एक तो अशोक को भी टाइट गांड को रगड़ने का मजा आ रहा था, दुसरे भावना ने भी यही कहा था, “जीजी को आज तारे दिखादे। बस गांड में लंड आराम से बिठाना – जीजी की गांड कुंवारी है। एक बार तेरा लंड जीजी की गांड में बैठ गया तो फिर मत रुकना “।
वही अशोक कर रहा था। कुंवारी गांड वाली मुकुल को तारे दिखा रहा था।
पंद्रह मिनट कि गांड चुदाई से गांड पर लगी क्रीम की झाग बन गयी थी। मूकुल कि चूत भी पानी पानी हो रही थी। वो जोर जोर से चूत का दाना रगड़ रही थी कभी भी झड़ सकती थी। मूकुल ने से घुमा कर अशोक को कहा, “अशोक मेरी चूत झड़ने वाली है। चूत का पानी निकल दे फिर आ जाना गांड पर”।
अशोक ने लंड गांड में से निकाला, मूकुल के चूतड़ों को जरा सा ऊपर उठाया। अब चूत लंड के बिकुल सामने थी। चूत में से लेसदार पानी नीचे टपक रहा था।
एक ही झटके से अशोक ने लंड अंदर डाल दिया। लंड फिसल कर अंदर चला गया। आवाज आयी “फच्च”। लंड का सिरा पानी पानी हुई चूत पर टकराने के आवाज।
उधर जनक भावना कि मस्त गांड चोद रहा था। जिस तरीके से जनक भावना की गांड चोद रहा था, भावना को यकीन हो गया था कि जनक लौंडेबाज़ ही था। गे – समलिंगी – गांडू। भावना ने सोचा अच्छा ही है एक बार गांड कि बढ़िया चुदाई कर के गांड में अपना गर्म चिकना पानी छुड़ा दे फिर अशोक से चूत चुदवायेगी।
सच भी यही था। जनक जितने मजे से भावना की गांड चोद रहा था – क्या गज़ब के धक्के लगा रहा था । जनक ने भावना की कमर टाइट पकड़ी हुई थी। धक्के लगाता था मगर चूतड़ों को आगे नहीं जाने देता था। भावना ने सोचा ऐसी चुदाई तो कभी भी नहीं हुई।
फिर दिमाग़ में आया “ऐसी क्या उनकी तो कैसी भी चुदाई नहीं हुई”।
अशोक के धक्कों ने मुकुल को झड़ने के निकट ला दिया था। अशोक के लम्बे लम्बे धक्कों ने मुकुल को जन्नत की सैर करवा दी थी ….आआह अशोक मजा आ रहा है लगा दम फाड़ दे …. अशोक ….आअह आअह ….आअह। हो गया अशोक निकल गया मेरा पानी।
अशोक इतनी जोर धक्के लगा रहा था की आठ फुट लम्बा चौड़ा बेड भी हिल रहा था। जैसे ही मुकुल हिलनी बंद हुई। अशोक ने मुकुल के चूतड़ छोड़ इसकी कमर पकड़ ली ताकि वो मजा आने के बाद आगे लेट ही ना जाये।
अशोक ने लंड चूत में से निकाला और एक झटके साथ गांड में डाल दिया। गांड के अंदर क्रीम की झाग, अशोक के लंड पर मुकुल की चूत का चिकना पानी। लंड गांड को चौड़ा करता हुआ फिसल कर अंदर चला गया। मुकुल ने सिसकारी ली, “अब आया मजा “।
