हड्द से ज़्यादा सेक्स के बाद ब्रेक-उप की कहानी

हेलो दोस्तों, मुझे आप लोगों की मेल्स से पता चला है की आप सभी को मेरी ये कहानी बहुत पसंद आ रही है. काफ़ी सारे मैल तो गर्ल्स और भाभियों के आए है.

उनमे से कुछ ने मेरे साथ रियल सेक्स भी किया है. उन्हे मेरे साथ सेक्स करके बहुत अछा लगा. मेरे लंड का खूब मज़ा लिया है. अभी तो कुछ गर्ल्स और भाभी सेक्स करने के लिए पहले से ही मुझे बुक कर रही है. आपके इस प्यार के लिए बहुत बड़ा वाला थॅंक्स.

क्षाहनी के बहुत से रीडर्स के मेसेजस आए है, और वो चाहते है की ये सीरीस और आयेज बढ़े. इसलिए मैं अब कहानी शुरू कर रहा हू.

निशा: प्लीज़ अब आप भी जाओ, और रेस्ट कर लो.

मैं: मेरी जान, मेरे लिए छाई लेके आ ना. दोनो साथ में पिएँगे.

अब आयेज से-

निशा का भी मूड छाई का हो गया. वो जेया रही थी छाई लेने. मैने जाते हुए उसे एक किस दे दिया. उसका ठीक से रेस्पॉन्स नही मिला. दोस्तों उसकी भी हालत काफ़ी टाइट थी.

रात की दर्द भारी चुदाई वो भी 2 रौंद में. उसकी गांद और छूट फटत गयी थी. मैने भी ज़्यादा फोर्स नही किया. 10 मिनिट बाद मेरी रानी छाई लेके आई. मैने उसे वही चेर पर अपनी गोद में बिताया और वो भी बैठ गयी. दोनो बातें करते हुए छाई पीने लगे. निशा का मूड थकान की वजह से ठीक नही था. मैने कहा-

मैं: कुछ ज़्यादा ही ताकि हुई हो. वैसे मैने पहली बार तो छोड़ा नही है.

निशा: हा लेकिन पहली बार गांद ज़रूर मारी है आपने मेरी. मेरी गांद में दर्द हो रहा है. चला नही जेया रहा है.

निशा: प्लीज़ मुझे पाईं किल्लर ला कर दो ना. बदन भी दर्द हो रहा है. आज कुछ काम नही किया है.

मैं: कोई ज़रूरत नही है. तू आज रेस्ट कर मैं अभी टॅबलेट लाता हू.

फिर मैं छाई पीक उठा, और दोस्त की मा के लिए पाईं किल्लर लेके आया. फिर वापस मैने उसकी कमर पकड़ कर वही बेड पर बिता लिया. उसका बदन देख कर मेरे अंदर कामुक बिजली दौड़ जाती है.

निशा: क्या कर रहे हो? छ्चोढो ना अब. आप भी जाओ अपने घर. घर जाके रेस्ट करो.

मैं: चला जौंगा. लेकिन मेरी जान, तुझे देख कर मेरा मूड बन जाता है.

वो मेरी जीन्स में लंड खड़ा देख कर बोली-

निशा: हा ये दिख रहा है. कितना मूड है आपका. अब कुछ नही करोगे. प्लीज़ यार अब जाओ ना.

मैं: इसे अपने नाज़ुक होंठो से चूस कर ठंडा कर दे ना. फिर हमे हनिमून का प्लान भी बनाना है.

निशा: वो सब बाद में देख लेंगे. अभी मुझे रेस्ट करने दो. जाओ यहा से.

मैं: क्या जाओ. थोड़ी देर चूस ले ना लंड. इससे ये ठंडा हो जाएगा. इतना नही कर सकती क्या साली?

निशा मुझे गुस्से में बोली: नही कर सकती. एक बार बोला ना जाओ यहा से. और अब 2 दिन तक मत आना ओक. मुझे बहुत आराम चाहिए. बहुत दर्द है बदन में.

