दर्जी और पति के साथ थ्रीसम चुदाई

मई शालु हू.”पति के सामने दर्जी ने छोड़ा” के पिछले भाग मे आपने पढ़ा की कैसे पति के सामने मैने एक दर्जी से चुडवाया. शादी के चार महीना बाद ही मैने दूसरे मर्द और यूयेसेस के लवदा का आनंद लिया.

मई दर्जी की दुकान मे करीब 3 घंटा रही, उसने मुझे नंगा होंने कहा, फिर वो खुद मुझे नंगा करने लगा और फाइनली छोड़ने भी लगा. दिखाने के लिए भी पति ने एक बार भी उससे नही टोका. उसकी चुदाई मुझे इतनी पसंद आई की मैने दुबारा यूयेसेस से चुडवाया. दर्जी ने ट्राइयल के लिए मुझे तीसरे दिन बुलाया.

हम 12 बजे के करीब उसकी दुकान के अंदर घुसे थे और 2 बार छुड़वा कर हम दुकान से 3 बजे के बाद निकले. कार स्टार्ट हुई.

मई -विनोद, दर्जी ने जब मुझे नंगा होंने बोला तो तुमने उससे दांता क्यो नही? वो मेरे कपड़े उतरने लगा फिर भी नही रोका. उसकी चुदाई मुझे इतनी बढ़िया लगी की दूसरी बार मैने खुद चुडवाया. लेकिन उसने मुझे उठाकर टेबल पर लिटाया तो तुमने उससे रोका क्यो नही?

विनोद एक हाथ से स्टियरिंग संभाल रहा था और दूसरे हाथ से मेरी जाँघो को सहलाने लगा.

विनोद – शालु, तुम जब यूयेसेस के दुकान मे घुसी तो मुझे बहुत गुस्सा आया था लेकिन जब यूयेसेस ने तुमसे नंगा होंने कहा तब मालूम नही मुझे क्या हो गया. मई अपने भगवान से प्राय करने लगा की तुम यूयेसेस के सामने नंगी हो जाओ और मेरे सामने यूयेसेस से चुड़वव.

पति की बात सुन्न मई मॅन ही मॅन बहुत खुश हुई.

मई – यानी तुम चाहते थे की मई दूसरे से चड़वौ. मेरी रंडी पाना देख तुम मुझे डाइवोर्स दे दो और किसी दूसरी हसीना से शादी कर लो. कौन हरांजाड़ी है जिसके तुम मुझे छ्होरना चाहते हो?

विनोद ने मेरी छूट को मसला. मई यूयेसेस के बगल मे बिल्कुल नंगी बैठी थी.

विनोद – रानी, मई पागल हू जो तुम्हे अपने से दूर जाने दूँगा! तुम्हे नंगा देखना, तुम्हे छोड़ना बहुत ही बढ़िया लगता है लेकिन आज तुम्हे दूसरे आदमी से चुड़वाते देख बहुत मज़ा आया, तुम्हे छोड़ने से ज़्यादा मज़ा तुम्हे चुड़वाते देखने मे आया.

सच रानी, बहुत ही मस्त माल हो. तुम्हे यूयेसेस दर्जी से जितना छुड़वाना है चुड़वव लेकिन मेरे फयडे के लिए जुल्दी किसी और से भी छुड़वाना होगा. माना नही करोगी ना !

इश्स से बढ़िया प्रपोज़ल मेरे लिए और क्या हो सकता था! मेरा पति खुद मुझे किसी और से छुड़वाना चाहता था. लेकिन फिलहाल तो मुझे दर्जी का ही लवदा बार बार चाहिए था. मैने टीज़ किया.

मई – जीतने दिन ससुराल मे रही मुझे एसा लगा की ससुर जी, तुम्हारे बाबूजी बात बार मुझे च्छुने की कोशिश कर रहे थे. मैने उन्हे हाथ नही लगाने दिया इश्स लिए मुझे दीवाली मे घर आने से माना कर रहे है. मेरे नही जाने से डिप्टी (विनोद की छ्होटी बहन) कितनी उदास है.

विनोद – तुमने ठीक ही अब्ज़र्व किया. बाबूजी, मुझसे भी काई बार तुम्हारी सुंदरता और जवानी के बात करते थे. तुम उन्हे बहुत ही ज़्यादा पसंद हो.

मई – और वो तेरा बुढ्ढा बाप भी मुझे छोड़ना चाहे तो!

विनोद – मेरे बाबूजी बुढ्ढे नही है. रजनी (ससुराल की एक मैड) तुम्हारे ही आगे की है और वो सिर्फ़ मेरे बाबूजी से छुड़वाने के लिए ही घर मे रहती है.

