हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है. में जानती हू यह स्टोरी ज़्यादा लंबी चल रही है लेकिन आप आगे पढ़ते रहिए की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.
इश्स स्टोरी का 19त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए. ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए.
तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है. अब आयेज…
हम चारो एक दूसरे को निहार रहे थे. टीवी की स्क्रीन पे ब्लू मोविए मे क्या चल रहा था ह्यूम किसी को पता हे नही था. सामने लिव ब्लू फिल्म इतनी गरम थी की टीवी पर देखने की किसी को फ़ुर्सत हे नही थी.
अज़हर ने मेरे हाथो को अपने हाथो से अपने लंड पर दबा कर उसको सहलाने का इशारा किया. मैं भी भाभिजान की देखा देखी मे अज़हर का पिजामा ढीला कर के खोल कर उनके लंड को बाहर निकल कर सहला रही थी.
फ़रदीन की नज़रे मेरे जिस्म पर टिकी हुई थी और उनका लंड मेरे नंगे जिस्म को देख कर पूरा फूल कर कुप्पा हो रहा था. हम चारो अपने अपने लाइफ पार्ट्नर के साथ सेक्स के खेल मे लगे हुए थे. मगर चारो हे एक दूसरे के साथी को देख कर उत्तेजित हो रहे थे.
फिर फ़रदीन भाईजान ने बेड पर लेते हुए मुस्कान भाभी को अपनी टाँगो के बीच खिच लिया. और उनके सिर को पकड़ कर अपने लंड पर झुकाया. मुस्कान भाभी ने उनके लंड पर झुकते हुए हुमारी तरफ देखा. और पल भर को मेरी नज़रो से उनकी नज़रे मिली. तो वो मुझे भी ऐसे करने का इशारा करते हुए मुस्कुराने लगी थी.
मैने भी अज़हर के लंड पर झुक कर उसे चाटना शुरू किया. अज़हर के लंड को में अपने मूह मे भर कर चूसने लगी. और मुस्कान भाभिजान फ़रदीन भाईजान के लंड को चूस रही थी.
यह सब करने मे हे हम चारो पूरी तरह नंगे हो गये थे. इसलिए मैने अज़हर को फुसफुसते हुए कहा-
साहिबा:- लाइट्स बंद कर दो अज़हर मुझे शरम आ रही है.
अज़हर:- इसमे शरम किस बात की??? वो भी तो हुमारे जैसी हालत मे हे है.
यह कह कर उन्होने पास मे चुदाई मे मुश्रूफ भाईजान और भाभिजान की तरफ इशारा किया.
तुरंत हे अज़हर ने मुझे अपने उपेर लेता दिया. क्यूकी वो ज़्यादा देर तक यह सब पसंद नही करते थे. थोड़े से फोरप्ले के बाद हे वो छूट के अंदर अपने लंड को घुसा कर अपनी सारी ताक़त छोड़ने मे लगाने पर हे विश्वास करते थे. इसलिए उन्होने मुझे अपनी उपेर खिच कर मेरी चूत मे उनका लंड लेने के लिए इशारा किया.
मैने उनकी कमर के पास बैठ कर घुटनो के बाल अपने जिस्म को उनके लंड के उपेर किया. फिर उनके लंड को अपने हाथो से अपनी छूट के मूह पर सेट करके मैने अपने जिस्म का सारा बोझ उनके लंड पर दल दिया. और उनका लंड एक हे बार मे पूरा मेरी छूट के अंदर घुस गया था.
तभी मैने पास मे भाईजान और भाभिजान को देखा. तो वो अभी भी लंड चूसा मे हे लगे हुए थे. मुस्कान भाभिजान अभी भी भाईजान के लंड को चूस रही थी.
मेरा तो उन्न दोनो की लंड चूसा देख कर हे पहली बार झाड़ गयी. नाइट लॅंप की रोशनी मे सिर्फ़ संडलेस पहने नंगी मुस्कान भाभी का जिस्म पूरा चमक रहा था.
तभी अज़हर ने ऐसी हरकत की जिस से हुमारे बीच कुछ बाची खुचि शरम का परदा भी तार तार हो गया.
अज़हर ने किया यह की उन्होने फ़रदीन भाईजान का हाथ पकड़ा और खिच के पास ला कर मेरी एक चुचि पर रख दिया. और भाईजान ने अपने हाथो मे मेरी चुचि को थोड़ी देर तक पकड़े रखा और हल्के से सहला दिया था.
यह पहली बार था जब किसी गैर मर्द ने मुझे मेरे सौहर के सामने हे मसला था.
फ़रदीन मेरी एक चुचि को थोड़ी देर तक मसालते रहे. फिर मेरे निपल को पकड़ कर अपनी उंगलियो से दबाने लगे.
