ही दोस्तो, मैं हू रोमिका. मैं फ़ज़िलका, पुंजब की रहने वाली हू. मेरी फॅमिली में मम्मी, दादी, छ्होटा भाई, और एक बड़ी बेहन है. मेरी बड़ी बेहन की शादी 4 साल पहले हुई थी.
पिछले साल जॉब की वजह से दीदी और जीजू को चंडीगार्ह शिफ्ट होना पड़ा. मेरी भी 12त ख़तम हो गयी थी, तो मैने भी चंडीगार्ह के एक कॉलेज में अड्मिशन ले ली थी.
घरवालो के कहने पर मैं दीदी और जीजू के साथ रहने के लिए उनके घर चली गयी. मैं एक छ्होटे शहर से हू, तो मुझे घर से ज़्यादा फ्रीडम नही मिली. लेकिन जब मैं चंडीगार्ह कॉलेज में जाना शुरू हुई, तो मुझे नयी दुनिया की हवा लग गयी.
कॉलेज में हर किसी लड़की का बाय्फ्रेंड था. मेरी 3 फ्रेंड्स थी, और उन तीनो के बाय्फरेंड्स थे. कभी वो डेट्स पे जाती थी, तो कभी अपने बाय्फरेंड्स को घर पे बुला कर मज़े करती थी. अब मेरा भी दिल करने लगा था, की मेरी लाइफ में भी कोई हो.
मेरी छूट में आग लगनी शुरू हो गयी थी. आज-कल लड़को के बारे में सोच-सोच कर मेरी पनटी भी गीली हो जाती थी. मैं हर लड़के को हॉर्नी नज़रो से देखने लगी थी. मेरा फिगर 34″28″36″ था, और रंग ज़्यादा गोरा नही था. मैं जीन्स, त-शर्ट, सलवार-सूट, लेगैंग्स सब कुछ पहनती थी.
इतना मस्त फिगर होने के बाद भी किसी लड़के ने मुझे प्रपोज़ नही किया था अब तक. मेरी आग दिन-बा-दिन बढ़ती जेया रही थी. फिर एक दिन मेरी नज़र अपने जीजू पर पड़ी. मैने अपने जीजू को हमेशा भाई की नज़र से देखा था, लेकिन मेरे जिस्म की आग ने मेरी उनके लिए नज़र बदल दी.
तो हुआ यू, की मेरी सारी ब्रा’स गीली थी, और नहाने के बाद पहनने के लिए मेरे पास ब्रा नही थी. इसलिए सुबा-सुबा मैं दीदी के रूम में ब्रा लेने चली गयी. मैने दरवाज़ा नॉक किया, और दीदी ने मुझे अंदर आने को कहा. फिर मैं दीदी से ब्रा माँगने लगी.
दीदी ड्रॉयर से ब्रा निकाल ही रही थी, की तभी जीजू बातरूम से बाहर आए. जीजू सिर्फ़ टवल में थे, और उनकी बॉडी भी अची थी. मेरी नज़र जीजू पर पड़ी, और उसी वक़्त मेरे मॅन में सितार बजने लगे. मुझे अपने जीजू से प्यार हो गया था, और अब मैं खुद को उनके सौंपना चाहती थी.
फिर दीदी ने मुझे ब्रा दे दी, और मैं अपने कमरे में आ गयी. उस दिन नहाते हुए मैने पहली बार फिंगरिंग की, और वो भी अपने जीजू के बारे में सोच कर.
जीजू का नाम कार्तिक है, और उनकी हाइट 5’9″ है. वो काफ़ी हॅंडसम और फिट भी है. उस दिन मुझे फील हुआ, की मेरी दीदी कितनी किस्मत वाली थी. मैं अपनी दीदी का घर तोड़ना नही चाहती थी, लेकिन अब मेरी छूट की गर्मी मुझसे बर्दाश्त नही हो रही थी.
