पिछले भाग में आपने पढ़ा, जब मैं ऑस्ट्रेलिया से वापस आ कर बाराबंकी युग से मिलने गया तो मुझे युग तो मिला नहीं चित्रा से आमना सामना हुआ। चार सालों में चित्रा बहुत बदल गयी थी। लड़की से औरत बन चुकी चित्रा बला की खूबसूरत निकली थी।
ये तो मुझे युग ने ही बताया था कि वो चित्रा की चुदाई नहीं कर पाता। मगर चित्रा ने अपनी चुदाई के बारे जो मुझे बताया, वो मुझे हैरान कर देने वाला था। युग की चुदाई ना कर पाने के कारण हालात कुछ ऐसे करवट ले चुके थे, कि चित्रा के अपने ससुर यानि युग त्रिपाठी के पापा देसराज त्रिपाठी के साथ चुदाई की संबंध बन चुके थे।
अब आगे के कहानी चित्रा की ज़ुबानी पढ़िए इस भाग में।
चित्रा बता रही थी, “राज, जैसे युग से मेरी शादी के लिए किसी ने मेरी मर्जी नहीं पूछी, ऐसे ही अंकल से मेरी चुदाई के लिए भी किसी ने मेरी मर्जी नहीं पूछी, और बस हो गयी चुदाई।”
ये तो मैं जानता कि था अंकल रोज रात को शराब पीते थे। तो क्या कहीं ऐसा तो नहीं हुआ कि शराब के नशे में जवान चित्रा को अकेली पा कर अंकल बहक गए हो, और चित्रा को ज़बरदस्ती चोद दिया?
मैंने चित्रा से ही पूछा, “ये क्या बात हुई चित्रा? चुदाई के लिए तुम्हारी नहीं पूछी? मर्जी नहीं पूछी तो फिर चुदाई हुई तो कैसे हुई? मेरा मतलब अंकल तो हर रात शराब पीते है। क्या शराब के नशे में अंकल ने तुम्हें जबरदस्ती चोद…”, मैंने जान बूझ कर बात अधूरी छोड़ दी।
“नहीं-नहीं राज”, चित्रा जल्दी से बोली, “जैसा तुम समझ रहे हो ऐसी कोइ बात नहीं हुई। कुछ जोर जबरदस्ती नहीं की अंकल ने। बस इतना जरूर है हमारी चुदाई हम में से किसी के भी पहल करने से नहीं हुई। ना तो मैंने ही सोचा थी कि कभी अंकल ऐसे लंड से मेरी इतनी मस्त चुदाई करेंगे।”
और फिर कुछ रुक कर चित्र बोली, “और ना ही शायद अंकल ने ही सोचा होगा कि उनका लंड कभी उनके अपने ही बेटे की बीवी की कुंवारी चूत को चोदेगा।”
मैं हैरान था कि आखिर इन सब बातों का मतलब क्या था? मैंने पूछा, “लेकिन चित्रा इसका क्या मतलब हुआ कि चुदाई मर्जी से नहीं हुई, और किसी के पहल करने से नहीं हुई?”
“एक पति पत्नी के बीच की चुदाई ही एक ऐसी चुदाई होती है, जिसमें किसी को पहल करने की और मर्जी जताने की जरूरत नहीं होती। बस पति-पत्नी की नजरें मिलती हैं और दोनों समझ जाते हैं कि पत्नी को आज चूत में लंड चाहिए और पति को चुदाई के लिए चूत, और बस चुदाई शुरू हो जाती है।”
“बाकी तो हर चुदाई में या तो लड़की पहल करती है या लड़का। लड़की को लड़का और लड़के का लंड पसंद आ जाता है और वो इशारों-इशारों में चुदाई का इरादा बता देती है या लड़का-लड़की की ख़ूबसूरती और चूत पर फ़िदा हो चुका मर्द पहल करता है। अब ऐसा कैसे हुआ कि तुम्हारी और अंकल की चुदाई में किसी ने भी पहल ना की हो? किसी ना किसी ने तो पहल की ही होगी। या तो तुमने, या फिर अंकल ने।”
चित्रा ने हंसते हुए कहा, “क्या बात है राज, बड़ा उतावला हो रहा है जानने के लिए कि बेटे के बाप और बेटे की कुंवारी बीवी के बीच चुदाई कैसे शुरू हुई?”