अब अज़हर भी इसी का बहाना लेकर मुस्कान भाभिजान की एक चुचि को अपने हाथो मे भर कर दबाने लगे थे. अज़हर की आखे मुस्कान भाभी से मिली और मुस्कान भाभिजान ने अपने सिर को भाईजान की झंगो की बीच से उठा कर आयेज आ गयी. जिससे अज़हर को उनकी चुचियो पर हाथ फेरने के लिए ज़्यादा मेहनत नही करनी पड़े.
हम दोनो औरते अपने अपने सौहर के लंड की सवारी कर रही थी. उपर नीचे होने से दोनो की बड़ी बड़ी चुचिया उछाल रही थी.
अज़हर के हाथो की मालिश अपनी चुचियो पर पाकर मुस्कान भाभिजान की धक्के मारने की स्पीड बढ़ गयी. और वो ज़ोर की सिसकारियो जैसी आवाज़े मूह से निकलती हुई भाईजान पर लेट गयी. लेकिन फ़रदीन भाईजान का ताना हुआ लंड उनकी छूट से नही निकला था.
कुछ टाइम तक इसी तरह छोड़ने के बाद अज़हर ने मुझे अपनी उपेर से उठा कर बेड पर लेटया. और मेरी दोनो टांगे उठा कर अपने शोल्डर्स पर रख ली. मेरी छूट पर अपने लंड को लगा कर अंदर पूरा धक्का दे दिया. फिर वो मेरी छूट पर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे और छोड़ने लगे.
मैं फ़रदीन भाईजान के बगल मे लेती हुई उनको और मुस्कान भाभिजान को चूमते हुए और मोहब्बत करते हुए देख रही थी. मेरे मान मे जलन की आग लगी हुई थी उन्न दोनो को देख कर. और सोचने लगी की काश वाहा उनके जिस्म पर मुस्कान भाभी नही बल्कि मेरा नंगा जिस्म पसरा हुआ होता.
मैने देखा फ़रदीन भाईजान भी बेड पर लेते हुए मुझे निहार रहे थे. उनके होत भाभिजान को चूम चाट रहे थे. लेकिन उनकी आखे और दिल मेरे पास हे थे.
वो अपने हाथो को मेरे जिस्म पर फेरते हुए शायद मेरी कल्पना करते हुए अपनी मुस्कान को वापस ठोकने लगे थे. मुस्कान भाभिजान को काफ़ी देर तक उपर से छोड़ने के बाद भाईजान ने उसे हाथो और पैरो के बाल झुका दिया था.
यह सब देख कर अज़हर ने भी मुझे उल्टा कर के उससी पोज़िशन मे कर दिया. वही सामने मिरर लगा हुआ था. हम दोनो देवरानी जेठानी वही बेड पे पास पास घोड़ी बने हुई थी. और दोनो भाइयो ने एक साथ एक हे रिदम मे हम दोनो को पेलना शुरू कर दिया था.
यूयेसेस वक़्त एक साथ चार बड़ी बड़ी चुचिया आयेज पीछे हो कर हिल रही थी. हम दोनो एक दूसरे की हालत देख कर और ज़्यादा उत्तेजित हो रहे थे.
कुछ देर तक इश्स तरह छोड़ने के बाद उन्न दोनो ने हम दोनो को बेड पे लेता दिया. और उपर से मिशनरी पोज़िशन मे धक्के मारने लगे. इश्स तरह चुदाई करते हुए हुमारे जिस्म अक्सर एक दूसरे से रग़ाद खा कर और ज़्यादा उत्तेजना को महसूस कर रहे थे.
तभी मुस्कान भाभिजान झड़ने वाली थी तो वो ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी-
मुस्कान:- अहहहहः हााआअ उूफुफूफुफ और ज़ोर से श्श्ससस आहाहहा इसी तरह उफुफूफुफ… फ़रदीन आज तुम मे आहाहः काफ़ी जोश आ गया है… उफुफुुफ़ आज तो तुम्हारा बहोट तां भी रहा है अहहहहः आज तो में निहाल श्श्सश् हो गयी…
इसी तरह बड़बड़ाते हुए उसने अपनी कमर को उचकाना शुरू किया. और कुछ हे देर मे इश्स तरह बेड पर निढाल हो कर गिरी जैसे मानो उसके जिस्म से हवा निकल दी गयी हो.
अब तो फ़रदीन भाईजान भाभिजान के ठंडे पड़े जिस्म को भी थोक रहे थे. मैने सोचा काश उनकी जगह में होती तो उनका बराबर का साथ देती और उन्हे दिखती की मुझ मे कितना ज़्यादा स्टॅमिना है.
कुछ देर बाद अज़हर ने अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी और उनके लंड से गरम वीर्या (स्पर्म्ज़) की धार मेरी छूट के अंदर बहने लगा था.
मैने भी उनके साथ साथ अपने रास का द्वार खोल दिया था. और हम दोनो अब एक साथ एक दूसरे के पास लेते हुए लंबी लंबी सासे ले रहे थे.
यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह बहोट लंबी कहानी है. तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे.