देवर और भाभी के साथ में रात बिताने की कहानी

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम हर्ष रॉय है. और आज मैं आप लोगों के लिए लेके आ गया हू अपनी कहानी का अगला पार्ट. तो सबसे पहले पिछले पार्ट को खूब सारा प्यार देने के लिए थॅंक योउ. तो अब ज़्यादा टाइम ना वेस्ट करते हुए पार्ट-3 पे आते है.

उसके बाद मैं सुबा 7 बजे उठा, और जल्दी से फ्रेश हो कर रेडी होने लगा. क्यूंकी 8:30 तक मुझे ऑफीस में पहुँचना था. भाभी ने मेरे लिए नाश्ता और लंच रेडी कर दिया था, तो मैं नाश्ता करके जल्दी से ऑफीस के लिए निकालने जेया रहा था.

फिर भैया ने बोला: आज पहला दिन है. तो मैं तुझे अपनी बिके से छ्चोढ़ देता हू.

उसके बाद भैया मुझे ऑफीस तक छ्चोढ़ के ऑल थे बेस्ट बोल कर चले गये. मैं तोड़ा नर्वस था, और धीरे-धीरे ऑफीस में चला गया. पहला दिन था, तो वाहा पे कुछ समझ नही आया, और ऐसे ही 5:30 हो गये. आज का काम ख़तम हो गया था.

मैं घर पे आया तो सीधे अपने रूम में चला गया, क्यूंकी आज बहुत तक चुका था. कुछ देर बाद भाभी छाई लेके मेरे रूम में आई और बोली-

भाभी: क्या हो गया देवर जी, आज का दिन सही नही गया क्या?

तो मैने बोला: ठीक ताक ही गया है मेरा दिन. क्यूंकी कुछ भी समझ में नही आ रहा था वाहा पे.

तो भाभी ने बोला: ऐसा होता है सबके साथ. आपके भैया के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था.

और ऐसे ही भाभी ने मुझे समझाया. फिर कुछ देर बाद मैं भी नॉर्मल हो गया. उसके बाद मैं भाभी के रूम में जेया कर भाभी के लड़के के साथ खेलने लगा.

कुछ देर में भैया भी आ गये, और उसके बाद भैया ने मुझसे खूब सारी बातें की. और ऐसे ही बातें करते-करते खाने का टाइम हो गया. हम सब खाना खा कर अपने-अपने रूम में चले गये, और ऐसे ही कभी आचे तो कभी खराब 2 महीने बीट गये.

इस बीच मेरी और भाभी की खूब अची बनने लगी, और भाभी के लिए मेरे बुरे ख़याल मॅन से चले गये. मैं, भैया, भाभी सब रात को घूमने जया करते थे, और सब कुछ बढ़िया चल रहा था.

लेकिन एक दिन भैया का प्रमोशन हुआ और फुल फॅमिली के लंडन जाने का ट्रिप भैया के ऑफीस वालो ने स्पॉन्सर किया. जब हम सब को पता चला, तो हम लोग बहुत खुश हुए.

लेकिन एक प्राब्लम थी, की मेरी इंटेर्नशिप का सिर्फ़ 1 महीना बचा था, और मैं एक भी दिन मिस नही कर सकता था. तो उसके लिए भैया, भाभी, और बुआ डिसाइड करने लगे की आयेज क्या करना था.

बुआ: एक काम करते है. तुम अपने ऑफीस में बोल के टाइम आयेज नही करवा सकते?

भैया: नही हो सकता. सब कुछ पहले से ही फिक्स हो चुका है. कुछ नही कर सकते, बस एक ही ऑप्षन है की कोई ना जाए.

भाभी: ऐसा क्यूँ बोल रहे है. आप और मम्मी जी दोनो लोग चले जाए. मैं घर पे रह कर सब कुछ मॅनेज कर लूँगी.

बुआ: नही बहू, ऐसा मत बोलो. तुम दोनो चले जाओ, मैं हर्ष के साथ रह लूँगी.

भैया: अर्रे नही मम्मी. आप इस उमर में सब कुछ मॅनेज थोड़ी कर पाओगे.

