अन्य कहानियों की तरह ये कहानी भी पूर्णतया काल्पनिक है। इस कहानी के सभी पत्रों और घटनाओं का वास्तविकता से कोइ सम्बन्ध नहीं। ये कहानी केवल मनोरंजन के लिए लिखी गयी है।
मैं हूं आपका अपना किशोर भंडारी, उम्र 27 साल। नारंग डिजिटल मीडिया एंड फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड वाले बलराज नारंग का नंबर एक का चमचा।
बलराज नारंग के लिए सिगरेट लाने से ले कर मॉडलिंग के लिए लड़की ढूंढने की जिम्मेदारी मेरी है। मेरी इन्हीं “ख़ास जिम्मेदारियों” के कारण बलराज के ऑफिस में मेरा रूतबा भी सब से अलग और खास है।
बलराज नारंग इस एडवर्टाइज़िंग कम्पनी, नारंग डिजिटल मीडिया एंड फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड का मालिक है। नारंग की उम्र है 47 साल I पांच फुट दस इंच कद वाला नारंग एक-दम चाकचौबंद और तंदरुस्त इंसान है। रईसी तो नारंग चेहरे से टपकती है। इसी बलराज नारंग की एडवर्टाइज़िंग कम्पनी में मैं मुलाजिम हूं और जैसा कि मैंने बताया, नारंग का नंबर एक का चमचा भी।
वैसे तो नारंग एक नंबर का लम्पट, बेशरम, हरामज़ादा, लौंडियाबाज और चुदाई का शौक़ीन इंसान है, मगर नारंग के अपने कुछ उसूल भी हैं।
पैंतीस से बयालीस के बीच की औरतें नारंग की कमजोरी हैं। इस उम्र की औरतों की चुदाई में ही नारंग को मजा आता है। कम उम्र की लड़कियों या औरतों में उसकी दिलचस्पी कम ही रहती है, हालांकि मौक़ा मिलने पर चुदाई उनकी भी करता है।
नारंग अपनी सेहत का इतना ध्यान रखता है दफ्तर में ही एक कोने में ही कसरत करने की मशीनें रखी हुई हैं। ऑफिस में जब भी, जरा सा भी वक़्त मिलता है, तो बलराज कसरत करने इस कोने में आ जाता है।
वैसे तो आजकल डाक्टर बोलते हैं कि अगर कोई दस सिगरेट रोज़ पीता है तो उसके फेफड़े कमजोर हो जाते है और उसे सांस की बीमारी होना लाजमी होता है और ऐसे आदमी का बुढ़ापा बड़ा खराब निकलता है। मगर हमारा बलराज नारंग आज के टाइम में भी पैंतीस से चालीस सिगरेट हर रोज़ पीता है, वो भी ऑफिस टाइम में। गाड़ी चलाते हुए या गाड़ी में बैठे हुए या फिर घर पहुंच कितनी सिगरेटें फूंक डालता है इसकी कोई गिनती नहीं है।
डॉक्टर समझाते रहते हैं, “नारंग साहब मत पियो इतनी सिगरेट, सांस की बीमारी हो जाएगी। जरा सा चलोगे तो सांस फूलने लगेगा।”
मगर हमारे नारंग साहब पर डॉक्टरों की इन बातों का कोई असर नहीं होता। इतनी सिगरेटें फूंकने के बावजूद नारंग आधा घंटा लगातार ट्रेडमिल पर चल कर कसरत कर सकता है और उसकी सांस नहीं फूलती। यहां तक कि आधे घंटे, चालीस मिनट की धुआंधार चुदाई करने के बाद भी वो घोड़े की तरह फिर से अगली चुदाई के लिए तैयार रहता है।
नारंग की मानें तो ये सारे के सारे डॉक्टर चूतिये होते हैं। नारंग का तो ये भी मानना है लोगों की आधी बीमारियां तो इन डॉक्टरों की देन होती हैं। नारंग डिजिटल मीडिआ एंड फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड का ऑफिस नॉएडा में है।