चित्रा कुछ रुकी और बोली, “वैसे तुम बताओ राज, अंकल के साथ मेरी चुदाई कैसे शुरू हुई वो तो एक लम्बी कहानी है, लेकिन अगर मैं अंकल के साथ चुदाई से मना कर भी देती तो क्या होता? क्या मेरे मना करने से मेरी चूत क्या लंड ना मांगती?
जवानी में हर लड़की की चूत लंड मांगती है। शादी तो होता ही है लड़के-लड़की में चुदाई शुरू करने का एक बहाना। अगर सीधी सादी भाषा में समझना हो तो शादी चुदाई करने के लिए लाइसेंस मिलने जैसा होता है।”
“शादी हो जाए और चुदाई ना हो तो फिर ऐसे शादी के मायने ही क्या? मुझे भी लंड की चुदाई चाहिए थी जो युग कर नहीं पा रहा था। फिर मैं क्या करती? ये तो हालात ही ऐसे बन गए कि अंकल मुझे चोद रहे हैं, मान लो अगर अंकल मेरी चुदाई ना कर रहे होते तो….?” चित्रा ने बात बीच में छोड़ दी
मेरे कुछ बोलने से पहले ही चित्रा बोली, “और राज एक बात और बताऊं, अब तो हालत ये है कि जैसी मस्त चुदाई अंकल के साथ मेरी हो रही है, इस चुदाई को तो अब मैं भी नहीं बंद कर पाऊंगी, चाह कर भी नहीं, भले ही युग के साथ मेरी चुदाई शुरू भी हो जाए तब भी नहीं।”
चित्रा बोली, “राज वैसे तो मेरी और अंकल की चुदाई शुरू होना, ये अपने आप में किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है। जब चाची ने इस चुदाई के लिए पहल की तो मैंने सब कुछ किस्मत पर छोड़ दिया और अंकल के साथ मेरी चुदाई शुरू हो गयी। और राज ये चुदाई एक बार जो शुरू हुई तो अब तक चल रही है। चाची के अलावा तुम दूसरे हो जो अब मेरी और अंकल की चुदाई के बारे में जानते हो।”
“वैसे राज एक तरीके से यही ठीक भी है। अंकल से चुदाई का मतलब है घर की बात घर में ही है और इस चुदाई से सारे खुश हैं। चाची खुश है कि घर की इज्जत बच गयी। अंकल खुश हैं कि उनको कुंवारी चूत मिल रही है चोदने के लिए। मैं खुश हूं कि मस्त लंड से मेरी मस्त चुदाई हो रही है। और युग खुश है कि थोड़ी बहुत छेड़-छाड़ के अलावा अब मैं युग को अब मैं चुदाई के लिए तंग नहीं करती, इस लिए वो भी अपनी गांड चुदाई में मस्त और खुश है।”
चित्रा की चूत चुदाई की ऐसी साफ़ बातें सुन-सुन कर मेरा लंड खड़ा होने लगा था और खड़ा लंड पेंट में मुझे परेशान कर रहा था। जैसे ही मैंने अपना खड़ा होता हुआ लंड पेंट में ठीक से बिठाया, और साथ ही पूछा, “चित्रा ये क्या कह रही हो? बुआ इस चुदाई के बारे में जानती है? सुभद्रा बुआ ने तुम्हारी और अंकल की चुदाई में पहल की? तुम तो एक के बाद एक पहेलियां बुझा रही हो। बताओ तो सही ये सब कैसे शुरू हो गया?”
