कुछ देर चूसने के बाद नैंसी उठ खड़ी हुई। साथ ही नैंसी ने अपने पर्स में से कुछ निकाला, और हाथ में ले लिया और बोली, “चलो जीत।”
हम दोनों दूसरे कमरे में चले गए। जब ज्योति के कमरे के सामने से गुज़रे तो अंदर से “हुंह ज्योति, आअह ज्योति”, “हुंह हुंह आह आह संधू साहब क्या चोदते हो आप आह आआह लगाओ संधू साहब” “ले मेरा ज्योति, ले पूरा ले, ले चूत के अंदर तक ले, ये ले फुद्दी में आआह” की आवाजें आती सुनाई दी। लग रहा था संधू दबा कर चोद रहा था ज्योति को।
मैंने और नैंसी ने एक दूसरे की तरफ देखा और दूसरे कमरे की तरफ बढ़ गए। जाते ही नैंसी ने कपड़े उतार दिए। ज्योति की ही तरह कसा हुआ जिस्म था नैंसी का, मगर थोड़ा भारी था। मोटी चूचियां, तरबूज की तरह गोल गोरे चिकने चूतड़।
कुछ चुम्मा चाटी, लंड चुसाई, चूत चुसाई के बाद चुदाई का नंबर आ गया। मेरा ये उसूल है के मैं कभी लड़की को ये नहीं कहता कि मैंने उसे कैसे चोदना है। इसके उलट जैसे वो चुदवाना चाहती है, उसे वैसे ही चोदता हूं।
मैं खड़ा इस बात का इंतजार कर रहा था, कि देखें नैंसी कैसे लेटती है, और नैंसी को कैसे चुदवाना है? तभी नैंसी बेड के किनारे पर घुटनों और कुहनियों के बल पर उलटा लेट गयी, और चूतड़ पीछे करके थोड़े उठा दिए।
नैंसी पीछे से चूत चुदवाना चाहते थी? या फिर नैंसी का गांड चुदवाने का मन था। मैं लंड चूत में डालने ही वाला था कि नैंसी ने पीछे हाथ करके एक टयूब मेरे हाथ में पकड़ा दी, चिकनी क्रीम-जैल की टयूब। गांड चोदने से पहले गांड के छेद को चिकना करने के लिए इस्तेमाल करने वाली जैल।
तो क्या नैंसी गांड चुदवाने की शौक़ीन थी? आज गांड चुदवाएगी? मैने पूछा, “नैंसी भरजाई क्या गांड चुदवानी है।”
नैंसी ने हंसते हुए कहा, “दोनों चोद जीते, चूत भी और गांड भी। जवान है तू्, तारे दिखा दे अपनी इस नैंसी भरजाई को। बड़ी देर हो गयी जवान लंड अंदर लिए।”
नैंसी की बातें सुन के लंड और सख्त हो गया। मैंने कंडोम निकाल कर लंड पर डाला, और जैल नैंसी की गांड के छेद के बाहर और अंदर लगा दी।
फिर मैंने एक हाथ नैंसी के चूतड़ों पर रख कर अंगूठा पूरा गांड के अंदर डाल दिया। दूसरे हाथ से लंड चूत के छेद पर रखा, और एक ही झटके में लंड जड़ तक चूत में बिठा दिया।
नैंसी ने एक सिसकारी लिए “आह जीत, क्या मस्त रगड़ के गया है।” सारी तैयारी तो हो ही चुकी थी, बस अब इस नई वाली भरजाई, नैंसी भरजाई को तारे दिखाने बाकी थे।
दो चार बार अंगूठा गांड के अंदर बाहर करके मैंने नैंसी की कमर पकड़ ली, और शुरू हो गया। चूत में लग रहे तेज और और लम्बे धक्कों को नैंसी पंद्रह मिनट ही झेल पाई और जोरदार झटके के साथ चूतड़ घुमाए एक सिसकारी लिए, आह आह, जीत गयी मैं, निकल गया मेरा।” और नैंसी ढीली हो गयी। नैंसी की चूत पानी छोड़ गयी थी।
