ही दोस्तो, मेरा नाम अरबाब है. मेरी आगे 21 साल है. पिछले पार्ट मे आपने पढ़ा था, की कैसे मेरे पड़ोस के अंकल ने मेरे अंदर की औरत को पहचान लिया और मुझे छोड़-छोड़ कर गान्डू बना दिया. अब आयेज-
अब जब कभी भी मौका मिलता था, तो अंकल और मई सेक्स करते थे. लेकिन हम बहुत कम सेक्स करते थे, जैसे महीने मे एक-आध बार. और मई अब अपने आप को पक्का गान्डू समझ चुका था और मुझे डेली लंड चाहिए था.
यहा फिर एंट्री हुई मेरे नये चौकीदार की. हमारे पुराने चौकीदार को नौकरी से निकाल दिया था, क्यूकी उसने घर मे चोरी की थी. उसकी जगह एक बुड्ढे को जॉब पे रखा था. उसको हम काका बुलाते थे. उमर मे वो 50-60 साल का होगा.
उसका पेट निकला हुआ था और जिस्म बालो से भरा हुआ था. इतने घने बाल थे सीने पे, की शर्ट से बाहर आते थे. अब इन पिछले कुछ महीनो मे मुझे ऐसे बुद्धो मे काफ़ी इंटेरेस्ट आ गया था और मई अक्सर मूठ मारते हुए सोचता था, की किसी ऐसे से चड़वौ. पड़ोसी अंकल भी अमेरिका गये थे, तो पिछले कुछ महीनो से मैने अपनी चुदाई नही करवाई थी.
मेरा दिल आहिस्ता-आहिस्ता काका पे आ गया था. लेकिन आख़िर कैसे मनाता मई उसको. पहले तो मैने उसके साथ दोस्ती की और आहिस्ता-आहिस्ता हम क्लोज़ हो गये . हम रात को देर तक गप्पे लड़ाते थे. मई उसके पास टाइट-टाइट कपड़े पहन कर जाता था, जिसमे मेरा जिस्म उसको सही से नज़र आए और वो भी पुर मज़े लेता था.
वो भी अक्सर मुझे घूरता था. एक दिन वो और मई रात को 2 बजे तक बैठे बाते कर रहे थे. हम दोनो गुआर्द रूम मे बैठे थे और बाते करते-करते मैने नींद आने का नाटक किया. मैने 10-15 मिनिट ऐसे आक्टिंग की, जैसे मेरी आँख लग गयी हो. मई देखना चाहता था, की वो क्या करेगा.
आख़िर-कार मेरा शक सही निकला और मैने अपनी गांद पे उसका हाथ महसूस किया. काका ने मेरी टाँगो पे हाथ फेरा और मेरी गांद भी दबाई. फिर जब उसने देखा, की मई बिल्कुल नींद मे था, तो वो उठा और थोड़ी देर बाहर गया.
मुझे ये अजीब लगा, लेकिन वो इधर-उधर चेक करने गया था, की कोई है तो नही. फिर वो वापस रूम मे आया और लाइट ऑफ कर दी. मुझे काका के बेल्ट खुलने की आवाज़ आई और फिर काका ने मुझे उल्टा लिटा दिया. मई अभी भी सोने का नाटक कर रहा था, लेकिन काका समझ गया था, की मई गान्डू हू और मज़े लेना चाहता हू.
फिर काका ने मेरी चड्डी नीचे कर दी और एक उंगली गांद मे डाली. जब इतने आराम से उनकी उंगली मेरी गांद मे गयी, तो काका का शक सही निकला, की मई पक्का गान्डू था. काका ने फिर थूक लगाई और मैने कुछ सेकेंड बाद लंड अपनी गांद के होल पे महसूस किया.
काका ने फिर ज़ोर दिया और लंड होल पे फिसल रहा था. लेकिन थोड़ी कोशिश के बाद लंड का टोपा अंदर गया और मेरी आँख खुल गयी. काका का लंड पक्का अंकल से बड़ा था. काका लंड घुसाते गये और उनका लंड मेरी गांद चीरता हुआ अंदर जेया रहा था. फिर मैने मूड कर काका को बोला-
मई: आराम से करो प्लीज़.
लेकिन काका ने मेरा मूह पिल्लो मे दबा दिया और लंड घुसाता चला गया. एक टाइम के बाद मुझे ऐसा लग रहा था, की मेरी गांद की पहली बार चुदाई हो रही थी. काका का लंड बहुत बड़ा था और मुझे काफ़ी दर्द हो रहा था. फिर काका ने चुदाई शुरू की और आहिस्ता-आहिस्ता स्पीड तेज़ करने लगा.
