निशा: आपने मेरी फीलिंग समझी, और मुझे इतना प्यार दिया. आप मेरे हो, और मैं अब आपकी हू.
मैं: हा, मैं तुझे रात भर छोड़ना चाहता हू.
अब आयेज.
निशा: हा मुझे भी आपके साथ टाइम स्पेंड करना है. लेकिन रात में पासिबल नही होगा. आपको सब पता है ना.
मैं: मैं कुछ प्लान करता हू.
निशा: हा, लेकिन सब सोच समझ कर करना. डीपू और आपके अंकल को ना पता चल जाए. वरना मेरी जान चली जाएगी.
मैं: तू चिंता मत कर, मैं सब संभाल लूँगा. तू बस मेरी बात मानती जाना.
निशा: आपकी बात हमेशा मानती हू. आपके अलावा किसकी बात मानूँगी?
हम दोनो एक-दूसरे से प्यार भारी बातें कर रहे थे. दोनो बेड पर नंगे ही थे. फिर उसने टाइम देखा तो 3 बाज गये थे. उसने कहा-
निशा: बेबी अब उठो आप. मैं फ्रेश हो कर आती हू. काफ़ी टाइम हो गया है हमे नंगे ऐसे पड़े हुए. रूम भी ठीक करना है. डीपू आने वाला होगा.
मैं उसे उठा कर बातरूम ले जाने लगा. वो मुझसे बोली-
निशा: क्या कर रहे हो आप? फिरसे आप अंदर शैतानी करोगे. फिरसे लाते हो जाएँगे.
मैने उसकी नही सुनी और हम दोनो बातरूम में आ गये. इस बार ज़्यादा टाइम नही लगाया. 20 मिनिट में फ्रेश होके बाहर आ गये. निशा अपने कपड़े पहनने लगी. मुझे बोली-
निशा: आप क्यूँ नंगे हो अब? कपड़े पहन लो. अब कल करना बाकी का प्यार.
मैं भी हेस्ट हुए अपने कपड़े पहनने लगा. फिर वो किचन में गयी, और छाई बना कर लेके आई. हम छाई पीने लगे. निशा मेरी गोद में छाई लेके खुद से ही बैठ गयी. मैने कहा-
मैं: वाह, अब तो तू खुद से मेरी गोद में आ गयी.
निशा हेस्ट हुए बोली: क्या करू, आप हो ही इतने स्वीट. और अब आपसे क्या शरमाना. आपसे प्यार हो ही गया है तो खुल कर प्यार करना चाहिए. आप मेरे लिए इतना कर रहे हो.
निशा मुझे अपने हाथो से छाई पिलाने लगी. हम दोनो एक-दूसरे को बीच-बीच में चूमने भी लगते थे. दोनो खूब मस्ती कर रहे थे. निशा के चेहरे पर काफ़ी ख़ुसी थी.
फिर वो उठी, और बेडशीट ठीक करने लगी. मैने देखा की उससे ठीक से चला नही जेया रहा था. वो तोड़ा रुक-रुक के चल रही थी. मैने कहा-
मैं: निशा तू ऐसे क्यूँ चल रही है?
निशा: खुद दर्द देते हो, और अब आपको पता भी नही है ऐसे क्यूँ चल रही हू! इतना ज़ोर से छोड़ते हो मेरी छूट फट जाती है. मुझे दर्द होता है. आपके ज़ोरदार झटको की वजह से मुझे ऐसे चलना पद रहा है.
मैं: तू भी तो मज़े ले रही थी. क्या मस्त उछाल कर लंड ले रही थी.
निशा: अब आप इतना गरम कर देते हो. तो मुझे भी मज़ा आने लगता है.
मैं: तुझे मैं आज रात को भी छोड़ूँगा.
निशा: वो कैसे करोगे, डीपू और उसके पापा के होते हुए?
मुझसे मुस्कुराते हुए ये बोली वो. मैने उसकी पीछे से कमर पकड़ ली, और उसके गालों को चूमते हुए उसके दोनो बूब्स दबा दिए. इससे उसके मूह से उहह उम्म्म निकल गया. फिर मैने कहा-
मैं: साली तू देखती जेया. तुझे अपनी रंडी बना कर आज जी भर के पूरी रात तेरे छूट मारूँगा. तू बस रात को रेडी रहना.