मगर मैं नैंसी को अभी छोड़ने के मूड में नहीं था। नैंसी की कमर पकड़े-पकड़े ही मैंने लंड चूत में से निकाल कर जैल से भरी गांड में एक झटके के साथ डाल दिया।
कंडोम चढ़ा हुआ लंड अंदर गया और नैंसी की चीख निकल गयी, “आआह जीत क्या कर रहा है? धीरे डाल लंड।”
मगर ना मैं रुका, ना धीरे हुआ। बस गांड चोदता रहा। नैंसी ने अब लगातार सिसकारियां लेनी शुरू कर दी, “आअह आअह जीत मजा आ गया आज तो। ऊंह ऊंह आआह मजा आ गया आज तो गांड चुदवाने का भी।”
नैंसी की चूत लग रहा था फिर तैयार हो गयी थी। नैंसी ने नीचे से अपनी चूत में उंगली करनी शुरू कर दी।
मगर मैं गांड चोदने से नहीं रुका। मैंने सोच लिया, अब गांड चुदाई तभी बंद करूंगा जब नैंसी कहेगी। मैं गांड चोदता रहा, और नैंसी अपनी चूत में उंगली करती रही। झिल्ली वाले कंडोम में लिपटा लंड खूब रगड़े लगा रहा था। नैंसी मुझे गांड चुदाई रोक कर चूत चोदने के लिए कह ही नहीं रही थी। लगता है गांड चुदवाने की ज़्यादा ही शौक़ीन थी नैंसी भरजाई।
अपने-अपने शौंक होते हैं।
नैंसी की गांड चुदाई के साथ मेरी अपनी गांड चोदने की इच्छा भी तो पूरी हो रही थी। मुझे इस बात को मांनने में कोइ शर्म नहीं कि गांड चुदाई में चूत चुदाई से ज्यादा मजा आता है। गांड का छेद टाइट होता है और लंड को पूरी तरह जकड लेता है। जम के रगड़ा-पच्ची होती है।
मेरी सब को सलाह है कि अगर वो गांड चोदते हैं तो ठीक है, अगर नहीं चोदते तो अब चोदना शुरू कर दें, मगर लड़की की , लड़के की नहीं। जो चिकने चूतड़ लड़की के होते हैं, वो लड़के के नहीं हो सकते।
चूत में उंगली करते-करते नैंसी एक बार और झड़ गयी। चुदाई करते हुए लगभग बीस मिनट हो चुके थे। अब नैंसी ने चूतड़ हिलाने बंद कर दिए थे, और वो थोड़ा-थोड़ा आगे की तरफ सरक रही थी।
मैं समझ गया कि या तो नैंसी थक गयी थी, या गांड के छेद पर इतने रगड़े लगने के बाद नैंसी की गांड दुखने लग गयी थी।
नैंसी ही बोली, “जीत क्या हुआ, तेरा नहीं निकला अभी तक? तेरा लंड तो वैसा ही खड़ा है।” ज्योति, शीला और चम्पा भी ये बात बोल चुकी थी। और अब नैंसी भी वही कह रही थी।
मैंने कहा, “नैंसी भरजाई, अभी ये नहीं झड़ेगा। आप पंद्रह बीस मिनट आराम कर लो फिर एक गेम और लगाएंगे।” नैंसी सीधी लेट गयी। मतलब थोड़ा आराम करना चाहती थी।
मेरा लंड तो खड़ा ही था। मैंने सोचा नैंसी भरजाई को आराम करने देता हूं। बाहर देखता हूं ज्योति या शीला में से कोइ चूत बैठी हुई तो उसे ही चोद दूंगा। कम से कम इस खड़े लंड का तो कुछ बनेगा।
मैंने अंडरवियर डाल लिया और बाहर ड्राइंग रूम में आ गया। खड़ा लंड अंडरवियर का तम्बू बना रहा था।
मगर वही बात, दो मर्द एक दूसरे के सामने नंगे नहीं हो सकते, जब तक की वो (गे) लौण्डेबाज़ ना हों। औरतें एक दूसरे के सामने नंगीं हो जाती हैं।
बाहर आया तो ज्योति बैठी थी नंगी, और शीला नहीं थी। मैं ज्योति के पास बैठ गया और पूछा, “भरजाई शीला को चोद रहा है संधू?”
