मेरा नाम चाँदनी है. मेरी उमर 26 साल है. मैं देल्ही में अपने मों, दाद, और भाई के साथ रहती हू. मेरा फिगर 36″30″38″ है. साइज़ सुन कर तो आप समझ ही गये होंगे, की मैं कितनी सेक्सी हू.
सेक्सी बॉडी के अलावा मेरा रंग भी गोरा है. अब ऐसी लड़की पर कों सा लड़का ना मॅर. मैने स्कूल टाइम से ही फ्रेंडशिप करना शुरू कर दिया था. मेरी पहली चुदाई मेरे कॉलेज के दीनो में हुई.
मुझे चूड़ना बहुत पसंद है. अलग-अलग लुंडो का शौंक है मुझे. ये जो कहानी है, उसमे मैं आपको मेरी मेरे चाचा के साथ चुदाई के बारे में बतौँगी. तो चलिए शुरू करते है.
मेरे चाचा पुंजब के रहने वाले है. पिछले साल मैं और मेरा भाई एक महीने के लिए उनके घर रहने गये. चाचा एक फार्मर है, और खेती करते है. उनकी उमर 46 साल है. उनकी काफ़ी ज़मीन भी है.
हम दोनो के वाहा पहुँचते ही हमारी सेवा शुरू हो गयी. उन्होने हमे खूब खिलाया पिलाया. फिर हम आराम करने चले गये. चाचा के भी 2 बच्चे है, एक लड़का और एक लड़की. उनके दोनो बच्चे उस में स्टडी करने गये हुए है.
अभी 3 ही दिन हुए थे मुझे वाहा, और मैं बोर होने लग गयी थी. आख़िर कोई कब तक इंस्टाग्राम और फ़ेसबुक चला कर टाइम पास करेगा. मैं अपने बाय्फ्रेंड को बहुत मिस कर रही थी. मुझे चुड़े हुए भी काफ़ी टाइम हो गया था, तो मेरी छूट आग छोढ़ रही थी.
फिर मैने सोचा, की खेतो में जाके फिंगरिंग का मज़ा लिए जाए. मैने शाम के टाइम शॉर्ट्स और त-शर्ट पहनी, और खेतो में चली गयी. मैं काफ़ी आयेज तक चली गति थी. वाहा मैं एक शांत जगह देख कर बैठ गयी.
अगले 2 मिनिट में मेरा एक हाथ मेरी छूट पर था, और दूसरा हाथ मेरे एक बूब पर था. मैं अपने बाय्फ्रेंड को इमॅजिन कर रही थी, और मज़ा कर रही थी. मेरे मूह से धीमी-धीमी आहें निकल रही थी.
थोड़ी देर में वो धीमी आहें ऊँची सिसकियो में बदल गयी. उन सिसकियो में मुझे पता ही नही चला, की कब चाचा जी वाहा आ गये. जब मैने आँखें खोली, तो देखा चाचा मेरे सामने खड़े थे.
मैने जल्दी से अपने कपड़े सेट किए, और खड़ी हो गयी. फिर मैं उनको बोली-
मैं: सॉरी चाचा जी, मैं बस जेया ही रही थी.
फिर जैसे ही मैं जाने के लिए मूडी, तो चाचा ने मेरा हाथ पकड़ लिया. हाथ पकड़ कर उन्होने बोला-
चाचा जी: जो काम कर रही थी, उसको पूरा तो करो.
मैं: नही चाचा जी, मुझे कुछ नही करना.
तभी चाचा जी ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में पकड़ लिया, और बोले-
चाचा जी: तुम्हे नही करना तो मैं कर देता हू.
मैं: चाचा जी आप ये क्या बोल रहे हो? मैं आपकी भतीजी हू.
चाचा: इस वक़्त तुम सिर्फ़ एक प्यासा शरीर हो, और मैं प्यास बुझाने वाला.
ये बोल कर उन्होने मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिए. मैं तो पहले से गरम थी, तो मेरे बूब्स पर उनके हाथ लगते ही मेरी सिसकी निकल गयी. मुझे समझ में नही आ रहा था, की मैं क्या करती.
एक तरफ मेरी छूट थी, जो मुझे चाचा को रोकने नही दे रही थी, और दूसरी तरफ मेरा उनसे रिश्ता था, जो मुझे रोक रहा था. फिर फाइनली मैने छूट की बात मान ली, और चाचा से चूड़ने का डिसिशन लिया.
डिसिशन लेते ही मैं उनकी तरफ घूम गयी, और उनको बाहों में भर लिया. इससे चाचा समझ गये, की मैं चूड़ने के लिए तैयार थी. उन्होने मेरे होंठो से अपने होंठ चिपका दिए, और मैं भी उनका साथ देने लगी.