चित्रा ने जवाब दिया, “हां राज ये चाची जानती है। ये चाची ही है जिसने पहल करके कुछ ऐसा किया जिससे मेरी और अंकल की चुदाई शुरू हो गयी।” चित्रा की नजर लंड को ठीक करते हुए मेरे हाथ पर चली गयी। चित्रा ने देखा तो वैसे ही हंसते हुए बोली, “क्या हुआ राज? पहले मेरी चुदाई की कहानी सुननी है या”, चित्रा मेरे लंड की तरफ इशारा करकर बोली, “इसका इलाज करना है?”
“मेरा तो चुदाई की जिक्र करने भर से ही तुम्हारा लंड खड़ा हो रहा है। अभी तक तो मैंने अपनी और अंकल की असली चुदाई की एक बात भी नहीं बताई।”
“राज, मेरी और अंकल की पहली रात की चुदाई और उस चुदाई के बाद हो रही चुदाईयों की कहानी किसी ब्लू फिल्म, चुदाई की फिल्म से कम उत्तेजक नहीं है। अगर मैं सुनाने बैठूं तो तुम्हारा लंड बिना चूत में जाए ऐसे ही पानी छोड़ देगा।” ये कह कर चित्रा ने मेरे लंड पर हाथ रख दिया।
चित्रा के हाथ रखते ही मेरा लंड ने एक-दम झटका सा लिया और सख्त हो गया। चित्रा ने पेंट के ऊपर से ही लंड पकड़ा और बोली, “वाह राज, अंकल के लंड की तरह लंड तो तुम्हारा भी अच्छा खासा बड़ा लग रहा है, फिर तुम्हारा दोस्त युग इस मामले में कैसे पीछे छूट गया?” मतलब चित्रा को भी युग के लंड का छोटे होने का एहसास था।
चित्रा बोली, “राज निकाल कर दिखाओ तो सही, जरा देखूं कैसा है तुम्हारा लंड।”
मैं हैरान भी हो रहा था झिझक भी रहा था। जब मैंने लंड पेंट से बाहर नहीं निकाला तो चित्रा हंसते हुए बोली, “क्या हुआ राज, शर्मा क्यों रहे हो? पहले भी तो खड़ा करके हाथ में पकड़ाते ही थे, अब क्या हो गया?” ये कह कर चित्रा मेरी पेंट की ज़िप खोलने लगी।
–चित्रा की मेरे साथ चुदाई
मैंने खड़ा लंड पेंट से निकाल दिया। फुंफकारे मारता हुआ छह इंच से भी लम्बा लंड देख कर चित्रा के मुंह से बस यही निकला, “ओह राज।” इतना बोल कर चित्रा झुकी और मेरा लंड मुंह में ले लिया। कुछ देर चूसने के बाद जब मेरा लंड सख्त हो गया तो चित्रा बोली, “चलो राज।”
और ये बोलते हुए चित्रा उठ गयी। मैंने पूछा, “कहां?”
चित्रा बोले, “अंदर कमरे में, देख नहीं रहे तुम्हारा लंड चूत मांग रहा है। चुदाई नहीं करोगे मेरी? यहां कैसे चोदोगे, चलो उठो।”
मुझे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ। चित्रा मुझे अपनी चुदाई करने के लिए कह रही थी। चित्रा की चुदाई का सोच कर तो मेरा लंड और सख्त हो गया। मगर मैंने कहा, “चित्रा ये क्या कह रही हो? तुम्हारी और मेरी चुदाई? क्या ये ठीक होगा?”
चित्रा ने मेरा हाथ पकड़ा और बोली, “क्या ठीक नहीं होगा?” चित्रा ने एक बार मेरा लंड हाथ में दबाया और बोली, ” बेटे की कुंवारी बीवी के साथ बेटे के बाप की चुदाई ठीक है तो बेटे के दोस्त के साथ चुदाई में क्या ठीक और क्या गलत?”