ऑफिस में मेरे समेत कुल 16 लोग काम करते हैं जिनमें 6 महिलाएं हैं बाकी 10 पुरुष। छह महिलाओं में एक है नेहा माथुर और दूसरी है रश्मि उप्पल।
39 साल की नेहा माथुर, जो अपने जमाने में खुद एक बड़ी मॉडल रह चुकी है, बलराज की राज़दार है। कोई कहता है नेहा नारंग की पार्टनर है। कोई कहता है वो नारंग की रखैल है। रखैल मतलब बाहर वाली बीवी। कम्पनी में नेहा का काम भी ख़ास है नारंग के ऑफिस में उसके काम के कारण उसका दर्जा भी मेरी तरह ख़ास है।
36 साल रश्मि उप्पल जो बलराज और नेहा दोनों की सेक्रटरी की तरह काम करती है। 36 साल की रश्मि उप्पल शुरू से ही नारंग के साथ जुड़ी है। रश्मि भी नेहा की तरह नारंग की राजदार है। ये केवल मुझे ही मालूम है कि नारंग इस दोनों की चुदाई करता है। ये चुदाई कभी कभार एक दूसरे के सामने भी होती है, मतलब सांड एक, गायें दो।
कभी-कभी तो ये चुदाई नारंग या नेहा के ऑफिस में ही हो जाती है। अगर कभी नेहा या रश्मि में से कोई चुम्मा चाटी के लिए नारंग की गोद में बैठी हो और मैं वहां पहुंच जाऊं तो भी नारंग को कोई फरक नहीं पड़ता, और उन दोनों की चुम्मा चाटी बदस्तूर जारी रहती है। नारंग मेरी बात सुन कर जवाब दे देता है और फिर अपनी चुम्मा चाटी में लग जाता है।
नारंग ही क्या, नारंग की गोद में बैठी नेहा या रश्मि को भी मेरे वहां होने से कोई फरक नही पड़ता। नेहा और रश्मी के लिए तो मेरी हैसियत एक अदना चूतिये से ज्यादा नहीं, जिसका असली काम ही नारंग की जी हुजूरी और चमचागिरी करना है।
ऑफिस में काम करने वाली बाकी की चार लड़कियों में एक है रिसेप्शनिस्ट सुरभी। एक है निशा जो मेकअप एडवाइजर है। तीसरी हैं रोज़ी जो कॉमर्शियल आर्टिस्ट है, और श्रुति कम्प्यूटर पर बैठी रहती है और बाकी के सारे काम करती है। ये चारों लड़कियां 21 से 23 के बीच की उम्र की हैं और बला की खूबसूरत हैं।
ऑफिस के स्टाफ में एक है 55 साल का आर्ट डायरेक्टर बत्रा। दो बत्रा के अस्सिस्टेंट हैं, सौरभ और आशीष। एक अकाउंटेंट है और बाकी कैमरा मैन, मेकअप मैन, टेक्नीशियन हैं।
मॉडल लड़के लड़कियां कॉन्ट्रैक्ट पर रक्खे जाते हैं। ज्यादा मॉडल लड़कियां ही हैं। बीस से तीस साल के उम्र के बीच की लड़कियां ज्यादातर दिल्ली, रोहतक, नरेला, फरीदाबाद, गुडगाँव, नॉएडा, गाज़ियाबाद में रहती हैं। जब जैसी जरूरत होती है लड़की को बुला लिया जाता है।
एक दिन के काम के बदले में आठ से दस हजार रुपये तक दिए जाते हैं। अगर किसी मॉडल को काम के सिलसिले में कही बाहर ले जाना होता है तो आने-जाने का खर्च और ठहरने का सारा इंतजाम कम्पनी की तरफ से होता है।
जरूरत के मुताबिक नई-नई खूबसूरत जवान मॉडलिंग की शौक़ीन लड़कियां ढूढ़ना और लाना ही मेरा काम है I नेहा मैडम मुझे जरूरत समझा देती है और लड़की ढूंढने का मेरा काम चालू हो जाता है।
ऑफिस की नीचे की मंजिल पर स्टाफ बैठता है और ऊपर की मंजिल पर एक बड़ा हॉल है और दो बड़े-बड़े मेकअप रूम हैं I
