काम वाली माया की चुदाई।
माया आई, मगर कुछ बदली बदली लग रही थी। बालों में खुश्बू वाला तेल लगाया हुआ था। करीने से बाल संवारे हुए थे। मांग में केसरी रंग का सिंदूर लगाया हुआ था। लिपस्टिक और बिंदी तो थी ही।
माया तो ऐसी सजी हुए थी मानो मेले में जाने के लिए तैयार हो कर आयी हो।
अब घर में तो मैं अकेला ही था ना रसोई में बर्तन ज्यादा थे ना घर में सफाई के जरूरत थी। माया आधे घंटे में ही फारिग हो गयी।
मैं ड्राइंग रूम में ही बैठा था। माया मेरे पास आयी,और बोली, बाबू जी काम तो हो गया – कुसुम मुझे साहब बोलती थी – माया मुझे बाबू जी और सुमन मुझे सर बोलतीं थी। बाबू जी कुसुम कह रही थी आप से कपड़े धोने के लिए पूछ लूं”।
मैंने कहा, “माया, कपड़े तो कोइ ख़ास हैं नहीं आज”।
माया अपनी जगह से हिली नहीं। वहीं खड़ी रही।
मैंने माया से पूछा, माया कुछ चाहिए ? कुछ काम है “?
असल में मैंने माया को चोदने का तो कभी सोचा ही नहीं था। माया ही क्या, मैंने तो कुसुम को भी चोदने का नहीं सोचा था। मैं तो बस सुमन की चूत की चुदाई चाहता था।
ये तो उस दिन कुसुम की झांटें दिखाई दे गयीं और चुदाई का मन बन गया। वरना मैं तो कुसुम के चूतड़ देख देख कर मुट्ठ मार कर लंड का पानी छुड़ाने में ही खुश था।
लेकिन कुसुम ने जैसे मेरा लंड चूसा था। जैसी कुसुम की चूत के ऊपर बालों – झांटों – में से महक आरही थी, अब माया की झांटों की खुशबू लेने और उसको चोदने की इच्छा भी जाग रही थी। माया को इतनी पास खड़ा देख कर लंड में कुलबुलाहट होने लग गयी थी।
माया मेरी तरफ देख कर बोली, “देख लो साहब कोई काम है तो बता दो”। ये कहते हुए माया एक कदम और आगे आ गयी।
जिस तरह से माया मेरे पास मेरे सामने खड़ी थी और जैसे वो सज संवर कर आयी थी – जैसे बात कर रही थी – उससे अब मेरे मन में कोइ शंका नहीं रही कि कुसुम अपनी और मेरी चुदाई की बात माया को बता चुकी है और अब माया भी मुझसे चुदाई करवाना चाहती है।
कुसुम को चोदने के बाद तो अब मुझे माया को चोदने में कोइ हिचकिचाहट भी नहीं थी।
और फिर माया भी तो हमेशा ही मुझे बात करते हुए अपनी चूचियां, चूतड़ और चूत खुजाती ही थी।
उल्टा मेरे दिमाग में एक ख्याल सा आया की अगर माया चुद जाएगी तो हो सकता है सुमन की चुदाई का भी रास्ता साफ़ हो जाए।
फिर एक पल को ख्याल आया कि अगर कुसुम ने माया को मेरे और अपने चुदाई के बारे में बता दिया है तो फिर जो कुसुम और मेरे बीच सुमन को ले कर बात हुई, वो भी जरूर बताई होगी।
अचानक माया थोड़ा आगे आयी और बोली, “बाबू जी कुसुम बड़ी तारीफ कर रही थी आपकी”।
मैंने अनजान बनते हुए माया से ही पूछा, “अच्छा ? क्या कह रही थी कुसुम ?