10 मिनिट की चुदाई के बाद मेरी गांद अड्जस्ट हो गयी थी और अब दर्द कम हो गया था. मेरा लंड भी टाइट हो गया था मज़े से. काका का लंड मुझे पेट तक फील हो रहा था. पता नही कितना बड़ा था उनका लंड, अंधेरे मे मुझे नज़र भी नही आ रहा था.
काका ने 10 मिनिट मुझे छोड़ा. फिर उसने मुझे उपर उठाया और डॉगी-स्टाइल मे सेट किया. उसका लंड अभी भी अंदर ही था. काका ने मुझे छोड़ना शुरू किया और स्पीड से झटके देना शुरू किया. मई अब मज़े ले रहा था और मेरे लंड से पानी निकलना शुरू हो गया.
काका भी मुझे गालिया दे रहा था. वो बोल रहा था-
काका: पक्का गान्डू लगता है तू. बहुत लोगो से गांद मरवाई होगी तूने, लेकिन अब तू असल मर्द का लंड महसूस कर.
काका बहुत रफ था, लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था. फिर काका ने मेरे बूब्स पकड़े और दबा रहा था. अफ… इतनी रफ चुदाई हो रही थी मेरी. काका ने मुझे 20 मिनिट छोड़ा फिर मुझे लंड पे आने को बोला. फिर वो लेट गया और मई उसके उपर आ गया.
मैने जब लंड को हाथ मे पकड़ा, तब मुझे महसूस हुआ, की इतना मोटा और लंबा लंड मैने अपने अंदर नही लिया हुआ था . अगर अंकल का लंड 7 इंच का था, तो ये उससे भी 2 इंच बड़ा था और मोटा था.
खैर मेरी गांद अब खुल चुकी थी. मई काका के लंड पे बैठा और लंड पे उछाल-उछाल के मज़े ले रहा था. काका के साथ मेरा सेक्स काफ़ी देर तक चला और मई तो चुदाई के दौरान 3 बार फारिघ् हो चुका था. काका भी अब फारिघ् होने वाले थे. तभी काका बोले-
काका: पानी गांद मे लेगा या कही और?
मैने बोला: मूह मई लूँगा काका.
ये सुन कर काका ने मुझे 5 मिनिट तक स्पीड से छोड़ा और फिर मेरे मूह मे लंड घुसा दिया. काका के लंड से कम शूट होने लगा था. इतना गरम-गरम और गाढ़ा पानी था उनका. मई उनका पानी पीटा जेया रहा था, लेकिन काका रुक ही नही रहा था.
मेरा मूह भर गया था उसके पानी से. पानी का टेस्ट अंकल की तरह नही था, लेकिन इतना बुरा भी नही था. मसला ये था, की वो पानी निकालते जेया रहे और रुक नही रहे थे. मेरे मूह मे इतना पानी भर गया था, की मूह से लीक हो रहा था. फिर मुझसे जितना हो सका, उतना पानी मैने पी पिया.
काका ने मेरे मूह मे ही लंड रखा, जब तक वो नरम नही हुआ. मैने इतना कम कभी नही पिया होगा, जितना उस वक़्त पिया था. खैर काका को तो बहुत मज़ा आया और मुझे भी बहुत मज़ा आया. उसके बाद काका बोल रहा था-
काका: आज के बाद, तुझे जब भी चुदाई करनी हो आ जाना.
मैने बोला: रोज़ाना छोड़ोगे?
काका ने मेरी गांद पे ज़ोर से थप्पड़ मारा और बोला-
काका: आबे गान्डू, तुझे मई डेली 3-4 बार आराम से छोड़ सकता हू.
मैने उसको बताया: 3-4 बार तो ज़्यादा होगा मेरे लिए. बस रोज़ रात को एक बार या ज़्यादा से ज़्यादा 2 बार.
खैर हमने वाहा थोड़ी रेस्ट की और मई काका के पेट के उपर लेता हुआ था. मई एक और बार ट्राइ करना चाहता था और मैने काका का लंड पकड़ा और चूसने लगा. काका भी हस्स पड़ा और बोला-
काका: पक्की रंडी है तू. बहुत मज़ा आएगा तेरा साथ.
उसके बाद हमने एक घंटे तक फिरसे सेक्स किया और उस सेक्स के बाद, तो मई चल भी नही पा रहा था. मई लंगदाते-लंगदाते अपने रूम मे गया था. लेकिन मई खुश था, की अब डेली रात को मज़ा आएगा.
काका ने मुझे डेली रात को मज़े दिए. कभी कभार तो वो दिन मे भी मज़े देता था. अंकल भी जब वापस आए, तो कभी-कभी बुला लेते थे. लेकिन अब मुझे उनकी चुदाई से मज़ा नही आता था. क्यूकी मेरी गांद काका के लंड से खुल चुकी थी ना.
काका के अलावा भी मैने काफ़ी दूसरे मर्दो से अपनी चुदाई करवाई थी.