ही फ्रेंड्स, मई 24 साल की मस्त, गोरी और लंबी कूदी रानी हू. मई रानी जैसी नही, लेकिन मेरे सपने निश्चित रूप से एक रानी जैसे है. इसीलिए तो मई हमेशा गाती रहती हू, ” इक बांग्ला बने प्यारा और उसमे हो बड़ी सी गाड़ी, मेरा साजन अनादि हो और मई उस साजन की बाहो मे राहु हमेशा, मेरा साजन मुझे छोड़ता रहे बस”.
अब मई अपने बारे मे बताती हू. मेरी काली गहरी ज़ूलफे, मदिरा छिड़कते मेरे ये मस्त-मस्त दो नैन, रस्स से भरे मेरे दो गुलाबी होंठ और मेरे गोरे-गोरे गालो के सब दीवाने है.
मेरे इस रूप के जाल मे जो भी फ़ससा, बस फ़ससा ही रह गया. संगेमरमर जैसे मेरे बदन का तो कहना ही क्या है. मेरे इस बदन पर जो बड़े-बड़े चूचे है, उसकी तो दुनिया दीवानी है. हर कोई मेरे इन काससे हुए चूचो का मज़ा लेना चाहता है.
मेरी उभरी हुई मस्त गांद के तो कहने ही क्या है. जब मई मटक-मटक कर चलती हू, तो चाहे वो बच्चे हो, बुड्दे हो, या जवान हो, सबके लंड खड़े हो जाते है. मुझे देख-देख कर सब आहें भरते है और हाए-हाए करते है.
मई बस इसी तरह से अपने जवान और मादक जिस्म का प्रयोग करती हू और हमेशा जवान, स्मार्ट और हॅंडसम लड़को से अपनी छूट चुड़वाती हू और उनको अपने रूप का रस्स-पॅयन करवाती हू. जो भी मेरी चुदाई करता है, वो मेरे खूसूरत अंगो मे उलझ कर रह जाता है.
मेरे पास अगर किसी चीज़ की कमी है, तो वो है एक राजकुमार. जब भी मई किसी जवान लड़के को देखती हू, तो उसके लंड की लंबाई और मोटाई का अंदाज़ा लगाना शुरू कर देती हू. मई सोचती हू, की कों कितनी चुदाई करता होगा. और कों मुझे तृप्ति तक ले-जेया सकेगा. अब मई अपनी कहानी पर आती हू-
मेरे साथ काम करने वाली दोस्त के भाई की शादी थी. उसने मुझे इन्वाइट किया था, तो मई भी शादी अटेंड करने उसके साथ उसके गाओं रामपुर गयी थी. वाहा एक राजू नाम का लड़का भी शादी अटेंड करने आया हुआ था.
राजू 6 फुट लंबा और एक मस्त जवान लड़का था. उसकी उमर कोई 20 साल होगी. वो एक हॅंडसम, स्मार्ट और हासमुख लड़का था. राजू से मेरी नज़रे बार-बार टकरा रही थी और आँखों ही आँखों मे प्यार का इज़हार भी हो रहा था.
एक बार सब लोग इकते खड़े थे. वाहा भी मई और राजू एक-दूसरे को चोर निगाहो से देख रहे थे. मेरी फ्रेंड शायद हम दोनो को एक-दूसरे को ताड़ते हुए देख रही थी. फिर उसने राजू से पूछा, की उसके मेरे बारे मे क्या ख़याल थे. उसके पूछने पर राजू ने जवाब दिया-
राजू: रानी! वो तो ख्वाबो मे रहने वाली लड़की है. वो सामने हो या नही, लेकिन लगता है की वो हर दूं मेरे सामने है. रानी के लिए अगर मई ये ग़ज़ल भी गेया डू, तो कोई बड़ी बात नही होगी.
और वो ग़ज़ल थी-” चेहरा है कमाल का और गाल है फूलो जैसे. हुलचल है इसका बदन, संगेमरमर है ताज महल जैसा”
ये सुन कर सब लोग ठहाके से हासणे लग गये और मई राजू के और करीब आ गयी. फिर रात मे मई च्चत पर घूम रही थी और तभी राजू वाहा आ गया. फिर राजू मेरे करीब आया और बोला-
राजू: अकेली हो तुम?
मैने बोला: मई अकेली कहा हू, तुम हो ना मेरे पास.
ये बोल कर मई हस्स पड़ी. ये बोल कर राजू ने मेरे हाथो को पकड़ा और मुझे अपने पास करके मेरे गालो और होंठो को चूमने लग गया. वो मुझे अपनी बाहो मे जकड़ता चला गया और मेरे होंठो को ऐसे चूस रहा था, जैसे मेरे गुलाबी होंठो के रस्स की हर बूँद पी जाना चाहता हो.
राजू मेरे होंठो को चूस्टा गया और चूस्टा ही गया. जब उसको होतो के रस्स से थोड़ी तृप्ति मिली, तो राजू मेरी चूचियो पर टूट पड़ा. मेरी चूचियो को दबाते हुए, वो मेरी चूचियो को आज़ाद करने की कोशिश करने लग गया.
फिर उसने मेरी ब्रा उतार दी और मेरी बड़ी-बड़ी रसीली चूचियो को आज़ाद कर दिया. चूचिया जैसे ही आज़ाद हुई, तो राजू उनका रस्स-पॅयन करने लग गया. राजू बड़े मज़े से मेरी चूचियो का रस्स-पॅयन कर रहा था और मुझे भी आहिस्ता-आहिस्ता मस्ती चढ़ती जेया रही थी.
चूचियो के रस्स-पॅयन से मेरी छूट मे भी सनसनी मचने लगी थी और अब मई अपनी टाँगो को दबा कर अपनी छूट को रगड़ने की कोशिश कर रही थी. फिर राजू मेरी चूचियो से खेलते हुए, पेट के रास्ते मेरी छूट तक आ गया.
जैसे ही उसने मेरी छूट पर हाथ रखा, तो मेरी छूट मे करेंट सा दौड़ गया. फिर राजू ने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया और मेरी सलवार को नीचे गिरा दिया. अब मई बेकाबू हो चुकी थी और मैने भी राजू की पंत को खोल कर उसको उतार दिया. फिर जैसे ही मैने उसका जांघिया उतारा, तो उसका बड़ा सा लंड उछाल कर मेरे सामने आ गया.
उसका लंड पूरी तरह से तन्ना हुआ था और फुकारे मार रहा था. राजू का लंड काफ़ी बड़ा और मोटा था और मई तो उसका लंड देख कर ही मस्त हो गयी. मोटे लंड से छुड़वाने की सिर्फ़ कल्पना से ही मेरे तंन-मॅन मे मस्ती छाने लग गयी.
मैने राजू का मोटा लंड अपने हाथ मे लिया और उसको अपनी छूट पर रगड़ने लग गयी. इसका असर ये हुआ, की उसका लंड मेरी छूट से छिपकने लगा. फिर राजू ने मेरे नंगे जिस्म को अपनी गोद मे उठाया और मुझे बेड पर ले आया. मई उसके साममे चिट पड़ी रही और वो मेरे बूब्स चाटने लग गया था.
फिर मैने अपनी चूचियो को अपने हाथो से सत्ता दिया और उनके बीच एक दरार बनाई. उसके बाद मई नीचे हुई और उसके लंड को अपनी चूचियो की दरार के सामने ले आई. फिर राजू ने अपने लंड को मेरी चूचियो की दरार मे फसाया और मेरी चूचियो को फाटाक-फाटाक से छोड़ना शुरू कर दिया.
अब मेरी चूचियो को चूड्ता हुआ देख कर, मेरी छूट सदमे मे आ गयी और झार-झार आँसू बहाने लगी. फिर मैने राजू को बोला-
मई: देखो मेरी छूट कैसे रो रही है.
फिर राजू ने मेरी छूट से बहते आँसू देखे और छूट को चूम-चाट कर पूचकारने लगा. राजू का प्यार पा कर मेरी छूट बावरी और भी ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी. फिर मई बोली-
मई: राजू, अब मेरी छूट महारानी बिना तेरे लंड के नही मानेगी.
तभी राजू बोला: ऐसी बात है, तो अभी लो.
और ये बोल कर राजू अपने लंड महाराज को छूट की दीवारो से रगड़ने लगा. फिर लंड रगड़ते-रगड़ते उसको छूट महारानी की वो जगह मिल ही गयी, जिसकी तलाश मे लंड छूट को रग़ाद रहा था.
बस फिर क्या था, राजू ने अपने फौलादी लंड को बेरेहमी से मेरी बर मे धकेल दिया और उसका लोहे जैसा डंडा मेरी बर की दीवारो को चीरता हुआ, बर की आगोश मे समा गया. छूट की खुशी का ठिकाना ना रहा. क्यूकी जिसके लिए मेरी छूट हमेशा अपनी आँखें बिछाए रहती है, वो आज मेरी छूट के अंदर समाया हुआ था.
फिर राजू मेरी चुदाई करने लगा. पहले-पहले उसकी रफ़्तार बिल्कुल धीमी थी, जो मुझे जला रही थी. फिर मई उसको बोली-
मई: आबे सेयेल, ये कों सी चुदाई कर रहा है. खाया-पिया नही है क्या? और तेरे मे दूं-खाँ नही है क्या?
राजू बोला: ऐसी बात नही है रानी. अब तुझे मई दिखाता हू अपना दूं.
और ये बोल कर राजू ने ढाका-धक मेरी चुदाई करनी शुरू कर दी. मई भी पीछे नही हटी और पूरी रफ़्तार से गांद उछाल-उछाल कर उसका साथ दे रही थी. इस धक्का-पेल चुदाई की आवाज़े चारो तरफ गूँज रही थी.
मेरी छूट और उसका लंड फाटक-फाटक की आवाज़ो के साथ आपस मे टकरा रहे थे. फिर आधे घंटे की धक्का-पेल चुदाई के बाद मेरी छूट से मदन रस्स की पिचकारी फुट पड़ी. अब फाटक-फाटक की आवाज़ फॅक-फॅक मे बदल गयी.
राजू हांफता जेया रहा था और मेरी छूट को छोड़ता जेया रहा था. मुझे राजू पर दया आ गयी और मैने अपनी दोनो टाँगो को सता कर छूट को सख़्त किया. अब राजू मेरी सख़्त छूट मे लंड अंदर-बाहर कर रहा था. फिर राजू बोला-
राजू: हाए.. हाई.. क्या मज़ेदार छूट है तेरी रानी आहह.. मज़ा आ रहा है बहुत आहह..
ये बोल कर राजू दाना-दान मेरी छूट छोड़े जेया रहा था. मई उसको चुदाई करते हुए देख रही थी और उसके लंड का मज़ा ले रही थी. फिर उसका बदन अकड़ने लगा और वो आहह आह करने लग गया.
उसके लंड से गरम-गरम वीर्या की पिचकारी निकली और राजू हांफता हुआ मेरी एक साइड पर लेट गया. मई तो राजू के वीर्या की बरसात से तृप्त हो गयी थी.
दोस्तो चुदाई का ये अहयाय समाप्त हो गया. अगर आपको कहानी अची लगी हो, तो कॉमेंट ज़रूर करे. आप अपनी फीडबॅक मुझे मैल भी कर सकते है.