विज्ञापन फिल्मों की शूटिंग इसी दूसरी मंजिल वाले हाल में होती है जिसे स्टूडियो की तरह प्रयोग किया जाता है, और शूटिंग के लिए सेट इसी हाल में लगाए जाते हैं। शूटिंग स्टूडियो के अलावा बाहर गोवा, श्रीनगर, जयपुर, कसौली जैसी और कई लोकेशन पर भी होती है।
नीचे ऑफिस के अंदर आते ही सामने रेसप्शनिस्ट सुरभी बैठती है। उसके आगे एक बड़ा हॉल है जिसमें बाकी का स्टाफ बैठता है। एक तरफ एक बड़ा कैबिन है जिसमे बाहर से आये क्लायंट से नारंग या नेहा मीटिंग करते हैं।
इसके आगे एक और छोटा हाल है जिसमे नारंग और नेहा की सेक्रेटरी रश्मि उप्पल बैठती है I रश्मि के छोटे से कैबिन के सामने ही बलराज नारंग और नेहा माथुर के ऑफिस हैं। दोनों के ऑफिस एक जैसे हैं। दोनों के ऑफिस के पीछे एक-एक रेस्ट रूम है जिसमें सोफे और बेड रखे हैं। फर्क है तो बस ये कि बलराज के रेस्ट रूम में एक छोटी सी बार भी है जिसमें बलराज की मनपसंद दारू की बोतलें रखी रहती हैं।
हर मॉडल बनने की उत्सुक लड़की-लड़के को नेहा माथुर की पैनी नजरों से गुज़रना पड़ता है और उनका पहला इंटरव्यू नेहा लेती है। अगर नेहा ने कह दिया कि लड़का लड़की में मॉडल बनने के गुण हैं तो समझो वो मॉडल बनेगा ही, या बनेगी ही। यही कारण है कि नारंग के ऑफिस में उसका एक ख़ास रुतबा है।
नेहा के ‘ओके’ कहने के बाद आर्ट डायरेक्टर बत्रा का काम शुरू होता है- लड़की या लड़के का स्क्रीन टेस्ट लेना। बत्रा के इस काम में नारंग या नेहा, कोई भी किसी भी तरह का दखल नहीं करते।
लड़के के स्क्रीन टेस्ट में पास हो जाने के बाद सीधा कॉन्ट्रैक्ट के कागज़ात पूरे किये जाते हैं। मगर लड़की के स्क्रीन टेस्ट में पास हो जाने के बाद उस लड़की का एक इंटरव्यू नारंग खुद लेता है।
वैसे तो नारंग को पैंतीस से चालीस की बीच की औरतें ही पसंद हैं और उसके लिए नेहा और रश्मि हैं। मगर स्क्रीन टेस्ट में पास हुई लड़की का इंटरव्यू लेने का एक कारण ये भी है कि नारंग लंगोट का कच्चा है। लड़की देख कर नारंग के लंड में खुजली मचते देर नहीं लगती।
नई मॉडल इस पहले और आख़री इंटरव्यू में अगर कुछ ज्यादा ही बोल्ड बनने की कोशिश करे और “सर मैं मॉडल बंनने की लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हूं” वाली भाषा बोले, तो फिर कुछ भी हो सकता है। लंड चुसाई से लेकर चूत चुसाई और आखिर में चुदाई भी।
नारंग को भी, “सर मैं मॉडल बंनने के लिए कुछ भी करने की लिए तैयार हूं” बोलने वाली लडकियां बड़ी पसंद हैं। ऐसी लड़कियां चूतड़ झटक-झटक कर चुदाई करवाती हैं। असल में ऐसी लड़कियां चुदाई से पहले और चुदाई के दौरान इतना कुछ कर देती हैं कि मजा ही आ जाता है।
ऑफिस के साथ वाली बिल्डिंग भी नारंग की ही है जो एक गेस्ट हॉउस की तरह प्रयोग होती है। इस दुमंजिला बिल्डिंग में बने गेस्ट हॉउस में कुल छह कमरे हैं एक रसोई भंडार हैं जिनमें खाने की चीजें रखने के लिए दो बड़े -बड़े फ्रिज हैं और खाना गर्म करने के बाकी जुगाड़ हैं। एक आटोमेटिक बर्तन धोने की मशीन भी है।
शूटिंग के दौरान मॉडल लड़के लड़कियां या बाहर से आये हुए लड़के लड़कियां इसी गेस्ट हाउस में ठहरते हैं।
