हे दोस्तो, उमीद करता हू, की आप सब कहानियो का मज़ा ले रहे होंगे. मेरा नाम कमाल है, और मई देल्ही का रहने वाला हू. मेरी आगे 30 है, और अभी भी मई अनमॅरीड हू. मेरा लंड अछा-ख़ासा है.
मुझे किसी भी औरत को छोड़ने से कोई परहेज़ नही है. चाहे औरत बुद्धि हो, या जवान मेरा लंड हर किसी के लिए तैयार रहता है. अब टाइम वेस्ट किए बिना कहानी पर आते है.
3 महीने पहले हमने एक नया ड्राइवर अपायंट किया था. उसका नाम गुरप्रीत था, और वो पुंजब से था. हम लोग ड्राइवर को रहने के लिए जगह भी देते है, तो उसको भी हमने अपने सर्वेंट क्वॉर्टर्स मे एक रूम दे दिया.
फिर वो पुंजब वापस गया, और अपनी बीवी को अपने साथ लेके आ गया. जब मैने पहली बार उसकी बीवी को देखा, तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी. वो गोरी-चित्ति थी, और उसका फिगर 34″28″36″ के आस-पास था. उसने रेड कलर का सूट पहना हुआ था, और वो गाओं की लड़की थी. उसका नाम प्रभजोत था.
अब मेरी नज़र आते-जाते उसी पर टिकी रहती थी. मों ने उसको घर का काम भी दे दिया था. वो किचन मे मों की हेल्प करा देती थी, और मों इसके बदले मे उसको कुछ पैसे दे देती थी. वो काफ़ी भड़कीले रंग के, और टाइट कपड़े पहनती थी.
प्रभजोत पंजाबी सूट ही पहनती थी, और उसकी फिटिंग एक-दूं पर्फेक्ट होती थी. जब वो किचन मे काम कर रही होती थी, तो मेरी नज़र उसकी मस्त गांद पर होती थी. मई हर रोज़ उसके बारे मे सोच-सोच कर मूठ मारा करता था.
अब मुझे प्रभजोत को कैसे भी करके छोड़ना था. लेकिन मुझे ये समझ नही आ रहा था, की उसको मनौ कैसे. क्यूकी वो तो मेरी तरफ देखती भी नही थी. फिर एक दिन भगवान ने मेरी सुन ली. मई घर से निकल रहा था, तभी मैने उसको किसी से फोन पर लड़ते हुए देखा.
मुझे लगा वो गुरप्रीत से लड़ रही होगी. उसी वक़्त गुरप्रीत गाड़ी लेके गाते से एंटर हुआ. उसको देखते ही प्रभजोत ने अपना फोन बंद कर दिया, और अंदर भाग गयी. मुझे लगा, की डाल मे कुछ काला था. अब गुरप्रीत जब भी घर नही होता था, तो मई प्रभजोत को किसी से फोन पर बात करते देखता था.
फिर मई गुरप्रीत को फोन करता था, ताकि ये पक्का हो जाए, की प्रभजोत गुरप्रीत से बात नही कर रही होती थी. हर बार गुरप्रीत का फोन लग जाता था. और इसका मतलब ये था, की प्रभजोत का किसी के साथ चक्कर चल रहा था. अब मुझे इसी बात का फ़ायदा उठना था.
मैने उसके घर के बाहर और अंदर एक-एक हिडन कॅमरा लगा दिया. 5 दिन बाद जब मैने कॅमरा निकाल कर रेकॉर्डिंग चेक की, तो प्रभजोत किसी अरुण नाम के लड़के से बाते करती थी. वो उससे मिलने भी जाती थी.
अब मेरा जॅकपॉट लगने वाला था. 10 दिन बाद दाद किसी काम से बंगलोरे जाने वाले थे. गुरप्रीत को भी उनके साथ जाना था, और उनका ट्रिप 6 दिन का था. मेरे लिए यही सही मौका था, प्रभजोत को छोड़ने का.
जैसे ही गुरप्रीत पापा के साथ गया, तो मैने एक घंटे मे प्रभजोत के रूम का दरवाज़ा नॉक किया. उसने दरवाज़ा खोला, और बोली-
प्रभजोत: सिर गुरप्रीत जी तो यहा नही है.
मई: मेरी एक फाइल थी गाड़ी मे , जो उसने अंदर रखी है. मई वो लेने आया हू.
प्रभजोत: ठीक है, ले लीजिए.
फिर मई उसके रूम मे अंदर चला गया. वो कपड़े प्रेस कर रही थी. उसने मुझे ड्रॉयर की तरफ इशारा किया, और बोली-
प्रभजोत: सारी फाइल्स वाहा पड़ी है सिर.
मई: ठीक है.