भाभी: हा, ये सही बोल रहे है. आप इस उमर में इतना कुछ मॅनेज थोड़ी कर पावगी. अगर मैं यहा रहूंगी, तो हर्ष के लिए सुबा उठ कर नाश्ता और लंच बना पौँगी, जिससे उसका नाश्ता और लंच ना मिस हो. और मैं जल्दी उठ कर जो भी सुबा का काम है कर लूँगी. आप करोगे तो आपकी तबीयत खराब हो जाएगी.

और ऐसे ही कुछ देर तक डिस्कशन के बाद भैया ने ये डिसाइड किया, की भाभी रुकेंगी, और भैया ने मुझसे बोला-

भैया: देख लो हर्ष, जब तक मैं नही आ जाता, तब तक सब कुछ तुमको भाभी के साथ मिल के मॅनेज करना होगा.

तो मैने बोला: ठीक है भैया.

और उसके बाद भैया जो भी पेंडिंग काम था वो सब करने चले गये. साथ में शॉपिंग भी करने चले गये, क्यूंकी अब जाने के लिए सिर्फ़ 2 ही दिन बचे थे.

और ऐसे ही अब वो दिन आ गया जब भैया और बुआ को लंडन ट्रिप पे जाना था. तो मैं जल्दी-जल्दी दोनो लोगों का समान पॅक करवाने लगा. उसके बाद भैया ने मुझसे बोला-

भैया: कॅब बुला दो.

तो मैने बुला दी, और कुछ देर में कॅब भी आ गयी. अब निकालने का टाइम था, और हम सब हॉल में बैठे थे. हम निकालने ही जेया रहे थे की भैया ने मुझे बोला-

भैया: अब तुम इस घर के मालिक हो. तो सब कुछ तुम्हे ही मॅनेज करना है. और हा, एक काम करना, की तुम और भाभी एक ही रूम में सो जाना. ताकि अगर कुछ दिक्कत हो तो दोनो को पता चल जाए.

उसके बाद भाभी ने बोला: ठीक है.

उसके बाद मैने सारा समान कॅब में रखवा दिया, और कुछ देर बाद भैया और बुआ चले गये एरपोर्ट के लिए. अब मैं और भाभी अकेले थे, और रात होने वाली थी.

तो भाभी ने बोला: आप चलिए खाना खा लीजिए.

फिर मैं खाना खाने चला गया. कुछ देर में ही भाभी ने खाना लगा दिया, और मैने तुरंत खाना स्टार्ट कर दिया. मैने नोटीस किया की भाभी खाना नही खा रही थी. वो सिर्फ़ बैठी थी.

तो मैने पूछा: आप क्यूँ नही खा रही है खाना?

वो बोली: पहले आप खा लीजिए. मैं आपके बाद खा लूँगी.

तो मैने बोला: ये ग़लत है. आपको भी मेरे साथ खाना होगा. नही तो मैं भी नही ख़ौँगा.

तो भाभी ने तोड़ा शरमाते हुए बोला: अछा ठीक है बाबा. मैं भी खाती हू.

उसके बाद हम दोनो खाना खा लिए, और मैं रूम में जाके लॅपटॉप पे कुछ काम करने लगा. भाभी भी गंदे बर्तन ढोने लगी. फिर कुछ देर बाद भाभी आई मेरे पास, और बोली-

भाभी: चलिए सोते है. कल आपको ऑफीस भी तो जाना है.

फिर मैं भाभी के रूम में सोने चला गया. मैं सोफे पे सोने जेया ही रहा था, की भाभी ने बोला-

भाभी: आप वाहा पे क्यूँ सो रहे है? बेड पे आइए ना.

फिर मैं बेड पे चला गया, जहा एक कोने में मैं, और दूसरे कोने पे भाभी, और बीच में भाभी का लड़का था.

हमने कुछ देर तक वैसे ही कुछ बातें की. मुझे ना-जाने कब नींद आ गयी, और मैं सो गया. फिर जब सुबा हुई, तो भाभी मुझे उठा रही थी. 7:20 हो चुके थे, और मैं रात को अलार्म लगाना भूल गया था.

