हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.
मैं जानती हू यह स्टोरी ज़्यादा लंबी चल रही है लेकिन आप आयेज पढ़ते रहिए की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.
इश्स स्टोरी का 21स्ट्रीट पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए. ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है. अब आयेज…
मैने अपने निपल को उनके चेहरे पर घूमते हुए गले के उपर से होते हुए उनके सीने पर रगड़ने लगी थी. उनके सीने पर उगे हुए घने बालो पर निपल्स फेरते हुए मूज़े भौत मज़ा आ रहा था. और उत्तेजना के मारे उनका लंड भी झटके खा रहा था.
मैने अपने निपल से उनके सीने को सहलाते उनके पेट और उसके बीच उनकी नाभि को चूहने लगी थी. मूज़े उनको इश्स तरह उत्तेजित करने मे भौत मज़ा आ रहा था.
पास ही मे मुस्कान भाभिजान और अज़हर मे घामाशाण चीदा हुआ था. वो दोनो ही एक दूसरे को हराने के लिए पूरी जान से लगे हुए थे. दोनो की चुदाई की स्पीड काफ़ी बढ़ गयी थी और दोनो के जिस्म पसीने से भीग चुके थे. तभी अज़हर ज़ोर की सिसकारियो-
अज़हर:- अहहहहाहा अहाहा अहहाहा आआ अहहहाहा..
ऐसे करते हुए अपनी भाभिजान के नंगे जिस्म के उपर फैल गये. और उनका साथ देते हुए मुस्कान भाभिजान भी अपने रास से अज़हर के लंड को ढोने लगी थी. वो दोनो एक साथ खलास हो कर एक दूसरे को चूमते हुए बुरी तरह हाफ़ रहे थे.
मैं और भाईजान दोनो ही इश्स रात को भौत यादगार बना देना चाहते थे. इसलिए ह्यूम चुदाई के खेल को शुरू करने की कोई जल्दबाज़ी नही थी. सारी रात हम दोनो को एक दूसरे के साथ ही रहना था. इसलिए हम खूब माज़े ले ले कर एक दूसरे के साथ चुदाई से पहले के खेल का मज़ा ले रहे थे.
मैने भाईजान के लंड के उपर अपने निपल्स को घूमना शुरू किया. लंड की नीचे से लेके टोपे के उपर तक अपनी निपल्स को किसी कॉटन की तरह फिरा रही थी.
उनका लंड तो उत्तेजना से फूल कर पूरा कुप्पा हो रहा था. उनके लंड की टिप पर कुछ प्री कम की ड्रॉप्स चमक ने लगी थी. जो बस नीचे बेड पर ही तपाक ने वाली ही थी की मैने लपक कर अपनी जीभ निकल कर उससे चाट कर अपने मूह मे भर लिया था. सच काहु क्या मज़ेदार स्वाद था यूयेसेस प्री कम का.
फ़रदीन भाईजान ने मेरे बूब्स को पकड़ कर उन्हे अपने लंड के उपर दबा कर मूज़े इशारा किया की में उनको अपने बूब्स से छोड़ू.
मैने अपने दोनो बूब्स के बीच उनके मोटे लंड को दबा कर अपने जिस्म को आगे पीछे करने लगी थी. उन्हे इसमे मुझसे छोड़ने जैसा मज़ा मिल रहा था इसलिए वो मूज़े सहलाते हुए सिसकारिया लेने लगे थे.
कुछ टाइम उनके लंड को अपनी दोनो बूब्स के बीच लेकर निचोढ़ ने के बाद मैने उनके लंड पर अपनी जीभ घूमना शुरू कर दिया.
यह सब के बाद अब भाईजान के लिए अपनी उत्तेजना पर कंट्रोल कर पाना मुश्किल हो रहा था. उन्होने मेरी कमर को खिच कर अपनी तरफ किया. और वो मेरी छूट को अपने मूह मे लेना चाहते थे. इसलिए मैने अपने दोनो घुटने मोड़ कर उनके सिर के दोनो साइड रख कर अपनी छूट को उनके होतो से लगा दिया.
अब हम दोनो एक दूं प्रॉपर 69 की पोज़िशन मे थे. मैं उनके लंड को चाट और चूस रही थी और वो मेरी छूट पर अपनी जीब घुमा रहे थे.
तभी मैने देखा अज़हर और मुस्कान भाभी एक दूसरे के नंगे जिस्म से खेलते हुए नींद की आगोश मे आ गये थे. वो दोनो नंगे ही एक दूसरे की बाहू मे सू गये थे.
लेकिन मेरे और भाईजान की आखो से नींद भौत ही दूर थी. आज तो पूरी रात मूज़े ताकना और फ़रदीन भाईजान को तकना था.
फ़रदीन भाईजान मेरी छूट की लिप्स को अपनी हाथो की उंगलियो से फैला कर अपनी जीभ मेरे भागणकुर (क्लाइटॉरिस) से लेकर अंदर तक फिरने लगे थे.
