हे दोस्तों, मेरा नाम सलीम है. ये स्टोरी मैं अपने दोस्त दीपक की मा की बता रहा हू. आंटी का नाम प्रिया है. दीपक पढ़ाई में तोड़ा वीक था, तो मैं अक्सर दीपक के घर में जेया कर उसको स्टडी करता था. हमारा कॉलेज का फर्स्ट एअर था.
दीपक की मा प्रिया दिखने में बहुत सुंदर और सेक्सी थी. एक बार प्रिया आंटी ने बताया-
आंटी: दीपक कंप्यूटर में कोई फाइल डाले हुए है, और चोरी-चुपके से देखता है. सलीम ज़रा पता करके बताओ.
मैने कहा: ठीक है प्रिया आंटी. मैं आपको बतौँगा.
फिर दीपक ने एक दिन मुझे अपने कंप्यूटर की वो फाइल खोल के दिखाई. उसमे केवल चुदाई की पिक्चर्स थी.
मैने कहा: बहुत अची पिक्चर्स है ये तो.
तभी प्रिया आंटी दीपक को आवाज़ देती है: जाओ समोसे ले आओ. सलीम आया हुआ है.
और दीपक चला जाता है. फिर आंटी मेरे पास आके कहती है-
आंटी: सलीम कुछ पता चला?
मैने प्रिया आंटी से कहा: मालूम चल गया.
और फिर मैने वो फाइल आंटी को खोल कर दिखाई.
प्रिया आंटी बोली: हाए राम, इतनी गंदी-गंदी पिक्चर्स देखता है.
मैने आंटी को बोला: प्लीज़ अभी उसको कुछ ना कहिएगा.
फिर दीपक आ गया. मैने छाई समोसा खाया, और अपने घर चला गया. एक दिन प्रिया आंटी का फोन आया.
वो मुझसे बोली: सलीम तुमने पासवर्ड नही बताया मुझे.
मैं: ठीक है आंटी, मैं पासवर्ड बता दूँगा. वैसे दीपक कहा है?
आंटी ने बताया: दीपक अपने मामा के घर गया है.
मैं: ठीक है मैं आता हू, और पासवर्ड बताता हू.
वाहा जाके आंटी बोली: इसके पापा तो यहा रहते नही है, तभी इसका मॅन पढ़ाई में नही लगता है.
फिर आंटी ने कहा: पासवर्ड बताओ.
मैने आंटी को पासवर्ड बता दिया, और आंटी बोली: मैं अभी छाई बना कर लाती हू.
फिर मैं उठा, और कंप्यूटर पर गंदी पिक्चर्स ओं कर दी. उसके बाद मैने आंटी से कहा-
मैं: आंटी मैं उपर जेया रहा हू.
और मैं उपर आ गया. फिर आंटी उस रूम में गयी, और पिक्चर्स देखने लगी. मैने धीरे से आंटी को देखा. वो पिक्चर्स में बहुत बिज़ी थी. फिर मैने अपना मोबाइल निकाला, और आंटी की वीडियो बनाने लगा. 5-10 मिनिट की वीडियो बनाने के बाद मैं उपर चला गया.
आंटी ने मुझे आवाज़ दी तब मैने नीचे आ कर देखा तो कंप्यूटर उन्होने बंद कर दिया था. वो बड़े मूड में थी. फिर मैने मौके का फ़ायदा उठना चाहा.
मैं आंटी से बोला: अंकल तो साल भर में एक बार आते है ना? आप मॅनेज कैसे करती है?
आंटी: करना पड़ता है बेटा, अब कुछ कर भी तो नही सकते. चल तू बैठ, और मैं छाई बना कर लाती हू.
ये बोल कर आंटी उठ कर किचन की तरफ जाने लगती है. मैं भी आंटी के पीछे-पीछे किचन में चला जाता हू. मुझे पीछे आते देख आंटी कहती है-
आंटी: अर्रे बैठे नही तुम?
मैं: मैं अकेला वाहा बैठ कर क्या करूँगा. आपके साथ खड़ा हो जाता हू, इसी बहाने बात भी हो जाएगी.
