नमस्ते दोस्तो, उमिद है आपको मेरी “तारक मेहता का ऊलतः चश्मः” चुदाई कहानी का पिच्छला पार्ट पसंद आया होगा. अब आयेज पढ़िए..
अब सुखी और अंजलि बाबा वाली जगह पर पहुँच चुकी थी. फिर सुखी तोड़ा आयेज चली गयी और अंजलि ने रिक्कशे-वाले को पैसे दिए. उसने साथ मे रिक्कशे-वाले को बोला-
अंजलि: भैया आपको हमे वापस भी लेके जाना है, इसलिए हमारी यही पर वेट करना और इसके लिए जीतने पैसे चाहिए, ले लेना.
इस्पे रिक्कशे-वाले ने कहा: ठीक है मेडम, लेकिन आप मे से ज़्यादा कों थूकने वालो है?
अंजलि ने कहा: वो जो आयेज चली गयी है, वो ज़्यादा थूकने वाली है.
अंज़की की इस बात पर, वो दोनो हासणे लग गये. फिर अंजलि ने सुखी से कहा-
अंजलि: देख सुखी अब सब कुछ तेरे हाथ मे है. कुछ गड़बड़ मत कर देना, वरना मुझे बच्चा नही होगा.
इस्पे सुखी ने कहा: तू चिंता मत कर. मेरी तरफ से कोई गड़बड़ नही होगी. बस मुझे इतना बता दे, की मुझे करना क्या है?
तभी अंजलि ने मॅन मे सोचा: साली यहा तो तुझे घोड़ी बनना होगा.
लेकिन अंजलि ने सुखी को कोई जवाब नही दिया. फिर थोड़ी देर बार अंजलि बोली-
अंजलि: बस तोड़ा सा काम है, वो कर लेना.
और सुखी ने हा मे सिर हिला दिया. फिर वो दोनो बाबा की गुफा मे गये. वाहा पत्थर ही पत्थर थे. ये सब देख कर सुखी ने बोला-
सुखी: ये तो बड़ी मस्त जगह है. यहा पर अगर कोई कांड हो जाए, तो किसी को आवाज़ का पता ही नही चलेगा.
अंजलि अपने मॅन मे सोच रही थी: तेरी आवाज़ का भी पता नही चलेगा. तू एक बार अंदर तो जेया.
अब अंजलि और सुखी आयेज की तरफ चलने लगे. जब वो तोड़ा आयेज गये, तो वाहा गाते पर एक बाबा खड़ा थे पुतला बन कर. उसके बाल बड़े हुए थे. लेकिन सुखी और अंजलि को वो दिखा नही. उन दोनो को लगा, की वाहा कोई पुतला खड़ा था.
फिर जब सुखी और अंजलि आयेज गयी, तो उन्होने देखा, की वो पुतला नंगा खड़ा था और बिल्कुल इंसान की तरह लग रहा था. फिर सुखी उस पुतले को देख कर उसको देखने लग गयी. जब सुखी की नज़र उसके नीचे गयी, तो उसको वाहा एक काला और मोटा सा लंड दिखाई दिया. वो लंड लोहे की रोड की तरह खड़ा था. और उस लंड को देख कर सुखी की आँखों मे हवस जाग उठी.
जब अंजलि ने उस खड़े हुए लंड को देखा, तो उसके मॅन मे आया, की आज उनकी भी ऐसे ही बड़े लुंडो से चुदाई होने वाली थी. उसको लग रहा था, की आज तो उनकी जान ही निकल जाने वाली थी.
फिर सुखी ने अंजलि से कहा: ये देखो अंजलि, ये कैसा पुतला है और इसका लंड तो देखो, कैसे रोड के जैसे खड़ा है.
तभी अंजलि और सुखी बाते कर रही थी और बाते करते हुए सुखी ने अंजलि से कहा-
सुखी: मुझे इसको एक बार टच करके देखना है. करलू क्या?
अंजलि ने अपने मॅन मे सोचा, की अछा ही था, क्यूकी सुखी अपने आप ही गरम हो रही थी. ये सोच कर अंजलि ने सुखी से कहा-
अंजलि: हा कार्लो टच.
अंजलि की ये बात सुन कर सुखी खुश हो गयी. वो आयेज बढ़ी और उसने लंड को अपने हाथ मे ले लिया. उसको लंड बड़ा ही अछा लगा और उसने कहा-
सुखी: क्या लंड है यार, बिल्कुल असली आदमी के जैसा.
