ही फ्रेंड्स, मैं हू 36 साल की मस्त, गोरी, भरे बदन की पुष्पा. मेरे नाम के अनुरूप ही मेरे बदन से मादक खुसबू निकलती रहती है. इस खुसबू के लिए मेरे आशिक़ मेरे पीछे लट्तू रहा करते है.
मेरी कारी-कजरारी, मदिरा से भारी मेरी आँखें सब को लुभाती है. गुलाबी रस्स से भरे मेरे होंठ सब की प्यास जगाते है. और उस पर से 36″ साइज़ की दूध सी भारी मेरी चूचिया सब को खींचती है. मेरी मटकती गांद को देख कर कामदेव भी मेरी कामिनी काया को भोगने की तमन्ना रखते है.
मैं भी अपनी इस मादक काया का भरपूर उपयोग करती हू. रूप जाल में फसाना और फिर मस्ती से छुड़वाना मेरी हॉबी लिस्ट में सबसे उपर है. चुवना भी बिल्कुल कड़क और फौलादी लंड से. जवान हो रहे मस्त हॅंडसम छ्होरों को देख कर मुझे कुछ-कुछ होने लगता है.
ऐसे लड़को को देख कर मेरी छूट बरबस पासीजने लगती है. ऐसा लगता है, की काश इस छ्होरे का मस्त लॉडा मेरी बर में मूसल की तरह आए, और ढाका-धक फ़चा-फॅक छोड़ना शुरू कर दे. अब मैं आज की कहानी पर आती हू.
ये वाक़या इसी 05 फेब्रुवरी का है. मैं आमेडबॅड की यात्रा पर थी. इटारसी में मुझे ट्रेन चेंज करनी थी. वाहा मैं शाम के 06 बजे ही पहुच गयी थी. और मेरी दूसरी गाड़ी देर रात 02 बजे की थी.
मैने स्टेशन के वेटिंग हॉल में ही वेट करने का फैंसला कर लिया. सारी चेर्स भारी हुई थी, तो मैने एक जगह अपना कंबल बिछा लिया. फिर मैने दूसरे कंबल को ओढ़ लिया, क्यूकी ठंड बहुत ही ज़्यादा थी. मैं मागज़िने पढ़ते हुए टाइम पास कर रही थी.
रात के लगभग 10 बजे एक सुंदर, हॅंडसम, स्मार्ट सा लड़का मुझसे थोड़ी दूरी पर आके बैठ गया. वो ठंड से काँप रहा था. उसकी आगे 18-19 के करीब होगी. उसको देख कर मुझे थोड़ी दया आ गयी. दया के साथ साथ मेरे अंदर कुछ-कुछ होने भी लग गया.
फिर सोचते-विचारते मैने उसको अपने पास बुला लिया. वो अब भी ठंड से काँप रहा था. फिर मैने उससे पूछा-
मैं: तुम ठंड से काँप रहे हो. तुम्हारे पास कंबल, चादर, या शाल कुछ भी नही है?
उसने ना में जवाब दिया. फिर मैं बोली-
मैं: ऐसा करो, मेरे कंबल में आ जाओ.
और वो मेरे कंबल में आ गया. बातो-बातो में उसने अपना नाम नयन बताया. नयन मेरा कंबल ओढ़े धीरे-धीरे लेट गया. नयन की तरफ मेरी गांद थी, और मैं करवट लेके लेती हुई थी. कंबल की गर्मी का असर जैसे-जैसे हुआ, नयन का बदन भी गरम होता चला गया.
नयन अब मेरी गांद में बिल्कुल सत्ता हुआ था. उसका लंड तंन गया था, जो मेरी गांद पर बार-बार ठोकर मार रहा था. मुझे अब मज़ा आ रहा था, लेकिन मैं चुप-छाप पड़ी थी. मैं दिखा रही थी, मैं नींद में थी.
अब नयन धीरे-धीरे मुझे अपनी आगोश में कसते जेया रहा था. उसका मस्त लॉडा मेरी गांद मेरी बर पर बार-बार ठोकर मार रहा था. मैं चुप-छाप मज़े ले रही थी. फिर धीरे-धीरे नयन अपने हाथो को मेरी गांद पर फिरने लगा.