अशोक लग रहा था अभी भी नहीं झड़ने वाला था।
उधर उंगली से चूत रगड़ रगड़ कर भावना भी अपना पानी छुड़ा चुकी थी, मगर जनक का लंड अभी भी खड़ा था तना हुआ सख्त।
पांच सात मिनट के बाद जब भावना का मजा उतर गया तो धक्के लगा रहे जनक से कहा, “जनक अब जा तू जीजी की गांड चोद। पूछ लेना लंड का पानी जीजी को चूत में लेना है या गांड में”।
जनक खुश हो गया। इस लिया नहीं कि भावना की गांड चोदने में उसे मजा नहीं आ रहा था। इसलिए की मुकुल के भारी चूतड़ देख कर किसी का भी मन उन चूतड़ों को पकड़ने का हो सकता था, चूमने,चूसने, चाटने और दांतों से हल्का हल्का काटने का हो सकता था। और अब वही हो रहा था।
जनक चूतड़ों पर जहां क्रीम नहीं नहीं लगी थी वह चूतड़ चाट रहा था और हल्के हल्के दांत मर रहा था। मुकुल ने पीछे मुड़ कर देख कर कहा, “जनक क्या कर रहा है, बड़ा मजा आ रहा है। थोड़ा और जोर जोर से काट”।
जनक पक्का ही लौण्डेबाज़ था। गांड के साथ क्या करते हैं उसको पता था। मुकुल को मस्त कर दिया था उसने।
भावना ने अशोक को बुलाया, “आजा अशोक मेरी चूत रगड़, अपना गर्म पानी मेरी चूत में डालना”। अशोक भावना पास गया और चूत में लंड पेल कर चुदाई करने लगा।
उधर मुकुल जोर जोर से चूतड़ हिलने लगी। सर घुमा कर मुकुल ने कहा, “जनक पेल गांड में, रगड़ मेरी गांड। जनक ने लंड गांड के छेद पर रक्खा और अंदर डालते ही धक्के लगाने लगा”।
दस मिनट चोदने के बाद जनक रुका और मुकुल से पूछा “मैं झड़ने वाला हूं। बताईये गांड में डालूं या चूत में डलवाना है”।
मुकुल जरा जोर से बोली, “तू रुक क्यों गया जनक। जहां मर्जी डाल मगर धक्के लगा जोर जोर से लगा। सुजा मेरी गांड आज”।
दस मिनट तक जोरदार धक्के लगाए जनक ने और डाल दिया ढेर सारा गर्म पानी मुकुल की गांड में। मुकुल ने जोरदार सिसकारी ली, “अअअअअह जनक …..आअह भर दी तूने आज मेरे गांड। मेरी चूत भी फिर से पानी छोड़ गयी है साले “।
मुकुल सीधी आगे ढेर हो गयी। गांड में जनक का सफ़ेद लेसदार पानी बाहर निकल रहा था। जनक वहीं बेड पर बैठ गया और मुकुल के चूतड़ चाटने लगा ।
लौण्डेबाज़ों की पक्की निशानी।
मुकुल ने जनक से कहा,”जनक वो कुर्सी पर तौलिया पड़ा है, जरा ला अपनी गांड साफ़ कर लूं । जनक तौलिया लाया और बोला मैं साफ़ करता हूं। मुकुल की गांड में से अपना वीर्य साफ़ करने लगा, साथ ही दांतों से काटने लगा।
मुकुल बोली, “भोसड़ी के जनक क्या कर रहा है, फिर गरम हो जाएगी मेरी गांड। दुबारा चोदनी है क्या ?
