मैंने लंड को चलाना शुरू किया। उसकी भी चीखे निकलने शुरू हो गई। मैं नताशा की गांड पे चाटे लगा रहा था, और चोद रहा था।
नताशा: आह… आह… कितना मजा आ रहा… ओह… येस… येस… और जोर से… और जोर से चोदो… आह… आह… आह चुदाई का मजा… उह… उह्ह्ह… वाह… चोदते रहो रुको मत… चोदते जाओ… आह फाक…
मैंने लंड की रफ्तार बड़ा दी, और उसकी चीखें और तेज हो गयी। पांच मिनट चुदाई के बाद उसने मुझे रोक दिया। मैं हैरानी से उसे देख रहा था। वह मुझे छत पर ले गई। वहां पर एक बेड था।
नताशा ने मुझे कहा: मेरे राजा, जैसे कुत्ता कुतिया को खुले आसमान के नीचे चोदता है, वैसे मैं चाहती हूं तुम भी मुझे खुले आसमान के नीचे चोदो।
नताशा की ये बात सुन कर मुझे काफी खुशी हुई।
फिर वो मेरा लंड चूसने लगी बिल्कुल रंडियों की तरह। उसकी लंड चुसाई सच में काफी जबरदस्त थी, हालत खराब कर देती थी। दस मिनट के लंड चुसाई के बाद वह खड़ी हुई और कहा-
वह: राजा अब और नहीं, जल्दी से मुझे चोदना शुरू करो और रुकना मत चाहे कुछ भी हो जाए या फिर कोई आ जाए, रुकना मत।
वह दीवार के सहारे खड़ी हो गयी। मैंने उसकी एक टांग उठाया, और लंड को उसकी चूत में घिसते हुए चूत में घुसा दिया, और चूत को चोदने लगा। थोड़ी देर बाद उसने कहा-
वह: राजा तुम पीछे से चोदो, मैं कुतिया बनती हूं।
वो कुतिया बन गई। मैंने भी पीछे से चूत में लंड पेल दिया। मैं चूत मे तेज-तेज धक्के लगा रहा था। उसकी चूत पूरी गीली होने से चूत से फच फच की आवाज आ रही थी। वह भी कुतिया की तरह आह… आह… करने लगी। कुछ देर चोदने के बाद नताशा ने कहा-
नताशा: आह… राजा, अब मैं तुम्हारे ऊपर आती हूं।
मैं बेड पे लेट गया और वह मेरे उपर आ गयी। वह उल्टी होकर लंड को चूत में डाली और चूत के अंदर-बाहर करने लगी। मेरा लंड चूत के बच्चे-दानी तक घुस चुका था। फिर वो घूम गई अब उसका चूत और चेहरा मेरी तरफ था। वह ऊपर लंड पर कूद रही थी, और मैं नीचे से उसे धक्के दे रहा था।
हम दोनो एक-दूसरे को चोद रहे थे। दोनों के सिर पे चुदाई का खुमार था। कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था। वह काफी बार झड़ चुकी थी और एक बार फिर से झड़ गई। फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा। थोड़ी देर बाद वो फिर से गर्म हो गई।
नताशा: इस बार तुम मुझे लिटा कर चोदो।
इतना कह कर वह मेरा लंड चूसने लगी। दो तीन मिनट की चुसाई के बाद वो पेट के बल उल्टी लेट गई। मैं भी उसके ऊपर लेट गया, और लंड को चूत में डाल दिया। उसकी एक मीठी सी आह… निकली और चुदाई के रंग में फिर से खो गई। मैं उसके बूब्स को मसलने लगा। वह भी अपनी गांड उछाल कर और अंदर तक लंड चूत में ले रही थी।
कुछ देर बाद भाभी को कोई लड़की आवाज लगा रही थी। भाभी ने मुझे बिल्कुल आवाज ना करने को कहा। मैंने भी उसकी बात मान कर चोदना जारी रखा। वह लड़की छत पे चली आई। हम दोनों उस समय मस्त चुदाई मे लीन थे।
उसने हमें चुदाई करते हुए देख लिया। वो हक्की-बक्की वहां पर खड़ी थी और हम दोनो बिल्कुल पूरे नंगे होकर चुदाई कर रहे थे। वह अजीब सा मुंह बनाने लगी।
मैंने पूछा: क्या हुआ? अगर चुदाई कर ना चाहती हो तो आ जाओ।
वह कुछ नहीं कही और चली गई। मैंने चुदाई पे ध्यान दिया।
फिर मैंने भाभी से कहा: अगर वो साली भी आ जाती तो कितना मजा आता। एक साथ दो दो चूत।
भाभी: बिल्कुल नहीं, तुम उसे अलग चोद सकते हो या फिर और दो तीन को एक साथ चोद सकते हो। लेकिन जब बात मेरी चुदाई की आयेगी, तो तुम सिर्फ मुझे अकेले चोदोगे। मैं अपनी चुदाई का मजा किसी और के साथ नहीं बांटूगी।
मैं: बड़ी लंड खोर लड़की हो तुम, ले और ले।
भाभी: आह… चोदते रहो रुको मत… बहुत मजा रहा है… क्या लंड है तुम्हारा… आह… आह… ओह… उफ्फ… उह्ह्ह्ह…
मैंने अपने धक्के और तेज कर दिए।
भाभी: अब मुझे साइड से चोदो।
मैंने कहा: ओके।
मैंने लंड बाहर निकाला,और भाभी के मुंह में दे दिया। वह भी बड़े प्यार से मेरे लंड को चूसने लगी। कभी लंड के सुपारा तो कभी मेरे अंडो को, तो कभी लंड को पूरा गले तक उतार लेती। मैं भाभी के सिर को लंड पर दबाने लगा। मुंह को ही चूत समझ चोदने लगा।
भाभी: कितना रसीला लंड है तुम्हारा आर्यन। अब तुम मेरी गांड को चोदो।
फिर मैंने उसे कुतिया बनने को कहा। वह झट से कुतिया बन गई। मैं उसकी गांड को चाटने लगा। उसे भी ये बड़ा मजा दे रहा था। वह गांड हिला कर मुझे गांड चटवाने लगी।
पांच मिनट गांड चटाई के बाद मैंने भाभी को साइड करके लिटाया, और उसके पीछे साइड होके लेट गया। उसकी टांग उठा कर अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत पे घिसने लगा। उसको ये बड़ा अच्छा लग रहा था। वह भी मजे से चूत पे लंड घिसवाने लगी।
नताशा: और मत तड़पाओ, अब लंड डाल भी गांड में प्लीज़।
मैंने बिना देर किए लंड उसकी गांड के छोटे से छेद पर रखा, और लंड को गांड मे धकेलने लगा। उसे बहुत दर्द होने लगा। थोड़ी देर इंतजार करने के बाद जब उसका दर्द कम हुआ, तो मैंने उसकी गांड चोदना शुरू किया।
कुछ ही देर में उसका दर्द एक-दम खतम हो गया और वह खुद ही अपनी गांड लंड पर धकेल रही थी। भाभी की चूत से फच फच, बेड हिलने से कच कच, और चुदाई करते वक्त थप थप की आवाज काफी तेज-तेज सुनाई दे रही थी।
मैं बिना रुके गांड को चोदता जा रहा था। वह फिर झड़ गई। उसकी सांसे बता रही थी कि वह कितना थक चुकी थी। मैंने फिर अपना लंड गांड में से निकाल कर चूत में घुसा दिया।
झड़ने की वजह से अब उसकी चूत में दर्द और जलन होने लगी थी। मैं अपनी गांड का पूरा जोर लगाए उसकी चूत चोद रहा था। वह दर्द के मारे छटपटाने लगी और तेज चीखे निकाल रही थी। मैंने अपनी रफ्तार और बड़ा दी जितनी हो सके उतनी तेज़ी से उसे चोदने लगा। पांच मिनट की धक्का-पेल चुदाई के बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था। मैंने नताशा से पूछा वीर्य कहा निकालूं।
नताशा: कही पर भी निकला दो, मेरा पूरा शरीर तुम्हारा है।
मैंने उसके बालो को पकड़ा और उसकी गांड पर चांटे लगा-लगा कर ऐसे चोदने लगा जैसे वो कोई बाजारू रंडी हो। अब मेरा वीर्य लगभग निकल ही गया था, और मैंने लंड चूत में से बाहर निकाल कर इसके मुंह में दे दिया।
वह मेरे लंड को चूसने लगी, और एक के बाद एक मैंने जो उसके मुंह मे पिचकारियां मारी, कितना मजेदार पल था वो। भाभी मेरे चूतड़ों को पकड़ कर लंड से निकल रहा एक एक बूंद वीर्य चाट लिया। पूरा का पूरा वीर्य गटक गई।
नताशा: वाह! जैसा तुम्हारा लंड रसीला है उतना ही गाड़ा और स्वादिष्ट है तेरा मॉल।
अब तो चुदाई हम दोनों के लिए रोज का काम हो चुका है।
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