फिर क्या था, मैने अपने जीजू पे डोरे डालना शुरू कर दिया. अब मैं बार-बार बहाने से उनके साथ छिपकती रहती. मैं उनके सामने झुक कर उनको अपने बूब्स दिखती. टाइट पाज़ामी पहें कर गांद उनके फेस के पास कर देती.
अब जीजू भी मेरी इन हरकटो को नोटीस करने लग गये थे. फिर एक दिन जीजू सोफा पर बैठे थे, और दीदी किचन में काम कर रही थी. मैं वाहा गयी, और जान-बूझ कर जीजू की गोद में बैठ गयी. तभी जीजू बोले-
जीजू: ये क्या कर रही हो रोमिका?
मैने कोई जवाब नही दिया, और उनको आँख मार दी. तभी दीदी किचन से आने लगी, और मैं जल्दी से उठ कर साइड हो गयी. फिर जब दीदी दोबारा किचन में गयी, तो जीजू बोले-
जीजू: रोमिका ये ठीक नही है. मेरे साथ ये सब नही चलेगा. मैं तुम्हारी दीदी से बहुत प्यार करता हू, और उसके साइवा किसी के बारे में सोच भी नही सकता.
उस दिन के बाद जीजू ने मेरी तरफ देखा भी नही. लेकिन मैने भी उमीद नही छोढ़ी. एक दिन मा बीमार हो गयी. मेरे एग्ज़ॅम्स थे, तो दीदी मा को देखने गयी. दीदी कुछ दिन के लिए गयी थी, और मेरे लिए यही सही मौका था.
दीदी शाम की बस से घर के लिए निकल गयी. रात को मैने और जीजू ने डिन्नर साथ में किया. जीजू अब भी मुझे नही देख रहे थे. फिर हम सोने चले गये. आधी रात हो गयी थी, और मुझे नींद नही आ रही थी. फिर मैने डिसाइड किया, की आज तो चूत छुड़वा के ही रहूंगी.
1 बजे को मैं उठी, और जीजू के रूम में चली गयी. जीजू के रूम का दरवाज़ा खुला था, तो मैं अंदर चली गयी. मैने पिंक लेगैंग्स और वाइट त-शर्ट पहनी हुई थी. मैं जाके जीजू के पास लेट गयी. थोड़ी देर बाद जीजू ने जब करवट बदली, तो उन्होने मुझे अपनी बाहो में ले लिया.
वो नींद में थे, और मुझे दीदी समझ रहे थे. अब पीछे से जीजू का लंड मेरी गांद पर टच हो रहा था. उनका लंड पूरा खड़ा था. मैना लंड कभी हाथ में नही लिया था, और मैने उसको पकड़ लिया, और मसालने लग गयी.
2-3 मिंटो में जीजू की आँख खुल गयी. जब उन्होने मुझे देखा, तो वो हैरान हो गये, और पीछे हॅट कर घुटनो के बाल बैठ गये. वो कुछ बोल नही रहे थे. फिर मैने उनको एक स्माइल पास की, और उनके पास जाके फिरसे लंड पकड़ लिया.
अब एक मर्द कितनी देर अपने आप को कंट्रोल करेगा, जब औरत खुद उससे चूड़ना चाहे. जीजू ने मेरे बाल पकड़े, और पागलो की तरह मेरे होंठ चूसने लगे. मैं भी उनका साथ दे रही थी. मैने जीजू का लंड पकड़े रखा, और जीजू मेरी गांद दबाने लगे, और हमारी किस चलती रही.
फिर जीजू ने मुझे धक्का देके लिटा दिया, और मेरी लेगैंग्स उतार दी. वो सीधा मेरी पनटी में मूह मारने लगे, और मैं मज़े से सिसकिया लेने लगी. जीजू मेरी जाँघो को चाट रहे थे, और मेरी छूट गीली हो रही थी.
फिर उन्होने अपना भी पाजामा और अंडरवेर उतार दिए. जीजू का लंड 7 इंच का था, और उससे मेरी छूट फटने वाली थी. जीजू ने मेरी पनटी उतारी, और लंड को मेरी छूट पर रगड़ने लगे. मुझे इतना मज़ा आ रहा था, जितना मैने कभी सोचा नही था.
