शीला के मुझे बार-बार भैया बोलने से मेरी हंसी छूट रही थी। जब मैंने उसे भैया बोलने से मना किया, तो शीला ने अपनी आदत के मुताबिक ही जवाब भी दिया।
शीला फिर बोली,”अरे तो क्या हुआ जीत भैया? लोग अपने पालतू डॉगी – कुत्ते – का नाम टाइगर रखते हैं, तो क्या वो शेर बन जाता है?”
और फिर अपनी बात जारी रखते हुए बोली,”वो तीस नंबर वाली ढिल्लों आंटी है ना, उन्होंने अपने बेटे का नाम टायसन रखा हुआ है – वो मुक्के वाली कुश्ती वाला टायसन। नाम टायसन है और गली की सारे लड़कों से पिटता है। हमेशा रोता रहता है और शिकायतें लगाता रहता है। बड़ा आया अपनी मां का टायसन।”
मेरी हंसी छूट गयी। शीला से बहस में नहीं जीता जा सकता। मैंने भी कह दिया, “ठीक है, तुझे जैसे बुलाना है वैसे बुला।”
शीला बोली, “ठीक है जीत भैया।” फिर फिरसे हसी और बोली, “हां तो जीत भैया, उस दिन आपने मुझे छेड़ा तो, सच कहूं मुझे बड़ा ही अच्छा लगा, मेरा तो उसी दिन से आपसे “करवाने” का मन होने लगा।”
मैंने शीला को बीच बात में ही टोका और कहा, “शीला साफ-साफ बोल ना क्या “करवाने का मन हुआ?” साथ ही मैंने हाथ में पकड़ी शीला की चूचियां जोर से दबा दी।” मुझे भी मजा आ रहा था जवान शीला को गोद में बिठा कर।
“चुदाई का”, शीला हंसते हुए ऊंची आवाज में बोली। “अब ठीक है जीत भैया? आपको भी जीत भैया “चूत चुदाई” सुनने में बड़ा मजा आता है।”
शीला की हंसी बंद नहीं हो रही थी, वो बोली,”मैंने ज्योति भाभी को बताया कि आपने मुझे “वैसा” वाला इशारा किया है।”
भाभी बोली, अरे शीला तू तो बड़ी खुश लग रही है, कि जीत ने तुझे “वैसा” वाला इशारा किया है।
फिर भाभी मेरी चूत की तरफ हाथ करके बोली,”करवानी” है?”
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया। मन तो मेरा भी चुदाई का उसी दिन ही हो रहा था।
भाभी बोली, “करवा” ले शीला, फिर मुझे भी बताना कैसे “करता” है जीत।
फिर शीला बड़े ही शरारती अंदाज में मेरी और देख कर बोली, “जीत भैया, तब तक आपने भाभी को नहीं चोदा था। अब तो भाभी को पता ही है कैसी मस्त चुदाई करते हो आप। तभी तो भाभी मुझसे भी बोली, “शीला एक बार “करवा” ले बड़ा मस्त करता है जीत।”
और फिर मेरे गले में बाहें डाल कर बोली, “अब मैं आपके सामने हूं “करवाने” के लिए – फिर थोड़ा रुक कर हंसी और बोली, “चुदवाने के लिए।” और शीला फिर से हंस पड़ी।
एक तो शीला मेरी गोद में – मेरे लंड के ऊपर बैठी, ऊपर से चूत चुदाई की बातें। मेरा लंड तन के खड़ा हो गया।
शीला बोली, “जीत भैया मैं आपके लंड पर बैठी हूं, कोई परेशानी तो नहीं हो रही?
मैंने शीला की गाल पर एक चुम्मा जड़ा कर बोला, “परेशानी क्या, मेरी जान मुझे तो मजा आ रहा है।” ” सच जीत भैया? चलिए फिर और मजा देती हूं।” शीला खड़ी हो गयी और अपनी सलवार उतार दी। फिर मेरा पायजामा भी उतार कर वापस मुझे सोफे पर बिठा दिया।
अपनी टांगें चौड़ी की और हाथ से मेरा लंड पकड़ा, अपनी चूत पर रखा और लंड पर बैठ गयी । लंड जड़ तक शीला की चूत के अंदर तक बैठ गया।
फिर शीला ने पूछा, “जीत भइया अब बताईये, आया मजा?” मैंने शीला के होंठ फिर अपने होठों में ले लिए और चूसने लगा। एक हाथ मेरा शीला की चूचियों पर था। कुछ ही देर में शीला ऊपर नीचे होने लगी।
मुझे लगा शीला अब चुदाई चाहती थी। मैंने शीला के होंठ छोड़े और बोला, “चल आ अंदर चलें।”
शीला उठ खड़ी हुई। जैसे ही में उठा, मेरा लंड खूंटे की तरह सीधा खड़ा था।
मेरे खड़े लंड पर नजर पड़ते ही शीला के मुंह से धीमी आवाज में निकला, “तो भाभी ठीक ही कहती थी।”
शीला बोली तो बड़ी धीमी आवाज में थी जैसे अपने आप से बात कर रही हो, मगर मैंने सुन लिया। मैं सोचने लगा क्या कहा होगा भरजाई ने? क्या ये की जीत का लंड बड़ा लम्बा और मोटा है और खड़ा होने पर बड़ा सख्त हो जाता है?