निशा: अब आपके शैतानी दिमाग़ में क्या चल रहा है?
मैं बस उसके होंठ चूमने लगा. निशा मुझे चूमते हुए बोली-
निशा: आपकी बीवी आपके लिए हमेशा रेडी है. लेकिन प्लीज़ आप सब देख भाल के करना.
उसने अभी सारी ब्लाउस पहन रखा था. मैं उसी के उपर से उसके बूब्स दबाने लगा था. अब हम एक साथ बेड पेर लेट गये. निशा मेरी गोद में थी. मैने उससे कहा-
मैं: मेरी रानी अपने पति को सिगरेट नही पिलाएगी.
निशा: ज़रूर मेरे राजा. आपकी पूरी सेवा करूँगी. आप बस हुकुम करो. आपकी रानी आपके लिए रेडी है.
निशा ने मेरी जेब से सिगरेट निकली. उसने उसे अपने में रख कर जलाया. फिर मुझे अपने हाथो से पिलाने लगी. मैने सिगरेट का धुआ आंटी के मूह पर छ्चोढ़ दिया. उसके बाद दोस्त की मा भी सिगरेट खुद से पीने लगी, और मेरे मूह पर ढ़हुआ छ्चोढ़ दिया. हम दोनो हासणे लगे. मैने कहा-
मैं: वाह रंडी साली. अब तू सिगरेट पीना सिख गयी.
निशा: आप बिगाड़ रहे हो तो सब सीखना पड़ेगा. आपको खुश करने के लिए कुछ भी करूँगी. बस मुझे आपके साथ रहना है.
निशा: एक बात बोलू?
मैं: एक क्या तू 10 बात बोल (मैं उसके होंठो को चूस्टे हुए बोला).
निशा: आप मुझसे कभी डोर मत जाना. मुझे आपका साथ अछा लगता है. हमेशा आप मेरे पास रहना.
मैं: हा मेरी जान. ना मैं डोर जौंगा, और ना तुझे जाने दूँगा.
निशा: मैं नही जाने वाली हू. मैं अब आपकी बन गयी हू.
फिर वो सिगरेट पीने लगी. मैने उसी के सामने दीपक को कॉल किया. वो बोली-
निशा: किससे बात कर रहे हो?
मैं: तेरे छूतिए बेटे से.
वो मेरे चेस्ट पर मारते हुए बोली: प्लीज़ आप उसे ऐसा क्यूँ बोलते हो? वो मेरा बेटा है.
मैं: तुझे बुरा लगता है तो नही बोलता.
वो खुश होके मेरे चेस्ट पर चूमने लगी. इधर उसके बेटे ने फोन उठाया.
डीपू: हा भाई.
मैं: कहा है?
डीपू: लाइब्ररी में हू. बस निकल रहा हू.
ये सुन कर उसकी मा चौंक गयी. वो उठने लगी. मैने उसे उठने नही दिया, और निशा के गाल दांतो से चबा दिए. फिर चुप रहके वही रहने को बोला मैने.
मैं: आज मैं तेरे साथ तेरे घर पर रुक सकता हू क्या? वो क्या साथ में ही कुछ स्टडी कर लेंगे, और मस्ती भी.
मैने मस्ती वाली बात आंटी को आँख मार के बोली. इससे वो मुस्कुराने लगी और मेरे गाल काट लिए. जिससे मेरे मूह से आह निकल गया.
डीपू: क्या हुआ? किसके साथ है तू.
मैं: है एक, मेरी जान है वो. उसी के साथ हू.
डीपू: फिर तो तूने उसकी चीख निकाल दी होगी.
अभी कहानी बाकी है मेरे दोस्तों. कहानी को पढ़ने के बाद मैल ज़रूर करे.
किसी को मुझसे चूड़ना हो तो मुझे गम0288580@गमाल.कॉम पर मैल करे. कहानी रेड करने के लिए आप सब का थॅंक्स.