जनक भी बेशर्मी से बोला, “जी हां चोदनी है “।
मुकुल बोली “और कितना चोदोगे सालो तुम लोग। चल आ जा फिर काट मेरे चूतड़ों पर। आजा लेट जा मेरे ऊपर। भींच मुझे, चोद मुझे। साले फिर से गरम हो गयी मैं”। वाह री हरियाणवी भाषा।
कमाल था। ये मुकुल और भावना तो लगता था कभी ढंग से चुदी ही नहीं थी I सच भी तो यही था।
अशोक मजे से भावना की गांड और चूत पीछे से चोद रहा था। गज़ब का पक्का चुदकड़ लग रहा था अशोक। अशोक ने भावना की कमर टाइट पकड़ी हुई थी। धक्के लगाता था मगर चूतड़ों को आगे नहीं जाने देता था।
जनक मुकुल की गांड और चूत चुदाई में मस्त था और अशोक भावना की चूत चोदने में। कौन कितनी बार झड़ गया इसकी कोइ गिनती नहीं थी। किसके लंड का पानी किसकी चूत में गिरा, किसके लंड का पानी किसकी गांड को गरम कर गया, कुछ पता नहीं I
बारह बजे के आस पास लड़के आये थे, चार बज गए थे। मतलब चार घंटे चुदाई चली थी।
सब थक चुके थे। लड़के ज़्यादा ही थके पड़े थे। मेहनत तो उनकी ही हुई थी।
दोनों ने उठ कर कपड़े पहने और चलने के लिए तैयार हुए। मुकुल ने कहा “रुको”।
और मुकुल गांड मटकाती अंदर दुसरे कमरे में गयी। वापस आ कर 2000 का नोट उसने अशोक के हाथ में दे दिया। “हजार तेरा और हजार जनक का”।
अशोक ने कहा “नहीं जी हम ऐसे पैसे नहीं लेंगे। काम तो हमने कुछ किया नहीं”।
“अबे काम नहीं किया तो क्या हुआ। मगर जो कुछ किया उसके बदले में काम का नुक्सान तो हुआ। बाप पूछेगा तो क्या बोलोगे – चुदाई करते रहे ? और अगर उसने कह दिया हमे भी करवाओ चुदाई तो फिर” ?
लड़के ही ही ही ही करके हंस पड़े और रूपए ले लिए।
मुकुल ने पूछा, “अब कब आओगे” ?
“जल्दी ही आएंगे जी। अशोक ही बोला”। और वो बाहर की तरफ निकल गए।
मुकुल ने भावना से कहा, “भावना दरवाजा बंद कर आ, थोड़ी एक दूसरी की चूत चूस लें”।
“ठीक है जीजी” I नंगी भावना दरवाजा बंद करने उठी – दरवाज बंद करने ही वाली थी कि अशोक आता दिखाई दिया – अकेला ही।
भावना दरवाजे के पास ही थी। उसने पूछा, “क्या हुआ अशोक, फिर चोदना है क्या”?
अशोक ने कहा, “नहीं जी कुछ बात करनी थी। जनक के सामने नहीं करना चाहता था “।
“आजा”, नंगी भावना चूतड़ हिलाती हुई आगे आगे और अशोक पीछे पीछे – दोनों अंदर आ गए।
भावना ने कहा, “हां बोल”।
अशोक ने कहा, “बात ये है जी कि कल हमारे पापा हम दोनों को कही और भेज रहे हैं। परसों जनक दो दिनों के लिए दादरी अपनी दीदी की ससुराल जा रहा है। उन दो दिनों में यहां आ सकता हूं”।
मुकुल ने पूछा, “तो क्या अकेला तू आएगा ? देखा नहीं कैसे चुदवाती हैं हम दोनों। गांड भी और चूत भी। दो दो तीन तीन बार मजा आता है हमें दो दो तीन बार पानी छोड़ती हैं। दोनों को संभाल लेगा तू अकेला”?
“जी आप अगर मान जाएं तो मेरा एक दोस्त है साहिल।अच्छे घर का है। इतना बड़ा लंड है उसका”। अशोक ने उंगली कर अंगूठे को गोल कर के बताया। “खाली गांड ही चोदता है वो भी लड़कों की। कोई लड़की पटी नहीं उससे अभी तक। आधे आधे घंटे एक नहीं झड़ता और चार चार बार गांड चोद देता है और खुद एक बार ही झड़ता है”।
“बढ़िया मजा आएगा जी आपको उससे गांड चुदवाने में – कसम से”। अशोक अपने गले पर हाथ रख कर बोला।
मुकुल ने कहा, “अबे जब दो दो गर्म चूतें सामने होंगी तो चूतों कि चुदाई क्यों नहीं करेगा तेरा ये दोस्त” ?
अशोक सकपकाया, “नहीं जी मेरा मतलब था कि गांड बहुत बढ़िया से चोदता है”।
मुकुल बोली, “तुझे कैसे पता, तेरी गांड भी चोदता है क्या वो “?
भावना ने पूछा, “और ये साहिल – ये तो शहरों वाला नाम लगता है रमेश महेश जनक ये तो कुछ पुराने से नाम हैं”।
अशोक बोला, “असल में जी वो हमारे दुकान के मालिक सेठी जी का बेटा है। बाहरवीं पास कर ली है। अब कहता है बीए प्राइवेट करूंगा। सेठी जी कहते हैं जो मर्ज़ी कर, संभालनी तो तूने दूकान ही है। इस लिए इधर उधर घूमता रहता है”।
मुकुल और भावना ने एक दुसरे के तरफ देखा। भावना बोली। “ठीक है ले आ। पर एक शर्त है”।
“जी”? अशोक के चेहरे पर असमंजस के भाव आये ।
“दोनों को दोनों दिन आना पडेगा”।
अशोक बोला, “जी ठीक है”।
भावना बोली “एक बात और बता अशोक। तुम सालो इतनी गांड चोदते हो, लंड डालने से पहले गांड पर लगाते क्या हो जो लंड आराम से गांड के अंदर चला जाए”।
अशोक ने जवाब दिया, “जी मैं तो थूक ही लगा लेता हूं या दस रुपये वाली ‘बोरो प्लस’ की ट्यूब ले लेता हूं। साहिल कुछ ले कर आता है केमिस्की की दूकान से। जब वो लाता है मुझे भी लगाने देता है। उसको लगाने से लंड फिसल कर गांड में चला जाता है”।
भावना बोली, ” जैल लगाता है तेरा ये साहिल। साहिल को बोलना साथ ले कर आएगा खूब सारी, दो दो गांडों को चोदना है तुम लोगों ने”।
अशोक बड़ा ही खुश हुआ, ”जी अच्छा “। और वो तेज तेज चलता हुआ चला गया।
भावना मुकुल से बोली “चलो जीजी अब एक दूसरी की फुद्दी चूसें चाटें। इन बाहर वालों से तो खूब चुदवा लिया आज”।
मुकुल नीचे लेट गयी। बड़े बड़े चूड़ों के कारण नीचे तकिये की तो जरूरत ही नहीं थी। चूट वैसे ही उठी हुई थी। भावना ऊपर लेट गयी और दोनों एक दूसरी की चूट चाटने लगी। झड़ने का तो पता नहीं चला क्यों की इतनी चुदाई के बाद तो पहला मजा ही अभी तक खत्म नहीं हुआ था ।
आधे घंटे की चूट चुसाई, के बाद दोनों नहाने चली गयी।
नहा कर कपड़े पहन कर बेड पर ही लेट गयी।
भावना बोली “जीजी अब दो दिन तो मेरी भी चूत और गांड की ईद हो जाएगी। फिर हफ्ता खत्म। मैं नॉएडा जा कर आपका रबड़ का लंड आर्डर कर दूंगी। ये बता दो कितना बड़ा चाहिए”।
मुकुल ने पूछा,” तुम्हारा वाला कितना बड़ा है”।
“जीजी मेरा सात इंच लम्बा है और दो इंच से थोड़ा कम मोटा है। आप सात इंच लम्बा और दो इंच मोटा मंगवा लो। अशोक के लंड के बराबर लम्बा और उसके लंड से थोड़ा मोटा। और लंड के ऊपर उभरे हुए दाने घिसाई रगड़ाई के लिए”।
मुकुल बोली, ठीक है लेकिन एक बात बता, तूने इन दोनों, अशोक और जनक के लंड हाथ के अंगूठे और उंगली में क्यों पकड़े थे ? क्या देख रही थी कितने मोटे हैं “?
