ही दोस्तों, मैं विवेक अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने हाज़िर हू. आशा करता हू की आप सब ने पिछला पार्ट पढ़ा होगा, और पिछला पार्ट आप सब को पसंद भी आया होगा. जिन लोगों ने भी पिछला पार्ट नही पढ़ा है, वो प्लीज़ जाके पहले पिछला पार्ट पढ़े.
पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा की मेरे स्कूल की कांवली लड़की ने क्लास में मेरी बेइज़्ज़ती की. फिर मैने उसको जब चोरी करते पकड़ा, तो वो उल्टा मेरे पे इल्ज़ाम लगाने लगी. लेकिन मेरी मोबाइल पे रेकॉर्डिंग ने उसका मूह बंद कर दिया. अब आयेज बढ़ते है-
जैसे ही बबिता ने मेरे फोन पे उसकी चोरी करते हुए की रेकॉर्डिंग देखी, तो वो बोली-
बबिता: अर्रे सिर, आप तो बुरा मान गये. मैं तो बस अपने आप को बचाने के लिए बोल रही थी. आप कृपा करके ये रेकॉर्डिंग डेलीट कर दो. मैं ये ट्रोफी वापस रख देती हू. और आप से माफी मांगती हू.
मैं: साली रंडी, अगर ये रेकॉर्डिंग मेरे पास ना होती, तो तू तो मुझे जैल भिजवा देती. तुझे कपड़े फाड़ने का बहुत शौंक है ना? देख अब कैसे मैं तुझे सब के सामने नंगा करता हू. जेया चली जेया अपने घर जितना मिलना है अपने घर वालो को मिल ले. कल से तेरी जैल की ज़िंदगी शुरू. अब मैं ऑफीस में जाके बाकी समान भी तोड़ दूँगा, ताकि तुझे और ज़्यादा सज़ा मिले. कम से कम 5 साल के लिए तो तू गयी.
मेरी बातें सुन कर बबिता की गांद फटत रही थी. फिर वो अपने घुटनो पर आ गयी, और उसने हाथ जोड़ लिए. हाथ जोड़ कर वो बोली-
बबिता: मुझे माफ़ कर दीजिए. मेरी ज़िंदगी खराब हो जाएगी.
मैं फिर आयेज गया, और अपना पाजामा (मैने पाजामा और त-शर्ट पहनी हुई थी) नीचे किया, और फिर अंडरवेर नीचे करके अपना लंड बाहर निकाल लिया. मैने लंड उसके मूह के आयेज किया और बोला-
मैं: देखो अगर तुम चाहती हो की मैं किसी को इस बारे में ना बतौ, और ट्रोफी वापस रख कर तुम्हे वापस जाने दो, तो तुम्हे मुझे खुश करना पड़ेगा.
बबिता: नही सिर, मैं ऐसा कुछ नही करूँगी.
मैं: देख अगर जैल नही जाना है, तो करना पड़ेगा. और अगर जाना है, तो मैं चला जाता हू.
ये बोल कर जैसे ही मैं अपना लंड अंदर करने लगा, बबिता ने मुझे रोक लिया. उसने मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया, और बोली-
बबिता: क्या करना होगा मुझे?
मैं: देख तू इतनी भोली तो नही है. मुझ पर इज़्ज़त पर हाथ डालने का इल्ज़ाम लगाने वाली थी ना तू? अब तो तेरी इज़्ज़त लेके ही मुझे चैन आएगा.
फिर इससे पहले बबिता कुछ बोलती, मैने उसके बाल पकड़ कर खींचे. इससे उसकी चीख निकली, और मूह खुल गया. तभी मैने अपना लंड उसके मूह में डाल दिया, और उसके मूह को आयेज-पीछे करके अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा. पहले-पहले तो लंड मुश्किल से अंदर-बाहर हो रहा था. फिर जब उसकी थूक से गीला हो गया, तो आराम से अंदर बाहर होने लग गया.