“वो भी एक ऐसे दोस्त के साथ जिसका लंड मेरा पति युग अपनी गांड में लेता रहा है।” फिर जोर की हंसी हंसती हुई चित्र बोली, “क्या कमाल है।” फिर मेरा लंड पकड़ कर हिलाती हुई बोली, ” ये लंड पति पत्नी दोनों की चुदाई करता है, पति की गांड की चुदाई और पत्नी की चूत के चुदाई, वाह।”
ये कह कर चित्रा खिलखिला कर हंस दी। “चलो, जैसे सारे मेरी और अंकल की चुदाई से खुश हैं, तुम भी खुश हो जाओ। उठो अब और दिखाओ अपने दोस्त की बीवी को भी इस तगड़े लंड का जलवा, जिस लंड से तुम मेरे प्यारे-प्यारे पति की गांड चोदते रहे हो।”
ये कह कर चित्रा मुड़ी और बैडरूम के तरफ जाने लगी। मेरे पास चित्रा की इस बात का कोइ जवाब नहीं था। सच ही तो था कि मैं युग की गांड चोदता रहा था। मैं भी उठा और उठ कर चित्रा के पीछे-पीछे चलने लगा। मेरा खड़ा लंड मेरा पेंट से बाहर ही निकला हुआ था।
अंदर कमरे में पहुंचते ही चित्रा ने अपने सारे कपड़े उतार दिये। बिना कपड़ों के चित्रा को देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए। क्या कमाल का जिस्म था चित्रा का, एकदम सांचे में ढला हुआ। पतली कमर, खड़ी नुकीली चूचियां। चूत के ऊपर छोटे छोटे मुलायम झांटों के बाल, और चिकने मुलायम चूतड़।
मैं सोच रहा था, “वाह रे चूतिया गांडू युग त्रिपाठी क्या है तेरी किस्मत। इतनी जवान कड़क सुंदरी को अभी तक तो तेरा बाप ही चोदता रहा है, अब आज तेरी गांड चोदने वाला तेरा दोस्त भी चोदने चला है।”
चित्रा अभी खड़ी ही थी। मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए। मेरा खूंटे जैसा लंड बिल्कुल सीधा खड़ा था। चित्रा ने एक बार मेरा लंड हाथ में पकड़ा और मेरे सामने नीचे बैठ गयी और मेरा लंड फिर से मुंह में ले लिया।
चित्रा की चुसाई में तो जैसे जादू था। मुझे लगा अगर चित्रा कुछ देर और ऐसे ही मेरा लंड चूसती रही तो मेरे लंड का पानी चित्रा के मुंह में ही निकल जाएगा। नंगी चित्रा और मेरा लंड उसके मुंह में। अब मेरी शर्म और झिझक भी खत्म हो चुकी थी।
ऑस्ट्रेलिया वाली पारुल या तबस्सुम होती तो मैंने उनके मुंह में ही लंड का पानी छुड़ा देना था। मगर चित्रा के साथ हो रही पहली चुदाई में मैं गर्म-गर्म लंड के पानी से चित्रा की चूत भरना चाहता था।
मैंने चित्रा को कहा, “चित्रा बस और मत चूसो, तुम्हारी चुसाई में तो जादू है। कहीं मुंह में ही ना निकल जाए लंड का पानी।”
चित्रा मेरी तरफ देखती हुई बोली, “अरे मुंह में निकलता है तो निकल जाने दो। अंकल से चुदाई के बाद तो अब तो बहुत कुछ करने करवाने लगी हूं मैं।” ये कहते हुए चित्रा हंसने लग गयी जैसे कुछ याद आ गया हो।
मैंने कहा, “लेकिन चित्रा तुम्हारी चुदाई का मजा?”
चित्रा ने हंस कर कहा, “आज मेरी चूत चुदाई के मजे की चिंता मत करो राज। आज चार दिन बाद अंकल ने मेरी चुदाई करनी है। पूरे दो ढाई घंटे चुदाई रगड़ाई होगी मेरी। पता नहीं कैसे-कैसे चुदाई होगी और कितनी बार मजा आएगा मुझे।”
मैंने कहा, “नहीं चित्रा चूत में ही डालने का मन है।”
ये सुन कर चित्रा खड़ी हो गयी और बोली, “ठीक है तो आओ फिर, बोलो कैसे? कैसे चोदोगे, कैसे लेटूं?”