हम बात कर ही रहे थे की कार सोसाइटी के गाते पर रुकी गुआर्द मेरी तरफ आया लेकिन मई सामने देखती रही. कार की अंदर की लाइट बंद थी लेकिन बाहर की स्ट्रीट लाइट्स मे उससे मेरी नंगी जवानी सॉफ सॉफ दीखाई दी होगी. मैने
थाइस को क्रॉस कर बैठी थी.

गुआर्द – मेडम जब से आप यान्हा आई है, हर कोई सिर्फ़ आप के बारे मे ही बात करता रहता है. वो काल्पेश टेलर शान से सबसे कहता रहता है है की वो आपका दोस्त है. आप सी सुंदर औरत पहले कभी नही देखी और आज तो मेरी किस्मत खुल गयी.

मैने थाइस उनक्रोस्स किया. दोनो लेग्स को फैलाया. उससे मेरी झांतो भारी छूट भी सॉफ दिखाई दे रही होगी.

मई – काल्पेश मेरे ही गाओ का है और हम एक दूसरे को बचपन से जानते है. अगर तुम भी मुझे बदनाम नही करोगे तो हम भी दोस्त बन सकते हो. क्या नाम है?

गुआर्द – उदय सिंग. आप लोगो को किसी भी तरह का काम करवाना हो तो मुझे बोलिएगा. आप के लिए कोई भी काम कर मुझे बहुत खुशी होगी.

मैने उससे ध्यान से देखा. 24-25 साल का एक गबरू जवान था. मैने एक झलक विनोद की ऑर देखा. मुझे विनोद से ज़्यादा हॅंडसम और अट्रॅक्टिव लगा. मैने उसका हाथ पकड़ कर कहा,

“किसी को मूत बोलना की तुमने मुझे नंगा देखा. कोई तुम्हारी बात नही मानेगा, सब तुम पर ही हँसेंगे. दीवाली के दिन समय निकल कर घर आना. इनाम दूँगी. चलो विनोद.”

विनोद ने घर की तरफ कार बढ़ाया.

विनोद – तुम सारे मर्दो को बर्बाद कर डोगी. सच कहता हू, तुम्हे इश्स तरह नंगा देखना बहुत ही बढ़िया लग रहा है.

मई – मुझे एसा देख सब यही समझेंगे की मई च्चीनार हू और तुम नामार्द हो जो अपनी वाइफ को दूसरो से चुड़वाते हो. दीवाली के दिन अपने बॉस को घर इन्वाइट करो. मई तुम्हारा प्रमोशन चाहती हू.

विनोद ने घर के सामने कार पार्क की और कार मे ही मुझे गले लगा कर चूमा.

विनोद – मई भी तुम्हे अपने बॉस से ही छुड़वाने की बात कर रहा था.

मई – मई तुम्हारे इम्मीडियेट बॉस नही, फॅक्टरी के जनरल मॅनेजर, सेयो को घर बुलाने की बात कर रही थी. अगर बॉस को ही खुश रखना है तो इम्मीडियेट बॉस क्यो, चीफ को ही खुश रखो ना.

दर्जी ने मुझे 2 बार छोड़ कर मेरी चुदाई की प्यास भुझा ही दी थी, मुझे बेशरम भी बना दिया था. विनोद से जब भी चुड़वति थी तो हर बार “कुछ और चाहिए” वाली बात दिमाग़ मे घूमती रहती थी. लेकिन दर्जी के चुदाई के बाद लग रहा था की अब मुझे सिर्फ़ दर्जी का ही लवदा और उसका धक्का बार बार चाहिए.

हम घर के अंदर घुसे. 4 बजा था. विनोद तो सू गया लेकिन मैने फ्रेश होकर छाई बनाया और नंगी ही सोफा पर बैठ टीवी मे एक म्यूज़िक चॅनेल लगा कर यूयेसेस रात की घटनाओ के बारे मे सोचने लगी.

सब कुछ समझ मे आ गया. विनोद के साथ चुदाई से मई कभी सॅटिस्फाइ नही हुई थी इश्स लिए मौका मिला तो दर्जी से छुड़वा लिया. लेकिन यह बात मेरे गले नही उतार रही थी की कोई भी मर्द कितना भी कमजोर क्यो ना हो, अपनी घरवाली को दूसरे के सामने नंगा ही नही यूयेसेस से चुड़वाते देख कर भी कैसे खुश हो सकता है.