लेकिन अब दर्द की बारी थी. जीजू ने मेरी छूट के छेड़ पर लंड टीकाया, और एक ज़ोर का धक्का मारा. मेरी आँखें दर्द से बाहर आ गयी, और मैने ज़ोर की चीख मारी. अभी जीजू के लंड का टोपा ही अंदर गया था, और मेरी जान निकालने वाली हो गयी थी.
मैं ज़ोर-ज़ोर से चीख रही थी. फिर जीजू ने मेरे लिप्स अपने लिप्स से लॉक कर लिए, और ज़ोर के झटके मार कर अपना पूरा लंड मेरी छूट में घुसा दिया. दर्द से मुझे नशा हो गया था, लेकिन मैं बेहोश नही हुई.
जीजू मेरे होंठ चूस्टे रहे, और मेरी छूट छोड़ते रहे. फिर 3-4 मिनिट में मेरी छूट अड्जस्ट हो गयी, और मुझे मज़ा आने लगा. ये देख कर जीजू ने मेरे होंठ छोढ़ दिए, और लंड बाहर निकाल लिया.
मैने देखा, की मेरी छूट खून से भारी हुई थी. फिर जीजू ने मेरी छूट सॉफ की, और दोबारा से लंड अंदर पेल दिया. इस बार मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. जीजू ने मेरी त-शर्ट और ब्रा को मेरे गले तक चढ़ा दिया, और मेरे बूब्स चूसने लगे. साथ में वो धक्के भी देते रहे.
आज मुझे पता चला, की जिस चीस के लिए मैं तड़प रही थी, उसमे कितना मज़ा आता है. मैं जीजू के सिर को अपने बूब्स में दबा रही थी, और गांद उठा-उठा कर अपनी छूट छुड़वा रही थी. जीजू मेरे जिस्म को नोच-नोच कर मज़ा ले रहे थे. मैं सोच रही थी, की मेरी दीदी कितनी लकी थी, जो उन्हे जीजू जैसा हज़्बेंड मिला.
15 मिनिट जीजू मुझे उसी पोज़िशन में छोड़ते रहे. इस बीच 2 बार मेरी छूट ने अपना पानी छोढ़ दिया था. झाड़ते वक़्त जिस सुख का एहसास होता है, वो एहसास दुनिया की किसी और चीज़ में नही मिलता. फिर जीजू भी झड़ने वाले थे, और उन्होने अपना लंड बाहर निकाल लिया.
वो मेरे मूह के पास आए, और अपना सारा पानी मेरे मूह पर निकाल दिया. फिर मैने अपना मूह पोंचा, और अपने रूम में आ गयी. मुझे बहुत मज़ा आया था, और मैं चैन की नींद सो गयी.
अगली सुबा जब मैं नहा कर बाहर आई, तो जीजू मेरे कमरे में आ गये. मैं सिर्फ़ टवल में थी. जीजू ने मेरा टवल खींच दिया, और मुझसे फिरसे छोड़ने लगे. मैने भी उनको माना नही किया.
मुझे लगता था, की दीदी के आने के बाद जीजू मुझे नही छोड़ेंगे. लेकिन उन्होने मुझे अपनी रंडी बना लिया था. अब जब मौका मिलता वो मुझे छोड़ लेते थे. उन्होने मेरी गांद भी फाड़ डाली. अब मुझे किसी बाय्फ्रेंड की ज़रूरत नही है, क्यूकी मेरे पास मेरे जीजू है . और वो मुझे हमेशा संतुष्ट रखते है.
तो पिछले एक साल से मैं अपने जीजू की रंडी बन कर उनके घर में रह रही हू, और सिंगल होके भी चुदाई का मज़ा ले रही हू.
ये थी मेरी कहानी. अगर आपको कहानी पसंद आई हो, तो इसको लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.