मैने भी उनके मोटे लंड को अपने हाथो से पकड़ कर अपने मूह मे ले लिया. और बीच बीच मे अपनी जीब निकल कर उनके लंड पर उपर से नीचे तक घूमने लगी थी.
मैं उनके लंड के नीचे लटकते हुए बॉल्स को अपने मूह मे भर कर चूसने लगी थी. मैने उनके सताने के लिए उनके लंड के टोपे पर हल्के से अपने डाट भी गाड़ा दिए. वो ज़ोर की सिसकारियो-
फ़रदीन:- अहहहाहाः उूफुफुफ अहहहः अहहः अहहाहा… कर उठे.
और मुझसे बदला लेने के लिए मेरी छूट के दाने को अपनी दाटो के बीच ज़ोर से दबा दिया. मैं उत्तेजना से छटपटा उठी. भाईजान काफ़ी ज़्यादा गरम हो चुके थे. उनको शायद इश्स पोज़िशन मे मज़ा नही आ रहा था. क्यूकी उनकी जबारजस्ट्ियो को मैं उपर होने की वजह से नाकाम कर रही थी.
तो तब उन्होने मूज़े करवट . कर नीचे . दिया और खुद मेरे उपर सॉवॅर हो गये.
मैने अपनी टाँगो को मोड़ कर अपनी छूट को उनकी तरफ किया और उनके सिर को अपनी दोनो झांगो के बीच दबा दिया. मैने दोनो झांगो से उनके सिर को भिच रखा था. जिससे उनको भागने का कोई राष्टा नही मिले कही से भी.
लेकिन दूसरी तरफ मेरी हालत उन्होने खराब कर रखी थी. भाईजान का लंड मेरे गले मे ठोकर मार रहा था.
मैने जितना हो सकता था अपने मूह को फाड़ के खोल रखा था. लेकिन उनके लंड का साइज़ कुछ ज़्यादा ही था इसलिए मेरा मूह और जीभ दोनो ही दुखने लगा था ज़ोर से.
उन्होने अपनी कमर को मेरे मूह पर दबा रखा था. मैने उनके लंड की बॉल्स को अपनी मुति मे पकड़ कर उनके लंड को पूरा अंदर घुसने से रोका. लेकिन उन्होने अपने हाथो से जबारजस्ति मेरे हाथो को अपने लंड पर से हटा दिया और एक ही धक्का दे मारा.
मेरी तो सास रुकने लगी थी क्यूकी उनका लंड मेरे गले मे घुस गया था. मैं पूरी छटपटाने लगी तो उन्होने अपने लंड को कुछ बाहर खिछा और पल भर के लिए मूज़े कुछ रहट दी. लेकिन फिर पूरे ज़ोर से वापस अपने लंड को मेरे गले के अंदर डाल दिया था.
अब मैने अपनी सासे उनके धक्को के साथ ही तूने कर ली थी जिससे हम दोनो को ही कोई भी दिक्कत नही हो. उनके हर धक्के के साथ उनके बॉल्स मेरी नाक को बंद कर देते थे. उनके घुंघरालु बाल मेरे नाक मे घुस कर गुदगुदी करने लगते थे.
भाईजान भी तेज़ी से अपनी कमर को आयेज पीछे कर रहे थे. और ऐसा लग रहा था मानो उन्होने मेरे मूह को मेरी गीली छूट साँझ रखा हो. अब उनका लंड भी मेरी थूक से पूरा गीला हो कर चमक ने लगा था.
कुछ देर तक इश्स ही तरह मूज़े रगड़ने के बाद जब उनके लंड मे झटके आने लगे. तो उन्होने मूज़े एकद्ूम से चोर दिया नही तो मेरे मूह मे ही उनके लंड की धार निकल जाती. यूयेसेस वक़्त मेरा तो कब का निकल चुका था.
जब वो मुझ पर से नीचे उतरे तो मैने देखा की मेरे रास से उनके होत चमक रहे थे. वो अपनी जीभ निकल कर अपने गीले होतो पर घुमा रहे थे और बोलने लगे-
फ़रदीन:- मज़ा आ गया…
साहिबा:- धुत्त्तत्त… कितने गंदे हो आप, अपने मेरे मूह को क्या साँझ रहे थे? इतना बड़ा आपका वो घुसा घुसा कर मेरा गला चिर कर रख दिया है.
फ़रदीन:- वो?? वो क्या???
मैने उनके लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा-
साहिबा:- यह वो.
फ़रदीन:- आरे उसका कुछ नाम भी होगा ना… इतनी प्यारी चीज़ है ज़रा मोहब्बत से नाम तो लेकर देखो वो कितना खुश हो जाएगा.
साहिबा:- क्यूँ सता रहे हो अब आप आ भी जाओ ना मेरे उपर जल्दी से.
फ़रदीन:- नही पहले तुम इसका नाम लो उसके बाद ही आयेज कुछ होगा.
यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह भौत लंबी कहानी है तो . करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे. आप सभी के फीडबॅक आप मूज़े मेरी मैल ईद