खिड़की पर परदों के कारण कमरे में हल्का-हल्का अन्धेरा था। मैंने लाइट नहीं जलाई। हल्के अंधेरे में चुदाई और भी रोमांटिक हो जाती है। मैंने कमरे में आ कर शीला के बाकी के सारे कपड़े उतार दिए। शीला का जिस्म सच में ही गजब का सुन्दर था। बिलकुल सांचे में ढला हुआ। जिस्म का हर अंग तराशा हुआ था। नारियल की तरह की गोल-गोल सख्त खड़ी चूचियां। बिल्कुल छोटे गुलाबी निप्पल I खड़े चूतड़ – ये बोलना मुश्किल है की नरम थे कि सख्त।
मैंने कुर्ता भी उतार दिया, और शीला को बाहों में ले लिया। मेरा लंड बिल्कुल शीला की चूत के सामने था। मैंने शीला को चूमते हुए कहा, “कहां थी शीला तू इतने दिन?”
शीला भी मस्ती में बोली, “मैं तो यहीं थी जीत भैया आपके सामने, आप को ही नहीं दिखाई दी।”
मैंने शीला को बिस्तर पर बिठा दिया और जरा सा आगे हुआ। शीला को भी कहने की जरूरत नहीं पड़ी कि अब आगे क्या करना था।
शीला ने मेरा लंड पकड़ा और मुंह में ले लिया और चूसने लगी। क्या मस्त चूसती थी।
चूसने के साथ साथ अपनी हथेली के ऊपर आगे पीछे भी कर रही थी और हाथ घुमा भी रही थी। मुझे लगा अगर शीला ऐसे ही चुसाई करती रही तो कंडोम तो रह जाएगा धरा का धरा, मेरा लंड कहीं शीला के मुंह में ही ना पंचर हो जाए।
मैंने शीला के मुंह में से लंड निकाला और पीछे की तरफ धकेल कर शीला को बिस्तर पर लिटा दिया। शीला ने टांगें उठा कर खोल दी। शीला की चूत पर हल्के-हल्के बाल थे। मैंने अंगूठों से शीला की चूत की फांकें खोली, और अपनी ज़ुबान चूत में घुसेड़ दी।
दस मिनट मैंने शीला की चूत चूसी। शीला मस्त हो चुकी थी। हालत मेरी भी ऐसी ही थी। फिर
मैंने शीला को उठाया और बिस्तर पर लिटा कर उसके चूतड़ों के नीचे तकिया रख दिया। मस्ती के मारे शीला की आंखें बंद थीं।
वो हल्की- हल्की आह… आह… की आवाजें निकाल रही थी ।
मैंने चद्दर के नीचे से कंडोम निकाला, और लंड पर चढ़ा लिया। एक बार और मैंने शीला के होंठ चूसे और टांगें खोल कर अपना मोटा लंड शीला की चूत के छेद पर रक्खा और अंदर धकेल दिया। कंडोम के कारण लंड रगड़ा का कर अंदर गया और शीला ने ऊंची आवाज़ में एक सिसकारी ली “आह जीत भैया… इतना मजा?”
