हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.
में जानती हू यह स्टोरी ज़्यादा लंबी चल रही है लेकिन आप आगे पढ़ते रहिए की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.
इश्स स्टोरी का 14त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है. अब आगे
यूयेसेस समय मूज़े मेरा जिस्म का बिल्कुल ख़याल नही रहा था. कह सकते है में लगभग नंगी हे हो गयी थी. फ़रदीन भाईजान ने अपनी बाहो मे फूल की तरह उठाया और बातरूम तक ले गये थे. मेने भी गिरने से बचने के लिए अपनी बाहो का हर उनकी गर्दन मे पहना दिया था. हम दोनो किसी नये जोड़ी के जैसे लग रहे थे.
भाईजान ने मूज़े बातरूम के भीतर जेया कर उतरा और कहा
फ़रदीन:- में बाहर हे खड़ा हू जब तुम फ्रेश हो जाओ तो मूज़े बुला लेना और तोड़ा संभाल कर उतना बैठना तुम.
वो यह सब कह कर बातरूम के बाहर निकल गये और बातरूम का डोर बंद कर दिया. मैं फ्रेश हुई और नशे की हालत मे लड़खड़ते हुए मेने अपने कपड़ो को सही किया जिससे वो फिर से खुल कर मेरे जिस्म को बःपारदा ना कर दे. में खुद को हे दोष दे रही थी की क्यूँ मेने अपने अंदर के कपड़े उतार दिए थे.
में जैसे हे बातरूम से बाहर निकली तो फ़रदीन भाईजान बाहर डोर पे हे खड़े मिल गये. वो मूज़े डोर पर देख कर लपकते हुए आगे बढ़े और मूज़े अपनी बाहो मे भर कर वापस बेड पर ले आए. मूज़े बैठा कर मेरे कपड़े खुद हे ठीक कर दिए. यूयेसेस वक़्त मेरा चेहरा शरम से बुरी तरह लाल हो गया था.
फ़रदीन:- अपने इश्स जिस्म को ज़रा संभाल कर रखो वरना कोई मार हे जाएगा आअहहे भर भर कर.
उनके यह कहते हे हम दोनो मुस्कुराने लगे.
फिर उन्होने मूज़े टेबल पे से एक अस्प्रिन की टॅबलेट दी और कॉफी मग मे भर कर मुजसे कहा
फ़रदीन:- यह ले लो इश्स से तुम्हारा हॅंगओवर ठीक हो जाएगा.
मेने दवाई और कॉफी दोनो ले ली और पी ली. फिर में उनसे बोली
साहिबा:- मूज़े एक बात अब तक खटक रही है की वो दोनो (अज़हर आंड मुस्कान) आप को साथ क्यूँ नही ले गये मोविए देखने?? क्या आप कुछ छुपा रहे हो?? बोलिए ना??
फ़रदीन:- कुछ नही में तुम्हारे लिए रुक गया सॅकी तुम्हारी कसम.
मूज़े उनकी यह बात सच नही लगी इसलिए मेने उनसे भौत ज़िद की तो वो थोड़े थोड़े मुझसे खुलने लगे और उन्होने कहा वो भी कुछ तन्हाई के पल चाहते थे. तब मेने पूछा
साहिबा:- तन्हाई के पल?? क्या मतलब??
फ़रदीन:- कुछ नही तुम बुरा मान जाओगी. और में तुम्हारा दिल दुखाना नही चाहता हू.
साहिबा:- मूज़े कुछ नही होगा….. क्या आप कहना चाहते है की अज़हर और मुस्कान भाभिजान के बीच…..
मेने जानबूज कर बात अधूरी चोर दी. वो शॉक से कुछ देर तक मेरी आखो मे झकते रहे.
साहिबा:- मूज़े सब पता है मूज़े पहले से हे शक तो था इसलिए जब मेने अज़हर को ज़िद करके पूछा तो उसने सब काबुल कर लिया था.
फ़रदीन:- तुम….. तो तुमने कुछ नही कहा?? तुम तो नयी बीवी हो उसकी अभी शादी हुई है तुमने इश्स बात का विरोध नही किया???
साहिबा:- विरोध तो आप भी कर सकते थे ना आपको भी सब पता था लेकिन आप ने भी कभी दोनो को कुछ नही कहा.
आप तो मर्द हो और अज़हर से बड़े भी हो फिर भी चुप रहे आप….
फ़रदीन:- में चाह कर भी कुछ नही किया क्यूकी में दोनो से बेहाध प्यार करता हू और….
साहिबा:- और क्या??
फ़रदीन:- और मुस्कान मूज़े कमजोर समझती है.
यह कहते हुए उन्होने अपना चेहरा नीचे झुका दिया और उदास हो गये.
में इतने प्यारे इंसान की परेशानी पर अपने आप को रोक नही पाई और मेने उनके चेहरे को अपनी हथेली मे भरकर उपेर उठाया तब मेने देखा उनकी आखो मे आसू आ रहे थे यह देख में तड़प उठी.
मेने अपनी उंगलियो से उनके आसू पॉच कर उनके चेहरे को अपने सीने पर खिच लिया. वो भी किसी बाकछे की तरह मेरी च्चातियो से अपना चेहरा सताए हुए थे. तब मेने उनके बालो मे सहलाते हुए उनसे पूछा
साहिबा:- आप ने कभी किसी डॉक्टर से चेकप क्यूँ नही करवाया???
फ़रदीन:- करवाया था….. कई बार चेकप करवाया था.
साहिबा:- तो फिर??
फ़रदीन:- डॉक्टर ने कहा की…… मुझमे कोई कमी है नही.
तो मेरे मूह से ज़ोर से निकल गया
साहिबा:- क्या?? तो फिर भी आप सारा कसूर अपने उपेर लेके चुप बैठे हो. अपने भाभिजान को बताया क्यूँ नही?? यह तो बुजदिल्ली है.
फ़रदीन:- अब तुम इससे मेरी बुजदिल्ली समझो या चाहे जो भी लेकिन में उसकी उमीद को तोड़ना नही चाहता फिर चाहे वो सारी ज़िंदगी मूज़े एक नमार्द हे समझती रहे.
तब मेने बिना सोचा समझे बस एमोशनल हो कर बोल दिया
साहिबा:- में आपकी तकलीफ़ समझती हू इसलिए में आपको वो दूँगी जो मुस्कान भाभिजान ने नही दिया.
यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह भौत लंबी कहानी है तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे.