ही फ्रेंड्स, होटेल मे रुके हुए आज मेरा ये तीसरा दिन था. मैने घर की दहलीज़ से पैर बाहर रखे और उन बेचारो को आज़ादी दी. मुझे घुटन भारी ज़िंदगी से मुक्ति मिलने लगी. मई जो एक-एक पैसे के लिए मोहताज थी, उससे भी च्छुतकारा मिल गया.
जो मई भारी जवानी मे छुड़वाने का मज़ा नही ले पा रही थी, अब खुल कर छुड़वाने लगी थी और मज़ा मारने लगी थी. आज तो मैने कंपनी भी जाय्न कर ली थी और मुझे रहने के लिए कंपनी के स्टाफ क्वॉर्टर्स मे रूम भी मिल गया था.
अब सॉफ सफाई के बाद, कल से मई वाहा रहने लगूंगी. होटेल मे मई बतौर कॉल गर्ल स्थापित हो गयी थी. कंपनी से वापसी पर रूम बॉय ने कस्टमर होने की बात की और मई कस्टमर से मिलने वाले मज़े और आती हुई लक्ष्मी को माना ना कर पाई.
मई माना करती भी क्यू? दुनिया चाहे जो समझे, मुझे अछा लग रहा था, तो ठीक है. एक दिन जब मई लाचारी मे थी और खाने रहने को मोहताज थी, तो सम्मान पूर्वक जीने के संसाधन इसी धंधे ने दिए थे. तो इतनी जल्दी उसी जगह पर रहते हुए मई ना कैसे करती?
मई इन्ही सब बातो की उधेड़-बुन मे थी, की रूम बॉय एक लड़के को लेकर आ गया. उस लड़के के सिर पर बड़े-बड़े बाल थे. उसकी दाढ़ी मूचे ठीक से नही आई थी और वो 5’6″ के करीब लंबा था और आत्लेटिक बॉडी का था. देखने से सॉफ पता चलता था, की लड़का जिम, खेल कूद, या फिर नियमित एक्सर्साइज़ वाला था.
उसका नाम अनिमेश था. अनिमेश को मेरे पास छोढ़ कर रूम बॉय जेया चुका था. मैने बात की शुरुआत की मज़किया लहजे मे. मई बोली-
मई: अर्रे अनिमेश, तुम तो अभी एक-दूं छ्होकरे लग रहे हो. दाढ़ी मूचे भी नही है तुम्हारी, तो बर कैसे छोड़ पाओगे?
अनिमेश ने भी मज़किया लहजे मे ही रिप्लाइ किया-
अनिमेश: जब तेरी बर मे लोड्ा तोकुंगा, तभी पता चलेगा, की मई कैसे छोड़ूँगा.
मई: अर्रे वाह! तुम तो हाज़िर जवाब हो. ज़रा जल्दी दिखाओ, कैसा है तुम्हारा लंड.
ये कहते हुए मैने अनिमेश की पंत उतार दी. फिर अनिमेश ने मेरे दोनो गालो पर अपने हाथ रख लिए और मेरे चेहरे को पकड़ कर, मेरे रसीली होंठो का रस्स चूसने लगा. इधर मैने अनिमेश के जांघीए को भी निकाल दिया था.
अब अनिमेश का सॉफ बिना बालो वाला लंड मेरी आँखों के सामने था. लंड पर और उसके आस-पास भले ही झाँते नही थी, पर अनिमेश का लंड बिल्कुल एक जवान मर्द के समान पुर 07 से 08 इंच लंबा, और लगभग 4.6 इंच मोटा था.
अनिमेश के तनने हुए लंड को देख कर मेरी दिन भर की थकान गायब थी. मई मॅन ही मॅन गड़-गड़ हो रही थी और सोच रही थी, की ताबाद-तोड़ चुदाई का मज़ा मिलेगा. मई अपने सारे कपड़े भी उतार चुकी थी.
अब मेरी नंगी चूचियो और सॉफ, गोरी और चमक-दार छूट को देख कर अनिमेश एक-दूं से उछाल पड़ा. वो उछाल कर मेरी दोनो टाँगो के बीच आ गया और मेरी रस्स भारी बर मे अपनी जीभ सता दी. फिर वो कुशल और माहिर बर चाटने वाले मर्दो की तरह मेरी बर चाटने लगा.
अनिमेश का बर चाटना मुझे बेहद अछा लग रहा था. तभी मई अनिमेश को पूच बैठा-
मई: आज से पहले तुम कितनी बर छोड़ चुके हो ?
अनिमेश का जवाब था: बस पाँच ही.