मैंने शीला को कस कर पकड़ लिया, और धक्के लगाने लगा। पांच ही मिनट की चुदाई ने शीला को मजा देना शुरू कर दिया ।
उसकी सांसें तेज हो गयी – सिसकारियां रुक ही नहीं रहीं थी “आआआह… जीत भैया… आआआह… आआआहहह।” शीला नीचे से चुदाई में पूरा साथ दे रही थी। जैसे शीला चूतड़ घुमा-घुमा कर चुदवा रही थी, जैसे अपनी चूचियां मेरी छाती के साथ रगड़ रही थी, और जैसे बीच-बीच में मेरे होंठ चूस रही थी – लग ही रहा था कि शीला चुदाई पूरा मजा लेने में विश्वास करती है।
मुझे ये मानने में कोई शर्म नहीं कि मैंने अगर कंडोम ना डाला होता तो मैं अब तक कि शीला की चुदाई में झड़ चुका होता।
कंडोम लंड पर चढ़ाने से चुदाई ज्यादा देर तक खिचती है और मर्द जल्दी नहीं झड़ता। ये मेरा नहीं सेक्स – चुदाई के विशेषज्ञ – डाक्टरों का कहना है।
कई शीघ्रपतन के मरीज – जिनका लंड चुदाई में लम्बा नहीं चलता, और जल्दी पानी छोड़ देता है, उन्हें डाक्टर कंडोम लंड पर चढ़ा कर चुदाई करने की सलाह देते हैं। इस मामले में मेरी अपनी राय भी डाक्टरों की राय से मेल खाती है।
लेकिन क्योंकि मैं शीघ्रपतन का मरीज नहीं – मेरा तो वैसे ही आधा-आधा घंटा चोदने पर भी नहीं झड़ता। मैं कंडोम का इस्तेमाल किसी खास वजह और खास मौके पर ही करता हूं। जैसे शीला जैसी जवान लड़की को चोदना हो या जब एक से ज्यादा लड़कियां हो तब। या फिर जब चुदाई लम्बी चलानी हो, तो ये कंडोम ब्रह्मास्त्र का काम करता है – ब्रह्मास्त्र – मतलब कभी भी फेल ना होने वाला हथियार।
एक बार सारे मर्दों को ये हथियार – कंडोम – इस्तेमाल करके देखना चाहिए।
आज रात भी ज्योति कि चुदाई में इसका इस्तेमाल करने का इरादा है। हां लेकिन, ज्योति को चुदाई से पहले बता कर ये कंडोम लंड पर चढ़ाऊंगा – और अब तो शीला को भी बता कर चढ़ाऊंगा। बहरहाल पांच मिनट ही मैंने शीला को और चोदा होगा कि शीला को मजा आ गया।
शीला बस यही बोली, “कमाल का चोदते हो जीत भैया आप तो।”
शीला तो झड़ गयी मगर मेरा लंड वैसे का वैसा ही था। मैं धक्के लगाता गया।
शीला ने सोचा होगा की शायद मैं लंड बाहर निकाल लूंगा, और कुछ देर रुकने के बाद फिर से चुदाई करूंगा। अभी पांच ही मिनट हुए होंगे कि शीला की चूत फिर तैयार हो गयी।
पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद शीला की चूत फिर पानी छोड़ गयी – मगर मेरा लंड खड़े का खड़ा था। इस बार जब शीला झड़ी तो मैंने धक्के रोक लिए, मगर मैं शीला के ऊपर ही लेटा रहा और लंड शीला की चूत में ही रहने दिया।
कुछ इंतेज़ार के बाद शीला धीरे से बोली, “क्या जीत भैया? आपका अभी भी नहीं निकला? कोई गोली खा कर चुदाई करते हो क्या?” मैंने कहा, “गोली खा कर, मैं कोई गोली वाली नही खाता। मगर शीला तुझे ये गोली का कैसे पता?”
शीला बोली, “वो अगली गली के बत्रा जी हैं, वो गोली खा कर चोदते हैं। मुझे उनसे चुदाई में कोई खास मजा नहीं आता, मगर जब चुदाई के बाद मुझे अपने ऊपर पेशाब करने को बोलते है, तो उनके ऊपर मूतने का बड़ा मजा आता है। बस यही मूतने वाला मजा लेने के लिए उनसे चुदवाती हूं – वो भी कभी कभी।”
मैंने सोचा तो ज्योती इस बंदे के बारे में बता रही थी।
मैंने कहा “शीला इस बार की चुदाई में मेरे लंड का पानी निकलेगा।” शीला बोली, “जीत भैया मुझे बड़ी जोर का पेशाब आ रहा है।” मैंने लंड शीला की चूत से बाहर निकाल लिया और बिस्तर पर एक तरफ लेट गया।
शीला बाथरूम चली गयी पेशाब करने, और मैंने लंड पर से कंडोम उतार कर चद्दर के नीचे डाल दिया।
शीला पेशाब करके आयी और मेरा लंड हाथ में पकड़ कर बोली, “ज्योति भाभी ठीक ही कह रही थी – मस्त चुदाई करते हो आप। ये कह कर शीला ने लंड फिर मुंह में ले लिया।”