फिर जैसे ही मैने उसके बाल छ्चोढे, उसने मेरा लंड मूह से बाहर निकाल दिया, और ज़ोर-ज़ोर से खाँसने लग गयी. मैने कहा-
मैं: बस रंडी, निकल गयी तेरी अकड़. एक लंड तो चूसा नही जाता तुझसे ठीक से, चोरी क्या खाख करेगी.
ये सुन कर वो मुझे गुस्से से देखने लगी. तभी मैने फिरसे उसके बाल पकड़े, और उसका मूह खुलवा कर उसके मूह में लंड डाल दिया. मैं ज़ोर-ज़ोर से उसके मूह को छोड़ने लग गया. मुझे उस पर बहुत गुस्सा था, और मुझे आज अपना सारा गुस्सा निकालना था.
फिर मैने अपने दोनो हाथ उसके सर पर रखे, और उसको दीपत्र्ोआट करने लगा. मैं पूरा लंड उसके गले तक ले जेया रहा था, टांकी उसकी साँस रुके और वो तडपे. ज़ोर-ज़ोर से उसका मूह छोड़ने की वजह से उसकी आँखों से पानी आने लगा. लेकिन में रुका नही, और उसको चोक करता गया.
तकरीबन 10 मिनिट मैने उसके मूह को किसी रंडी की तरह छोड़ा. अब मेरा निकालने वाला था, तो मैं पूरा लंड उसके गले तक ले गया, और उसके सर को वही रोक कर दबा लिया. मैं तब तक रुका रहा जब तक की मेरा सारा माल निकल नही गया.
जैसे ही मेरा माल उसके गले में निकला, उसने मुझे धक्का दिया, और ज़ोर-ज़ोर से खाँसने लगी. वो घुटनो के बाल थी, और उसके हाथ ज़मीन पर थे, और वो ज़ोर-ज़ोर से खांस रही थी. इससे ज़्यादा अछा सीन नही हो सकता था किसी बदला लेने वाले के लिए.
फिर उसने खुद को संभाला, और बोली: अब मैं जौ सर?
मैं हस्सा और बोला: अभी तो बेटा काम शुरू हुआ है. चल कपड़े उतार अपने.
बबिता: जी?
मैं: हा कपड़े उतार अपने रंडी. के मैं उतारू. ये शर्ट तो तूने फाड़ ही दिया हुआ पहले से, बाकी का मैं फाड़ देता हू.
और ये बोल कर मैने उसका शर्ट पूरा फाड़ दिया. अब वो मेरे सामने ब्रा और लेगैंग्स में थी. मस्त फिगर था उसका. ब्रा में काससे हुए उसके बूब्स की मस्त क्लीवेज देख कर मेरा फिरसे खड़ा होने लगा था. फिर मैने उसको बोला-
मैं: बाकी के उतारेगी या वो भी फाड़ डू?
बबिता: उतारती हू.
फिर उसने अपनी लेगैंग्स में कमर से हाथ डाला, और नीचे करने लगी. जब वो लेगैंग्स उतारने के लिए झुकी, तो उसके बूब्स की गहराई क्या कमाल की लग रही थी. मेरा लंड तो एक-दूं से खड़ा हो गया.
अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा-पनटी में खड़ी थी. बाला की सेक्सी लग रही थी वो. फिर वो बोली-
बबिता: सिर ये रहने दीजिए ना सिर.
मैने सोचा अब रूम में चल के मैं काम करते है, और मैं बोला-
मैं: चल रहने देते है. चल अब उपर मेरे रूम में चल.
बबिता: माफ़ करदो ना सिर.
मैं: चल फिर जेया घर.
बबिता: नही मैं चलती हू.
और वो स्कूल की बिल्डिंग के अंदर की तरफ चल पड़ी. मैं उसके पीछे-पीछे चल पड़ा. चलते हुए उसकी गांद क्या मस्त हिचकोले खा रही थी. तभी मुझे साइड में पड़ा एक पतला सा डंडा दिखा. उसको देख कर मुझे शैतानी सूझी, और मैने वो डंडा हाथ में ले लिया.
इसके आयेज क्या हुआ, ये आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी का मज़ा आ रहा हो, तो इसको जितना हो सके उतना शेर करे. आप सब का कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.