी थीं.
रोजाना की तरह पेशाब के कारण मुझे नंगा ही सोना पड़ता था, तो मैं माँ के पास आकर सो गया. माँ ने भी रोजाना की तरह साड़ी निकाल दी थी.
माँ सो गईं, कुछ घंटों बाद लाइट आ गयी, तो मेरी नींद खुल गयी. पंखा चालू हुआ, तो हवा से माँ का पेटीकोट ऊंचा हो गया. उनका पेटीकोट पेट के ऊपर चढ़ गया. तो मैंने देखा कि माँ तो नीचे से पूरी नंगी हो गयी थीं.
आज पहली बार मैं अपनी माँ को नंगी देख रहा था मगर मुझे कुछ समझ नहीं थी. मैंने देखा कि माँ की चूत पर तो जैसे बारिश हो गयी हो, इस तरह से पसीना पसीना हो रहा था. तब मुझे याद आया कि कल रात पिताजी ने माँ की चुत से इसी पसीने को चाटा था.
मैंने सोचा कि आज पिताजी नहीं हैं, तो क्यों ना मैं ही माँ की चुत चाट कर साफ कर दूं. बस मैं खड़ा हो कर माँ के करीब लेट गया. मैंने माँ को मैंने जगा कर उनसे पूछने की कोशिश की, मगर माँ गहरी नींद में सोई हुई थीं, तो माँ जागी ही नहीं.
मैं माँ की टांगों के बीच में आकर माँ की चुत को चाटने लगा और उनकी चूत का सारा पसीना चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
मगर अब परेशानी ये थी कि माँ की चूत में से और पानी आने लगा. अब मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. फिर सोचा कि माँ को गर्मी लग रही होगी, इसलिए पानी तो साफ़ करना ही पड़ेगा. तो मैं एक बार फिर से माँ की चुत चाटने लगा. तब मुझे कुछ चुत से निकला हुआ पानी का स्वाद नमकीन सा लगा. मुझे अब मज़े आने लगे थे और मैं माँ की चुत से नमकीन पानी पिए जा रहा था. तभी मुझे याद आया कि मेरे दोस्त ने जो मुझे वीडियो दिखाया था, उसमें एक आदमी अपना बड़ा सा लंड चुत में फंसाता है.
तब मैंने सोचा कि क्यों ना मैं भी ऐसा ही करूं. मेरा लंड तो, माँ की चुत चाट चाट कर यूं भी खड़ा हो गया था.
मैंने अपना खड़ा लंड माँ चुत पर रखा और अन्दर डाला, तो मेरा लंड माँ की चुत में सट से चला गया. माँ की चुत तो पानी निकलने के कारण पहले से ही पूरी चिकनी हो गयी थी.
मुझे भी लंड पेलने में मजा आ रहा था. मैं धीरे धीरे में माँ को चोदने लगा. मुझे वाकयी बहुत मज़ा आ रहा था. कुछ देर माँ की चुदाई करके मेरे लंड ने भी पानी छोड़ दिया. मैंने देखा कि माँ की चुत में तो मानो बाढ़ सी आ गयी थी. उनकी चूत मेरे पानी निकल जाने से इस तरह से पानी पानी हो रही थी कि मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं. जब कुछ समझ नहीं आया, तो मैंने सोचा कि मैंने ही ये पानी माँ की चुत में छोड़ा है, तो मैं ही इसे साफ़ कर देता हूँ. फिर मैंने माँ की चुत चाटना शुरू की और सारा पानी पी गया.
अब मैं थक चुका था, तो मैं सो गया. अगले दिन भी पिताजी नहीं आए, तो मैं इस बात से बहुत खुश हुआ. मैं आज फिर से बेसब्री से रात होने का इंतज़ार करने लगा. जैसे ही रात हुई, हम सोने गए.
माँ ने कहा- बेटा, रात को तो बहुत गर्मी हो रही थी.
मैंने कहा- माँ आप सो जाओ, मैं पंखा आपकी तरफ कर देता हूँ.
माँ पंखे के सामने ही सोई हुई थीं. मैंने पंखा चालू किया, तो माँ ने कहा- बेटा मुझे हवा नहीं लग रही है.
मैंने टेबल फैन को नीचे करके जैसे ही चालू किया, तो माँ का पेटीकोट फिर उड़ कर पेट पर चढ़ गया.
मैं पास में हो गया और माँ की चुत पर हाथ रख कर कहा कि माँ रात को इसमें से बहुत पसीना आ रहा था, तो मैंने इसे चाट चाट कर साफ़ किया था.
माँ मेरी बात सुनते ही घबरा सी गयी और वो अपने पेटीकोट को नीचे करके बोलीं- क्या? तूने सच में मेरी चुत को चाटा था?
मैंने कहा- हां माँ … मैंने आपको जगाने की कोशिश भी की थी, मगर आप जागी नहीं, तो मैंने भी पिताजी की तरह आपकी चुत को चाटा और मेरा लंड भी मैंने इसमें डाला था.
माँ ने भौंचक्का होते हुए कहा- बेटा, ये बात किसी को ना बताना.
मैंने कहा- ठीक है माँ, मगर मुझे आपकी चुत का पानी चाटना है, मुझे बहुत अच्छा लगा था.
माँ ने कहा- नहीं बेटा तुमको ऐसा नहीं करना चाहिए.
मैंने कहा- पिताजी भी तो आपकी चुत चाटते हैं, तो मुझे भी आपकी प्यारी सी चुत को चाटनी है.
माँ ने मुझसे कहा- बेटा तुम अभी छोटे हो, सो जाओ.
पता नहीं माँ मुझे उनकी चुत क्यों नहीं चाटने दे रही थीं, मगर मुझे तो माँ की चुत का स्वाद बहुत ही नमकीन लगा था. तो मैं माँ के सोने का इंतज़ार करने लगा.
माँ के सोते ही मैंने मा का पेटीकोट ऊंचा किया और चुत को चाटने लगा. धीरे धीरे माँ की चुत से पानी आने लगा. मैंने खूब जोरों से माँ की चुत का रसपान किया और इसके बाद लंड पेल कर माँ को चोद दिया.
अब मैं रोजाना माँ के सोने के बाद माँ की चुत भी चाटता हूँ और लंड भी डाल देता हूँ.
आप मेरी इस माँ सेक्स की कहानी को पढ़कर मुझे ज़रूर बताएं कि आपको कहानी कैसी लगी.