मैंने एक हाथ नीचे करके शीला की चूत का दाना रगड़ना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में शीला चूतड़ हिलाने लगी।
मैं समझ गया शीला अगली चुदाई के लिए तैयार थी।
मैंने कहा, “चल शीला बस कर। मेरा लंड चूत मांग रहा है।”
शीला ने लंड मुंह से निकाला और लेटने लगी।
मैंने कहा, “शीला इस बार पीछे से करते हैं।” बिना कुछ बोले शीला चूतड़ पीछे करके बेड पर झुक कर खड़ी हो गयी।
लम्बी होने के कारण शीला की चूत बिल्कुल मेरे लंड के सामने थी।
मैंने लंड शीला की चूत के छेद पर रखा – शीला की कमर पकड़ी और एक ही झटके से लंड चूत के अंदर बिठा दिया।
बीस मिनट की जोरदार चुदाई ने शीला को हिला कर रख दिया।
उसकी सिसकारियां ऐसी निकल रहीं थी मानो पहली बार चूत में लंड गया हो।
अअअअअह… जीत भैया… ये क्या हो रहा है मेरी चूत में आआह… ओहोहोहोह… जीत भैया… आआअह्ह्हा… निकला मेरा… जीत भैया। और फिर इतनी जोर-जोर से शीला ने चूतड़ आगे पीछे किये, कि एक बार तो मेरा लंड बाहर ही निकलने लगा।
मैंने कस कर शीला की कमर पकड़ ली।
धक्के लगाने की तो मुझे जरूरत ही नहीं पड़ रही थी। ये काम तो अब शीला कर रही थी।
एकदम से शीला ने एक ऊंची आवाज की सिसकारी ली “अअअअअह… जीत भैया… निकल गया मेरा।”
उधर मैंने भी एक सांड की तरह हुंकार भरी घघरररर… हाआआमं… और ढेर सारा पानी शीला की चूत में उड़ेल दिया।
शीला बस इतना ही बोली, “उउइइ मां… मर गयी आज तो मैं। इतना मजा?” और शीला ने अपना सर बिस्तर पर रख लिया और ऐसे ही चूतड़ पीछे कर के खड़ी रही।
मेरा भी इतनी जोरदार चुदाई के बाद दम फूल रहा था। लंड बैठने लग गया था।
जब लंड ढीला हो गया, तो मैंने लंड शीला की चूत में से बाहर निकाल लिया और थकी हुई शीला को बिस्तर पर लिटा दिया। शीला दस मिनट ऐसे ही लेटी रही – बिना कुछ बोले – आंखें बंद करके।
मैं बाथरूम में गया, पेशाब करके लंड साफ किया और वापस कमरे में आ गया।
कपड़े मैंने अभी नहीं पहने – ये सोच कर की जवान शीला का क्या भरोसा। कहीं एक और चुदाई का मन कर गया?
मगर सच पूछो तो अब कम से कम मुझे और मेरे लंड को दो तीन घंटे का आराम चाहिए था अगली चुदाई को कामयाब बनाने के लिए।
मैं शीला के पास ही लेट गया, और शीला की चूचियों को सहलाने लगा।
शीला ने आंखें खोलीं और बोली, “जीत भैया सच कह रही हूं, ऐसी चुदाई तो मेरी कभी भी नहीं हुई। इतना मजा कभी नहीं आया।” शीला ने अपनी चूत पर हाथ फेरा तो सारा हाथ मेरे सफेद पानी और शीला की अपनी चूत के पानी से भर गया।
शीला ने इधर उधर देखा – शायद कोइ कपड़ा ढूंढ रही थी हाथ साफ करने के लिए। मैंने कहा, “रुक शीला मैं तौलिया लाता हूं।”
शीला बोली, “रहने दो जीत भैया।” और ये कह कर शीला ने अपनी हाथ चाट लिया। फिर तीन-चार बार चूत पर हाथ फेर कर बाकी का पानी भी हाथ पर लिया और चाट गयी।
शीला मुझ से बोली, “जीत भैया बाथरूम जाना है। मैं एक तरफ हो गया। शीला पेशाब करके और चूत की सफाई कर के और पूछा, “जीत भैया कितना वक्त हुआ है?”
मैंने घड़ी देखी तीन से कुछ ज़्यादा ही टाइम हुआ था।
मतलब तीन घंटे हमारी चुदाई चली थी।
शीला ने कपड़े पहन लिए। कपड़े पहनते-पहनते भी यही बोलती जा रही थी, “जीत भैया मजा आ गया।”
कपड़े पहन कर शीला पीछे की सीढ़ियों से ही ऊपर चली गयी और मैं भी कपड़े पहन कर लेट गया। सोच रहा था क्या मस्त चुदाई हुई आज शीला के साथ, और साथ ही रात को ज्योति के साथ होने वाले चुदाई का भी ख्याल आता जा रहा था।
तीन घंटे की चुदाई के बाद नींद की एक हल्की मीठी झपकी आ गयी ।