फिर मैं जल्दी से फ्रेश हो कर, नाश्ता करके, जल्दी से ऑफीस के लिए निकल दिया. मैं किसी तरह टाइम से पहुँच गया, और आज का दिन अछा गया. ऑफीस क्लोज़ होने का टाइम हो गया था, तो मैने अपना समान पॅक किया, और घर के लिए निकल दिया.

रास्ते में मैने सोचा की भाभी के लिए कुछ खाने के लिए लेता हू. क्यूंकी भैया भाभी के लिए कुछ ना कुछ खाने के लिए लाते थे ऑफीस से आते वक़्त.

मैं सोचने लगा की क्या लू, जो भाभी को पसंद आए. तो मुझे याद आया की भाभी को मोमॉस बहुत पसंद थे. फिर मैने चिली मोमॉस पॅक करवा लिए, और उसके बाद जब घर पहुँच के भाभी को दिए, तो वो बहुत खुश हुई.

शायद उनका फेवोवरिट था. उसके बाद हमने साथ में मोमॉस खाए, और खूब बातें की. कुछ देर बाद खाना खा के हम दोनो सोने चले गये और बेड पे हम दोनो लेट कर बातें करने लगे. ऐसे ही बातें करते-करते भाभी सो गयी, लेकिन मुझे पता नही क्यूँ नींद नही आ रही थी.

मैं बस आँखें बंद करके सोने की कोशिश कर रहा था, और ऐसे ही 2 घंटे बीट गये. लेकिन मुझे अभी भी नींद नही आ रही थी. उस वक़्त टाइम करीब रात के 1 बाज रहे होंगे. और मैं करवाते बदल रहा था. तभी भाभी का लड़का रोने लगा, और भाभी की नींद खुल गयी.

वो लड़के को चुप करवाने लगी, लेकिन वो चुप नही हो रहा था, और मैं आँखें बंद करके सब देख रहा था. उसी वक़्त भाभी मुझे देखने लगी, और उनको लगा की मैं तो सो गया हुआ था.

फिर भाभी ने रूम की लाइट बंद कर दी. लेकिन मुझे फिर भी सब कुछ दिख रहा था. भाभी मॅक्सी पहने हुई थी, तो मैने देखा की वो अपनी मॅक्सी लेफ्ट कंधे से सरकने लगी. चूँकि उनकी मॅक्सी लूस थी, तो वो सरकने लगी.

मैने देखा की भाभी ब्लॅक कलर की ब्रा पहने हुई थी. भाभी ने उसका लेफ्ट कप उपर कर दिया, और उपर करते ही फाटक से लेफ्ट वाला बूब बाहर आ गया.

बूब इतना बड़ा था, की क्या ही बतौ. उसके बाद भाभी ने अपने बूब का निपल अपने बच्चे के मूह में डाल दिया, और वो उसके चूसने लगा. अब भाभी लेट कर दूध पीला रही थी.

मैं ये सब देख रहा था, और उसी वक़्त मुझे एहसास हुआ की ये ग़लत था. भाभी को मुझे ऐसे नही देखना चाहिए था. लेकिन मुझसे देखे बिना रहा भी नही जेया रहा था.

फिर किसी तरह मैने अपने आप को कंट्रोल किया, और सो गया. फिर जब अगले दिन ऑफीस में काम कर रहा था, तो मेरे मॅन में कल रात का सीन चल रहा था. मैं कोशिश तो कर रहा था, लेकिन बहुत मुस्किल हो रहा था. किसी तरह ऑफीस का आज का काम ख़तम करकर घर के लिए निकल दिया.

दोस्तों इस पार्ट में इतना ही. अब अगले पार्ट में आप लोगों को पता चलेगा की मैं अपने आप को कंट्रोल कर पाया की नही. अगर नही कर पाया तो आयेज क्या हुआ.

तो दोस्तों अगर मुझसे कोई ग़लती हुई तो माफ़ कीजिएगा. और कोई भी सजेशन या फीडबॅक देना हो तो आप लोग मुझे- हर्शरॉय@स्किफ.कॉम पे मैल कर सकते है.

थॅंकआइयू

हर्ष रॉय