Hindi sex stories, antarvasna मेरा नाम आकाश है मैं दिल्ली का रहने वाला हूं मेरी पैदाइश दिल्ली में ही हुई है और हम लोग दिल्ली में कई वर्षों से रह रहे हैं मेरे पिताजी और मेरे बीच में बहुत ज्यादा बनती है इसलिए उन्होंने मुझे आज तक कभी भी किसी चीज के लिए मना नहीं किया। मैंने जब अपने पिताजी से पहली बार कहा कि मुझे डांस सीखना है तो उन्होंने मुझे सिर्फ उस वक्त ही पूछा था कि तुम डांस करके क्या करना चाहते हो। उस वक्त मेरे पास कोई जवाब नहीं था लेकिन मैंने पिता जी से कहा मैं डांस करना चाहता हूं क्योंकि मुझे डांस करने का बहुत शौक है उसके बाद मैंने डांस सीखना शुरू कर लिया मुझे डांस करना बहुत पसंद था। एक शादी के दौरान मैं अपने दोस्त की शादी में डांस कर रहा था तो सब लोग मेरी तरफ देख रहे थे उसी दौरान मुझे सीधी सादी और भोली भाली सी लड़की दिखी मैं उसकी तरफ भी देख रहा था।
मैंने जब अपने दोस्त से पूछा कि वह कौन है तो वह कहने लगा वह मीनाक्षी है और वह गांव से आई हुई है, उसके भोलेपन को देखकर मैं उससे बात करने लगा। मैंने उससे बात की तो मुझे मालूम पड़ा कि वह दिल की बहुत अच्छी है पहले तो वह मुझसे बात करने में शर्मा रही थी लेकिन आखिरकार उसने मुझसे बात कर ली। मैं उससे काफी देर तक बात करता रहा लेकिन हम दोनों ने एक दूसरे से ज्यादा बात नहीं की उस दिन मैं मीनाक्षी का नंबर नहीं ले पाया लेकिन बाद में मुझे एहसास हुआ कि मीनाक्षी मुझे बहुत अच्छी लगी थी। मैंने अपने दोस्त से मीनाक्षी का नंबर निकलवा लिया मैंने जब मीनाक्षी को फोन किया तो उसने मुझे पहचान लिया और कहने लगी तुमने मुझे फोन किया मुझे बहुत अच्छा लगा मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि तुम मुझे फोन करोगे। मैं उससे कहने लगा की उम्मीद तो मुझे भी नहीं थी कि तुम मेरा फोन उठाओगी इस बात से मीनाक्षी बहुत हंसने लगी और कहने लगी तुम बहुत मजाक करते हो। मीनाक्षी मेरी बातों से बहुत खुश हो जाती है और हम दोनों एक दूसरे से करीब तीन चार महीने तक बात करते रहे मुझे मीनाक्षी के साथ बात करना अच्छा लगता था मुझे नहीं मालूम था कि उसके साथ मेरा क्या रिलेशन है।
उसी दौरान मेरी एक लड़की से दोस्ती हुई जिसे कि मैं दिल ही दिल पसंद करने लगा और हम दोनों के बीच में रिलेशन बन गया हम दोनों एक दूसरे को ज्यादा समय देते उसका नाम महिमा है। महिमा और मैं एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे लेकिन शायद मैं मीनाक्षी को भूलने लगा था और मीनाक्षी से मैं कम बात किया करता था। मीनाक्षी को मैंने अपने और महिमा के रिलेशन के बारे में बता दिया था इस बात से वह बहुत दुखी थी लेकिन उसके बाद भी उसने मुझे कुछ नहीं कहा उसे भी शायद मुझसे प्यार हो चुका था लेकिन उसने मुझसे इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा। मेरे और महिमा के बीच में बहुत ही अच्छे से रिलेशन चल रहा था हम दोनों के बीच किसी भी बात को लेकर कभी कोई झगड़ा नहीं होता था मुझे लगता था कि मैं दुनिया का सबसे खुशनसीब व्यक्ति हूं जो मुझे महिमा मिली। महिमा के साथ मेरा रिलेशन काफी समय तक चलता रहा मेरा वह बहुत ध्यान रखती थी और मैं भी उसका हर एक बात में ख्याल रखा करता लेकिन जब हम दोनों के बीच में मतभेद होने शुरू हुए तो हम दोनों के बीच में झगड़ा होने लगे। मुझे इस बात का बहुत दुख होता की