ही फ्रेंड्स, मैं अनुज राजस्थान के जाईपुर से हू. मेरी उमर 19 साल है, और मैं कॉलेज में 1स्ट्रीट एअर का स्टूडेंट हू. ये कहानी मेरी मा के हमारी फॅमिली डॉक्टर से चूड़ने की है. तो चलिए मैं आपको बताता हू की मा कैसे चूड़ी डॉक्टर से.
सबसे पहले मैं आपको अपनी मा के बारे में बता देता हू. मेरी उमा की उमर 42 साल है. उनका रंग गोरा है, और बदन भरा हुआ है. साइज़ उनका तकरीबन 36-30-38 होगा. वो ज़्यादातर कुरती के साथ लेगैंग्स पहनती है, और साथ में दुपट्टा होता है. कभी-कभी वो सारी भी पहनती है.
लेगैंग्स में उनके चूतड़ इतने सेक्सी लगते है, की मोहल्ले के सारे मर्दों की नज़र उन पर ही रहती है जब वो बाहर जाती है. बाहर वालो का तो क्या कहना है, मेरी खुद की नज़र उनके बूब्स और गांद से नही हट-ती. आक्च्युयली उनका पेट अंदर है, इसलिए वो और भी सेक्सी लगती है.
अब मैं बताता हू अपने पापा के बारे में. मेरे पापा एक दुकानदार है. वो सारा दिन अपनी दुकान पर ही रहते है. दिखने में वो ठीक-ताक है, लेकिन मम्मी की पर्सनॅलिटी के सामने वो फीके है. मैं हमेशा सोचता था की मेरे पापा जैसे गीक को मेरी मम्मी जैसी होट्तिए कैसे मिल गयी.
पापा बड़े बोरिंग इंसान है. अर्ली मॉर्निंग दुकान पर जाना, और रात में आना उनकी रोज़ की रुटीन है. मम्मी उनको काई बार घूमने जाने के लिए और उनके साथ टाइम स्पेंड करने के लिए कहती है. लेकिन पापा इंटेरेस्ट नही दिखाते. मुझे कभी-कभी डाउट होता है की पापा ने मम्मी को छोड़ा कैसे होगा. अब मैं कहानी पर आते है.
एक दिन अचानक से मम्मी के पेट में दर्द होने लगा. दर्द ज़्यादा था, और मम्मी से बर्दाश्त नही हो रहा था. मैने पापा को फोन किया तो उन्होने मुझे मम्मी को डॉक्टर अंकल के पास लेके जाने को कहा. अब मैं आपको डॉक्टर अंकल के बारे में बता देता हू.
डॉक्टर अंकल का नाम अविनेश बिंद्रा है. मैं उन्हे बिंद्रा अंकल बुलाता हू. अंकल की उमर 47 साल है, और अची-ख़ासी पर्सनॅलिटी है उनकी. उनकी बीवी मॅर चुकी है, और बच्चे अब्रॉड में सेट है. यहा अंकल का अपना काफ़ी बड़ा क्लिनिक है, और उनके पास पैसों की कोई कमी नही है.
सारा वीक वो काम पर होते है, और वीकेंड्स पर पूरी ऐश और मौज-मस्ती करते है. डॉक्टर अंकल हमारे फॅमिली डॉक्टर है, और पापा के स्कूल टाइम के दोस्त भी.
फिर मैं मम्मी को डॉक्टर अंकल के पास ले गया. मम्मी ने कुरती और लेगैंग्स पहनी थी. वाहा पहुँच कर हमने उनको नमस्ते की, और मम्मी ने उनको सारी प्राब्लम बताई. उनके क्लिनिक में आज ज़्यादा पेशेंट्स नही थे. मैने नोटीस किया की जब मम्मी उनको प्राब्लम बता रही थी, तो वो मम्मी के बूब्स देख रहे थे. क्यूंकी दुपट्टा हटने की वजह से उनकी सेक्सी क्लीवेज दिख रही थी.
फिर उन्होने मम्मी की पीठ पर टच किया, चलो वो तो इलाज का पार्ट हो सकता है. उसके बाद अंकल ने मम्मी को वाहा बने छ्होटे से कॅबिन में जाके लेटने को कहा. मम्मी खड़ी हुई, और कॅबिन में जाने लगी. अंकल कॅबिन की तरफ जाती हुई मम्मी की गांद की मूव्मेंट देख रहे थे.
फिर अंकल भी अपनी चेर से खड़े हुए, और कॅबिन की तरफ चल दिए. कॅबिन लकड़ी के बोर्ड्स का बना हुआ था, और उसमे दरवाज़ा नही था. सिर्फ़ एक परदा टंगा था, जिससे वो कवर हो जाता था. मुझे अंकल की नीयत कुछ ठीक नही लग रही थी, तो मैं भी कॅबिन के बाहर जाके खड़ा हो गया.
फिर मैने हल्का सा परदा साइड किया, और अंदर देखने लगा. मम्मी अंदर पेशेंट वाले बेड पर लेती हुई थी, और अंकल उनके पास खड़े थे. फिर अंकल ने मम्मी के पेट पर हाथ रखते हुए पूछा-
अंकल: यहा दर्द है.
मम्मी: तोड़ा नीचे.
अंकल ने अपना हाथ तोड़ा नीचे किया, और फिरसे पूछा: यहा पर है?
मम्मी: हा यही पर है.
फिर अंकल बोले: आपकी नेवेल डिसप्लेस हुई पड़ी है. इसको ठीक करना होगा.
मम्मी: जल्दी कीजिए भाई साहब बहुत परेशन कर रहा है ये दर्द.
डॉक्टर: हा बस थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा.
फिर अंकल मम्मी की नेवेल को दबाने लगे, और एक हाथ से बूब्स के थोड़ी नीचे के हिस्से को दबाने लगे. धीरे-धीरे अंकल ने बूब्स के पास वाला हाथ मम्मी के बूब्स पर रख दिया. तभी मम्मी उनका हाथ हटते हुए बोली-
मम्मी: ये क्या कर रहे है भाई साहब?
अंकल बोले: भाभी जी ये दर्द ऐसे ही ठीक होगा. बॉडी में कुछ पायंट्स होते है जिनको साथ में दबाने से दर्द साथ के साथ चला जाता है. अगर आपको नही करवाना, तो मैं मेडिसिन लिख देता हुआ आप वो ले लेना. लेकिन उसमे 3 से 4 दिन जाएँगे.
मम्मी: नही-नही भाई साहब आप कीजिए. 3 से 4 दिन मैं ये दर्द नही से सकती.
फिर अंकल ने एक हाथ मम्मी के बूब पर फिरसे रखा, और उनका दूसरा हाथ मम्मी की नेवेल पर था. अंकल नीचे से नेवेल प्रेस करते, और उपर से मम्मी का बूब दबा रहे थे. धीरे-धीरे मम्मी की हल्की सिसकियाँ निकालने लगी. शायद मम्मी गरम हो रही थी.
अंकल ने जब देखा की मम्मी सिसकियाँ ले रही थी, तो वो अपना दूसरा हाथ उनकी नेवेल से हटता कर नीचे उनकी छूट पर ले गये, और कपड़ों के उपर से उनकी छूट दबाने लगे. तभी मम्मी दोबारा बोली-
मम्मी: भाई साहब, ये आप कहा-कहा टच कर रहे है.
अंकल: भाभी जी, अब मैं क्या करू? इलाज का तरीका ही यही है तो मैं क्या कर सकता हू?
फिर मम्मी चुप हो गयी. उसके बाद अंकल फिरसे मम्मी की छूट सहलाने लगे. धीरे-धीरे वो बूब्स को ज़ोर से दबाने लगे, और छूट को तेज़-तेज़ सहलाने लगे. मम्मी आ आ कर रही थी. वो आँखें बंद कर चुकी थी.
अंकल स्पीड बढ़ाए गये, और मम्मी तेज़-तेज़ सिसकियाँ लेती जेया रही थी. उनकी सिसकियाँ सुन कर मेरा भी लंड खड़ा हो चुका था. फिर एक ज़ोर की आ के साथ मा काँपने लगी. शायद उनका पानी निकल चुका था.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी अची लगे तो शेर ज़रूर करे.