साथ में वो मेरी गांद भी दबाने लगे गये. हम दोनो की किस 10 मिनिट चली. किस टूटने के बाद चाचा बोले-
चाचा जी: तुझे तो कमाल की जवानी चढ़ि है. तुझे छोड़ने में बहुत मज़ा आएगा.
ये बोलते ही चाचा ने मुझे नीचे लिटा लिया. नीचे आते ही मैने अपनी त-शर्ट और ब्रा निकाल दी. अब मेरे गोरे-गोरे बूब्स चाचा के सामने थे. मेरे बूब्स देखते ही चाचा मुझ पर टूट पड़े.
वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे निपल्स को चूसने लग गये. उन्होने तब तक मेरे बूब्स नही छोढ़े, जब तक वो लाल नही हो गये. फिर उन्होने मेरी शॉर्ट्स और पनटी उतार दी.
वो अपने सिर मेरी टाँगो के बीच लेके आए, और अपना मूह मेरी चूत पर लगा लिया. फिर वो कुत्तों की तरह मेरी छूट चाटने लगे. आज तक मेरे किसी बाय्फ्रेंड ने मेरे साथ ऐसा नही किया था, और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
चाचा जीभ छूट के अंदर डाल-डाल कर मेरी छूट का स्वाद ले रहे थे. मैं भी उनके सिर को अपनी छूट में दबा रही थी. मेरी छूट तो धड़ा-धड़ पानी छोढ़ रही थी.
अब मैं चूड़ने के लिए बिल्कुल रेडी थी. फिर चाचा ने अपने कपड़े उतार दिए. जैसे ही उन्होने अपना अंडरवेर उतरा, तो उनका 9 इंच का बड़ा और मोटा लंड उछाल कर बाहर आ गया. उनका लंड देख कर तो मैं हैरान ही हो गयी.
मेरे किसी बाय्फ्रेंड का लंड इतना बड़ा नही था. फिर उन्होने अपना लंड मेरी छूट पर टीकाया, और रगड़ने लग गये. मेरी आ आ की सिसकिया निकल रही थी. फिर जैसे ही लंड छूट के मूह पर टीका, तो उन्होने ज़ोर का धक्का मारा.
मेरी चीख निकल गयी, और उनका आधा लंड मेरी छूट में चला गया. उनके आधे लंड से ही मेरी जान निकल रही थी, जब की बाकी आधा अभी पेंडिंग था.
फिर चाचा धीरे-धीरे धक्के देने लगे. मुझे दर्द हो रहा था, लेकिन मज़ा भी आ रहा था. चाचा कुछ धक्को के बाद एक ज़ोर का धक्का देते, जिससे लंड तोड़ा और अंदर चला जाता. ऐसे ही धीरे-धीरे उन्होने अपना पूरा लंड मेरी छूट में उतार दिया.
ऐसा लग रहा था, जैसे ये मेरी पहली चुदाई हो. अब चाचा ताबाद-तोड़ मेरी छूट में धक्के मार रहे थे. वो मेरे होंठ चूस रहे थे, और मेरे बूब्स को दांतो से खरॉच रहे थे. मुझे बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन मज़ा उससे भी ज़्यादा आ रहा था.
20 मिनिट चाचा ने ऐसे ही मेरी ठुकाई की. इस बीच मैं 2 बार झाड़ चुकी थी. फिर उन्होने अपना लंड मेरी छूट से बाहर निकाल लिया और मुझे इशारा किया. मैं उनका इशारा समझ गयी, और उनके सामने घोड़ी बन गयी.
मैने उनका लंड अपने मूह में डाल लिया, और उसको चूसना शुरू कर दिया. उन्होने मेरे बाल पकड़ लिए, और ज़ोर-ज़ोर से मेरे मूह में धक्के देने शुरू कर दिए. एक हाथ से वो मेरी गांद मसल रहे थे. मैं अब किसी रंडी जैसा महसूस कर रही थी.
फिर 2-3 मिनिट्स में उनके लंड ने अपना माल छोढ़ दिया. मेरा पूरा मूह उनके माल से भर गया. उन्होने तब तक अपना लंड बाहर नही निकाला, जब तक की मैने माल निगल नही लिया.
फिर चाचा शांत हो गये, और मेरे पास लेट गये. कुछ देर बाद मैं वाहा से उठी, अपने कपड़े पहने, और चली गयी. मुझे लगा की इसके बाद कुछ भी नही होगा. लेकिन रात को चाचा फिरसे मेरे रूम में मुझे छोड़ने आ गये.
मैं जीतने दिन वाहा रही, हर दिन चाचा ने मेरी पलंग-तोड़ चुदाई की. उनकी चुदाई के बाद मुझे किसी और के साथ चुदाई में मज़ा नही आता. इसलिए मैं आज भी उनसे चुड्ती हू.
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