मॉडल लड़कियों और सुरभी, रोज़ी, श्रुति और निशा के साथ मौज मस्ती और चुदाई भी इसी गेस्ट हाउस में होती है। ऑफिस में मेरे “ख़ास दर्जे” के कारण कभी-कभी मुझे भी ऐसे मौज मस्ती वाली पार्टियों में बुला लिया जाता है। हालांकि नारंग पक्का ठरकी है I लेकिन जैसा कि मैंने बताया नारंग उसूलों का पक्का है।
नारंग का पहला उसूल है कि वो ऑफिस में काम करने वाली किसी लड़की को नहीं चोदता – नेहा और रश्मि को छोड़ कर। उसके हिसाब से कम्पनी की मुलाजिम लड़की साथ चुदाई खतरनाक होती है। इसलिए इसमें सावधानी बरतना जरूरी है।
ठीक ही तो कहता है नारंग। सड़कों के किनारे और ट्रकों के पीछे भी तो लिखा होता है सावधानी हटी कि दुर्घटना हुई।
नारंग का दूसरा उसूल है मॉडल बनने आयी कोई लड़की अगर अपनी तरफ से बोल्ड बनने की कोशिश ना करे, तो उस पर हाथ नहीं डालता। बस रस्मी सवालों जवाबों के बाद इंटरव्यू खत्म हो जाता है। लेकिन इससे लड़की के मॉडल चुने जाने पर कोई असर नहीं होता।
लेकिन जैसा कि मैंने बताया, अगर लड़की कहना शुरू कर दे “सर मैं कामयाब मॉडल बनने के लिए कुछ भी कर सकती हूं”, तो फिर चुदाई हो कर ही रहती है और ये चुदाई कई बार घंटों तक चलती है।
नारंग का तीसरा और आख़री उसूल है, कम्पनी का कोई मुलाजिम ऑफिस में दारू बाजी या किसी मॉडल के साथ चुम्मा चाटी नहीं कर सकता, चुदाई तो दूर की बात है।
अगर किसी को पीने की ठरक लगे या लंड पर खुजली मच ही जाये तो वो साथ वाले गेस्ट हाउस में जा सकता है। मगर ये चौथा सिद्धांत खुद धनराज पर लागू नहीं होता। आखिर को तो वो मालिक है, और ऑफिस के साथ लगे रेस्ट रूम इसी काम के लिए हैं।
खैर आगे बढ़ते हैं। नारंग के ऑफिस के साथ रेस्ट रूम में “कुछ भी करने के लिए तैयार हूं ” वाली लड़कियों का बाकी का “इंटरव्यू” ले रहा होता है तो मैं बाहर ही नारंग के ऑफिस में या रश्मि के केबिन के सामने लगे सोफे पर इंतजार करता रहता हूं। रश्मि मुझे वहां बैठे रहने के कारण का का पता ही होता है, इसलिए मैं वहा क्यों बैठा हूं ये कभी नहीं पूछती।
वैसे भी ऑफिस में मेरे बैठने की कोई पक्की जगह नहीं है। नारंग, नेहा और रश्मि के छोटे मोटे काम निपटाते हुए ही मेरा दिन निकल जाता है। अंदर लड़की के चल रहे इंटरव्यू के दौरान नारंग के ऑफिस के बाहर बैठने का एक कारण और भी है। अगर कभी किसी लड़की ने नारंग का दिल खुश कर दिया और नारंग का मूड बढ़िया हुआ तो नारंग मुझे भी इस कमरे के इस्तेमाल की इजाज़त दे देता है, उस लड़की समेत I
नारंग को इसमें इसलिए भी कोई ऐतराज नहीं होता क्यों कि “ऐसी लड़कियां” लाता भी तो मैं ही हूं जो सुन्दर होती हैं, मॉडलिंग के लिए फिट होती हैं, बोल्ड होती हैं, और “सर मैं मॉडल बनने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हूं” वाली मानसिकता रखती हैं।
ऐसे वक़्त में जब मैं अंदर होता हूं, तो नारंग खुद वो नेहा माथुर के पास नेहा के ऑफिस में चला जाता है। ऐसा दरिया दिल इंसान है नारंग।