माया अब मुझसे केवल इतनी दूरी पर थी कि मैं उसे छू सकता था। माया के बालों में लगे तेल की गंध मुझ तक पहुंच रही थी।
मैं बैठा सोच रहा था की कैसे पहल करूं।
माया आधे मिनट चुप रही फिर बिलकुल मेरे सामने आ गयी, “बाबू जी, कुसुम ने सब बता दिया है मुझे”।
तो मतलब कुसुम ने मेरी और अपने चुदाई के बारे में माया को बता दिया था।
मैंने अब माया को चोदने की नजर से देखा। माया भी कुसुम की ही उम्र की थी – या एक दो साल बड़ी। काम करने वालियों जिस्म तो कसे हुए ही होते हैं I उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है।
माया का रंग तो सांवला ही था मगर नैन नक्श तीखे थे। सांवले रंग पर लाल लिपस्टिक माया को और सेक्सी बना रहे थे I
कुसुम को चोदने के बाद मेरे मन में माया को भी चोदने की इच्छा जोर मार रही थी।
एक ही पल में कई सवाल मेरे दिमाग में आ गए।
क्या माया की चूत पर भी कुसुम की चूत की झांटों के तरह काली काली झांटें होंगी ? क्या माया की झांटों में से भी वैसी ही मस्त सेक्सी खुशबू आ रही होगी ? चूत के पानी और मूत को मिलने से बनी खुशबू जिसके बारे में कुसुम कह रही थी कि जिसे सूंघ कर ब्रह्मचारी भी मुट्ठ मारने लग जाए।
क्या माया की चूत भी चुदाई से पहले पानी नहीं छोड़ेगी – सूखी ही रहेगी? क्या माया की चूत में भी लंड रगड़ कर ही जाएगा ?
क्या माया के चूतड़ भी भरे भरे होंगे ? क्या माया के चूतड़ों पर भी दाँतों के निशान होंगे ? क्या माया भी गांड चुदवाने को तैयार हो जाएगी ?
मुझे सोचता देख कर माया बोली, “किन ख्यालों में खो गए बाबू जी “?
ये सुनते ही मैंने माया को चूतड़ों से पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया और उसका नंगा पेट चूम लिया ।
माया बोली, “बाबू जी दरवाजा खुला है, मैं बंद करके आती हूं “।
मैंने कहा, “जाली के दरवाजे की कुंडी लगा कर आ जाओ”।
माया दरवाजा बंद करने गयी कर मैं बेड रूम में चला गया। दरवाजा बंद करके माया बेड रूम में ही आ गयी। मैं खड़ा हुआ और माया की साड़ी खोलने लगा।
माया ने एकदम अपनी साड़ी पेटीकोट और ब्लाउज उतार दिए। नीचे न चड्ढी थी ना ब्रा।
माया का जिस्म किसी कदर भी कुसुम से कम नहीं था।
माया की चूत पर भी वैसे ही काले बाल थे, मतलब चूत की झांटों कि खुशबू भी वैसी ही होगी – लंड खड़ा करने वाली।
मैं कुछ देर माया को बाहों में ले कर उसकी चूचियां अपने सीने मसलता रहा।
जैसे ही मैं माया के होंठ चूसने के लिए झुका, माया बोली, “एक मिनट बाबू जी”।
माया ने पास पड़ी साड़ी से अपने होठों पर लगी लिपस्टिक पोंछ ली और होठ खोल कर चेहरा मेरी और उठा दिया।
मैंने माया के होंठ अपने होठों में ले लिए और एक हाथ माया की चूत पर ले गया।
माया ने टांगें चौड़ी कर दी।
मैंने उगली से माया की चूत का दाना ढूंढा और उसे उंगली से मसलने लगा। माया की चूत भी कुसुम की चूत की तरह ही सूखी थी।
कुछ देर बाद माया मुझसे अलग हुई और मेरे पायजामे का नाड़ा खोलने लगी।
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। माया ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और दबाने लगी। मेरा लंड सख्त होने लगा था।
माया बेड के किनारे पर बैठ गयी और लंड मुंह में ले लिया। माया भी चुसाई में कुसुम से कम नहीं थी।
मैं सोच रहा था ये काम वालियां इतनी बढ़िया चुसाई कैसे कर लेती हैं ?