फिर आंटी आयेज चलने लगी, और मैं उनके पीछे. आंटी ने लेगैंग्स और शर्ट पहना था. उनकी मटकती गांद देख कर मेरे अंदर का जानवर उनको खा जाना चाहता था. किचन में आ कर आंटी छाई बनाने लगी.
मैं उनके करीब खड़ा था. मेरा लंड पूरा तंन चुका था. फिर मैने हिम्मत करके आंटी की गांद पर हाथ फेर दिया. उन्होने इग्नोर कर दिया. शायद उनको लगा ग़लती से हाथ लग गया होगा. मैने फिरसे हाथ लगाया तो आंटी बोली-
आंटी: सलीम ये क्या कर रहे हो?
मैं: आंटी आपकी गांद इतनी सेक्सी है, की मैं खुद को कंट्रोल नही कर पाया.
आंटी: तुम्हे शरम नही आती अपने दोस्त की मम्मी से ये बात बोलते हुए.
मैं: इसमे शरम कैसी आंटी. मैं तो आपकी हेल्प ही कर रहा हू. आप तो पिक्चर्स देख कर खुद को खुश कर रही थी. मैं आपको बहुत खुश कर दूँगा.
पिक्चर वाली बात सुन कर वो तोड़ा घबरा गयी. फिर वो किचन से जाने लगी. मैने वही उनका हाथ पकड़ कर उनको बाहों में भर लिया, और उनके होंठ चूसने लगा. वो मुझे डोर करने की कोशिश करती रही, लेकिन मैने किस टूटने नही दी.
2-3 मिनिट में उन्होने कोशिश करनी बंद कर दी. वो गरम हो गयी थी, और मेरा साथ देने लगी. फिर मैं किस्सिंग के साथ उनकी गांद भी दबाने लगा. इससे वो और उत्तेजित होने लगी. लगभग 15 मिनिट लगातार हमारी किस चली. जब हम अलग हुए तो दोनो की साँसे फूली हुई थी.
आंटी हवस भारी नज़रो से मुझे देख रही थी. मैने अपनी पंत और अंडरवेर नीचे किए और लंड बाहर निकाल लिया. लंड देख कर आंटी खुश हो गयी और बोली-
आंटी: ये तो बहुत तगड़ा है.
मैं: आंटी ये आपके लिए है.
फिर आंटी घुटनो पर बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी. मैं भी उनके मूह में धक्के देने लगा. कुछ देर बाद मैने उनको खड़ा किया. वो मेरा लंड पकड़ कर मुझे रूम में ले गयी. वाहा जाके उन्होने मुझे बेड पर लिटाया, और अपने कपड़े उतारने लगी. मैने भी अपने बाकी के कपड़े उतार दिए.
आंटी नंगी होके बहुत सेक्सी लग रही थी. फिर वो मेरे उपर आई, और अपनी छूट पर मूह से थूक लेके लगाई. उसके बाद उन्होने मेरा लंड अपनी छूट पे सेट किया, और उस पर बैठ गयी. मेरा पूरा लंड सनसानता हुआ अंदर चला गया. आंटी की चीख निकली, और मेरी भी आ निकल गयी.
मुझे ऐसा लगा मैं जन्नत में पहुँच गया था. आंटी ने अपने हाथ मेरी चेस्ट पर रखे, और लंड पर उछालने लग गयी. मैने आंटी की गांद पर अपने हाथ रखे, और उनको उछालने में मदद करने लगा. अब वो आ आ कर रही थी, और मेरे लंड का मज़ा ले रही थी.
मैं भी उनकी गरम छूट का मज़ा ले रहा था. फिर आंटी आयेज झुकी, और अपने बूब्स मेरे मूह के आयेज कर दिए. मैने उनके डोबो बूब्स पकड़ लिए और चूसने लगा. बड़ा मज़ा आ रहा था.
हमने कोई और पोज़िशन नही ली, क्यूंकी इसी में बहुत मज़ा आ रहा था. आंटी 20 मिनिट मेरे लंड पर उछालती रही, और 2 बार झाड़ गयी. फिर मैं भी आंटी की छूट में ही झाड़ गया, और आंटी मेरे उपर लेट गयी. अब से आंटी मेरी थी हमेशा के लिए.