मैं: 2दिन तक क्या करेंगे? साली ज़्यादा नाटक मत कर. पहली बार नही चूड़ी है, जो इतना नाटक कर रही है. चल अब जल्दी से बैठ नीचे.

मैं उसके कंधो को झुकने लगा. लेकिन उसने गुस्से में मेरा हाथ डोर कर दिया. उसे ज़ोरदार गुस्सा आ गया, और मुझे देखते हुए बोली-

निशा: आपको तो बस अपना ही एंजाय देखना होता है. मैं मारू चाहे जियु, कोई फराक नही पड़ता. एक बार बोला ना नही चूस रही हू. चले जाओ यहा से.

अब मुझे आपके साथ कुछ नही करना है. दफ़ा हो जाओ.

मैं: साली तेरा दिमाग़ खराब है क्या? क्या बोल रही है, और किसे बोल रही है? थप्पड़ पड़ेगा एक समझी.

निशा: चुप-चाक़प जाते हो या डीपू के पापा को फोन करू? आज के बाद मत आना घर मेरे.

निशा का गुस्सा पहली बार देखा था. लेकिन समझ नही आ रहा था वो ऐसा क्यूँ बोल रही थी. लेकिन मुझे भी उसे देख कर गुस्सा आ गया. अभी हमारे रीलेशन को 10 दिन ही हुए थे.

निशा को मैं गुस्से में बोला: मा छुड़ा तू तेरी अब. नही अवँगा अब तेरे पास. चल भाग, जेया रहा हू अब.

मैं गुस्से में वाहा से निकल गया. निशा से आज इतना बड़ा झगड़ा होगा मैने सोचा नही था. मैने वाहा से घर आके तोड़ा रेस्ट किया.

फिर उसका उस दिन कोई कॉल या मेसेज नही आया. मुझे भी अब तोड़ा गिल्ट फील हुआ, की मुझे उसको लोड्‍ा चूसने के लिए फोर्स नही करना चाहिए था. मुझे पछतावा हो रहा था.

निशा जैसे कामुक बदन और पैसे वाली औरत थी. बड़ी मुस्किल से मैं उसे अपने लंड के नीचे लेके आया था. निशा का गुस्सा देख कर मुझे तोड़ा गिल्ट हुआ. लेकिन मैं अब कुछ नही कर सकता था. मैने सोचा शायद हमारा साथ यही तक था. मैने उसे वैसे भी बहुत छोड़ लिया था. अब मुझे भी उससे प्यार था. लेकिन मेरी ज़िद की वजह से ब्रेक उप हो गया.

10 दिन तक निशा का ना कोई कॉल आया और ना कोई मेसेज. मैं भी अब अपनी लाइफ में बिज़ी हो गया. मुझे उसकी याद तो आती थी. जब उसकी याद आती तब-तब मेरा लंड खड़ा हो जाता था. इसी लंड की वजह से ब्रेकप हो गया. फिर एक दिन आंटी के बेटे यानी मेरा दोस्त दीपक का कॉल आया. वो मुझसे बोला-

दीपक: रोहित यार तू जल्दी मेरे घर आ सकता है? मेरी मा की तबीयत ठीक नही है. पापा भी यहा नही है, वो आउट ऑफ टाउन है.

मैं: हुआ क्या है आंटी को?

दीपक: 2 दिन से तबीयत खराब है. जल्दी से आ ना भाई. मैं इतना सब कुछ जानता नही हू. तू तो हर मामले में होशियार है. इसलिए तू सब प्राब्लम हॅंडल कर लेता है.

मैं: चल ठीक है. मैं अभी आता हू.

मुझे भी निशा का प्यार याद आ गया था. आख़िर मैने उससे इतना छोड़ा था. तो मेरे दिल ने कहा तुझे जाना चाहिए. इसलिए सब कुछ भुला कर मैं चला गया. 15 मिनिट में बिके से उसके घर पहुँच गया.