अपनी पहली रंडी-पाना और विनोद के बारे मे सोचते हुए टाइम कैसे पास हो गया मालूम ही नही पड़ा. दरवाज़ा पर नॉक सुन्न कर होश आया. समय देखा, सुबह का 6.30 हो गया था यानी पारो अपने समय पर आई थी. मैने वैसे ही दरवाज़ा खोला.

पारो ने मुझे नंगा देखा और मुझे अंदर की ऑर धकेलते हुए झट से दरवाज़ा अंदर से बंद किया.

पारो – मेडम, शायद कोई घटिया रंडी भी अपने घर मे ऐसा नही रहती होगी. साहब आपकी आग नही भुझा सकते है तो बोलिए अपने घरवाला को भेज देती हू, बलदेव एक ही धक्के मे आप की सारी गर्मी उतार देगा. मातेरचोड़, जब भी छोड़ता है जुंगली जानवर जैसा छोड़ता है. चुदाई के बाद मई भी घर मे ऐसा ही नंगी रहती हू.

मई – तेरे साहब ने भी रात मे ऐसा ही पेला. एक के बाद एक सेयेल ने लगातार टीन बार छोड़ा, मधेरचोड़ ने जान निकाल दी. पहले एक कप बढ़िया छाई पीते है फिर काम करना.

पारो – मई भी छाई पी कर नही आई हू. आप बैठीए बनाती हू.

मई – पारो, तू मेरी सग़ी बहन जैसी है. इससे अपना ही घर समझ. जब जी चाहे कुछ भी खा पी सकती है.

पारो छाई बनाने लगी. मई बातरूम से फ्रेश होकर आई. और मुझे घर मे नंगा घूमना, नंगा रहना बढ़िया लगने लगा. थोड़ी ही देर बात हम दोनो सामने सामने बैठ छाई पीने लगे.

पारो – मेडम …

मैने पारो को टोका.

मई – पारो, मुझे ये शब्द मेडम बिल्कुल पसंद नही है. बाहर के लोग बोलते है तो बोलने दे लेकिन तू मूत बोल. अगर मेरे नाम से नही बुला सकती तो दीदी बोल, मेडम या मालकिन नही.

मेरी बात सुन्न पारो मुस्कुराने लगी.
पारो – दीदी, आप विनोद साहब को संभाल कर रखिए.

मई – क्या हुआ, तुझे छोढ़े की कोशिश करते है क्या?”

पारो – धात्ट. दीदी आप बहुत गंदी है. जिस आदमी की इतनी खूबसूरत घरवाली हो वो दूसरे की ऑर क्यो देखेगा? सोसाइटी की काई औरते ही नही कुँवारी लड़किया भी विनोद साहब की दीवानी है. 5-6 औरते और 2 कॉलेज मे पढ़ने वाली लड़किया मुझे काई बार खुशमाद कर चुकी है की मई उन्हे विनोद साहब से मिला डू.

मई – मिला दे ना ! एक बार मेरा घरवाला दूसरे को छोड़ लेगा तो मेरे लिए भी रास्ता सॉफ हो जाएगा. जान्हा भी जाती हू लोगो की नज़र एसे घुरती रहती है की मानो खड़े खड़े ही मुझे छोड़ लेंगे.

लेकिन अभी तक किसी मर्द को देख कर मेरे दिल मे कोई उथल पुथल शुरू नही हुई है. मई दिल से चाहती हू की विनोद किसी को जुल्दी छोड़े जिस से की वो मुझे भी दूसरे से छुड़वाने से माना ना करे.. तू ही क्यो नही पटाती उससे? बढ़िया चुदाई करता है विनोद.

पारो – आप बहुत गंदी है, आप से बात नही करूँगी.

पारो अपना कप लेकर किचन मे घुस गयी. मई करीब आधे घंटा बाद नहा धोकर, एक पंजाबी सूट पहन कर बाहर आई तो देखा की विनोद भी किचन मे है. वो पारो से बिल्कुल सतत कर खड़ा है और उसके दोनो हाथ पारो की कामद को सहला रहे है. यह देख मुझे बिसवास हो गया की विनोद इश्स पारो को छोड़ता है.

मई तोड़ा पीच्चे हो गयी और वोन्ी से ज़ोर से बोली,

“पारो, मुझे बहुत भूख लगी है, कुछ खिला पीला.”

पारो – अभी लाती हू दीदी.

कुछ ही देर बाद पारो ने नास्टा सर्व किया. सर्व करने बाद पारो किचन मे जाने लगी तो मैने हाथ पकड़ कर कहा,

“पारो, आज से अभी से तू भी हमारे साथ ही नास्टा करेगी, खाना खाएगी..जेया अपना प्लेट लेकर आ.”