मैं अब भी रिक्ट नही कर रही थी, और सिर्फ़ मज़े ले रही थी. मैं सोच रही थी, की देखते है छ्होरा अब क्या करने वाला था. फिर छ्होरे ने धीरे से मेरी सलवार में ठीक उस जगह च्छेद कर दिया, जहा मेरी लंड को तड़पति गीली छूट थी.
अब नयन अपनी उंगलियो को उसी च्छेद से मेरी बर में करने लगा. मुझे बहुत मज़ा मिल रहा था. भरे हुए वेटिंग हॉल में मैं चुदाई का मज़ा ले रही थी. लेकिन चुपके से नयन सब कुछ पर्फॉर्म कर रहा था, और मैं सिर्फ़ मज़े ले रही थी.
अब जल्दी से जल्दी मैं चाहती थी, की नयन अपना मोटा लॉडा मेरी बर में थोक कर ढाका-धक छोड़ना शुरू कर दे. मेरे चाहने के अनुरूप ही काम भी हुआ. नयन उसी च्छेद से अपना मोटा लॉडा घुसा कर, लोड को मेरी बर पर रगड़ने लगा.
लॉडा रगड़ते-रगड़ते एक बार लंड मेरी बर के मूह से टकराया. और अब मैने सबर का बाँध तोड़ते हुए, अपनी गांद उछला दी. नयन ने भी लॉड से बर में धक्का दे दिया, और लॉड का सूपड़ा खच से मेरी बर के अंदर चला गया. अब मैने चुप्पी तोड़ी, और बोली-
मैं: अर्रे मादरचोड़! घंटे भर से क्या तडपा रहा है? कस्स कर मार लॉड को, और बर में थोक कर छोड़ ढाका धक.
नयन जो अब तक दर्र-दर्र कर पर्फॉर्म कर रहा था, अब पूरी तरह खुल गया. अब वो और ढाका-ढाका मुझे छोड़ने लगा. भरे बेज़ार में मैं छुड़वाने का मज़ा ले रही थी. नयन का लॉडा फूल कर डेढ़ गुना मोटा हो चुका था. और मेरी बर सिकुड कर छ्होटी हो गयी थी.
नयन शायद छ्होटी बर का मज़ा बर्दाश्त नही कर पाया. फिर उसने कस्स कर मुझे आगोश में दबाया, और दो चार कस्स-कस्स कर धक्के मार कर, अपने गरम लावे की फुहार को मेरी बर में छोढ़ दिया.
इससे मैं बहुत निराश हो गयी. मैं तृप्त नही हो पाई थी. फिर मैने नयन को बहुत बुरा-भला कहा. अब गाड़ी का भी टाइम हो चुका था, तो हम लोग प्लॅटफॉर्म पर आ गये. गाड़ी आई, और हम लोग गाड़ी में समा गये. गाड़ी में मैने खुद को कंबल से धक लिया.
नयन भी लगभग ढाका हुआ था. फिर मैने नयन के लंड को हाथ में ले लिया, और उसको सहलाने लगी. गाड़ी अपनी पूरी रफ़्तार से दौड़े जेया रही थी. और इधर मैं उतनी ही रफ़्तार से नयन के लंड को कंबल के नीचे मूठ मार रही थी.
नयन मेरी . नाज़ुक . को ज़्यादा बर्दाश्त नही कर पाया, और उसके लंड से वीर्या की बरसात हो गयी. लेकिन मैं अब तक . की . ही थी, इसलिए मेरे हाथो से लंड . ही नही रहा था. मैने फिरसे नयन का लंड पकड़ा, और मूठ मारना शुरू कर दिया.
मैने लंड से फिरसे वीर्या की बरसात करवाई. उसके लंड से वीर्या की फुहार गिरी, और नयन का स्टेशन भी आ गया. फिर मैं तड़पति जलती गाड़ी में सफ़र करते आमेडबॅड पहुँच गयी. होटेल में पहुँच कर, रूम में शिफ्ट होते ही मैने मसाज के लिए बोला.