दीपक ने डोर खोला और मुझे सीधा अपनी मा के बेडरूम में ले गया. वाहा निशा बेड पेर लेती हुई थी. मैने उसे देखा, उसकी तबीयत वाकई ठीक नही थी. वो काफ़ी बीमार लग रही थी.

निशा का चेहरा उतरा हुआ था. उसे देख कर मुझे बहुत बुरा लगा. निशा भी मुझे देखने लगी. लेकिन जब वो मुझे देख रही थी उसके चेहरे पेर गुस्सा नही था. एक नॉर्मल वे में देख रही थी.

मैने दोस्त से कहा: तूने आंटी को डॉक्टर को दिखाया या नही.

दीपक: अर्रे यार कब से मॅमी को बोल रहा हू. लेकिन वो हॉस्पिटल चल ही नही रही है.

मैने ये सुन कर आंटी की तरफ देख कर उनसे कहा.

मैं: क्या हुआ आंटी? आप हॉस्पिटल क्यूँ नही जेया रही हो? आप काफ़ी बीमार हो अभी. ज़िद मत करो, चलो हॉस्पिटल अभी.

निशा ने ना में सिर हिलाया. मुझे तोड़ा गुस्सा आने लगा. मैने कहा-

मैं: ये क्या है आंटी? कितनी बीमार हो आप. ये ज़िद करने का टाइम नही है.

फिर मैने डीपू से कहा: तू एक काम कर, डॉक्टर को यही बुला ला.

डीपू ने डॉक्टर को कॉल किया. उसने डॉक्टर को घर पर ही बुला लिया. फिर डॉक्टर निशा को 3 से 4 दिन रेस्ट करने को कहा. उसके बाद वो चला गया. मैने डीपू से कहा-

मैं: कब से बीमार है और क्यूँ बीमार है?

डीपू: क्या पता भाई. पिछले कुछ दिन से साद-साद रहती है. कुछ ठीक से खाती नही है. किसी से बात भी नही करती है. पापा से भी मा का झगड़ा हो गया था. फिर धीरे-धीरे मा बीमार हो गयी. वो अपना ठीक से ध्यान नही रखती है.

डीपू: दोनो में इतना झगड़ा हुआ था की मम्मी ने अपना फोन तोड़ दिया था. पता नही यार मेरे घर में क्या हो रहा है. मेरी मा को क्या हो गया है?

मैं: कोई बात नही. तू टेन्षन मत ले, तेरी मा घर में अकेली रहती है ना. इसलिए थोड़ी इरिटेट हो गयी होगी. उन्हे बाहर घूमने ले जया कर.

दीपक: कैसे ले जौ? मैं स्टडी में बिज़ी रहता हू. पापा को फ़ुर्सत नही है अपने काम से. इसलिए शायद मा गुस्सा रहती है.

मैं: तू टेन्षन मत ले, मैं आंटी को समझता हू.

डीपू: हा भाई, तू कर सकता है. तू इन मामलो में सब जानता है. मेरी मम्मी का मूड ठीक कर. जिससे वो खुश रहे, और जल्दी से ठीक हो जाए. मुझे मेरी मम्मी पहले जैसी ठीक चाहिए.

फिर वो मेडिकल चला गया दवाई लेने. मैं इधर निशा के रूम में गया. निशा लेती हुई थी. मेरे आते ही वो रोने लगी. मैने उससे कहा-

मैं: आप क्यूँ इतना गुस्सा करते हो आंटी? डीपू कितना परेशन है. वो आपकी फिकर कर रहा है.

निशा मुझे घूर कर देख रही थी. मुझे देख कर बोली-

निशा: ये आंटी-आंटी क्या लगा रखा है? अपनी रंडी बीवी को तो आप भूल गये थे. फिर क्यूँ आए हो यहा पर?

मैं: आपने ही तो जाने को बोला था, और कभी ना आने की धमकी दी थी.