और ये बोल कर सुखी उस लंड को हिलाने लग गयी. तभी एक बाबा वाहा आया और उसने सुखी को उसके बालो से पकड़ लिया. फिर वो बाबा सुखी को बोला-
बाबा: साली क्या कर रही है. तुझे शरम नही आती क्या? ये हमारे बाबा जी है.
इस्पे सुखी ने कहा: आहह.. मुझे पता नही था. मुझे लगा, की ये पुतला है और ऐसे ही खड़ा है.
फिर उस बाबा ने बताया, की वो बाबा ध्यान मे था और वो लंड खड़ा करके ही ध्यान लगाते थे. और सुखी ने उनका ध्यान भंग कर दिया था.
ये सुन कर सुखी को अपने आप पर गुस्सा आने लग गया. उसने जल्दी से बाबा के पैर पकड़े और बोली-
सुखी: बाबा जी मुझे माफ़ कर दो. मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी.
तभी बाबा ने कहा: अब इनको वापस ध्यान मे जाना होगा. अब तू इनका लंड चूस और इनका पानी उस कलश मे डाल देना.
पहले तो सुखी ने कहा: मुझे ये सब नही करना है. मई तो यहा से जाती हू.
तभी अंजलि ने कहा: कार्लो सुखी प्लीज़, वरना सारा बना बनाया काम बिगड़ जाएगा. प्लीज़ करदो ना.
फिर सुखी ने सोचा, की ऐसा करने से हो भी क्या जाएगा. वैसे भी सुखी को उसका लंड पसंद आ गया था, तो उसने सोचा, क्यू ना मज़ा लिया जाए.
अब सुखी घुटनो के बाल नीचे ज़मीन पर बैठ गयी और उसने बाबा के लंड को अपने हाथ मे पकड़ लिया. फिर सुखी ने उस लंड पर अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी.
फिर उस बाबा ने अंजलि से कहा-
बाबा: तुझे बच्चा चाहिए ना?
अंजलि बोली: जी हा, मुझे चाहिए.
तो उस बाबा ने कहा-
बाबा: चल अंदर आ, बाबा जी को तुझसे काम है.
तभी अंजलि सुखी को बोलने लगी-
अंजलि: चल सुखी अब मई चलती हू. तू प्लीज़, जो ये कहे उसको मान लेना, वरना मेरे बच्चा नही होगा. मई तेरे हाथ जोड़ती हू.
अंजलि सुखी को कन्विन्स कर रही थी, ताकि सुखी अंजलि की बात मान जाए. अब सुखी ने अपने मूह मे बाबा का पूरा लंड डाल लिया था और चूसने लग गयी थी. उसको लंड चूसने मे बड़ा मज़ा आ रहा था.
बाबा का लंड काफ़ी बड़ा था और उसके लिए सुखी को अपना मूह भी काफ़ी बड़ा करना पद रहा था. बाबा का लंड सुखी के गले की दीवार से टकरा रहा था. सुखी ने काफ़ी देर तक लंड चूसा और फिर बाबा ने उसको कहा-
बाबा: चल अब आयेज चली जेया.
सुखी को बाबा की बात समझ नही आई , की उसने सुखी ने आयेज जाने को क्यू बोला था. उसने सोचा चलो ठीक है, काम तो हो ही गया है. और ये सोच कर सुखी आयेज की तरफ चली गयी.
आयेज अंजलि एक बाबा से बात कर रही थी. जब अंजलि ने सुखी को अंदर आते हुए देखा, तो उसने बाबा से कहा-
अंजलि: जो औरत मेरे साथ आई है, उसकी ज़्यादा ठुकाई करो.
इस्पे बाबा ने कहा: ठीक है.
तब तक सुखी अंजलि के पास आ गयी और वो दोनो अंदर की तरफ जाने लगी. तभी उनके साथ वाले बाबा के कहा-
बाबा: नही ऐसे नही, तुम दोनो को इससे आयेज कुटिया बन कर जाना होगा.
सुखी और अंजलि पहले तो नही मानी, लेकिन बाद मे मान गयी. फिर वो दोनो कुटिया बन गयी और आयेज-आयेज बढ़ने लगी.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको नेक्स्ट पार्ट मे पता चलेगा. आप अपनी फीडबॅक देने के लिए और कोई आइडिया देने के लिए मुझे मैल कर सकते है.