ज्योति बोली, “हां, शीला को ले गए हैं संधू साहब।”
मैंने पूछा, “कैसा रहा?”
ज्योति बोली, “ठीक रहा। अपनी उम्र के हिसाब से लंड में चुदाई का दम बहुत है। ऊपर से दारू भी खूब लगा रक्खी है। बहुत बुरी तरह चोदते हैं, नोचते हैं, काटते हैं, जोर-जोर से होंठ चूसते हैं।”
फिर थोड़ा रुक कर बोली, “जीते कभी-कभी की चुदाई के लिए ठीक है। कभी-कभी की चुदाई में नोचना काटना अच्छा लगता है। पर रोज की चुदाई तेरी चुदाई जैसी ही होनी चहिये। रोज चुदाई करवानी हो तो तेरा कोई जवाब नहीं।”
और फिर बोली, “तू बता, तेरा कैसा रहा? तेरा लंड तो अभी भी खड़ा है।” फिर मेरे लंड को पकड़ कर बोली, “झड़ा नहीं अब तक? कितनी बार पानी छुड़ा दिया नैंसी का?”
मैंने कहा “अभी नहीं झड़ा भरजाई I नैंसी भरजाई पता नहीं कितनी बार झड़ी है। दो बार, या फिर शायद तीन बार।” फिर मैने बताया, ” नैंसी गांड चुदवाने की ज्यादा शौक़ीन लगती है भरजाई। और मैंने नैंसी की चुदाई पूरी की पूरी सुना दी और बोला, “अभी एक बार चुदाई और होनी है।”
ज्योति बोली, “तभी जीते, संधू साहब भी मुझे गांड चुदवाने के लिए बोल रहे थे। मैं भी कैसे मना करती। पर जब उनका मोटा लंड मेरी गांड में नहीं गया और मुझे दर्द भी हुआ, तो उन्होंने गांड चोदने का आईडिया बदल दिया।”
“मगर जीते इतना जोर-जोर से मेरे चूतड़ों को चूसा, गांड के छेद पर जुबान लगाई, तो सच कहूं बड़ा ही मजा आया। जीते एक बात बोलूं?”
मैंने भी कहा “बोलो भरजाई।”
ज्योति बोली, “जीते तू भी मेरे चूतड़ चाटा कर। गांड के छेद पर जुबान लगाया कर। सच में बड़ा मजा आता है।”
मैंने भी कहा, “ठीक है भरजाई, जैसे आपको मजा आये।”
ज्योति बोली, “मुझे ही क्यों, तुझे भी तो मजा आना चाहिए। फिर कुछ रुक कर बोली, “जीते मुझे लग रहा है गांड भी चुदवानी चाहिए। कभी-कभी चुदवाने में क्या फरक पड़ता है, मजा तो आता ही है। अगली बार जब तू आएगा, कल परसों या जब भी, एक बार ट्राई करेंगे।”
मैंने भरजाई को बाहों में लेकर चूम लिया और बोला, “मेरी प्यारी भरजाई।”
फिर अचानक ज्योति ने पूछा, “जीते, कंडोम चढ़ा कर चोदा नैंसी को?”