मेरा लंड अब चूत मांग रहा था। मैंने माया से कहा, “बस माया, अब जरा अपने फुद्दी चुसवाओ और फिर चुदाई करें। लंड तैयार है”।
माया वहीं बेड के किनारे लेट गयी और टांगें उठा कर अपने चूत खोल दी। एक जैसी ही थी माया और कुसुम की चूत।
वैसे तो सारी चूतें एक जैसी ही होती हैं। बस यही फरक होता है कोइ चूत उभरी हुई होती है। उभरी चूत की फांक की लाइन पूरी दिखाई देती है। कोइ चूत में फांक की लाइन दिखाई ही नहीं देती। टांगें तो दोनों तरह की चूत चोदने के लिए उठाने ही पड़ती हैं।
मैंने माया की चूत चूसने के लिए जैसे मुंह नीचे किया, माया की झांटों की तीखी खुशबू ने मुझे मस्त कर दिया।
माया की झांटों की खुशबू कुसुम की झांटों की खुशबू से भी तेज थी। या तो माया की झांटों में चूत का पानी ज्यादा था या फिर मूत कुछ ज्यादा था।
सारी औरतों की चूत एक जैसा पानी भी तो नहीं छोड़ती और मूतने के बाद कितना मूत झांटों में लगा रह गया ये सब भी तो सभी औरतों में एक जैसा नहीं होता। इसी लिए सभी औरतों की झांटों की खुशबू भी अलग अलग होती है।
उनको इस खुशबू में छुपी मस्ती का क्या पता जिनकी बीवियां झांटों के बाल बढ़ने ही नहीं देती – जैसे मेरी बीवी रूपा।
माया की चूत के नमकीन स्वाद और झांटों की खुशबू के बीच सुमन की चूत का ध्यान आ गया।
क्या उसकी भी झांटें होंगी ? अगर होंगी तो उस कुंवारी फुद्दी की झांटों में से कैसे महक आ रही होगी।
खैर इतनी चुसाई के बाद माया ने चूतड़ ऊपर नीचे करने शुरू कर दिए। शायद लंड मांग रही थी।
मैं खड़ा हुआ और लेटी हुई माया के टांगें उठा ने लगा।
तभी माया बोली, “ऐसे चोदोगे बाबू जी” ?
मैं रुक गया, “तुम्हें कैसे चुदवानी है माया”?
माया बोली, “लिटा कर चोदो बाबू जी जैसे मर्द अपनी औरतों को लिटा कर ऊपर लेट कर चोदते हैं – अपनी औरत को बाहों में जकड़ कर “।
मैं भी रूपा को ऐसे ही चोदता हूं। औरत की चूचियां जब छाती के साथ चिपकती हैं तो चुदाई का मजा दुगना हो जाता है।
वैसे हर किस्म की चुदाई की अपनी ख़ास बात होती है। जैसे बेड के किनारे लिटा कर चुदाई करते समय चूचिया हिलती हैं। उनका मजा अलग है। चाहो तो चूचियां पकड़ कर दबा दो या चूची का निप्पल मसल लो।
अब पीछे से घोड़ी बना कर चुदाई की अपनी मस्ती है। चूतड़ों को पकड़ कर चुदाई करो। चुदाई करते करते गांड में उंगली घुसेड़ने का भी अपना ही मजा है।
मैंने माया को कहा “ठीक है माया, लेट जाओ। माया लेट गयी मैंने माया के चूतड़ों के नीचे तकिया टिका दिया और चूत उठा दी”।
माया ने टांगें उठा कर चौड़ी की और हाथों से चूत की फांकें खोल दी।
माया की चूत का गुलाबी छेद सामने था। मैंने थोड़ा थूक माया की चूत के छेद पर लगाया और लंड ऊपर रख कर एक ही बार में जड़ तक अंदर बिठा दिया।
माया ने एक सिसकारी ली “आअह बाबू जी मस्त लंड है आपका। कुसुम ठीक ही कह रही थी “।