उसने ब्राउन कलर का सूट पहना हुआ था, जो की हमेशा की तरह फिटिंग वाला था. अब वो फिरसे कपड़े प्रेस करने लग गयी थी. मई तभी उसके पास गया, और पीछे से उसको पकड़ लिया. क्या कोमल गांद थी उसकी. वो दर्र गयी, और उसने मुझे पीछे धक्का दे दिया. फिर वो बोली-
प्रभजोत: ये क्या कर रहे है सिर!
मई: प्यार कर रहा हू तुम्हे. मई तुम्हे बहुत पसंद करता हू. तुम बस मेरी बन जाओ.
प्रभजोत: सिर मई अपने पति के साथ धोखा नही कर सकती.
मई ये सुन कर हासणे लगा, और मैने अपनी जेब से मोबाइल फोन निकाला. फिर मैने उसकी वीडियो ओन्न की और बोला-
मई: तो अरुण क्या तुम्हारा भाई है?
वीडियो देख कर उसके पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी. फिर मई उसके पास गया, और धीरे से बोला-
मई: मुझे बस तुम्हे छोड़ना है.
ये बोल कर मैने अपने होंठ उसके होंठो से चिपका दिए. उसके पास मेरा साथ देने के अलावा और कोई रास्ता नही था. मई जानवरो की तरह उसके होंठ चूस रहा था, और उसकी गांद दबा रहा था.
15 मिनिट मैने लगातार उसके होंठो को चूसा. जब मैने उसको छोढ़ा, तो वो हाँफ रही थी. फिर मैने अपना लंड पंत से बाहर निकाल लिया, और उसको बोला-
मई: चल अब मेरा लंड चूस.
वो नीचे बैठ गयी, और मेरे लंड को मूह मे डाल कर चूसने लग गयी. मॅन चाही लड़की से लंड चुसवाने का मज़ा ही अलग है. फिर मैने उसको खड़ा किया, और उसके कपड़े निकाल दिए. अब वो सिर्फ़ ब्रा पनटी मे थी, और कमाल की लग रही थी.
मई नीचे बैठा, और उसकी पनटी नीचे करके उसकी छूट चाटने लगा. उसने सिसकिया भरनी शुरू कर दी, और मेरे मूह को अपनी छूट मे दबाने लग गयी. मई समझ गया था, की अब वो पूरी तरब से गरम थी.
मैने उसको बेड पे लिटाया, और उसकी जाँघो के बीच आ गया. फिर मैने अपना लंड एक ही झटके मे उसकी छूट मे उतार दिया. वो चीख पड़ी, और मैने उसका मूह अपने होंठो से बंद कर दिया. मैने उसकी ब्रा भी फाड़ दी, और उसके बूब्स सहलाने लगा.
जब वो शांत हुई, तो मैने हल्के-हल्के धक्के देने शुरू किए. क्या गर्मी थी उसकी छूट मे. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. वो भी गांद उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी. चूड़ते हुए वो बोली-
प्रभजोत: मेरा पति मुझे मज़ा नही देता है, इसलिए मैने अरुण के साथ चक्कर चलाया है. अगर आप मुझे रोज़ ऐसे ही छोड़ेंगे, तो मई अरुण को छोढ़ कर आपकी रंडी बन जौंगी.
मई: जाने-मॅन हर रोज़ तो क्या, मई तुझे हर घंटे छोड़ूँगा. आज तू बस मेरी ही रंडी है.
और ये बोल कर मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी. फिर मई नीचे लेट गया, और वो मेरे उपर आ गयी. उसने मेरा लंड अपनी छूट मे लिया, और उस पर उछालना शुरू कर दिया. उसके बूब्स हवा मे उछाल रहे थे. मई उसके बूब्स पर थप्पड़ मार रहा था, और बार-बार उनको चूस रहा था.
हमारी चुदाई 20 मिनिट तक चली, और फिर मेरा निकालने वाला था. मैने उससे पूछा-
मई: कहा निकालु.
प्रभजोत: अंदर ही निकाल दो. मई आपके बच्चे की ही मा बनूँगी.
फिर मैने ज़ोर से 8-10 झटको के साथ, उसकी छूट को अपने माल से भर दिया. उस पुर दिन मे मैने उसको 10 बार छोड़ा. इस चुदाई के दौरान मैने उसकी गांद भी फाड़ डाली. इतनी चुदाई करने के बाद मेरा लंड और उसकी छूट दोनो दर्द कर रहे थे, लेकिन हमारी एक-दूसरे के लिए हवस ख़तम नही हो रही थी.
2 महीने हमारा चुदाई का खेल ऐसे ही चलता रहा. फिर मेरे वीर्या से वो प्रेग्नेंट हो गयी, और पुंजब चली गयी. अब मई उसकी वेट कर रहा हू, की कब वो मा बनके वापस आए, और मई उसको दोबारा छोड़ू.
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