मैने सोचा(मॅन मे): तभी तो सेयेल मे इतना एक्सपीरियेन्स है.
बर चाट-ते हुए कभी-कभी अनिमेश अपनी जीभ बर की दरार मे भी डाल देता. उसकी खुरदरी जीभ मेरे ग-स्पॉट को भी टच करती और मई सिहार उठती. मैने अनिमेश को बोला-
मई: सेयेल केवल बर चाट-ता ही रहेगा, या इसको छोड़ेगा भी?
फिर अनिमेश ने बेड के किनारे पर मेरी कमर को रखा और मेरी टाँगो को अपने कंधे पर रख लिया. अब मेरी छूट अनिमेश के लंड के ठीक सामने थी. लंड लहरा-लहरा कर बर मे घुसने को बेताब था और उधर छूट भी लंड को अपने मे लेने को बेताब थी.
आग दोनो तरफ बराबर की थी. अनिमेश लंड बर पर रग़ाद रहा था और रगड़ते हुए उसको जन्नत का द्वार मिल गया था. फिर बिना विलंब किए, अनिमेश ने लोड्ा रूपी किल्ला बर मे थोक दिया और मई सिर से पाओ तक चहक उठी. अनिमेश बर छोड़ता गया और मई गांद उछाल-उछाल कर चुड़वाती गयी.
ग़ज़ब का कॉंबिनेशन देखने को मिल रहा था. अनिमेश को बर छोड़ते 20 मिनिट से ज़्यादा हो चुके थे. फिर मई बोली-
मई: चल अब पटरी बदल ले.
फिर मई कुटिया बनते हुए बोली: आजा मेरे कुत्ते राजा, छोड़ अपनी कुटिया रानी को.
अनिमेश पीछे की तरफ निकली बर मे अपना लोड्ा डाल कर दाना दान छोड़ने लगा. मेरी छूट से ताप-ताप पानी बहने लगा था. चुदाई से होने वाली आवाज़ मे भी परिवर्तन हो चुका था. फाटक-फाटक की जगह अब फॅक फॅक की आवाज़े आने लगी थी.
हम लोगो ने एक बार फिरसे पोज़िशन बदली. मई चिट पैर फैला के लेट गयी और अनिमेश दोनो मेरी टाँगो के बीच बैठ गया. अब वो अपना लोड्ा मेरी बर पर रग़ाद रहा था. उसके लोड को जन्नत का दरवाज़ा मिल चुका था. फिर क्या था, उसने ज़ोर का झटका मारा.
अनिमेश ने एक ही झटके मे लोड्ा बर मे घुसा दिया. उसने अपनी जीभ मेरे मूह मे डाली और वो जीभ से जीभ का मिलन करवा रहा था. मुझे उबकाई सी आने लगी और मैने कस्स कर अनिमेश के बालो को पकड़ लिया था.
दे धक्का दे धक्का हो रहा था. फिर 10 मिनिट की ताबाद-तोड़ चुदाई के बाद, अनिमेश के मूह से अनायास आ आ की आवाज़ निकालने लगी और अनिमेश ने लंड का सारा माल छूट मे छोढ़ दिया. मेरी छूट सिकुड कर लंड से रस्स की एक-एक बूँद चूज़ जेया रही थी.
चुदाई का अंतिम अध्याय पूरा हो चुका था. तभी अनिमेश बोला-
अनिमेश: तुमने मेरे बाल इतने ज़ोर से क्यू पकड़े थे?
मई बोली: पहले तुम बताओ, तुमने मेरी मूह मे जीभ क्यू तूस दी थी?
अनिमेश बोला: जानती हो डार्लिंग, मेरा लोड्ा बड़ा है ना, इसलिए मुझे दर्र था, की बर मे डाला लोड्ा मूह से होकर ना निकल आए. इसलिए मैने मूह बंद कर लिया था.
मई: अर्रे यार, यही बात तो मुझे भी सता रही थी. मुझे दर्र था, मेरी इतनी गहरी छूट मे धक्के मारते हुए, तुम पुर के पुर अंदर ना समा जाओ. इसलिए मैने बाल पकड़े थे, ताकि अगर भीतर चले भी गये, तो कहावत है ना “भागते भूत की झाँत ही सही”
ऐसी ही रसीली बाते करते-करते अनिमेश का लोड्ा फिरसे खड़ा हो गया और उसने दूसरे रौंद की चुदाई शुरू कर दी. मई भी उछाल-उछाल कर फिरसे छुड़वाने लगी.
बस दोस्तो धन्यवाद. मुझे अपनी फीडबॅक देना मत भूलना. आप सब की चहेती-