ही फ्रेंड्स, मैं हू 36 साल की गोरी-चित्ति छैल-चबीली कामिनी. नाम के अनुरूप मेरी काया भी पूरी कामुकता से भारी हुई है. मेरे रूप का जादू ऐसा है, की बस देखने वालो पर कामुकता के हज़ारों बान एक साथ लग जाए.
मुझे मेरे रूप ने कही का ना छोढ़ा. जवानी क्या आई मुझ पर, मेरे जी का जंजाल बन गया. छ्होकरे मुझे देख कर जहा छ्चाटी पीट-ते है, तो बुड्ढे मेरी दहलीज़ पर माता रगड़ते है. घर से बाहर निकलते ही मुझे ताने पर ताने सुनने को मिलते है.
सच काहु, तो ताने सुन-सुन कर मुझे भी बहुत मज़ा आता है. तानो की बारिश हुई नही, की 36 की मेरी चूचिया तंन जाती है. वही छूट मेरी पासीज कर पानी-पानी हो जाती है. फिर तलब होती है छुड़वाने को एक कड़क लंड से.
ये तो थी मेरी कामुक प्रोफाइल. अब मैं कहानी पर आती हू. मैं एक बड़ी मल्टिनॅशनल कंपनी में ह्यूमन रेसौरसे डेपारमेंट में कार्यरत हू. रेक्रूटमेंट के लिए मुझे बड़े-बड़े अलग-अलग शहरो में जाना होता है.
इस समय मैं पुणे में थी. कुल 5 दीनो का कार्यक्रम था पुणे में, और मैं होटेल में रुकी हुई थी. उस रात छुड़वाने की तलब मेरी छूट को जो लगी, तो मैं बैचाईन हो उठी. छुड़वाने की चाहत ने मेरे तंन का चैन, आँखों की नींद सब ले लिया था.
मैं बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी थी. मैने अपनी छूट को बहुत तरह से समझाया, लेकिन कम्बख़्त छूट थी की मान ही नही रही थी. फिर मैने छूट में उंगली भी डाली, लेकिन मुझे ज़रा भी राहत ना मिली.
उसके बाद मैने बैंगन डाला, फिर भी छूट की तड़प ज्यों की त्यों रह गयी. मेरी छूट बेचारी जर-जर रो रही थी, और मैं बेड पर करवटें बदल रही थी. तभी होटेल के रूम बॉय ने रूम के दरवाज़े पर दस्तक दी. मुझे देख कर रूम बॉय बोला-
रूम बॉय: आपकी तबीयत तो ठीक है माँ? कुछ चाहिए क्या आपको?
मैं बोली: थोड़ी परेशानी है. जो मुझे चाहिए वो मैं कहा से लाउ?
इस्पे रूम बॉय बोला: मुझे आपकी परेशानी सॉफ-सॉफ दिखाई पद रही है. आपके बेड की चादर बता रही है, की आपको क्या चाहिए. आप निसंकोच बोलिए. मेरे पास दर्दे दिल की डॉवा भी है. आप कहे तो डॉवा मैं ले अओ.
मैं ज़्यादा बात को उलझाना नही चाहती थी, तो मैं उसको बोली-
मैं: ठीक है ले आओ.
फिर वो चला गया, और विदिन हाफ आन अवर एक बेहद स्मार्ट हॅंडसम लड़का मेरे रूम मे आया. वो लड़का करीब 18 साल का था. उसकी हाइट 6 फीट थी, रंग गोरा था और आठेलेटिक बॉडी थी. उस लड़के का नाम नवीन था.
जब वो रूम में आया, तो मैं तो नवीन को बस देखती ही रह गयी. मेरी नज़रे नवीन से हट ही नही रही थी. या यू कहिए, की नवीन साक्षात कामदेव था. उस कामदेव को मेरे हुस्न का बान लग गया, और नवीन भी घायलो की तरह तड़पने लगा.
मैने नवीन के लबों पर अपने रस्स-भरे गुलाबी लबों को लगा दिया. शायद नवीन को कुछ राहत महसूस हुई, और वो हरकत में आ गया. वो मेरे गुलाबी रस्स-भरे होंठो का रस्स-पॅयन करने लगा. मेरे बदन में अब सुरसुरी सी दौड़ने लगी थी.
नवीन मेरी रस्स-भरे गुलाबी होंठो को चूस्टा रहा चूस्टा रहा. उधर मेरी चूचिया छूट के साथ तनन्ति चली गयी. अब गोरी-गोरी और बिल्कुल गोल-गोल चूचिया फ्रोक के अंदर तंन कर बाहर निकालने को बेताब हो उठी.
मैने नवीन के हाथ को अपने हाथ में लिया, और चूचियो पर ले गयी. सख़्त चूचियो के एहसास ने नवीन पर करारी चोट की, और बिना देरी के नवीन ने मेरी टॉप और ब्रा को खोल कर चूचियो को आज़ाद कर दिया.
इतनी सनडर कामुक चूचियो का वार नवीन से नही पाया. फिर उसने मेरे हाथो में अपने लंड को पकड़ा दिया. नवीन का मस्त लंड मेरी नाज़ुक हथेलियों में मुस्किल से समा रहा था. लंड बार-बार हाथो से च्चितक कर उसकी नाभि से टकरा रहा था.
8 इंच लंबा और लगभग 4 इंच घेरे वाला मोटा मस्त लंड मेरी छूट को छोड़ने के लिए बेताब था. अभी तक हम दोनो खड़े थे, और नवीन का लंड बार-बार मेरी छूट के इर्द-गिर्द रग़ाद मार रहा था. मैं अपनी हल्दी-घाटी के मैदान में लंड महाराज को पाकर तरबतर हो रही थी.
मेरी छूट से मदन रस्स की फुहार गिर रही थी. नवीन को जब फुहार की बूँदो का पता चला, फिर तो वो अपने आपको रोक नही पाया, और उसने अपना मूह मेरी छूट पर लगा दिया. फिर वो चतर-चतर बर चाटने में लग गया.
नवीन को देख कर मैं अचरज में पद गयी, क्यूकी इतनी छ्होटी सी उमर में नवीन कितना बड़ा बुरछट्टा था. खैर नवीन बर चाट रहा था, और बीच-बीच में अपनी जीभ छूट के अंदर डाल रहा था. जब-जब जीभ छूट के अंदर जाती, तो मैं चहक जाती. मैं निरंतर छुड़वाने के लिए पागल हो रही थी.
जब मुझसे रहा नही गया, तो मेरे मूह से निकल गया-
मैं: अर्रे बहनचोड़ बुरछट्टे! केवल बर चातेगा ही, या छोड़ेगा भी? मुझसे अब रहा नही जेया रहा है. अपने लोड को बर में डाल, और छोड़ ढाका-धक.
नवीन मेरे नंगे जिस्म को अपनी आगोश में कस्स कर मुझे बेड पर ले गया. उसने मुझे लिटा कर अपने कंधे पर मेरी टाँगो को रखा. अब मेरी फूली हुई छूट एक-दूं से नवीन के लंड के सामने थी. नवीन अब लंड मेरी बर के इर्द-गिर्द रग़ाद रहा था.
लंड रगड़ते-रगड़ते लोड्ा बर की दरार में फ़ासस गया. फिर क्या था नवीन ने करारा झटका मारा, और रोड की तरह खड़ा गरम लोड्ा मेरी बर की दीवारो को चीरता फाड़ता अंदर घुस गया. मुझे तो जन्नत के सुख का एहसास हो गया था.
छुड़वाने का आनंद हर आनंद से बेहतर होता है. मैं गांद उछाल-उछाल कर घपा-घाप लोड्ा बर में लेने लगी. नवीन का हर धक्का मुझे जन्नत का सुख दे रहा था. मैं चुडवाए जेया रही थी, और नवीन को जोश से भर रही थी. अब मैं उसके हर धक्के के साथ बोलती-
मैं: हाए मोरे राजा, बजा दे मेरी बर का बाजा. मार खचा-खच धक्के बेटा. छोड़ इसको ज़ोर से, और ज़ोर से, और ज़ोर से आहह.
नवीन जोश में भर काट ढाका-धक मुझे छोड़ रहा था. चुड़वते-चुड़वते मैं चरम पर पहुँच गयी. मेरे बदन में अकड़न सी हुई, और मूह से बार-बार निकालने लगा-
मैं: आ.. आ… श.. श.. हाए मोरे राजा, मैं गयी मैं गयी.
और मैं शिथिल पद गयी. नवीन अब भी मुझे छोड़े जेया रहा था, और मेरे मूह से निकालने लगा-
मैं: अब नही, अब नही आहह..
नवीन भी अंतिम पड़ाव पर था. 10-15 ताबाद-तोड़ धक्को के बाद नवीन के लंड की फूचकारी मेरी छूट में निकल गयी. मैं सराबोर हो गयी, और गुनगुनाने लगी. भरतपुर लूट गया हाए मोरे दैया.
नवीन अब बगल में लेता मुस्कुरा रहा था. उसका इरादा सॉफ था, और उसकी प्यास अभी बुझी नही थी. वो मुझे और छोड़ने वाला था. मैने अपनी छूट को ये बोलते हुए दिलासा दिया-
मैं: छुड़वा ले रानी, जितना जी चाहे छुड़वा ले. बड़ी मुस्किल से ऐसा लंड मिला है. नवीन रात भर मुझे छोड़ता रहा, और मैं मस्ती से चुड़वति रही. आज की कहानी बस यही तक.
पाठको से मेरी गुज़ारिश है, की ज़रूर बताए की आपको कहानी कैसी लगी. अपनी फीडबॅक मुझे ज़रूर दे. मैं यहा उपलभध रहती हू.