मैंने कहा, “हां भरजाई।”
ज्योति हंसी कर बोली, “फिर तो गई नैंसी भी। बार-बार संधू साहब को बोलेगी तेरे से चुदाई करवाने को। जीते जरा दिखा तो सही लंड।”
मैंने अंडरवियर नीचे कर दिया। ज्योति ने बड़े प्यार से लंड पकड़ा, दबाया और बोली, “जा चोद नैंसी को।”
तभी अंदर से शीला आ गयी। लगता है उसकी एक चुदाई हो गयी थी।
आते ही वो ज्योति से बोली, “भाभी अंकल का लंड अभी भी खड़ा ही है, आप को बुला रहे हैं और फिस्स्स फिस्स्स कर के हंस दी।”
शीला को देख कर लग रहा था, कि शीला ने पूरा मजा लिया था काटने और नोचने वाली चुदाई का।
जवान भी तो है शीला।
ज्योति ने मेरा लंड छोड़ दिया और जाने के लिए खड़ी हो गयी। एक और चुदाई के लिए। एक बार और गांड का छेद चटवाने के लिए।
शीला मेरे पास आयी और बोली, “क्या चोदते हैं अंकल, जीत भैया। इतना नोचते हैं, भींचते हैं, काटते हैं। ऐसे चोदते हैं जैसे अब तक चूत ही ना देखी हो।” और फिर शीला बोली, “पता क्या हुआ जीत भैया?”
वाह री शीला। मेरी तो हंसी छूटने वाली थी। एक चोदने वाले को भैया बोल रही थी दूसरे को अंकल।
मैंने भी कहा ” बता-बता क्या हुआ?”
शीला फिस्स फिस्स करके हंसी और बोली, “जीत भैया अंकल बोले शीला मैंने तेरी गांड चोदनी है।”
मैंने भी पूछा, “अच्छा! फिर? तूने चुदवाई गांड?
शीला बोली, “अरे क्या जीत भैया, आप भी? आप से तो गांड चुदवाने को मैंने ना कर दी, तो क्या इन अंकल से चुदवा लेती? जीत भैया मैंने तो बोल दिया, अंकल चूत चोदनी हो तो चोदो, गांड नहीं चुदवाती मैं।”
मैंने शीला से पूछा “शीला फिर?”
शीला बोली, “फिर क्या जीत भैया। चूत ही चोदी अंकल ने। पर जीत भैया एक बात बोलूं? अंकल इतने चूतड़ चूसते हैं, गांड का छेद चाटते हैं, बड़ा मजा आता है।”
शीला ने फिर कहा, “जीत भैया अगर मुझे गांड ही चुदवानी होगी, तो सबसे पहले आप से चुदवाऊंगी।” फिर कुछ पल चुप रह कर बोली, ” एक बात बोलूं जीत भैया, अगली बार गांड चुदाई करके देखेंगे I ये गांड चुदाई भी करके देख ही लेते हैं।”
मुझे ध्यान आया ज्योति भी यही कह रही थी,”जीते मुझे लग रहा है गांड भी चुदवानी चाहिए। कभी-कभी चुदवाने में क्या फरक पड़ता है, मजा तो आता ही है। अगली बार जब तू आएगा, कल परसों या जब भी, एक बार ट्राई करेंगे।”
ज्योति दूसरी चुदाई पारी के लिए संधू के पास चली गई और मैं नैंसी के पास चला गया।
उधर नैंसी सीधी बिस्तर पर लेटी हुई थी। क्या संगमरमर जैसा चिकना जिस्म था।
मैंने नैंसी के मुलायम चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर चूत उठाई और अपनी जुबान नैंसी की चूत में डाल दी। नैंसी ने टांगें खोल दी। चूत का दाना रगड़ा, और जब ये लगने लगा की नैंसी की चूत गीली होने लगी थी, एक्शन चालू कर दिया।
अब लग रहा था ये आख़री चुदाई होने वाली थी। मैंने नैंसी को अपनी बाहों में जकड़ लिया और शुरू हो गया।
पूरा लंड बाहर निकाल कर एक झटके के साथ अन्दर करता था। जादुई कंडोम लंड के ऊपर ही था। दस मिनट भी चुदाई नहीं हुई होगी कि “आह जीत, क्या चोदता है जीत तू, आआह रगड़, और रगड़, चोद दबा के आअह निकलेगा मेरा, आआआह जीत, जीत गयी” की आवाज के साथ नैंसी झड़ गयी।
लंड तो मेरा खड़ा ही था, बस मैंने कंडोम उतारना था और एक और चुदाई करते हुए अपने लंड के पानी से नैंसी भरजाई की चूत भरनी थी। कुछ देर मैं खड़ा लंड नैंसी कि चूत में डाले ऐसे ही लेटा रहा। नैंसी ही बोली, “जीत तेरा नहीं झड़ा?”