मैंने सोचा अगर कुसुम ने इतना कुछ बता दिया है तो फिर तो सुमन के बारे में भी जरूर बताया होगा। माया की चुदाई होने वाली थी मगर मेरे दिमाग से सुमन नहीं निकल रही थी।
क्या मुझे बात करनी चाहिए माया से सुमन को चोदने के लिए ? नहीं, शायद अभी नहीं – आज नहीं।
माया कहीं ये ना सोचने लगे कि बाबू जी ने मुझे चोदा है सुमन की चुदाई का रास्ता खोलने के लिए। और फिर रूपा को गए अभी तीन दिन ही तो हुए हैं और मैं दो चूतें चोद भी चुका हूं।
मैंने नीचे लेटी माया को बाहों में जकड़ लिया और लम्बे लम्बे धक्के लगाने लगा।
माया चूतड़ घुमा रही थी। माया पर चुदाई की मस्ती शायद कुछ ज्यादा ही थी। इधर माया ने भी मुझे बाहों में पकड़ कर साथ चिपका लिया और उधर अपनी टांगें मेरी कमर के पीछे कर के मुझे जकड़ लिया।
मैं माया को खूब जोर जोर से चोद रहा था, जल्दी ही माया “आआह बाबू जी….. आआह बाबू जी” की आवाजें निकालने लगी।
दस मिनट की चुदाई ही हुई होगी कि माया ने एक लम्बी सिसकारी ली “आआआआह….. और जोर से चूतड़ घुमा कर ढीली हो गयी”। माया झड़ गयी थी।
साफ़ लग रहा था चुदाई से पहले जो चूत सूखी थी अब पानी से भरी पड़ी।
जितनी मर्जी इन काम वालियों की चूतें सूखी रहें, झड़ने के बाद तो हर औरत की चूत पानी से भर जाती हैं।
माया झड़ गयी थी मगर मेरा लंड अभी भी तना हुआ था। माया ने मेरे कमर से टांगे हटा ली।
एक पल को ख्याल आया कि माया से पूछूं कि माया अब कैसे चुदवानी है, मगर मस्ती मुझ पर हावी थी। चुदाई बीच में रोकने का मेरा मन नहीं था।
मैंने माया की चुदाई जरी रक्खी और धक्के लगाता रहा। साथ आठ मिनट के लगातार धक्के ही लगे होंगे कि माया ने टांगों से मेरी कमर फिर जकड ली।
माया की चूत चुदते चुदते फिर गरम हो गयी थी।
चुदाई चलती रही।
अब मेरा भी लंड झड़ने वाला था। मरे लंड के धक्कों की स्पीड अपने आप बढ़ गयी। मेरे मुंह से भी आवाजें निकलने लगी “आह माया, माया, आअह माया”।
मेरी धुआंधार चुदाई और मजे से भरी सिसकारियों ने माया को भी झड़ने के निकट ला दिया।
माया जोर जोर से चूतड़ घुमाने लगी और मेरी गालों के साथ अपनी गालें रगड़ने लगी।
तभी मुझे मजा आ गया I “आअह्ह …..माया निकल गया मेरा” – माया भी फुसफुसाई “मेरा भी बाबू जी ….. आअह”।
मैं और माया दोनों इक्क्ठे झड़ गए।
कुछ देर ऐसे ही लेटने के बाद मैने लंड मया की चूत में से निकला और माया के पास ही लेट गया।
आधे घंटे से ज्यादा के चुदाई ने थका दिया था। थक तो माया भी गयी होगी। दस मिनट हम ऐसे ही लेटे रहे ।
फिर माया पहले उठी और बाथरूम जा कर चूत की धुलाई कर के और मूत के वापस आ गयी।
मेरे पास ही बैठ कर मेरा ढीला लंड एक बार चूसा और बोली, बाबू जी आप तो बड़ी मस्त चुदाई करते हो। बताया तो कुसुम ने भी था बाबू जी कि आपका लंड बहुत बड़ा है और आपकी चुदाई भी मस्त है – मगर इतना मस्त चोदते हो आप, ये नहीं सोचा था। मजा आ गया आज तो”।
माया बाथरूम से चूत धो कर और मूत कर तो आ गयी थी मगर अभी भी नंगी ही थी। मैं तो नंगा ही लेटा हुआ था।