वो बहुत ना नुकुर करने लगी. लेकिन विनोद ने भी इन्सिस्ट्स किया तो वो लज़्ज़ाते हुए अपना नास्टा का प्लेट लेकर आई और मेरे बगल मे बैठ कर खाने लगी.

पारो भी मेरे ही आगे 19 साल की थी. लेकिन उसकी शादी मुझसे पहले हो गयी थी. अभी तक कोई बच्चा नही हुआ था. पारो मेरे जैसी सुंदर चेहरे वाली नही थी. मेरा फेस राउनडीश था और उसका फेस ओवल था. रंग सॉफ नही था लेकिन यूयेसेस के चेहरे और स्किन की चमक उससे आकर्षक बनाती थी. 5 फ्ट 2 इंच लंबी थी, लचकदार च्चहरा बदन था.

चुचिया मुझसे छ्होटी थी, शायद 34 इंच साइज़ की, पतली कामद और चुटटर भी 34 इंच की ही होगा. ज़्यादा तार सलवार कुर्ता ही पहनती थी. अगर मेरे पति यूयेसेस के बदन को च्छू सकते है तो ज़रूर काई दूसरे भी पारो की जवानी का मज़ा लेते होंगे.

मैने कभी यह मालूम करने की कोशिश नही की पारो इश्स घर मे कब से विनोद की सेवा कर रही है. मैने जब इश्स घर मे पहली बार कदम रखा तो मेरे सास ससुर के साथ ये पारो भी मेरा स्वागत करने के लिए खड़ी थी. मेरे सास ससुर तो एक वीक रहकर चले गये, उनके जाने के 7त दे ही मैने दर्जी से चुडवाया.

पारो – दीदी, जितना हो सकता था मैने घर को सॉफ कर दिया है लेकिन घर मे कुछ भारी सामान है. यूयेसेस सबको शिफ्ट करने के लिए कोई एक दूसरा आदमी चाहिए.

उसकी बात सही थी, कुछ फर्निचर, कपबोर्ड एट्सेटरा बहुत हेवी थे. मैने विनोद की ऑर देखा.

विनोद – पारो, आज नही तो कल बलदेव को बुला लो और यूयेसेस के साथ मिलकर बाकी सफाई कर लो.

मई – हा यह भी ठीक है, मई भी तेरे घरवाला से ठीक से नही मिली हू, इसी बहाने हुमारी दोस्ती भी हो जाएगी,

पारो — कितनी मुस्किल से एक आदमी ने मुझसे शादी की. और आप उससे भी मुझसे चीन-ना चाहती है आप यूयेसेस हरामी को तोड़ा भी च्छुत देंगी तो बहँचोड़ मेरी ऑर देखेगा भी नही.

मई – घबरा मूत, मई तेरे घरवाला से इतनी जुल्दी नही चड़वौनगी. कल उससे बुला ले.

पारो – दीदी, आप कैसे इतनी आसानी से गंदी बाते बोल सकती है?

मई – आज से नही, बचपन से ही एईसी बाते सुनती और बोलती आई हू. हमारे गाओ मे बेटी भी अपने बाप को बेटीचोड़ बोलकर गाली देती है. मातेरचोड़, बहँचोड़ बोलना तो आम बात है.

खैर, सनडे और अगला दिन मंडे आराम से पास हो गया. जैसा कहा था अगले दिन पारो अपने हज़्बेंड बलदेव को साथ लेकर आई और दोनो ने रियली बहुत मेहनत की. पूरा घर बढ़िया से सॉफ किया.

मैने काई बार बलदेव की चोरी पकड़ी. मई जब भी उसकी ऑर देखती यूयेसेस की आँखे मुझे ही घुरती हुई दीखी. सारा काम ख़त्म होंने के बाद मैने पारो से बढ़िया नास्टा और छाई बनाने कहा. पारो किचन मे गयी. बलदेव मेरे सामने ज़मीन पर बैठा था.

मेरे पूछने पर यूयेसेस ने अपनी और पारो के फॅमिली के बारे मे बताया. कुछ देर बाद यूयेसेस ने राज खोला.

बलदेव – मालकिन, आप को शायद नही मालूम, मेरी घरवाली विनोद साहब के साथ सेक्स करती है. मैने खुद अपनी आँखो से दोनो को मस्ती मारते देखा है. मैने पारो को काई बार माना किया लेकिन वो कहती है की मई भले ही उससे छ्होर डू, वो विनोद साहब को कभी नही छ्होरेगी. पारो शादी के पहले से ही विनोद साहब से छुड़वा रही है.

मई – तुम भी विनोद साहब की घरवाली को छोड़ लो. मई तुमसे छुड़वाने को तैयार हू. छोड़ोगे मुझे?