महिमा मेरे साथ क्यों झगड़ा करती है मैंने कई बार उसे समझाने की भी कोशिश की लेकिन हम दोनों का रिलेशनशिप वैसा नहीं था जैसा पहला था। हम दोनों के बीच में बहुत ज्यादा झगड़े होने लगे थे महिमा भी इस बात से बहुत दुखी थी और वह मुझसे कई बार कहती कि तुम इतना ज्यादा गुस्सा क्यों होते हो। मेरे अंदर भी बदलाव आने लगे थे और मैं बहुत ही ज्यादा गुस्से में हो जाता था परंतु मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मुझे अपने रिलेशन को बचाने के लिए ऐसा क्या करना चाहिए जिससे हम दोनों का रिलेशन बच सके। मैंने काफी कोशिश की लेकिन महिमा और मेरा रिलेशन नहीं बच पाया महिमा ने एक दिन मुझे कहा अब मैं तुम्हारे साथ बिल्कुल भी नहीं रह सकती मैंने महिमा से कहा लेकिन हम दोनों यदि एक दूसरे के साथ रहेंगे तो इसमें क्या कोई बुराई है।
वह कहने लगी तुम्हें तो मालूम है ना हम दोनों अब एक दूसरे से बिल्कुल भी प्यार नहीं करते और हम दोनों के बीच आए दिन झगड़े होते रहते हैं इसलिए मैं नहीं चाहती कि मैं इस रिलेशन को आगे बढ़ाऊँ नही तो इससे हम दोनों के बीच में कोई दिक्कत पैदा हो जाएगी। महिमा ने मुझे काफी समझाने की कोशिश की परंतु मुझे उस वक्त बहुत बुरा लगा लेकिन जब उसने मुझे एक लड़के से मिलवाया और कहा कि यह मेरा बॉयफ्रेंड है तो मुझे उस वक्त बहुत बुरा लगा। मैंने महिमा से कहा तुम मुझे एक बार बता तो देती महिमा मुझे कहने लगी मैं तुम्हें बताना चाहती थी लेकिन तुम कुछ समझने को तैयार ही नहीं थे इसलिए मुझे यह कदम उठाना पड़ा। मेरा दिल अब टूट चुका था मैं बहुत ज्यादा दुखी था मुझे दुख इस बात का था कि महिमा ने मेरे साथ बहुत ही गलत किया उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था लेकिन महिमा को अपनी गलती का कोई भी पछतावा नहीं था। वह मुझे कहने लगी मुझे अपनी गलती का कोई भी पछतावा नहीं है क्योंकि मैंने कुछ गलत किया ही नहीं है यह सब तुम्हारी वजह से ही तो हुआ है। महिमा ने सारा दोष मेरे सर पर मार दिया मैं कई दिन तक इसके बारे में सोचता रहा कि आखिर कहां पर मुझसे गलती हुई लेकिन मुझे मेरी बात का जवाब नहीं मिला। इस बात को करीब 10 दिन हो चुके थे उसी दौरान मीनाक्षी का मुझे फोन आया मीनाक्षी ने मेरा हाल चाल पूछा तो मैंने मीनाक्षी से सारी बात कही वह मुझे कहने लगी तुम्हें दुखी होने की जरूरत नहीं है सब कुछ ठीक हो जाएगा।
मीनाक्षी ने उस वक्त मेरा बहुत साथ दिया और मुझे उस समय एहसास हुआ कि मीनाक्षी ही मेरा साथ दे सकती है और एक दिन मैंने मीनाक्षी से कहा मैं तुमसे मिलने के लिए आ रहा हूं। मीनाक्षी मुझे कहने लगी तुम मुझसे मिलकर क्या करोगे लेकिन मैंने तो जैसे ठान ली थी कि मैं मीनाक्षी से मिलकर ही रहूंगा और मैं मीनाक्षी से मिलने के लिए उसके गांव चला गया। उसका गांव राजस्थान में है उसका गांव जयपुर से कुछ ही दूरी पर है, मैं जब उसके गांव में पहुंचा तो वहां पर रहने की कोई व्यवस्था नहीं थी इसलिए मीनाक्षी ने मुझे अपने घर पर ही रुकवा दिया। मीनाक्षी ने यह कहकर मुझे रुकवाया की यह मेरा दोस्त है और कुछ काम के सिलसिले में यहां आया हुआ है लेकिन मेरा तो कोई काम नहीं था मैं सिर्फ मीनाक्षी से ही मिलने के लिए वहां गया हुआ था। मैं जब मीनाक्षी से मिला तो मुझे बहुत खुशी हुई मैंने मीनाक्षी से कहा मै तुमसे मिलना चाहता था और मुझे तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा मीनाक्षी ने मुझे कहा मैं कुछ दिनों बाद दिल्ली आऊंगी तो तुमसे मुलाकात करूंगी। मैं अब दिल्ली वापस लौट आया और मैं मीनाक्षी का इंतजार करने लगा लेकिन मीनाक्षी दिल्ली आई ही नहीं मैंने उसे कहा तुम दिल्ली कब आओगी वह कहने लगी बस मैं जल्दी ही दिल्ली आने वाली हूं। कुछ दिनों बाद मीनाक्षी दिल्ली आ गई मुझे बहुत खुशी हुई मैं इतना खुश था कि मैंने मीनाक्षी को गले लगा लिया। मुझे समझ नहीं आया था कि महिमा ने ऐसा मेरे साथ क्यों किया लेकिन मैं अब मीनाक्षी के साथ अपना रिलेशन चलाना चाहता था। मैंने मीनाक्षी से अपने दिल की बात भी कह दी वह तो मुझे पहले से ही चाहती थी तो भला वह मुझे कैसे मना कर सकती थी। मीनाक्षी ने मुझे हां कह दिया था और उसका साथ मुझे मिल चुका था वह कुछ दिनों तक दिल्ली में ही रुकने वाली थी।
एक दिन घर पर कोई नहीं था तो मैंने मीनाक्षी को घर पर बुला लिया जब वह मुझसे मिलने के लिए आई तो हम दोनो एक दूसरे से बात करते रहे। हम दोनों ने एक साथ मूवी भी देखी लेकिन जब हम दोनों मूवी देख रहे थे तो उसी दौरान मेरा हाथ मीनाक्षी की जांघ पर पड़ा और उसकी जांघ को मैंने सहलाना शुरू किया। मैं उसकी जांघ को सहलाता तो उसे भी मजा आता मैंने अपनी उंगली को उसकी योनि पर लगा दिया वह मचलने लगी। मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं गया मैंने उसकी सलवार को खोलते हुए उसकी योनि को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया वह भी अपने आप पर बिल्कुल काबू ना रख सकी। कुछ देर तक मैं उसकी योनि को चाटता रहा जब मैंने अपने लंड को उसके मुंह में डाला तो वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर अच्छे से चूसने लगी। उसे बड़ा मजा आता और मेरे अंदर भी जोश बढ़ता ही जा रहा था जैसे ही मैंने अपने लंड को मीनाक्षी की योनि के अंदर डाला तो वह चिल्लाने लगी उसे बड़ा दर्द महसूस होने लगा और उसे बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी।
मुझे उसे धक्के देने में एक अलग ही मजा आता मैं काफी देर तक उसे धक्के देता रहा, उन धक्को के साथ ही उसके अंदर का जोश बढ़ता जा रहा था। मैंने जब मीनाक्षी की योनि की तरफ नजर मारी तो उसकी योनि से खून निकल रहा था मेरी उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ चुकी थी मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू किया। जब मैं मीनाक्षी के स्तनों को चूसता तो उसके शरीर से कुछ ज्यादा ही गर्मी बाहर की तरफ निकलती वह अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाई और वह झड गई। उसने मुझे अपने पैरों के बीच में जकड़ लिया मैंने तब भी उसकी योनि के अंदर बाहर अपने लंड को करना जारी रखा और मैं उसे तेजी से धक्के देता रहा। मेरे धक्के काफी तेज थे मीनाक्षी की योनि पूरी तरीके से छिल चुकी थी और मेरा लंड भी पूरी तरीके से छिल चुका था लेकिन हम दोनों को ही एक दूसरे के साथ संभोग करने में बड़ा मजा आया। हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी देर तक संभोग का आनंद लेते रहे जब मेरा वीर्य मीनाक्षी की योनि में जा गिरा तो हम दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया और एक दूसरे के साथ काफी समय तक हम दोनों बैठे रहे। मीनाक्षी अब गांव जा चुकी है लेकिन उसकी मुझसे बात होती रहती है।