फिर मसाज मान आया, और वो मेरी वासना भारी आँखों को देख कर बोला-
मसाज मान: आफ्टर मसाज, माँ अगर आपको चुदाई भी चाहिए, तो मैं एक लड़के को आपके पास भेज देता हू. बड़े सेठ का बेटा है. वो आपको बड़ी बक्षिश भी देगा, और भरपूर मज़े भी. फिर मैं उसको बोली-
मैं: कुछ भी करो, मगर जल्दी करो. मैं अपनी छूट की आग में बुरी तरह जल रही हू.
फिर मसाज मान बोला: बस 05 मिनिट में आ जाएगा रोहित बाबू.
मैं: अछा तो उसका नाम रोहित है?
वो बोला: हा माँ.
अभी हम लोग बात ही कर रहे थे, की रोहित आ गया. लंबा चेहरा और आत्लेटिक बॉडी के रोहित की पर्सनाल्टी काफ़ी अट्रॅक्टिव थी. वो मुस्कुराता हुआ मुझसे सतत कर बैठ गया. फिर उसने मेरी चूचियो पर हाथ रखा. मैने ज़रा भी देर नही की, और पंत के उपर से ही रोहित के लंड का मुआईना किया.
मेरे अनुमान से मस्ताना लंड था उसका. उसका लंड पुर 08 से 09 इंच का था. और लगभग 04 इंच मोटा था. फिर मैं उसको बोली-
मैं: आपका तो मस्त विशाल लंड है रोहित बाबू.
फिर रोहित बोला: आप भी बहुत ही सुंदर और हसीन हो माँ.
उसकी बात सुन कर मैं खिलखिला के हस्स पड़ी, और झटके से रोहित की पंत को उतार दिया. मेरा अनुमान बिल्कुल सही निकला. रोहित का कड़क फौलादी लंड फन-फ़ना कर उछाल पड़ा. फिर मैने लंड को हाथो में ले लिया, और प्यार करने लगी.
फिर रोहित ने मेरे पुर कपड़े उतार दिए. मेरी दूधिया गोरी चूचिया, और चिकनी सपाट छूट को देख कर रोहित जैसे पागल सा हो गया. उसने मेरी बर पर झपट्टा मारा, और मेरी बर चाटने लगा. फिर मैं उसको बोली-
मैं: देखो रोहित, मैं बर की आग से धू-धू कर जल रही हू. सबसे पहले मेरी बर की आग को शांत करो. फिर सारी रात जितनी चाहे उतनी बर चाटना.
मेरी बेबाक बातो से रोहित एक-दूं से मोहित हो गया. उसने अपने विशाल लंड को मेरी गीली छूट पर रखा, और खच से लॉडा बर में धकेल दिया. लंड की प्यासी मेरी बर ने लंड महाराज का गरम जोशी से स्वागत किया, और घपा-घाप लॉडा अंदर लेने लगी.
अब रोहित मुझे ढाका-धक छोड़ने लगा. उसने अपनी जीभ मेरी मूह के अंदर डाल रखी थी, अपने दोनो हाथो से मेरी चूची को पकड़ रखा था. उसका लॉडा ढाका-धक मेरी बर को छोड़ रहा था. मैं चुदाई के असीम आनंद का मज़ा ले रही थी.
करीब आधे घंटे की तबाद-तोड़ चुदाई के बाद, मेरी बर की आग ठंडी पद गयी. इस बीच मेरी छूट से दो बार पानी छूट गया था. रोहित मुझे कस्स कर दबोचे हुए था. भरपूर कसावट के बीच मेरी बर में रोहित ने गरमा-गरम वीर्या की धार छोढ़ दी.
फिर मैं जन्नत का मज़ा लेती हुई शांत पद गयी. रोहित भी एक तरफ लूड़क गया था. उस रात हर घंटे के इन्टेवाल में रोहित मुझे छोड़ता, और मैं चुड़वति गयी चुड़वति गयी.
आज की कहानी बस यही तक. फ्रेंड्स अगली कहानी के साथ मैं फिर मिलूंगी. अभी मेरे सभी पाठक-पथिकाओं से अपेअल है, की कहानी पढ़ कर आपको जितना जोश आया, उतने ही जोश से चुदाई करे. गुड नाइट क़ुबूल करे, और मुझे भी गुड नाइट का आशीष दे. थॅंक्स.