मैंने कहा, “नहीं भरजाई, मगर अब झड़ेगा।”
नैंसी बोली, “जीत कितना चोदता है तू। मुझे तो बड़ी जोर का पेशाब आया है। तीन बार मेरी चूत पानी छोड़ गयी, मैंने अभी तक एक बार भी पेशाब नहीं किया।”
मैंने कहा, “भरजाई आप पेशाब करके आओ, फिर एक ट्रिप चुदाई का और लगाएंगे।”
नैंसी के जाते ही मैंने कंडोम उतार दिया, और नैंसी के पीछे-पीछे बाथरूम चला गया। नैंसी अभी टॉयलेट सीट पर बैठी ही थी। चूत में से पेशाब निकलना शुरू भी नहीं हुआ था।
नैंसी बोली, “क्या हुआ जीत? तुझे भी पेशाब आ गया क्या?”
मैंने कहा, “नहीं भरजाई, जब आपका पेशाब निकलेगा, मैंने चूत पर हाथ रखना है। गरम-गरम पेशाब अपने हाथ पर लेना है।”
ये काम मैंने ज्योति के साथ भी किया था। गरम-गरम पेशाब जब मेरे हाथ पर गिरा था, तब मुझे तो जो मजा आया था, वो तो आया ही था। ज्योति को भी बड़ा मजा आया था। जब मैंने पेशाब करती ज्योति की चूत पर अपने हाथ से ठप ठप ठप छप्प छप्प छप्प किया था।
नैंसी ने टांगें चौड़ी कर दी और मैंने अपनी हथेली चूत पर रख दी और बोला, “चलो भरजाई मूतो अब।” जब नैंसी की चूत में से मूत की धार निकलनी शुरू हुई, तो मैंने वैसे ही हथेली से पट्ट पट्ट पट्ट किया और वैसी ही आवाज आई छप्प छप्प छप्प।
नैंसी हंसते हुए बोली, “जीत तू भी क्या क्या ड्रामे करता है।”
नैंसी पेशाब करके अंदर चली गयी, और चुदने के लिए लेट गयी। मैं भी मूत के हल्का हो कर अंदर चला गया। नैंसी लंड लेने के लिए तैयार ही थी। मैंने लंड चूत पर रख कर अंदर डाला, और चुदाई शुरू कर दी।
नैंसी ने मेरे कान में कहा, “जीत इस बार भी झड़ेगा के नहीं।”
मैंने कहा, “पता नहीं भरजाई।”
नैंसी चुदाई करवाते-करवाते मेरे कान में बोली, “जीत तेरा हमेशा ही ऐसे ही तीन-तीन चार-चार बार औरतों का पानी छुड़ाने के बाद झड़ता है?”
मैंने कहा, “हमेशा तो नहीं भरजाई, पर दो या तीन बार तो हो ही जाता है। आज थोड़ा दारू का भी असर है। संधू साहब भी तो लगे हुए हैं। पहले ज्योति भरजाई को चोदा I फिर शीला को चोदा और अब फिर ज्योति भरजाई अंदर है।”