चित्रा कुछ ज्यादा ही साफ़ बात कर रही थी। चित्रा की बात सुन कर मुझे ऑस्ट्रेलिआ वाली चुदाई की ‘पीएचडी’ वाली पारुल और तबस्सुम की याद आ गयी।
दोनों हमेशा कहा करतीं थीं कि चुदाई का मजा लड़की को बेड पर लिटा कर चोदने में ही आता है। लेकिन अगर चुदाई के साथ साथ चूत चूतड़ों की चुसाई करनी हो तो फिर बेड के किनारे चूतड़ों की नीचे तकिया लगा कर चूतड़ उठा दो, चूत और गांड के छेद बिल्कुल सटीक सामने आ जाते हैं। दोनों छेद जैसे मर्जी, जितना मर्जी चूसो, चाटो और अगर लंड ज्यादा तंग कर रहा हो तो वहीं खड़े-खड़े चोद भी दो।”
मैंने चित्रा से कहा, “चित्रा पहले चूत का स्वाद तो चखाओ। मुझे तुम्हारी चूत चूसनी है।”
कमाल तो तब हुआ जब बिना कुछ बोले चित्रा ने तकिया उठाया और बेड के किनारे पर रख कर उस पर चूतड़ रख टिका कर और टांगें उठा कर लेट गयी। बिल्कुल वैसे ही जैसे पारुल और तबस्सुम किया करतीं थीं, और बोली, “लो राज आ जाओ, दोनों छेद तुम्हारे सामने हैं चूसो, चाटो, चोदो, जो करना चाहो कर लो।”
उभरी हुई चूत और चिकनी गांड का गुलाबी छेद, मेरे लिए अब रुकना मुश्किल हो रहा था। फिर मैं फर्श पर बैठा और चित्रा के चूत और गांड का छेद चूसने चाटने लगा। चित्रा के मुलायम चूतड़ देख कर तो मेरा मन चित्रा की गांड चोदने का होने लगा। हेमंत की चिकनी मुलायम गांड से भी ज्यादा मुलायम थी चित्र की गांड। बिलकुल रेशमी ओढ़नी की तरह।
मैंने अपनी उंगली चित्रा की चूत में डाल कर चिकनी की और फट से चित्रा की गांड के छेद में डाल दी। चित्रा ने एक मस्ती भरी सिसकारी ली , “आआह राज ये क्या कर रहे हो?”
थोड़ी चुसाई के बाद चित्रा मस्ती में आ गयी और चूतड़ घुमाने लगी। चित्रा के चूत खूब खुशबूदार हल्का नमकीन पानी छोड़ रही थी। चित्रा वैसी ही मस्ती में बोली, “वैसे राज एक बात बोलूं? अंकल को भी चूत और गांड चाटने और गांड में उंगली डालने का बड़ा शौक है। चलो उठो राज, अब नहीं रहा जा रहा। बताओ कैसे चोदनी है, दिखा दो कितना दम है तुम्हारे इस जवान लम्बे मोटे लंड में।”
हालत मेरे लंड की भी बुरी थी। मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था। लंड फटने को हो रहा था। कुछ देर ऐसे ही चूत और गांड चुसाई करने के बाद मैं उठा और दूसरा तकिया उठा कर बिस्तर के बीच में रख दिया।
चित्रा समझ गयी कि मैंने कैसे चुदाई करनी चाहता हूं। चित्रा उठी और तकिये के ऊपर लेट गयी के टांगें हवा में उठा कर चौड़ी कर लीं। चूत की फांकें हल्की खुल गयी थी। मैं भी बिस्तर पर गया और लंड चूत के छेद पर रख दिया।
मैं लंड चूत में डालने की तैयारी में ही था कि चित्रा ने कैंची की तरह अपनी टांगें मेरी कमर के पीछे की और मेरी कमर को जकड़ कर एक जोरदार झटका अपने चूतड़ों को लगाया।
और ये लो, फच्च की आवाज की साथ लंड पूरा चित्रा की चूत में बैठ गया। चित्रा की चूत पूरी टाइट थी। लंड रगड़ा लगाता हुआ चूत में जड़ तक पूरा का पूरा बैठ गया।