ऐसी “मैं मॉडल बनने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हूं” वाली लड़कियां कम्पनी के लिए बिज़नेस लाने में भी बहुत फायदे का सौदा साबित होती हैं। बिज़नेस देने वाले बड़े ओहदेदार ऐसी लड़कियों के साथ गेस्ट हॉउस में मौज मस्ती कर सकते हैं। ऐसी लड़कियों को टेक्नीकल स्टाफ, मतलब डायरेक्टर, असिस्टेंट डायरेक्टर भी बहुत पसंद करते हैं।
एक दिन नेहा मैडम ने मुझे तलब किया और उन्नीस बीस साल की हल्की-फुल्की मगर बला की सुन्दर लड़की ढूंढने को कहा जिसे छोटे अंग दिखाऊ कपड़े पहन कर फोटो खिंचवाने और शूटिंग करने से परहेज ना हो। नेहा ने किस तरह की लड़की की जरूरत है ये मुझे तफ्सील से समझा दिया।
नेहा को एक ऐसी लड़की की जरूरत थी, जो कम्पनी के साथ कम से कम तीन चार साल जुड़ी रह सके। कोई विदेशी कम्पनी अपने आधुनिक छोटे जिस्म दिखाऊ कपड़ों को इंडिया में लाना चाहती थी, और इसकी मॉडलिंग के लिए नारंग की कम्पनी को एक बिल्कुल नयी नकोर मगर बोल्ड लड़की की जरूरत थी जो मॉडल बनने के लिए कुछ भी कर सकती हो, और जो छोटे कपड़े पहनने में किसी भी हद तक जा सकती हो।
नेहा मैडम के लड़की की तलाश करने के कहने भर से मेरा “ख़ास” काम शुरू हो चुका था। मेरे दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे थे। मैं उन्नीस बीस साल की उम्र की हल्की फुल्की मगर बला की सुन्दर लड़की की तलाश में लग गया जिसे छोटे अंग दिखाऊ कपड़े पहन कर फोटो खिंचवाने और शूटिंग करने से परहेज ना हो।
तभी मुझे एक ऐसी लड़की का ध्यान आया जो मॉडल बनने की शौक़ीन थी और जिसमें ये सारी खासियतें थीं। उन्नीस बीस साल की थी, हल्की-फुल्की थी और छोटे कपड़े तो ऐसे ऐसे डालती थी कि देखने वाले का लंड उस पर नजर पड़ते ही पानी छोड़ने लग जाता था।
वो लड़की थी मेरी 20 साल की ममेरी बहन मान्या खट्टर। मान्या पांच फुट तीन इंच लम्बी थी। पतला शरीर, 48 या शायद 50 किलो वजन और 32-26-32 का चूचियों, कमर और चूतड़ों का नाप। गोरा चिट्टा रंग। तीखे नैन नक्श। भूरे बाल, भूरी ही आंखें। मॉडल बनने की इतनी शौक़ीन की साफ़ बोलती थी कि वो “मॉडल बनने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।”
मान्या की मां, यानि मेरी मामी रितिका खट्टर हमेशा मान्या की इस “मैं मॉडल बनने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हूं” वाली भावना को भड़काती उकसाती रहती है।
40 साल की एक-दम फिट रितिका खट्टर मेरी सगी मामी है और 45 साल का हर्ष खट्टर मेरा मामा। उनकी बेटी है मान्या खट्टर, मेरी ममेरी बहन जिसका मैंने जिक्र किया है।
मेरे मामा हर्ष से मेरी ममेरी बहन मान्या का कुछ नहीं मेल खाता। ना शक्ल, ना शरीर, ना बाकी के तौर तरीके। अब ऐसा क्यों है, ये तो मामी ही बता सकती है।
जी हां बिल्कुल सही समझे आप। ये हमारी ही कहानी है। ये कहानी मेरी, मेरी सग्गी मामी रितिका खट्टर की और मेरी सगी ममेरी बहन मान्या खट्टर चुदाई की ही है।
जैसी हरकतें मामी करती रही है, उससे साफ़ था उसकी और मेरी चुदाई एक ना एक दिन होनी ही थी। मगर मेरी ममेरी मान्या भी मुझसे चुद जाएगी, ये कभी नहीं सोचा था।