हेलो दोस्तो, उमिद है आपको मेरी “तारक मेहता का ऊलतः चश्मः” चुदाई कहानी का पिच्छला पार्ट पसंद आया होगा. अब आयेज..
अब कारण ने अपनी बिके को स्टार्ट किया, और उस पर बैठ कर चला गया. उसके जाने के बाद अंजलि भी अपना काम करने लग गयी.
अब हम चलते है कारण के रिश्ते वाले बाप जेथलाल की दुकान पर. जेथलाल अब वाहा पार्टी की वेट कर रहा था, और सुखी अपना सारा काम कर रही थी. साथ में ही वो सफाई भी कर रही थी.
तभी जेथलाल की नज़र सुखी पर पड़ी. उसने देखा, की सुखी घोड़ी बन कर सॉफ-सफाई कर रही थी. उसको घोड़ी बनी देख कर जेथलाल का लंड खड़ा हो गया. उसकी मस्त हिलती गांद देख कर जेथलाल का लंड उछालने लग गया, और उसका मॅन सुखी की गांद मारने का करने लग गया. वो बड़ी हवस भारी नज़र से सुखी की गांद को हिलते हुए देख रहा था.
लेकिन तभी उसको याद आया, की कुछ ही देर में उसकी पार्टी भी आने वाली थी. फिर उसने सोचा की वो सुखी को चूस तो सकता ही था. उधर पहले सुखी ने अपने मोटे-मोटे छूतदो से जेथलाल का लंड खड़ा कर दिया. उसके बाद वो घूम गयी, और उसके बूब्स अब जेथलाल के सामने आके उसको उत्तेजित करने लग गये.
अब जेथलाल और उत्तेजित हो गया, और उसका लंड पंत फाड़ कर बाहर आने की कोशिश कर रहा था. जेथलाल चाह कर भी अपने लंड को कंट्रोल नही कर पा रहा था. सुखी को ये नही पता था, की उसके बूब्स इतने ज़्यादा दिख रहे थे. क्यूकी वो तो बस अपना काम करने में लगी हुई थी. लेकिन जेथलाल के लिए सुखी के बूब्स मुसीबत बनते जेया रहे थे.
सुखी अपने काम में मस्त थी, और जेथलाल काफ़ी देर से अपने आप पर कंट्रोल कर रहा था. लेकिन अब उसका अपने आप पर कंट्रोल कर पाना मुश्किल हो गया था. फिर जेथलाल जल्दी से आयेज बढ़ा, और उसने सुखी को पीछे से पकड़ लिया. एक-दूं से पीछे से पकड़े जाने से सुखी थोड़ी हैरान हो गयी.
अब सुखी की गांद में जेथलाल का लंड टच हो रहा था. उसका लंड सुखी की गांद के चियर में बिल्कुल फिट हो गया था. फिर सुखी ने भी जेथलाल का साथ दिया, और अपनी गांद को जेथलाल के लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया. वो अपनी गांद को उपर-नीचे करके अपने चियर में लंड को रग़ाद रही थी.
फिर जेथलाल अपने हाथो को आयेज लेके गया, और उसने सुखी के बूब्स पकड़ लिए. अब उसने सुखी के बूब्स को मसलना शुरू कर दिया था. अब सुखी को मज़ा आना शुरू हो गया था. जेथलाल भी पुर मज़े ले कर उसके बूब्स को मसल रहा था. सुखी के बूब्स काफ़ी मोटे थे, और जेथलाल पुर मज़े ले रहा था.
फिर थोड़ी देर तक सुखी के बूब्स को मसालने के बाद, जेथलाल ने उसको अपनी तरफ किया. उसने सुखी को अपने सीने से लगा लिया, जिससे उसके मोटे-मोटे बूब्स जेथलाल के सीने के साथ डाबब गये. फिर उसने सुखी के होंठो को चूसना शुरू कर दिया, और वो दोनो मज़े लेने लग गये.
वो दोनो एक-दूसरे को पूरी मस्ती से चूस रहे थे. उन दोनो को ये भी ध्यान नही था, की वो दुकान पर खड़े हुए थे. और बाहर से कोई भी उनको देख सकता था. वो तो बस एक-दूसरे के होंठो का रस्स पी रहे थे.
