ही दोस्तों, मेरा नाम रिंकू है, और मैं राजस्थान के जाईपुर शहर से हू. मेरी उमर 29 साल है, और शादी-शुदा हू. मेरी शादी 3 साल पहले हुई थी, जिससे मुझे एक बच्चा भी है. हाइट मेरी 5’11” है, और लंड 7 इंच का है.
ये कहानी मेरे और मेरी साली के बीच हुए सेक्स एनकाउंटर की है. अपनी साली को छोड़ने का मेरा कोई इरादा नही था. लेकिन अचानक ही सब हो गया. तो चलिए मैं बताता हू, की क्या हुआ और कैसे हुआ.
2 महीने पहले की बात है. मेरी साली हमारे घर में रहने आई हुई थी. मेरी साली का नाम दिव्या है. वो 2न्ड एअर कॉलेज की स्टूडेंट है. उसका फिगर 32-28-36 है. रंग गोरा है. और वो वर्जिन है, या काहु वर्जिन थी.
मैं ऑफीस में था, और मेरे घर आने का टाइम हो चुका था. मेरे ऑफीस से निकालने से पहले मुझे मेरी बीवी की कॉल आई.
बीवी: सुनिए, आप ऑफीस से कब निकल रहे हो?
मैं: बस 2-3 मिनिट में.
बीवी: अछा एक काम करना है.
मैं: क्या?
बीवी: दिव्या एबीसी माल गयी हुई है. वाहा उसको शॉपिंग करवा कर घर ले आना. ज़्यादा टाइम नही लगेगा.
मैं: ठीक है, मैं चला जौंगा.
फिर मैं ऑफीस से निकला, और माल की तरफ चल पड़ा. 10 मिनिट में मैं माल पहुँच गया. मैने गाड़ी पार्क की, और अंदर चला गया. इधर-उधर देखा, तो दिव्या मुझे नही दिखी. फिर मैने उसको कॉल की.
दिव्या: जी जीजू.
मैं: दिव्या कहा हो तुम? तुम्हारी दीदी ने मुझे तुम्हे लेने भेजा है.
दिव्या: जीजू मैं उपर हू. यहा साले लगी है ब्रॅंडेड कपड़ों की बहुत सही रते में. काफ़ी भीड़ है. आप उपर ही आ जाओ.
मैं: ओक.
फिर मैं उपर गया तो देखा दिव्या भीड़ में खड़ी हुई थी. मैं भी अंदर घुस गया, और दिव्या के पास जाके खड़ा हो गया. दिव्या ने वाइट त-शर्ट और ब्लू जीन्स पहनी हुई थी.
उसकी त-शर्ट और जीन्स दोनो टाइट थी, जिनमे से उसके पूरा फिगर पता चल रहा था. तभी शॉप वालो ने सब लोगों को लाइन बनाने को कहा. सब लोग लाइन बनाने लगे, और हम दोनो भी लाइन में आयेज-पीछे खड़े हो गये.
अब दिव्या मेरे आयेज खड़ी थी, और मैं उसके पीछे था. भीड़ काफ़ी थी, तो सब लोग चिपक के खड़े हुए थे. ऐसे में मैने अपने हाथ दिव्या के शोल्डर्स पर रख लिए. लोग बार-बार आयेज-पीछे हो रहे थे, जिसकी वजह से मैं और दिव्या आपस में टकरा रहे थे.
मेरा लंड दिव्या की बॅक पर बार-बार लग रहा था. फिर मुझे पता नही क्या हुआ, की मेरा लंड खड़ा हो गया. अब मैं दिव्या के पीछे से उसको चिपक का खड़ा था, और मेरा लंड उसकी बॅक पर लग रहा था. मेरे हाथ उसके शोल्डर्स पे थे.
उसकी सॉफ्ट गांद पर लंड लगने से मुझे मज़ा आ रहा था, और मैं पता नही क्या सोच के लंड उसकी बॅक में दबाने लगा. जब दिव्या को ये महसूस हुआ, तो उसने अपना हाथ पीछे की तरफ किया. जैसे ही उसने हाथ पीछे किया, उसका हाथ सीधा मेरे लंड पे पड़ा. इससे मैं दर्र गया.
फिर दिव्या ने पीछे मूड के मुझे अजीब सी नज़रो देखा. मेरी तो गांद ही फटत गयी. मुझे लगा की ये तो मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी. इससे पहले मैं दिव्या को कुछ बोलता, दिव्या ने मुझे एक स्माइल पास की, और मूह फिरसे आयेज की तरफ कर लिया.