निशा: अछा मेरा कहना आप मानते हो? मैं गुस्से में बोल गयी तो आपने मेरे बारे में जानने की कोशिश भी नही की. मैं मॅर रही हू या जी रही हू, आपको उससे कोई फराक नही पड़ता ना? पति-पत्नी में झगड़ा होता है. तो क्या वो बीच रास्ते में छ्चोढ़ कर चला जाता है? यही प्यार निभाया है?

मैं: गुस्सा आपने किया था. आपने मुझे एक कॉल भी नही की. और अब मुझे आपके साथ नही रहना है. आप अब अपने पति और बच्चे से प्यार करो. वही आपकी लाइफ रियल पार्ट है.

निशा ये सब सुन कर शॉक हो गयी. उसे रोना आ गया था. उसकी आँखों से आँसू निकालने लगे थे. मैं अब बेड से उठा, और जाने लगा. तभी उसने जल्दी से मेरा हाथ पकड़ लिया, और रोते हुए बोली-

निशा: प्लीज़-प्लीज़ रोहित. मत जाओ मुझे छ्चोढ़ कर. आपने ही मेरी ये हालत की है. उस दिन आपके जाने के बाद मैं बहुत रोई थी. प्लीज़ ऐसा मत बोलो. मुझे आपसे बहुत प्यार है. मुझे आपका साथ चाहिए. मैने जो बदतमीज़ी की उसके लिए सॉरी. प्लीज़ माफ़ कर दो ना. ऐसे मत बोलो. मुझे अकेला मत छ्चोढो.

निशा: आपके बिना मैं मॅर जौंगी. मेरा आपके अंकल के साथ झगड़ा भी हो गया है. क्यूंकी वो मेरे साथ सेक्स करना चाह रहे थे. मैने उन्हे हाथ लगाने से माना कर दिया. क्यूंकी मैं सिर्फ़ आपकी हू, सिर्फ़ आपकी.

निशा फिर मुझसे पीछे से रोते हुए चिपक गयी. ये काफ़ी ज़्यादा एमोशनल मोमेंट था. समझ नही आ रहा था क्या करू मैं. फिर वो बोली-

निशा: प्लीज़ रोहित, सॉरी ना, जब से आप मेरी लाइफ में आए हो. मुझे खुशी मिलनी शुरू हुई है. वरना मैं इस घर में अकेली मॅर जाती. प्लीज़ अब मुझे ऐसे छ्चोढ़ कर मत जाओ.

निशा: उस दिन मैने आपके साथ जो बदतमीज़ी की उसकी सज़ा मैं भुगत चुकी हू. उस दिन के बाद मैने ठीक से खाना-पीना नही किया है. ना ही किसी से बात करती हू. प्लीज़ अब अपनी इस रंडी बीवी को मत छ्चोढो.

निशा: आज मैं आपको वादा करती हू आप जैसा बोलॉगे वैसा करूँगी. कभी आपके सामने कोई आवाज़ नही करूँगी. जैसे कहोगे वैसा किया करूँगी. प्लीज़ प्लीज़ मत जाओ ना मुझे छ्चोढ़ कर. मैं आपके बिना नही रह सकती हू.

फिर इतना बोल कर वो चुप हो कर मेरी पीठ में सर रख कर रोने लगी. निशा का रोना मुझे अछा नही लग रहा था. मुझे भी अपनी ग़लती फील हुई थी. मैने उस दिन उसके साथ धक्का किया था.

निशा को फिर मैने अपने सामने किया और कहा-

तो दोस्तों कहानी का ये भाग कैसा लगा? मुझे गम0288580@गमाल.कॉम पर ज़रूर बताए. और किसी गर्ल, भाभी, आंटी को रियल और सेक्यूर सेक्स आंड रिलेशन्षिप चाहिए तो मुझे मैल करे. पूरा रियल सॅटिस्फॅक्षन सेक्यूरिटी के साथ मिलेगा.

थॅंक्स.