थोड़ी देर तक सुखी और जेथलाल ऐसे ही होंठ चूसने का मज़ा लेते रहे. फिर जेथलाल को याद आया, की वो दुकान पर खड़े थे, और कोई भी उनको देख सकता था. ये सोच कर उसने जल्दी से सुखी को अपने आप से अलग कर लिया.
जेथलाल ने जब सुखी को अपने से अलग कर लिया, तो सुखी को एक-दूं से धक्का लगा. वो हैरान हो गयी, क्यूकी जेथलाल ने उसको अपने से अलग किया था. फिर उसने जेथलाल से पूछा-
सुखी: क्या हो गया जी?
तभी जेथलाल ने सुखी को घुमा कर घोड़ी बना लिया. फिर उसने सुखी से कहा-
जेथलाल: बाहर से कोई भी हमे देख सकता है. तू गोडोवन् में चल. वाहा पर मैं तेरे साथ मज़े करता हू. तू चल वाहा, और मैं अभी आया तेरे पीछे-पीछे.
इस्पे सुखी ने कहा: ठीक है, मैं चली जाती हू.
अब सुखी जल्दी से खड़ी हो कर अंदर गोडोवन् में चली गयी. और जेथलाल अपना काम करने लग गया. गोडोवन् में जाने के बाद सुखी जेथलाल की वेट करने लग गयी.
तभी सुखी ने सोचा, की आज चुदाई तो होनी ही है, तो क्यू ना जेथलाल के लिए पहले से ही कपड़े उतार कर तैयार हो जाए. उसने सोचा, की अगर वो पहले से ही कपड़े उतार कर चुदाई के लिए तैयार हो जाएगी. तो जेथलाल को ज़्यादा वक़्त नही लगेगा, चुदाई शुरू करने में. और वो आते ही उसकी चुदाई कर सकेगा.
अब जेथलाल अपनी दुकान में था, और उसकी पार्टी आ गयी थी. उसने उस पार्टी को बिता दिया. तभी जेथलाल को पार्टी के एक आदमी के साथ दूसरी शॉप पर जाना था. अब जो पार्टी आई थी, उसका हेड एक मुस्लिम था. उसका नाम आमिर था, और उसकी उमर 70 साल थी.
वो अपने साथ लड़किया रखता था, और उसका लंड भी काफ़ी बड़ा था. वो आया और दुकान पर बैठ गया. उसके साथ जो आदमी था, उसको किसी दूसरी दुकान पर जाना था. फिर जेथलाल उसको दूसरी दुकान पर छोढ़ने के लिए चला गया.
फिर वो बाहर से ही एक दूसरे आदमी को कही छोढ़ने चला गया. जेथलाल को अपनी दुकान पर वापस आने में कम से कम 1 घंटे का टाइम लग गया था. उतने वक़्त में आमिर साहब बोर हो रहे थे.
फिर आमिर साहब ने सोचा, की क्यू ना जेथलाल की दुकान कर गोडोवन् देख लिया जाए. ये सोच कर वो उठे, और अपने एक आदमी को लेके गोडोवन् की तरफ चले गये.
अब आप तो जानते ही है, की गोडोवन् में तो सुखी बैठी हुई थी. वो तो अपने कपड़े खोल कर वाहा बैठी थी, और जेथलाल के आने की वेट कर रही थी. वो सोच रही थी, की जेथलाल को और ज़्यादा मज़ा दिया जाए.
जब उसने किसी के आने की आहत सुनी, तो वो जल्दी से खड़ी हो गयी. फिर उसने अपने हाथ टेबल पर रखे, और अपनी गांद बाहर की तरफ करके घोड़ी बन गयी. लेकिन उसको ये नही पता था, की जो भी गोडोवन् के अंदर आ रहा था, वो जेथलाल नही था, बल्कि कोई और ही था.
इसके आयेज जेथलाल के गोडोवन् में क्या हुआ, वो आप सब को अगले पार्ट में पता चलने वाला है. आप मुझे मैल करके अपनी फीडबॅक दे सकते हो. और नये-नये आइडियास भी दे सकते हो.
आपकी फीडबॅक से मुझे मोटिवेशन मिलता है, तो मुझे मैल ज़रूर करे.