भावना बोली ,” हां जीजी, ये पते कि बात है। जो लंड हाथ के अंगूठे और बीच कि उंगली में ना समाये, ऐसे मोटे लंड से गांड नहीं चुदवानी चाहिए। गांड का कचरा हो सकता है। हमने गांड मजे लेने के लिए चुदवानी है, फड़वाने के लिए नहीं”।
“नॉएडा में राकेश से भी मेरा गांड चुदवाने का बड़ा मन था मगर उसका लंड ज्यादा मोटा था”।
“और एक बात और जीजी। इंडिया में अभी ये सेक्स टॉयज ऑन लाइन नहीं आते। ये एक ख़ास दुकान वाले को बोलना पड़ता है। वो मंगवा कर फिर अपने ख़ास कूरियर वाले से ये पैकेट भेजता है। पैकेट के ऊपर कुछ और लिखा होता है मगर अंदर क्या है ये कूरियर वाले को ही पता होता है। ये पैकेट किसी के हाथ न पड़ जाए इस लिए कूरियर वाला अपने सामने पैकेट खुलवाता है।
मुकुल बोली ,”तो “?
“तो जीजी कूरियर वाला आप को लंड दिखायेगा, और इस बीच उसका अपना लंड खड़ा हो गया तो ? जीजी अगर कूरियर वाला देखने में मस्त हुआ तो देख लेना क्या हो सकता है – मेरा मतलब अगर उससे चुदाई की बात बनती हो तो देख लेना “।
लेटे लेटे भावना बोली, “जीजी एक बात बोलूं। इस बार विपिन आये तो उसको ट्राई करो। जवान लड़का है, बढ़िया मोटा लम्बा अलग तरह का लंड है – अलग तरह का मजा देने वाला। अगर पट गया तो सही चोदेगा। घर की बात घर के अंदर रहेगी। और साल में तीन चार बार तो आता ही है ।
बात जारी रखते हुए भावना ने कहा, “फिर ये जनक, अशोक, साहिल और बीस साल का विपिन। आपका तो चूत और गांड चुदाई का काम बढ़िया हो जाएगा”।
मुकुल भावना से बोली, ” भावना तू ये कैसे कह रही है। क्या तूने चुदवाई है विपिन से ?
“नहीं जीजी चुदवाई तो नहीं मगर चुदवाते चुदवाते रह गयी”।
मुकुल हैरान हो गयी, “वो कैसे भावना, पूरी बात बता”।
“जीजी आपको याद है जब वो पिछली छुट्टियों में यहां आया था तो उसे महेश से अपनी पढ़ाई के बारे में कुछ बात करनी थी और वो दो दिन के लिए हमारे पास नोएडा आया था”?
मुकुल बोली, “हां याद है”।
“एक दिन महेश ने लेट आना था। ऑफिस में कुछ काम था। उस रात को मैं पानी लेने रसोई की तरफ गयी तो विपिन के कमरे का दरवाजा पूरा बंद नहीं था। मैंने ऐसे ही अंदर देखा तो विपिन लंड हाथ में ले कर मुट्ठ मार रहा था”।
“मेरी तो चूत फड़कने लग गयी। मैं अंदर गयी और बेड पर बैठ कर विपिन से बोली, “विपिन मुट्ठ क्यों मार रहा है, मुझे बोलता मैं तेरा काम कर देती। ये कह कर मैंने उसका लंड मुंह में ले लिया”।
“जीजी हैरानी की बात है विपिन ने मुझे कुछ नहीं कहा, उलटा मेरी चूचियां दबाने लगा। जीजी उसके लंड के खासियत है की उसके लंड का टोपा या सुपाड़ा जो भी कह लो लंड से बहुत बड़ा है। ऐसे लंड किसी किसी के होते हैं और चुदाई में बहुत मजा देते हैं”।
भावना मुकुल से बोली, “जीजी विपिन का लंड सख्त होने लगा। वो मस्ती में आ ही रहा था कि दरवाजे के घंटी बज गयी – महेश आ गया था”।