मैं समझ गया, की दिव्या को भी अछा लग रहा था. तो मैं लंड फिरसे उसके पीछे दबाने लग गया. इस बार वो भी पीछे की तरफ होके मुझसे चिपक रही थी. अब मुझे गर्मी चढ़ गयी थी, तो मैं अपने हाथ उसके शोल्डर्स से नीचे उसकी कमर पर ले गया.
बड़ी ही मुलायम कमर थी मेरी साली की. कमर पर हाथ फेरते हुए मैं दोनो हाथ उसके बूब्स पर ले गया. एक-दूं गोल और काससे हुए थे बूब्स उसके. उपर से उसने पुश-उप ब्रा पहनी हुई थी. मैने उसके बूब्स को दबाना शुरू किया. इससे दिव्या की साँसे भी तेज़ होने लगी.
उस लाइन में खड़े हम दोनो जीजा-साली गरम हो चुके थे. फिर लाइन आयेज बढ़ी, और हम दोनो ने अंदर जाके शॉपिंग की. दिव्या आज कुछ अलग ही तरह से मुझे देख कर स्माइल कर रही थी. मेरा लंड भी बैठ नही रहा था. फिर शॉपिंग करने के बाद हम माल से बाहर आने लगे. हम दोनो के हाथो में बॅग्स थे. मैं दिव्या के पीछे चल रहा था, और मेरी नज़र उसकी मटकती गांद पर थी.
मैं बड़ा हॉर्नी हो गया था उसकी गांद देख कर. मेरा दिल उसकी गांद को चाटने का कर रहा था. फिर हम कार तक पहुँचे, और समान दिक्क़ी में रखा. मैं अभी पीछे ही खड़ा था कार के, और दिक्क़ी खुली थी. तभी दिव्या एक और बाग देने आई. जब वो जाने लगी, तो मैने उसको कहा-
मैं: दिव्या, आज जो हुआ वो…
इससे पहले की मैं कुछ बोल पाता, दिव्या ने आयेज बढ़ कर अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिए. बड़ा ही कमाल का एहसास था. मैने उसको अपनी बाहों में भर लिया, और हम दोनो की किस्सिंग शुरू हो गयी.
मैं अपने दोनो हाथ उसकी गांद पर ले गया, और उसके छूतदों को प्रेस करने लगा. वो ह्म ह्म कर रही थी किस करते हुए. ऐसा लग रहा था वो भी किसी मर्द के स्पर्श के लिए तड़प रही थी.
तभी पीछे से किसी गाड़ी के आने की आवाज़ आई, और हम दोनो अलग हो गये. फिर हम जल्दी से गाड़ी में जाके बैठे, और मैने गाड़ी स्टार्ट की. हम वाहा से निकल आए. दिव्या मॅन ही मॅन स्माइल कर रही थी. वो अपने एक हाथ से दूसरे हाथ को मसल रही थी, जैसे बहुत एग्ज़ाइटेड हो.
फिर मैने गाड़ी एक ऐसी जगह रोकी, जहा बहुत कम लोगों का आना-जाना होता है. मेरे गाड़ी रोकते ही दिव्या समझ गयी, की मैने गाड़ी क्यूँ रोकी थी. उसकी एग्ज़ाइट्मेंट और बढ़ गयी. फिर मैं उसकी तरफ बढ़ा, और उसने मेरी तरफ देखा.
हम दोनो के होंठ फिरसे मिल गये. इस बार वो पहले से ज़्यादा जोश से किस कर रही थी. मैं भी बराबरी का जवाब दे रहा था. किस करते हुए मैने उसके बूब पर हाथ डाल दिया, और उसको ज़ोर से दबाने लगा. क्या मस्त कड़क बूब था मेरी साली का.
इससे पहले की मैं उसकी गांद तक हाथ लेके जाता, मेरी बीवी का फोन आ गया. हम दोनो जल्दी से अलग हुए, और घर के लिए चल पड़े.
इससे आयेज क्या हुआ, और मैने कैसे अपनी साली की चुदाई की, वो आपको आयेज आने वाले पार्ट्स में पता चलेगा. अगर आपको कहानी पसंद आई हो, तो इसको फ्र्िएंदा के साथ शेर ज़रूर करे.